papaya virus: पपीता में वायरस समस्या, लक्षण, उपाय और नियंत्रण

papaya virus: पपीता में वायरस समस्या, लक्षण, उपाय और नियंत्रण

नमस्ते किसानों भाइयों भारतअग्री कृषि दुकान वेबसाइड में आपका स्वागत है, आज हम जानेंगे पपीता की फसल में  पपीते में वायरस (papaya virus) समस्या के कारण, लक्षण, उपाय और नियंत्रण की सम्पूर्ण जानकारी के बारे में।  


पपीता में वायरस समस्या | Papaya Crop Virus information in Hindi 

पपीता एक ऐसा फल है जो उष्णकटिबंधीय और उप-उष्णकटिबंधीय जलवायु में पूरे वर्ष उगता है। यह फल विटामिन ए, बी, सी, लौह तत्व और कैल्शियम का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। इसका कच्चा फल सब्जी के रूप में खाया जा सकता है और इसमें पपेन का निकास किया जा सकता है। पपेन का उपयोग व्यावसायिक रूप से मांस को नरम करने, बीयर को साफ करने और रेशम की रैंगाई की प्रक्रिया में किया जाता है। भारत में पपीता एक पसंदीदा फल है और यहां प्रमुख रूप से खाया जाता है।

भारत में पपीता के उत्पादन का मुख्य भाग आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक और मध्य प्रदेश है । ये राज्य देश के कुल पपीता के उत्पादन का लगभग 70% का हिस्सा उत्पन्न करते हैं। पपीते के उत्पादन में किसानों की सबसे बड़ी समस्या papaya leaf curl virus की है।  इस वायरस के कारण प्रति वर्ष 40% से ज्यादा उत्पादन प्रभावित होता है।  


पपीते का “पपाया रिंग स्पॉट वायरस” रोग  | ringspot virus in papaya

विषाणु से होने वाले पपीते के "पपाया रिंग स्पॉट विषाणु" रोग का प्रसार देश के अधिकांश पपीता उत्पादक राज्यों में देखा जाता है। यह रोग पौधों की विकास और प्रवृद्धि को नुकसान पहुंचाता है, जिससे संक्रमित पौधों की क्षमता कम हो जाती है। संक्रमित पौधों पर कम फूल और फल उत्पन्न होते हैं, जिनमें विकृतियाँ भी दिखाई जा सकती हैं। इस रोग को "रिंग स्पॉट" कहा जाता है क्योंकि इससे फल पर छले या रिंग की तरह कुछ धब्बे पैदा होती हैं।


पपीता में वायरस के लक्षण | papaya viral disease symptoms 

1. पौधों में वायरस संक्रमण के लक्षण विभिन्न होते हैं और इन्हें संक्रमण की स्थिति, पौधे की आंतरिक शक्ति, तापमान, विषाणु के स्ट्रेन, और पौधे की उम्र पर निर्भर किया जा सकता है।

2. संक्रमण के दो सप्ताह बाद, पत्तियों में हल्का मोज़ेक पकड़ने के लक्षण दिखाई दे सकते हैं, जिसमें नसों में हरे पदार्थ की कमी और नसों का बैंड के रूप में दिखना शामिल हो सकता है।

3. कुछ हफ्तों के बाद, पत्तियों का आकार छोटा होने लगता है और उनमें विकृतियाँ दिखाई देती हैं, जिसके परिणामस्वरूप पत्तो के गुच्छे बन सकते हैं।

4. पत्तियां पतली होकर जूते के फीतों के समान दिख सकती हैं।

5. तने और डंठल पर पानी या चिकनाई से भरे हुए धब्बे या धारियाँ दिखाई दे सकती हैं।

6. फलों पर धब्बे या रिंग के लक्षण भी देखे जा सकते हैं।


पपीता में वायरस रोग का फैलाव | papaya leaf curl virus transmitted 

पपीते के वायरस रोग का प्रसार मुख्य रूप से एफिड (माहू / मावा) नामक कीट के द्वारा होता है। यह कीट पपीते के पौधों पर अपने पोषण की जरूरत के लिए आती है और अपने शरीर से वायरस को भी पंछियों में ले जाती है। वायरस का संक्रमण पपीते की संवेदनशील ऊतकों में होता है। एक बार पपीते के पौधों में वायरस का प्रसार हो जाता है, तो वहाँ से अन्य पौधों में भी रोग का प्रसार होता है।

पीआरएसवी संक्रमित पपीते के पौधों से भी यह रोग और फैल सकता है, क्योंकि पीआरएसवी संक्रमित पौधों में वायरस का प्रसार होता है। हालांकि, इस बात की कोई पुष्टि नहीं है कि संक्रमित फलों के बीज से भी यह रोग फैलता है। इसके अलावा, संक्रमित पौधों के आसपास लगाए गए नए पपीते के पौधे भी जल्दी रोग का शिकार हो जाते हैं।


पपीता में वायरस का नियंत्रण  | papaya virus control

1. प्रतिरोधक प्रजातियों का प्रयोग: पपीते की उपलब्ध प्रजातियों में से ऐसी प्रजातियों का चयन करें जिनमें रोग के लिए सहनशीलता अधिक हो। विभिन्न अनुसंधान संस्थानों द्वारा विकसित प्रजातियों का चयन करें जो रोग के प्रति प्रतिरोधी हों।

2. स्वस्थ पौध का प्रयोग: स्वस्थ रोप के प्रयोग से पौधों को लंबे समय तक रोग मुक्त रखने में मदद मिलती है। कीट निरोधी पॉलीहाउस में रोप उगाने से शुरुआती संक्रमण से बचा जा सकता है।

