मूंगफली (Arachis hypogaea) एक महत्वपूर्ण तिलहन फसल है जिसका उपयोग तेल निकालने, खाद्य पदार्थों में और पशु आहार के रूप में और सीधे खाने के लिए भी किया जाता है। मूंगफली का पौधा नाइट्रोजन फिक्सेशन में सक्षम होता है, जिससे यह मिट्टी की उर्वरता को भी बढ़ाता है। भारतअॅग्री के माध्यम से जानें मूंगफली की खेती (Mungfali Ki Kheti ) का समय, बेस्ट किस्में, बीज दर, उर्वरक, खरपतवार, कीटों और रोगों का नियंत्रण की सम्पूर्ण जानकारी के बारें में ।
भारत में मूंगफली की खेती | Groundnut Crop Farming in India -
मूंगफली की खेती मुख्यतः गुजरात, राजस्थान, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, और पश्चिम बंगाल में की जाती है। इनमें से गुजरात और राजस्थान मूंगफली के प्रमुख उत्पादक राज्य हैं।
मूंगफली की खेती का समय | Groundnut Crop Season -
1. खरीफ मौसम: जून-जुलाई महीने में फसल की बुआई करें।
2. रबी मौसम: अक्टूबर-नवंबर महीने में फसल की बुआई करें।
3. जायद मौसम: जनवरी-फरवरी महीने में फसल की बुआई करें।
मौसम और जलवायु -
मूंगफली की खेती के लिए गर्म और नम जलवायु सबसे बेस्ट मानी जाती है। इसे 20°C से 30°C तापमान की आवश्यकता और मूंगफली की फसल को अच्छी बारिश (500-1000 मिमी) की आवश्यकता होती है, लेकिन पानी का निकास अच्छा होना चाहिए।
खेत की तैयारी और मिट्टी -
1. मूंगफली की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी, हल्की दोमट मिट्टी और जल निकास वाली मिट्टी को सबसे अच्छा माना जाता है।
2. मिट्टी का pH स्तर 6.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए।
3. मूंगफली की खेती के लिए खेत की अच्छी तरह जुताई और समतलीकरण आवश्यक होता है।
4. खेत में दो-तीन बार गहरी जुताई करके मिट्टी को भुरभुरी बनाना चाहिए।
5. जुताई के बाद पाटा चलाकर खेत को समतल कर लेना चाहिए।
6. समतल करने के बाद प्रति एकड़ अनुसार 4 से 5 टन सड़ी हुई गोबर की खाद का उपयोग करें।
मूंगफली की खेती के लिए बेस्ट किस्मों की जानकारी -
किस्मों के नाम |
किस्मों की विशेषताएं |
TG-37A |
यह किस्म उच्च उपज देने वाली है, इसके पौधों की ऊँचाई मध्यम होती है। बीज का आकार मध्यम और एकसमान होता है, और परिपक्वता अवधि 115-120 दिनों की है। |
JL-24 |
इस किस्म की उपज अच्छी है, पौधों की ऊँचाई मध्यम है, और बीज का आकार बड़ा है। इसकी परिपक्वता अवधि 100-110 दिन है। |
ICGV-91114 |
यह किस्म उच्च उपज प्रदान करती है और पौधों की ऊँचाई मध्यम है। बीज का आकार मध्यम होता है, और परिपक्वता 120-125 दिन है। इसकी विशेषता यह है कि यह सूखा सहनशील है। |
K-134 |
इस किस्म की उपज अच्छी है, पौधों की ऊँचाई मध्यम है, और बीज का आकार बड़ा है। परिपक्वता अवधि 115-120 दिन है, और यह रोग प्रतिरोधक है। |
Girnar 2 |
यह एक उच्च उपज वाली किस्म है, जिसमें पौधों की ऊँचाई मध्यम और बीज का आकार बड़ा होता है। इसकी परिपक्वता 120-125 दिन है, और यह सूखा सहनशील तथा रोग प्रतिरोधक है। |
GG-20 |
इस किस्म की उपज बहुत अच्छी है, पौधों की ऊँचाई मध्यम है, और बीज का आकार बड़ा है। इसकी परिपक्वता अवधि 110-115 दिन है, और यह सूखा सहनशील है। |
TMV-2 |
यह किस्म उच्च उपज प्रदान करती है, पौधों की ऊँचाई मध्यम है, और बीज का आकार मध्यम होता है। इसकी परिपक्वता 120-130 दिन है, और यह सूखा सहनशील है। |
TAG-24 |
इस किस्म की उपज अच्छी है, पौधों की ऊँचाई मध्यम है, और बीज का आकार मध्यम होता है। इसकी परिपक्वता अवधि 110-115 दिन है, और यह रोग प्रतिरोधक है। |
फसल में खाद और उर्वरक की मात्रा -
1. नाइट्रोजन (N): 20-30 किलोग्राम प्रति एकड़
2. फॉस्फोरस (P): 40-50 किलोग्राम प्रति एकड़
3. पोटाश (K): 30-40 किलोग्राम प्रति एकड़
4. खाद और उर्वरक का प्रयोग बुवाई से पहले और बुवाई के 30-35 दिन बाद करें।
5. जैविक खाद जैसे कम्पोस्ट और गोबर की खाद का भी उपयोग करें।
