Compost Khad

Compost Khad: कम्पोस्ट खाद बनाने की विधि और सम्पूर्ण जानकारी।

नमस्कार किसान भाइयों आज के ब्लॉग में हम जानेंगे कम्पोस्ट खाद बनाने की विधि (Compost Khad) की सम्पूर्ण जानकारी के बारें मे विस्तार से बात करने वाले है। आप को बता दे की भारत के किसानों ने इतना रासायनिक खादों का उपयोग कर लिया हैं कि धीऱे-धीऱे मिट्टी की उर्वरा शक्ति क्षीण होती जा रही हैं और फसल का उत्पादन भी अच्छे से नहीं हो पा रहा हैं, तो इसलिए हमें जैविक खाद के रूप में सड़ी हुई गोबर की खाद या कम्पोस्ट खाद का उपयोग करना चाहिए। 

 

कम्पोस्ट खाद | Compost Fertilizer 

आमतौर पर कम्पोस्ट खाद को कूड़ा खाद भी कहा जाता है क्योकि यह घर के कूड़े, पौधों के अवशेष पदार्थों, कूड़ा कचरा, पशुओं के मलमूत्र, दलदल, पशुओं का गोबर, खेतों का घास-फूस या खरपतवार  आदि को विशेष परिस्थियों में सड़ने गलने से खाद बनती है। कम्पोस्ट खाद गन्द रहित होती है, जिसको ध्यान से देखने पर यह भूरे या भूरे काले रंग का भुरभुरा पदार्थ सा दिखाई देता है। 

 

खाद बनाने की विधि | Compost Fertilizer Method 

काम्पोस्ट खाद आप विभिन्न उपयोग विधि का उपयोग करके बना सकते है, लेकिन हम आप को प्रमुख विधि के बारें मे जैसे - गड्ढा विधि द्वारा कम्पोस्ट खाद बनाना या फिर ढ़ेर लगाकर कम्पोस्ट खाद को बनाना जैसी विधि की सम्पूर्ण जानकारी के बारें मे । 

👉 गड्ढा विधि द्वारा कम्पोस्ट जैविक खाद तैयार करना

1. सबसे पहले हमे 3 मीटर लम्बा X 2 मीटर चौड़ा X 1 मीटर गहरा गड्डा खोद कर तैयार करना है। 

2. अब उस गड्ढे में नमी लाने के लिए चारो तरफ पानी का छिड़काव करते है, फिर उसमें पौधे की पत्तियाँ, घास-फूस, घर का कचरा, गौशाला की बिछावन, पुआल, गन्ने का छिलका, पौधे की टहनिया, छोटे पौधे जो गलने योग्य हो आदि को 30 सेंटीमीटर ऊंचाई तक भर देते है। 

3. अब इसके ऊपर गोबर की एक तह बिछा देते है फिर ऊपर से पानी की तरी (फुहारा) कर देना चाहिए। 

4. अब फिर से कूड़ा करकट, फसल अवशेषों, मल मूत्र, राख़, गौशाले का कचरा, भूसा, चारे आदि की फिर से बिछावन फ़ैलाते है और उसको पैरों से कसकर दबा देते है फिर उसके ऊपर गोबर की तह को बिछाते है, फिर पानी से तर कर देते हैं। 

5. यह प्रकिया तब तक करते है जब तक गड्डा भर नहीं जाता है। जब गड्डा भर जाये तो ऊपर से उसको मिट्टी से ढक देना चाहिए इस तरह से सड़ी हुई खाद 3 से 4 महीनों में तैयार हो जाती हैं। 

 

👉 ढ़ेर लगाकर कम्पोस्ट जैविक खाद तैयार करना

1. सबसे पहले जमीन के ऊपर एक कोठी बनाते हैं। जो ऊंचाई पर हो और जहाँ पर बना रहे हैं वो जगह समतल भूमि वाली होनी चाहिए। 

2. अब 3 मीटर लम्बी x 2 मीटर चौड़ी x 1 मीटर ऊँची कोठी बनाते है जिसको बनाने के लिए अनुपयोगी लकड़ी की पट्टियों, चटाइयों एवं ईंटों का उपयोग किया जा सकता है। 