3. रोगग्रस्त पौधों को नष्ट करना: संक्रमित पौधों को निकालने और नष्ट करने से स्वस्थ पौधों में संक्रमण कम होता है। हल्के संक्रमण वाले पौधों को बचा सकते हैं और अधिक नुकसान से बच सकते हैं।

4. सीमा फसल का प्रयोग: पपीते के बगीचे के चारों ओर सीमा फसल लगाने से पपीते में एफिड-वेक्टर का प्रवेश कम हो सकता है। सीमा फसल एफिड-वेक्टर और पपीते के पौधों के बीच एक बैरियर का काम करती है और रोग के प्रसार को रोकती है।

5. वेक्टर का नियंत्रण: एफिड-वेक्टर की संख्या को कम करने के लिए पीले चिपचिपे ट्रैप का उपयोग करें, जो इनकी संख्या को नियंत्रित कर सकता है।

6. पीआरएसवी निराकरण हेतु बागवानी प्रबंधन: बागवानी प्रबंधन के तरीकों का पालन करें जैसे पौधों की पोषण, साफ-सफाई, और अन्य बीमारियों और कीटों से सुरक्षा के लिए।


पपीता के वायरस की दवा | papaya virus control treatment 

पपीते की फसल में वायरस में नियंत्रण की दवा निम्न है - 

प्रोडक्ट का नाम 

कंपनी का नाम 

उपयोग मात्रा प्रति एकड़ 

नो वायरस

जिओलाइफ

500 मिली/एकड़ 

वायरो बैन

आनंद एग्रो

450 मिली/एकड़

वायरस-जी विषाणुनाशक

कटरा फर्टिलाइजर्स 

100 मिली/एकड़ 

एरेना गोल्ड

पाटिल बायोटेक

150 ग्राम/एकड़ 

वी-बाइंड, विषाणूनाशक

वैनप्रोज़ एग्रोवेट

450 मिली/एकड़

पपीता वायरस सुरक्षा किट  

एक सेट प्रति एकड़ 


नोट - पपीता में वायरस के नियंत्रण के लिए ऊपर मेंशन किये गए प्रोडक्ट के साथ सिंजेंटा अलिका कीटनाशक (थियामेथोक्साम 12.6% + लैम्ब्डा साइहलोथ्रिन 9.5% ZC) का उपयोग 80 मिली प्रति एकड़ और IFC स्टीकर 40 मिली प्रति एकड़ अनुसार उपयोग करे।  


Conclusion | सारांश - 

किसान भाइयों आशा करते हे की पपीता की फसल में पपीते में वायरस (papaya virus) समस्या के कारण, लक्षण, उपाय और नियंत्रण की सम्पूर्ण जानकारी आप को पसंद आई है, तो हमें कमेंट बॉक्स में अपनी राय जरुरत दे और साथ ही इस लेख को अपने अन्य किसान दोस्तों के साथ शेयर करना ना भूलें। धन्यवाद 


अक्सर पूछे जानें वाले प्रश्न | FAQ -


1. पपीते में "पपाया रिंग स्पॉट वायरस” रोग क्या है?

यह रोग पपीते की पत्तियों और फलों पर रिंग की तरह कुछ धब्बे पैदा करता है और पौधों की बढ़वार को नुकसान पहुंचाता है।

2. पपीता वायरस के क्या लक्षण होते हैं?

पपीता वायरस के लक्षण में हल्का मोज़ेक पड़ना, पत्तियों का आकार छोटा होना, और फलों पर धब्बे या रिंग की तरह कुछ धब्बे दिखाई देते हैं।

3. पपीते में वायरस समस्या के उपाय क्या हैं?

पपीते में वायरस समस्या के उपाय में स्वस्थ पौध का प्रयोग, रोगग्रस्त पौधों को नष्ट करना, और प्रतिरोधक प्रजातियों का उपयोग किया जाता हैं।  

4. पपीता रिंग स्पॉट वायरस क्या है?

पपीता रिंग स्पॉट वायरस एक रोग है जो पपीते के पौधों को प्रभावित करता है और फलों पर रिंग की तरह कुछ स्पॉटर्स दिखाई देते हैं ।

5. पपीते में वायरस कैसे फैलता है?

पपीते में वायरस प्रायः एफिड कीट के द्वारा फैलता है, जो पपीते के पौधों पर अपने पोषण की जरूरत के लिए आती हैं और वायरस को भी ले जाती हैं।

6. पपीते में वायरस की दवा क्या है?

पपीते में वायरस की दवा में प्राइमर कीटनाशक और प्राइमर उपचार जैसे उपाय शामिल हैं।

7. पपीता वायरस से कैसे बचा जा सकता है?

पपीता वायरस से बचाव के लिए स्वस्थ पौध का प्रयोग, रोगग्रस्त पौधों को नष्ट करना, और विभिन्न प्रतिरोधक प्रजातियों का प्रयोग किया जा सकता है।

8. पपीते में वायरस समस्या के कारण क्या हैं?

पपीते में वायरस समस्या के कारण मुख्य रूप से एफिड कीटों का प्रसार और पौधों की संवेदनशीलता की कमी शामिल है।

9. पपीते में वायरस समस्या कितने प्रकार की होती है?

पपीते में वायरस समस्या मुख्य रूप से पपाया लीफ कर्ल वायरस और पपाया रिंग स्पॉट वायरस के कारण होती है।

10. पपीते में वायरस समस्या से बचाव के लिए सर्वश्रेष्ठ उपाय क्या हैं?

प्रतिरोधक प्रजातियों का प्रयोग, स्वस्थ पौध का प्रयोग, और रोगग्रस्त पौधों को नष्ट करना सर्वश्रेष्ठ उपाय हैं।



लेखक | Author -

भारतअ‍ॅग्री कृषि एक्सपर्ट

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