खरपतवार की समस्या और नियंत्रण -
1. फसल बुवाई के 15 से 20 दिनों बाद समय-समय पर हाथ से निराई करें।
2. फसल बुवाई के पहले या फिर बुवाई के 48 घण्टे के अंदर या फिर तुरंत बाद यूपीएल दोस्त सुपर खरपतवारनाशी (पेंडिमेथालिन) 700 मिली प्रति एकड़ अनुसार उपयोग करें।
3. फसल बुवाई के 20 से 25 दिनों बाद - बीएएसएफ परस्यूट (इमेजेथापायर 10% SL) खरपतवारनाशक का 400 मिली प्रति एकड़ अनुसार उपयोग करें।
फसल में कीटों की समस्या और नियंत्रण -
कीटों की समस्या |
कीटनाशक का नाम |
उपयोग मात्रा |
सफेद लट |
200 ग्राम प्रति एकड़ |
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दीमक |
200 मिली प्रति एकड़ |
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माहू |
450 ग्राम प्रति एकड़ |
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लीफ माइनर |
80 मिली प्रति एकड़ |
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सफेद मक्खी |
60 ग्राम प्रति एकड़ |
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तम्बाकू इल्ली |
80 ग्राम प्रति एकड़ |
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फॉल आर्मीवर्म |
60 मिली प्रति एकड़ |
फसल में रोगों की समस्या और नियंत्रण -
रोगों के नाम |
फफूंदनाशक के नाम |
उपयोग मात्रा |
लीफ स्पॉट (पत्ती धब्बा रोग) |
300 ग्राम प्रति एकड़ |
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रस्ट रोग |
300 ग्राम प्रति एकड़ |
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तना सड़न |
300 ग्राम प्रति एकड़ |
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टिक्का रोग |
250 ग्राम प्रति एकड़ |
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उखटा रोग |
500 ग्राम प्रति एकड़ |
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पाउडरी मिल्ड्यू |
300 मिली प्रति एकड़ |
फसल की कटाई और समय -
मूंगफली की फसल की कटाई तब करें जब पत्तियां पीली हो जाएं और फली कठोर हो जाए। कटाई के लिए खेत को गीला करें और पौधों को उखाड़कर धूप में सुखाएं।
प्रति एकड़ उत्पादन | Groundnut Crop Production -
मूंगफली की फसल का औसत उत्पादन 12-15 क्विंटल प्रति एकड़ होता है। उन्नत तकनीकों और बेहतर किस्मों के उपयोग से उत्पादन बढ़ सकता है।
सारांश -
1. मूंगफली भारत में एक महत्वपूर्ण तिलहन फसल है जिसकी खेती कई राज्यों में की जाती है।
2. इसकी खेती के लिए उचित मौसम, मिट्टी और खाद-उर्वरक की सही मात्रा का उपयोग जरूरी है।
3. मूंगफली की फसल में खरपतवार, कीट और रोगों से बचाव के उपाय अपनाकर और सही समय पर कटाई करके अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।
अक्सर पूछे जानें वाले प्रश्न -
1. मूंगफली की बुआई का सही समय क्या है?
उत्तर - खरीफ: जून-जुलाई, रबी: अक्टूबर-नवंबर, जायद: जनवरी-फरवरी।
2. मूंगफली की खेती के लिए कैसी मिट्टी होना चाहिए?
उत्तर - बलुई दोमट, हल्की दोमट मिट्टी, और pH 6.0 से 7.5।
3. मूंगफली की बेस्ट किस्में कौन-सी हैं?
उत्तर - TG-37A, JL-24, ICGV-91114, K-134, Girnar 2, GG-20, TMV-2, TAG-24।
4. फसल में खाद और उर्वरक की मात्रा कितनी होनी चाहिए?
उत्तर - नाइट्रोजन: 20-30 किलोग्राम, फॉस्फोरस: 40-50 किलोग्राम, पोटाश: 30-40 किलोग्राम प्रति एकड़।
5. मूंगफली की फसल में कीटों की समस्या का समाधान क्या है?
उत्तर - बायर लेसेंटा, एफएमसी टालस्टार, यूपीएल लांसर गोल्ड का उपयोग करें।
6. मूंगफली की फसल में रोगों की समस्या काे कैसे नियंत्रित करें?
उत्तर - यूपीएल साफ, इंडोफिल अवतार, सिंजेंटा रिडोमिल गोल्ड का उपयोग करें।
7. मूंगफली की खेती के प्रमुख राज्य कौन से हैं?
उत्तर - गुजरात और राजस्थान मूंगफली के प्रमुख उत्पादक राज्य हैं।
8. मूंगफली की औसत उत्पादन मात्रा क्या होती है?
उत्तर - औसत उत्पादन 12-15 क्विंटल प्रति एकड़ होता है।
लेखक
BharatAgri Krushi Doctor