tikka disease of groundnut

tikka disease of groundnut: मूंगफली में टिक्का रोग नियंत्रण

किसान भाइयों नमस्कार, स्वागत है BharatAgri Krushi Dukan वेबसाइट पर। आज हम जानेंगे मूंगफली की फसल में टिक्का रोग का नियंत्रण और सम्पूर्ण जानकारी के बारें में।  इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे की मूंगफली में टिक्का रोग (Groundnut Tikka disease),  मूंगफली में टिक्का रोग के लक्षण (tikka disease of groundnut symptoms), मूंगफली में टिक्का रोग का नियंत्रण (tikka disease of groundnut control) टिक्का रोग नियंत्रण की बेस्ट दवा (Best fungicide for Tikka disease control) और नियंत्रण के स्मार्ट टिप्स।  

मूंगफली, भारतीय कृषि में महत्वपूर्ण फसलों में से एक है जो खाद्य और तेल के उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हालांकि, मूंगफली की फसल को कई प्रकार के कीटों और रोगों का सामना करना पड़ सकता है, जिनमें 'टिक्का रोग' भी शामिल है। इस ब्लॉग में, हम मूंगफली की फसल में टिक्का रोग के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे और इसके नियंत्रण के उपायों पर भी चर्चा करेंगे।


टिक्का रोग क्या है? Tikka disease of groundnut crop -

टिक्का रोग, मूंगफली की फसल में होने वाला एक प्रमुख फंगल संक्रमण है जिसका कारण ग्रामीणी कोडिनियम ग्रामिनिकोला नामक फंगस से होता है। यह फंगस पौधों की पत्तियों पर सफेद या पीले रंग की छायाएँ बनाता है, जिन्हें 'टिक्के' कहा जाता है। इन टिक्कों में फंगस की बढ़ती हुई संख्या के कारण पौधों का पोषण कम हो जाता है और यह फसल की उत्पादकता को प्रभावित करता है।


मूंगफली में टिक्का रोग के लक्षण | Symptoms of tikka disease -

मूंगफली की फसल में टिक्का रोग के लक्षण निम्न है, जिससे आप टिक्का रोग की पहचान (Tikka Disease Identification) आसानी से कर सकते हों।  

1. पौधों की पत्तियों पर सफेद या पीले रंग की धब्बे (टिक्के) दिखाई देती हैं।

2. रोग के धब्बे आमतौर पर पत्तियों के ऊपरी भागों पर प्राथमिकता से दिखते हैं.

3. धब्बो का आकार छोटे से लेकर बड़े तक हो सकता है, और ये गहरे पीले या सफेद रंग के होते हैं.

4. धब्बो में छिद्र दिख सकते हैं, जिनसे फंगल संक्रमण की पहचान हो सकती है.

5. पूरे पौधों पर धब्बो नहीं होते, बल्कि कुछ हिस्सों पर हो सकते हैं.

6. पौधों का पोषण कम हो जाता है और वृद्धि धीमी होती है.

7. धब्बो के आसपास की पत्तियाँ सुखने लगती हैं और गिर जाती हैं.

8. पौधों की संजीवनता कम होती है और फूलों की उत्पत्ति में भी परेशानी हो सकती है.

9. टिक्का रोग के संक्रमित पौधों का उत्पादन कम होता है और उसकी गुणवत्ता भी प्रभावित होती है.

10. भारी संक्रमण में, पौधों का स्वस्थ्य दिखना मारे जाने वाले पौधों में भी प्रभावित हो सकता है.

11. टिक्का रोग के संक्रमित पौधों के पत्तों की सामान्य रंगीनी गहराई कम होती है.

12. धब्बो बढ़ने पर, पत्तियों का परिपाक और सुखना तेजी से होता है.

13. टिक्का रोगों के संकेत के साथ-साथ पौधों की वृद्धि में रुकावट दिख सकती है.

14. रोग की प्रबलता में बढ़ोतरी होने पर, टिक्के पूरी पौधों को आवरण कर सकते हैं.

15. टिक्का रोग के संक्रमण से ग्रस्त पौधों की उचित फसली प्रबंधन से वापसी की संभावना कम होती है।


मूंगफली में टिक्का रोग का जैविक नियंत्रण | Biological control of tikka disease in groundnut -

मूंगफली की फसल में टिक्का रोग नियंत्रण के लिए जैविक उपायों का उपयोग करना एक सामर्थ और प्राकृतिक तरीका है। जैविक नियंत्रण से फसल को सुरक्षित रखकर उत्तरोत्तर उत्पादकता में वृद्धि की जा सकती है। जैविक नियंत्रण के उपाय निम्न है - 

1. खेत की नियमित सफाई: पूरे क्षेत्र में सफाई बनाए रखना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह संक्रमण को फैलने से रोक सकता है।

2. प्राकृतिक प्रतिरक्षा प्रणाली: जैविक खेती में, प्राकृतिक प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रोत्साहित किया जाता है, जिससे पौधों की सहायता अधिक होती है।

3. प्राकृतिक रोगनाशकों का उपयोग: जैविक रोगनाशक जैसे कि नीम का तेल, गर्लिक एक्सट्रैक्ट, आदि का उपयोग करके टिक्का रोग को नियंत्रित किया जा सकता है।

4. नार्याशायी फसलें: टिक्का रोग के संक्रमण से बचाव के लिए मूंगफली के साथ नार्याशायी फसलें जैसे कि मसूर, गेहूं, चना, आदि की खेती करना फायदेमंद हो सकता है

5. बायो-फर्टिलाइजर और खाद: जैविक खाद और बायो-फर्टिलाइजर का उपयोग करके पौधों की प्रतिरक्षा शक्ति बढ़ा सकते हैं।

