yellow vein mosaic of bhindi

Yellow vein mosaic of bhindi: भिंडी का पीला मोजेक वायरस और नियंत्रण

नमस्ते किसानों भाइयों भारतअग्री कृषि दुकान वेबसाइड में आपका स्वागत है, भारतीय कृषि और खाद्य उत्पादन बाजार में भिंडी (Okra Crop) एक महत्वपूर्ण फसल है। यह फसल गर्मी के मौसम में अधिक प्रभावी होती है और कई पोषक तत्वों का स्रोत होती है। हालांकि, विभिन्न कारकों के कारण, भिंडी की फसल में वायरस संक्रमण की समस्या आम हो गई है। यह समस्या किसानों के लिए आर्थिक हानि और फसल की प्रदर्शन को प्रभावित कर सकती है। इस ब्लॉग में, हम भिंडी की फसल में वायरस की समस्या, उसके कारण और नियंत्रण के उपायों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।


भिंडी की फसल में वायरसों के प्रकार। Types of okra crop virus 

1. येलो मोज़ेक वायरस  (Bhindi yellow vein mosaic virus)

2. भिंडी लीफ कर्ल वायरस (Bhindi leaf curl virus)

3. पीला लीफ कर्ल वायरस  (Yellow leaf Curl Okra virus)


भिंडी की फसल में वायरस की समस्या  | Virus problem in okra crop

1. भिंडी की फसल में वायरस की समस्या रस चूसक कीटों के फसल में प्रभाव के कारण होता है

2. चूसक कीटों में मुख्य रूप से सफ़ेद मक्खी, माहू और जैसिड कीट आते हैं।  

3. यह चूसक कीट पत्तियों का रस चूसते है और फसल को प्रभावित करते हैं।  

4. यह चूसक कीट भिंडी के वायरस को फ़ैलाने का काम करते हैं।  

5. भिंडी में वायरस रोग, फसल वृद्धि की सभी अवस्था में फैलता है और यह मुख्य रूप से मादा चूसक कीटों के फैलता है।  

6. भिंडी की फसल में वायरस का फैलाव 20 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान में ज्यादा होता हैं। 


भिंडी की फसल में वायरस के लक्षण |  Symptoms of virus in okra crop

1. भिंडी की फसल में वायरस, रस चूसक कीटों के माध्यम से ज्यादा फैलता है।  

2. यह चूसक कीट पत्तियों का रस चूसते है जिससे पत्तियों पर छोटे-छोटे पिले धब्बे दिखाई देते है।  

3. वायरस के संक्रमण से पत्तियों की शिराएं पिली और अन्य भाग हरा दिखाई देता हैं।  

4. वायरस का संक्रमण बढ़ने पर पत्तियां भूरी हो जाती है और  बाद में सूखने लग जाती हैं।  

5. वायरस से प्रभावित पौधों की पत्तिया छोटी और गुच्छे में परिवर्तित हो जाती हैं।  

6. वायरस के कारण पौधों की बढ़वार रुक जाती है जिससे पौधे छोटे रह जाते हैं।  

7. भिंडी में वायरस के कारण 60 से 70 % तक उत्पादन कम हो जाता है।  


भिंडी में वायरस का जैविक नियंत्रण | Biological control of virus in okra crop 

1. सबसे पहले गर्मी के दिनों में खेत की गहरी जुताई करें।  

2. फसल कटाई के बाद खेत को पूर्ण रूप से साफ करें।  

3. भिंडी की बुवाई के लिए वायरस प्रतिरोधी किस्मो का उपयोग करें।  

4. फसल में चूसक कीटों के नियंत्रण के लिए IFC स्टिकी ट्रैप (10 पिले और 10 नीले) का उपयोग करें।  

5. फसल में हर 15 दिनों में आईएफसी नीम 10000 PPM वाला जैव-कीटनाशक 250 मिली/एकड़ अनुसार छिड़काव करें।  

6. फसल में चूसक कीटों की समस्या दिखाई देने पर डॉ. बैक्टोज़ ब्रेव (ब्यूवेरिया बैसियाना) 400 मिली/एकड़ अनुसार छिड़काव करें।  


वायरस का रायासनिक नियंत्रण | chemical control of virus

1. धानुका धनप्रीत (एसिटामिप्रिड 20% एसपी) कीटनाशक - 100 ग्राम/एकड़। 

2. धानुका पेजर (डायफेंथियूरोन 50% WP) कीटनाशक - 300 ग्राम/एकड़। 

3. बायर कॉन्फिडोर (इमिडाक्लोप्रिड 17.1% एसएल) कीटनाशक - 100 मिली/एकड़।   

4. सिंजेंटा अलिका कीटनाशक (थियामेथोक्साम 12.6% + लैम्ब्डा साइहलोथ्रिन 9.5% ZC) - 80 मिली/एकड़। 

