jasmine cultivation in india

Jasmine Cultivation: चमेली की खेती की सम्पूर्ण जानकारी

चमेली, जिसे अंग्रेजी में जैस्मीन (Jasmine) कहा जाता है, भारत में अत्यधिक लोकप्रिय फूलों की फसल है। इसकी भीनी सुगंध और आकर्षक फूलों के कारण इसे विशेष स्थान प्राप्त है। चमेली का फूल धार्मिक, सांस्कृतिक और औषधीय उपयोग के लिए भी जाना जाता है। इसके तेल और फूलों का उपयोग इत्र, सौंदर्य प्रसाधन, पूजा सामग्री में और दवाओं में भी किया जाता है कम लागत वाली चमेली की खेती हमेशा से ही किसानों की पसंद रही है।। इस ब्लॉग माध्यम से जानें चमेली की खेती का समय, बेस्ट किस्में, उर्वरक प्रबंधन, खरपतवार, कीटों और रोगों का नियंत्रण की सम्पूर्ण जानकारी के बारें में।  


भारत में चमेली की खेती | Jasmine Flower Farming in India -

भारत में चमेली की खेती मुख्यतः तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, बिहार, और गुजरात में की जाती है। इन राज्यों में जलवायु और मिट्टी की स्थिति चमेली की खेती के लिए अनुकूल होती है।


चमेली की खेती का समय:

चमेली की खेती के लिए सबसे उपयुक्त समय मानसून के तुरंत बाद होता है, यानी जुलाई से अगस्त के बीच। इस समय मिट्टी में पर्याप्त नमी होती है, जो पौधों की जड़ें मजबूत करने में सहायक होती है।


मौसम और जलवायु:

चमेली की खेती के लिए उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु सबसे उपयुक्त होती है। इसे गर्म और नम वातावरण की आवश्यकता होती है, और 20°C से 30°C के तापमान के बीच यह फसल सबसे अच्छी तरह से बढ़ती है। 


खेत की तैयारी और मिट्टी :

खेत की तैयारी के लिए सबसे पहले मिट्टी की गहरी जुताई करनी चाहिए। जुताई के बाद, खेत को समतल कर लेना चाहिए और जल निकासी की उचित व्यवस्था करनी चाहिए। पौधों की रोपाई से पहले खेत में अच्छी गुणवत्ता वाली गोबर की खाद या कम्पोस्ट मिलाना चाहिए जिससे मिट्टी की उर्वरता बढ़े।

चमेली की खेती के लिए हल्की दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है। मिट्टी का pH स्तर 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए। इसके अलावा, मिट्टी का जल निकासी अच्छा होना चाहिए ताकि जड़ें सड़ने से बच सकें।


चमेली की बेस्ट किस्मों की जानकारी -

1. मोतीलता (Jasminum sambac 'Motia')

यह सबसे लोकप्रिय और व्यापक रूप से उगाई जाने वाली किस्म है, जिसे "मोगरा" भी कहा जाता है। इसके फूल सफेद और अत्यधिक सुगंधित होते हैं। इस किस्म के फूलों का उपयोग इत्र, पूजा, और गजरे बनाने के लिए किया जाता है। इसके साथ ही इसे चाय में सुगंध देने के लिए भी उपयोग किया जाता है।


2. माल्ली (Jasminum grandiflorum)

इसे "स्पैनिश चमेली" के नाम से भी जाना जाता है। इस किस्म के फूल बड़े, सफेद, और अत्यधिक सुगंधित होते हैं। इस किस्म का उपयोग विशेष रूप से इत्र और औषधीय उत्पादों के लिए किया जाता है।


3. चमेली बेल (Jasminum officinale)

इसे "कॉमन जैस्मीन" भी कहा जाता है। इसके फूल छोटे, सफेद और सुगंधित होते हैं और बेल के रूप में बढ़ते हैं। इस किस्म का उपयोग सजावटी पौधे के रूप में बागानों में किया जाता है और इसकी पत्तियों का उपयोग आयुर्वेदिक दवाओं में किया जाता है।


4. स्वर्ण चमेली (Jasminum humile)

इसे "येलो जैस्मीन" के नाम से भी जाना जाता है। इसके फूल पीले रंग के होते हैं और हल्की सुगंध लिए होते हैं। इसका उपयोग मुख्य रूप से सजावटी पौधे के रूप में किया जाता है।


5. नाइट जैस्मीन (Jasminum nocturnum)

इसे "रात की रानी" भी कहा जाता है। इसके फूल रात में खिलते हैं और अत्यधिक सुगंधित होते हैं। इस किस्म का उपयोग मुख्य रूप से सजावटी पौधे के रूप में और इत्र बनाने के लिए किया जाता है।


6. मदनबाण चमेली (Jasminum auriculatum)

