प्याज की फसल के प्रमुख रोग और नियंत्रण | Onion Crop Disease Management
नमस्कार किसान भाइयों आज के लेख में हम प्याज की फसल में लगने वाले प्रमुख रोंगो की पहचान और उनके नियंत्रण के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। जिसमें हम जानेंगे की प्याज की फसल में लगने वाले प्रमुख रोगों के नियंत्रण के लिए उपयोग किये जाने वाले बाजार के सबसे अच्छे कवकनाशियों के बारे में।
प्याज की खेती करने वाले प्रमुख राज्य | Add states in India where onion is cultivated
भारत में प्याज (onion farming) उत्पादक राज्यों में महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश, उड़ीसा, कर्नाटक, तमिलनाडू, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश एवं बिहार प्रमुख हैं।
प्याज के प्रमुख रोग | onion crop disease
- मृदुरोमिल आसिता (Downy mildew)
- काली फफूँदी (black mold)
प्याज का मृदुरोमिल आसिता रोग | Downy mildew disease in onion crop
प्याज की फसल में यह रोग पेरोनोस्पोरा डिस्ट्रक्टर नामक कवक द्वारा फैलता है। सर्वप्रथम इस रोग के लक्षण पत्तियों में छोटे सफेद रंग के धब्बों के रूप में दिखाई देतें हैं यह रोग अधिक आर्द्रता एवं नमी होने पर धब्बों के बीच में हल्के भूरे रंग के कवकजाल की रचना दिखनी शुरू हो जाती हैं अधिक प्रभाव होने पर पत्तियाँ कोमल होकर सूख जाती हैं।
प्याज का मृदुरोमिल आसिता रोग नियंत्रण | Downy mildew disease control
- पाउड्री मिल्ड्यू रोग से बचाव के लिए साफ़ कवकनाशी (saaf fungicide uses) का 1.5 से 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकार छिड़काव करना चाहिए।
- फसल को पाउड्री मिल्ड्यू रोग से बचाव के लिए धानुका गोडिवा सुपर (Godiwa Super fungicide) का 200 मिली प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव करना चाहिए।
प्याज का काली फफूंदी रोग | Black mold disease in onion crop
यह रोग प्याज के भंडारण में लगता है। यह रोग ऐस्पर्जिलस नाइजर नामक फंगस द्वारा लगता है, इस रोग के लगने की वजह से भंडार गृह में भंडारित प्याज लगभग 50% तक ख़राब हो जाती हैं। प्याज के बल्ब पर काला चूर्ण समूहों में दिखने लगता है। इसे हाथों से रगड़कर हटाया जा सकता है, इस रोग के बीजाणु शल्को तक पहुंच जाते हैं जिस कारण प्याज सड़ जाती हैं। यह रोग भण्डारण मर माइट और बीटल से फैलता हैं।
प्याज का काली फफूंदी रोग नियंत्रण | Black mold disease control
- इस रोग के नियंत्रण के लिए प्याज को अच्छे से सुखाकर हवादार भण्डारण गृह में रखना चाहिए।
- प्याज की कटाई के 15 दिन पहले बाविस्टिन कवकनाशी (bavistin fungicide) का 1.5 से 2 ग्राम प्रति लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करना चाहिए।
- बीज को और रोपे को रोको कवकनाशी (roko fungicide) से प्रति किलो बीज को 2 से 3 ग्राम तथा रोपे को 1.5 ग्राम प्रति लीटर पानी के हिसाब से उपचारित करके बोना या लगाना चाहिए।
- प्याज को भंडारित करने से पहले भंडार गृह को टाटा रैलिस तफाबन (क्लोरोफिरीफॉस 20% ईसी) और बाविस्टिन कवकनाशी से भंडार गृह को निजर्मीकृत करना चाहिए।
- प्याज की समय-समय पर छटाई करते रहना चाहिए।
किसान भाइयों यदि गर्मियों में प्याज के रोग और नियंत्रण के बारे में यह लेख पढ़कर कैसा लगा यह हमें कमेंट में बताना न भूलें और इस लेख को अपने अन्य किसान मित्रों के साथ भी शेयर करें। धन्यवाद