5. यूपीएल उलाला कीटनाशक (फ्लोनिकैमिड 50% डब्लूजी) कीटनाशक - 60 ग्राम/एकड़। 

6. बेस्ट एग्रोलाइफ़ रॉनफेन कीटनाशक  - 300 मिली/एकड़। 

नोट  - बताएं गए  उपरोक्त कीटनाशक का उपयोग फसल में वायरस की समस्या अनुसार एक बार में एक ही कीटनाशक का उपयोग करें।  


भिंडी की फसल में वायरस नियंत्रण की विषाणुनाशक दवा | Antiviral medicine to control virus 

1. जिओलाइफ नो वायरस जैविक विषाणुनाशक - 500 मिली/एकड़। 

2. कटरा फर्टिलाइजर्स कटरा वायरस-जी विषाणुनाशक - 100 मिली/एकड़। 

3. आनंद एग्रो वायरो बैन विषाणुनाशक - 450 मिली/एकड़। 

4. पाटिल बायोटेक एरेना गोल्ड विषाणुनाशक -  150 ग्राम/एकड़ । 

नोट - बताये गए विषाणुनाशक के साथ आप को हमेशा कोई एक चूसक कीटों के नियंत्रण के लिए कीटनाशक का उपयोग करें।  


Conclusion | सारांश - 

भिंडी की फसल में वायरस समस्या को नियंत्रित करने के लिए उपायों में जैविक और रासायनिक तंत्रों का उपयोग किया जा सकता है। इसे वायरस-प्रतिरोधी किस्मों की बुवाई करके, रसचूसक कीटों के नियंत्रण के लिए कीटनाशकों का उपयोग करके, और विषाणुनाशक दवाओं का उपयोग करके वायरस की वृद्धि को रोका जा सकता है। इससे न केवल फसल के विकास को सुधारा जा सकता है, बल्कि किसानों को भी आर्थिक हानि से बचाया जा सकता है। यह सम्पूर्ण जानकारी आप को पसंद आई है, तो हमें कमेंट बॉक्स में अपनी राय जरुरत दे और साथ ही इस लेख को अपने अन्य किसान दोस्तों के साथ शेयर करना ना भूलें। धन्यवाद 


अक्सर पूछे जानें वाले प्रश्न |  FAQ - 

1. भिंडी में वायरस संक्रमण क्यों होता है?

भिंडी में वायरस संक्रमण रस चूसक कीटों के कारण होता है।

2. भिंडी की फसल में कितने प्रकार के वायरस होते हैं?

भिंडी की फसल में तीन प्रकार के वायरस होते हैं: येलो मोज़ेक वायरस, भिंडी लीफ कर्ल वायरस, और पीला लीफ कर्ल वायरस।

3. वायरस संक्रमण के क्या लक्षण होते हैं?

वायरस संक्रमण के लक्षण में पत्तियों पर पिले धब्बे, पत्तियों का शिरा, और छोटे पौधे शामिल होते हैं।

4. भिंडी की फसल में वायरस संक्रमण से कितना उत्पादन कम हो जाता है?

भिंडी में वायरस संक्रमण के कारण 60 से 70 % तक उत्पादन कम हो जाता है।

5. वायरस संक्रमण के लिए कौन-कौन से जैविक नियंत्रण उपाय हैं?

वायरस संक्रमण के लिए जैविक नियंत्रण के लिए IFC स्टिकी ट्रैप, डॉ. बैक्टोज़ ब्रेव, और आईएफसी नीम जैव-कीटनाशक का प्रयोग किया जा सकता है।

6. वायरस संक्रमण के लिए कौन-कौन से रायासनिक नियंत्रण उपाय हैं?

वायरस संक्रमण के लिए रायासनिक नियंत्रण के लिए कई कीटनाशकों का प्रयोग किया जा सकता है जैसे की धानुका धनप्रीत, धानुका पेजर, बायर कॉन्फिडोर, और बेस्ट एग्रोलाइफ़ रॉनफेन।

7. वायरस संक्रमण के लिए कौन-कौन से विषाणुनाशक दवा हैं?

वायरस संक्रमण के लिए विषाणुनाशक दवा में जिओलाइफ नो वायरस, कटरा फर्टिलाइजर्स कटरा वायरस-जी, आनंद एग्रो वायरो बैन, और पाटिल बायोटेक एरेना गोल्ड शामिल होते हैं।

8. भिंडी में वायरस संक्रमण से किसानों को क्या नुकसान होता है?

वायरस संक्रमण से किसानों को उत्पादन में कमी, आर्थिक हानि, और फसल की प्रदर्शन में गिरावट हो सकती है।

9. भिंडी में वायरस संक्रमण का प्रमुख कारण क्या है?

भिंडी में वायरस संक्रमण का प्रमुख कारण रस चूसक कीटों के प्रभाव से होता है।



लेखक | Author

BharatAgri Krushi Doctor


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