इस किस्म के फूल सफेद और मध्यम आकार के होते हैं, और यह अत्यधिक सुगंधित होते हैं।  इसका उपयोग विशेष रूप से इत्र, धार्मिक अनुष्ठानों, और सजावटी उद्देश्यों के लिए किया जाता है।


7. विभिन्निका (Jasminum multiflorum)

इसे "डाउनि जैस्मीन" के नाम से भी जाना जाता है। इस किस्म के फूल छोटे और सफेद होते हैं, लेकिन वे सुगंधित नहीं होते। इसका उपयोग मुख्य रूप से सजावटी पौधे के रूप में किया जाता है।


8. बेला चमेली (Jasminum sambac 'Belle of India') 

यह किस्म बड़े, सफेद, और बहुत सुगंधित फूलों के लिए जानी जाती है। फूल तारे के आकार के होते हैं। इसका उपयोग इत्र बनाने और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए किया जाता है।


9. केप जैस्मीन (Gardenia jasminoides)

इसे "गंधराज" भी कहा जाता है। इसके फूल बड़े, सफेद, और अत्यधिक सुगंधित होते हैं। इस किस्म का उपयोग मुख्य रूप से सजावटी पौधे के रूप में किया जाता है और इसके फूल इत्र बनाने के लिए भी उपयोग होते हैं।


10. डबल मोगरा (Jasminum sambac 'Grand Duke of Tuscany')

यह किस्म डबल पंखुड़ियों वाले सफेद फूलों के लिए प्रसिद्ध है जो कि गुलाब की तरह दिखते हैं। इसका उपयोग विशेष रूप से गजरे, इत्र, और सजावटी उद्देश्यों के लिए किया जाता है।



जैस्मीन की खेती के लिए पौधों की आवश्यकता | Jasmine Plant Per Acre -

चमेली की खेती के लिए पौधों की दर का निर्धारण पौधों की किस्म, मिट्टी की स्थिति, और कृषि पद्धति पर निर्भर करता है। आमतौर पर प्रति एकड़ 5,000 से 6,000 पौधे लगाए जाते हैं।


चमेली के पौधों की रोपाई और दूरी -

पौधों की रोपाई का सबसे अच्छा समय जुलाई से अगस्त होता है। पौधों के बीच की दूरी 1.5 फीट से 2 फीट तक होनी चाहिए और कतारों के बीच की दूरी 3 फीट तक रखनी चाहिए। इससे पौधों को अच्छी तरह से बढ़ने के लिए पर्याप्त जगह मिलती है।


खाद और उर्वरक प्रति एकड़ मात्रा -

1. गोबर की खाद या कंपोस्ट: 10-12 टन प्रति एकड़, खेत की तैयारी के समय।

2. नाइट्रोजन (N): 50 किलोग्राम प्रति एकड़, दो बार में (रोपाई के 30 दिन बाद और फूल आने के समय)।