6. जीवात्मक खेती: मिट्टी में माइक्रोऑर्गनिज्म्स की वृद्धि करके पौधों की प्रतिरक्षा को बढ़ावा दिया जा सकता है।

7. प्राकृतिक संक्रमण नियंत्रण: प्राकृतिक संक्रमण नियंत्रण उपायों का उपयोग करके टिक्का रोग से निपट सकते हैं, जैसे कि नीम और नीम के बीज का उपयोग।

8. फसल प्रबंधन: फसल की सही प्रबंधन करके, समय पर पानी देने, उर्वरक प्रदान करने आदि से पौधों की सहायता की जा सकती है।

9. जल संचारन: अच्छी जल संचारण व्यवस्था से पौधों की प्रतिरक्षा बढ़ सकती है।

10. जैविक जीवों का उपयोग: जैविक जीवों का उपयोग करके टिक्का रोग के नियंत्रण में मदद की जा सकती है, जैसे कि खेती में एंटोसियानिन प्रदान करने वाले जैविक उपयोग।

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मूंगफली में टिक्का रोग के नियंत्रण के लिए बेस्ट फफूंदनाशक।  Best fungicide for tikka disease -

मूंगफली की फसल में टिक्का रोग के नियंत्रण के लिए कई तरह के फफूंदनाशक उपलब्ध हैं जो बीज उपचार, पौधों के स्थापना और पौधों की सुरक्षा के लिए उपयोगी होते हैं। यहाँ कुछ बेस्ट फफूंदनाशक उपाय दिए गए हैं जो मूंगफली में टिक्का रोग के नियंत्रण में मदद कर सकते हैं: 

1. UPL साफ़ फफूंदनाशी (कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोजेब 63% डब्ल्यूपी) - 300 ग्राम/एकड़ 150 लीटर पानी में डालकर छिड़काव करें।  

2. सिंजेंटा रिडोमिल गोल्ड फफूंदनाशी (मेटालैक्सिल 8% + मैनकोजेब 64% डब्ल्यूपी) -  300 ग्राम/एकड़ 150 लीटर पानी में डालकर छिड़काव करें।  

3. बीएएसएफ कैब्रियो टॉप फफूंदनाशी (मेटिरम 55% + पायराक्लोस्ट्रोबिन 5% डब्लूजी)- 300 ग्राम/एकड़ 150 लीटर पानी में डालकर छिड़काव करें।  

4. कोरोमंडल जटायु फफूंदनाशी (क्लोरोथालोनिल 75% WP) - 300 ग्राम/एकड़ 150 लीटर पानी में डालकर छिड़काव करें।  

5. सिंजेंटा फोलियो गोल्ड फफूंदनाशी (मेटालैक्सिल-एम 3.3% + क्लोरोथालोनिल 33.1% एससी) - 300 मिली/एकड़ 150 लीटर पानी में डालकर छिड़काव करें।  

6. बीएएसएफ प्रिएक्सोर फफूंदनाशी  (पायराक्लोस्ट्रोबिन + फ्लुक्सापायरोक्सैड) - 150 मिली/एकड़ 150 लीटर पानी में डालकर छिड़काव करें।

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FAQ | बार - बार पूछे जाने वाले सवाल -

1. प्रश्न: टिक्का रोग क्या होता है?

उत्तर: टिक्का रोग मूंगफली की फसल में होने वाला एक प्रमुख फंगल संक्रमण है जिसमें पत्तियों पर सफेद या पीले रंग की छायाएँ बनती हैं।

2. प्रश्न: टिक्का रोग के लक्षण क्या होते हैं?

उत्तर: पत्तियों पर सफेद या पीले रंग की छायाएँ (टिक्के) दिखाई देती हैं, पौधों का पोषण कम हो जाता है और पत्तियाँ सुख जाती हैं।

3. प्रश्न: टिक्का रोग का कारण क्या होता है?

उत्तर: टिक्का रोग का कारण ग्रामीणी कोडिनियम ग्रामिनिकोला नामक फंगस से होता है।

4. प्रश्न: टिक्का रोग की नियंत्रण के लिए जैविक उपाय क्या हैं?

उत्तर: टिक्का रोग के लिए जैविक उपायों में प्राकृतिक रोगनाशकों का उपयोग, प्राकृतिक प्रतिरक्षा प्रणाली, और प्राकृतिक संक्रमण नियंत्रण शामिल होते हैं।

5. प्रश्न: टिक्का रोग से बचाव के लिए कौन-से फस्फूंदनाशक प्रयोगी होते हैं?

उत्तर: टिक्का रोग से बचाव के लिए फफूंदनाशक में ट्राइकोडर्मा हर्ज़ियानम, बैसिलस थुरिंजिएंसिस, बेसिलस सबटिलिस, और प्रेडेटरी इंसेक्ट्सका उपयोग किया जा सकता है।

6. प्रश्न: कौन-से उपाय टिक्का रोग के खिलाफ प्रतिरक्षा उत्पन्न कर सकते हैं?

उत्तर: टिक्का रोग के खिलाफ प्रतिरक्षा उत्पन्न करने के लिए प्राकृतिक प्रतिरक्षा प्रणाली, प्राकृतिक रोगनाशकों का उपयोग, और प्राकृतिक संक्रमण नियंत्रण उपायी जा सकते हैं।

7. प्रश्न: टिक्का रोग से बचाव के लिए कौन-से विशेष उपायों का ध्यान रखना चाहिए?

उत्तर: टिक्का रोग से बचाव के लिए सुरक्षित बीजों का चयन, फसल की समय पुनरावृत्ति, और प्राकृतिक प्रतिरक्षा प्रणाली जैसे उपायों का ध्यान रखना चाहिए।


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लेखक

भारतअ‍ॅग्री कृषि डॉक्टर

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