3. फॉस्फोरस (P2O5): 25 किलोग्राम प्रति एकड़, रोपाई के समय।

4. पोटाश (K2O): 25 किलोग्राम प्रति एकड़, रोपाई के समय।


चमेली की फसल में कीटों की समस्या -

कीटों की समस्या 

कीटनाशक का नाम 

उपयोग मात्रा 

सफेद मक्खी 

यूपीएल उलाला कीटनाशक  

60 ग्राम प्रति एकड़ 

तना छेदक 

एफएमसी कोराजन कीटनाशक 

60 मिली प्रति एकड़ 

स्टेम बोरर

एफएमसी कोराजन कीटनाशक 

60 मिली प्रति एकड़ 

स्केल कीट 

सिंजेटा अलिका कीटनाशक 

80 मिली प्रति एकड़ 

लाल भृंग 

नागार्जुन प्रोफेक्स सुपर 

400 मिली प्रति एकड़ 

माहू 

धानुका फैक्स कीटनाशक 

300 मिली प्रति एकड़ 

मकड़ी 

बायर ओबेरॉन कीटनाशक

150 मिली प्रति एकड़ 

लाल भृंग 

बायर कॉन्फिडोर कीटनाशक

100 मिली प्रति एकड़ 

कैटरपिलर 

धानुका ईएम-1 कीटनाशक  

80 ग्राम प्रति एकड़ 


चमेली की फसल में रोगों की समस्या -

रोगों के नाम 

बेस्ट फफूंदनाशी 

उपयोग मात्रा 

पाउडरी मिल्ड्यू

धानुका स्पेक्ट्रम फफूंदनाशी 

300 मिली प्रति एकड़ 

उखटा रोग 

धानुका कोनिका फफूंदनाशी 

500 ग्राम प्रति एकड़ 

जड़ गलन 

आईएफएससी ट्रायको शील्ड

500 ग्राम प्रति एकड़ 

डाउनी मिल्ड्यू

सिंजेन्टा अमिस्टार टॉप फफूंदनाशी 

200 मिली प्रति एकड़ 

लीफ स्पॉट

यूपीएल साफ फफूंदनाशी  

300 ग्राम प्रति एकड़ 

अल्टरनेरिया ब्लाइट

सिंजेंटा रिडोमिल गोल्ड 

300 ग्राम प्रति एकड़ 

फ्यूजेरियम विल्ट

क्रिस्टल बाविस्टिन फफूंदनाशी 

300 ग्राम प्रति एकड़ 


चमेली का उत्पादन | Jasmine Crop Production 

चमेली की खेती में उत्पादन वर्ष दर वर्ष बढ़ता रहता है। पहले वर्ष में, एक एकड़ में औसतन लगभग 600 किलोग्राम चमेली के फूलों की पैदावार होती है। दूसरे वर्ष में, उत्पादन दोगुना होकर लगभग 1600 किलोग्राम प्रति एकड़ तक पहुँच जाता है। तीसरे वर्ष में, पैदावार और भी अधिक बढ़कर लगभग 2600 किलोग्राम प्रति एकड़ हो जाती है। चौथे वर्ष में, चमेली की पैदावार सबसे अधिक होती है, जो लगभग 3600 किलोग्राम प्रति एकड़ तक पहुँच सकती है।


चमेली की खेती से कमाई | Profit in Jasmine Cultivation in India -

1. भारत में चमेली की खेती एक लाभदायक व्यवसाय है, क्योंकि इसके फूलों की बाजार में हमेशा मांग रहती है।

2. एक एकड़ भूमि पर लगभग 5,000 से 6,000 चमेली के पौधे लगाए जा सकते हैं, जो मिट्टी की उर्वरता और जलवायु परिस्थितियों पर निर्भर करता है।

3. एक पौधे से औसतन 200 से 500 ग्राम फूल प्राप्त हो सकते हैं, जिससे एक एकड़ में कुल उपज लगभग 1,000 से 3,000 किलोग्राम तक हो सकती है।

4. चमेली के फूलों का बाजार मूल्य 100 से 300 रुपये प्रति किलोग्राम के बीच रहता है, जो विशेष अवसरों पर 400 रुपये प्रति किलोग्राम तक बढ़ सकता है।

5. औसत उपज और कीमत के आधार पर, एक एकड़ चमेली की खेती से लगभग 5,00,000 रुपये की कुल कमाई हो सकती है।

6. चमेली की खेती में भूमि की तैयारी, पौधों की खरीद, खाद, सिंचाई, कीट नियंत्रण, और मजदूरी जैसे खर्च शामिल होते हैं, जो प्रति एकड़ लगभग 1,00,000 से 1,50,000 रुपये तक होते हैं।

7. चमेली की खेती से प्रति एकड़ लगभग 3,50,000 रुपये का शुद्ध मुनाफा हो सकता है, जो खेती की तकनीक और बाजार की स्थिति पर निर्भर करता है।


सारांश -

1. चमेली की खेती एक लाभदायक कृषि व्यवसाय है जो कम लागत में अधिक मुनाफा प्रदान कर सकता है। 

2. सही समय पर रोपाई, उचित खाद और उर्वरक का उपयोग, कीट और रोग नियंत्रण, और समय पर कटाई से चमेली की फसल का अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। 

3. चमेली की खेती में सफलता प्राप्त करने के लिए सही जानकारी और तकनीकों का पालन करना आवश्यक है।


अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न -

1. चमेली की खेती किन राज्यों में होती है?

उत्तर - तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, बिहार, और गुजरात में।

2. चमेली की खेती का सबसे अच्छा समय कौन सा है?

उत्तर - जुलाई से अगस्त के बीच मानसून के बाद का समय।

3. चमेली के पौधों की प्रति एकड़ आवश्यकता कितनी है?

उत्तर - प्रति एकड़ 5,000 से 6,000 पौधे।

4. चमेली की खेती के लिए सबसे उपयुक्त मिट्टी कौन सी है?

उत्तर - हल्की दोमट मिट्टी, pH स्तर 6.5 से 7.5।

5. चमेली की सबसे लोकप्रिय किस्म कौन सी है?

उत्तर - मोतीलता (Jasminum sambac 'Motia'), जिसे "मोगरा" भी कहा जाता है।

6. चमेली की खेती में प्रति एकड़ उत्पादन कितना होता है?

उत्तर - फसल उत्पादन के चौथे वर्ष में लगभग 3600 किलोग्राम प्रति एकड़।

7. चमेली की खेती से कितनी कमाई हो सकती है?

उत्तर - प्रति एकड़ लगभग 3,50,000 रुपये का शुद्ध मुनाफा।



लेखक

BharatAgri Krushi Doctor

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