3. अब नीचे 2 सेमी. ईटों की तह बिछा देनी चाहिए फिर उसके ऊपर ढेर लगाने में सुविधा होती है, इस विधि में भी किसान भाइयों कम्पोस्ट तैयार करने के लिए गड्ढा विधि जैसे ही गोबर के घोल की अधिक आवश्यकता होती है । 

4. ढेर लगाते समय इस बात का ध्यान दे कि ऊपर का हिस्सा ढाल युक्त भरें तथा मिट्टी, भूसे के मिश्रण, चारा, गौशाला की बिछावन, पुआल, गन्ने का छिलका बिछाकर फिर उसके ऊपर से 5 -10 सेमी का गोबर का प्लास्टर करके लीप देनी चाहिए। 

5. समय-समय पर पानी से का छिड़काव करते रहें और हर 4-6 सप्ताह बाद में खाद को पलटते रहें और ढेर में पर्याप्त नमी बनाए रखें ढेर पलटने के बाद पुनः गोबर से लीप कर उसके मुँह को बन्द कर दें इस प्रकार 3 से 4 माह में कम्पोस्ट खाद बनकर तैयार हो जाती है। 


👉 वेस्‍ट डीकंपोजर का उपयोग करके खाद तैयार करना 

1. किसान भाइयों यदि आप ने गोबर की खाद तैयार किया है लेकिन अभी पूर्ण रूप से गोबर की खाद सड़ी नहीं है तो आप वेस्‍ट डीकंपोजर फास्ट-डी (Dr. Bacto's Fast-D) का उपयोग करके अधसड़ी गोबर की खाद को सड़ा सकते है। 

2. सबसे पहले गोबर की खाद को निकालकर किसी छांवदार स्थान पर फैला देते है, फ़ैलाने से पहले नीचे तिरपाल, फर्स या जूट के बोरे को बिछा देते है। अब हम एक एकड़ में अधपकी 2 टन गोबर की खाद को तैयार करने के लिए 1 लीटर फास्ट डी +2 किलो गुड़ +200 लीटर पानी (आवश्यकतानुसार) का मिश्रण तैयार करें और इसे गोबर की खाद पर छिड़काव करके छोड़ दे और फिर खाद को पुवाल या जूट के बोरे से ढक दे फिर उस को समय समय पर पानी का फुहारा करते रहें। 

3. इस तरह से 30 से 45 दिनों के भीतर अच्छी जीवाश्मयुक्त भुरभुरी खाद बनके तैयार हो जाती है, फिर हम खेतो में उपयोग कर सकते है। 

 

कम्पोस्ट खाद के फायदे  

1. कम्पोस्ट खाद पौधे को पोषक तत्वों की आपूर्ति करता है|

2. कम्पोस्ट खाद मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाती है। 

3. कम्पोस्ट खाद के उपयोग से फसल की पैदावार में तुरंत प्रभाव पड़ता है|

4. इस खाद के उपयोग करने से मिट्टी की जल धारण क्षमता में वृद्धि होती है। 

5. इसके उपयोग करने से पर्यावरण पर दूषित प्रभाव नही पड़ता है तथा लाभदायक बैक्टीरिया ,कीट आदि सुरक्षित रहते है। 

6. फसल की गुणवत्ता में सुधार करता है। 

7. मिट्टी को भुरभुरी बनाता है, जिससे पौधे की जड़ों का विकास अच्छे से होता है। 

कम्पोस्ट खाद सस्ता होता है, क्योंकि यह फसल के अवशेषों, गोबर, घास और अन्य घरेलू कचरे आदि से आसानी से बनाया जाता है, और खाद को बनाने के लिए कोई विशेष लागत नहीं लगानी पड़ती है। कम्पोस्ट खाद के कई वर्षों तक लगातार उपयोग करने से बंजर भूमि भी उपजाऊ हो जाती है।

 

सारांश 

किसान भाइयों हम आशा करते है की कम्पोस्ट खाद बनाने की विधि और सम्पूर्ण जानकारी, कम्पोस्ट खाद के फायदे आप के लिए महत्वपूर्ण और अच्छी लगी होगी तो आप अपने आस-पास के किसान भाइयों को शेयर करें। धन्यवाद


किसानों द्वारा बार-बार पूछे जाने वाले प्रश्न 

1. कम्पोस्ट खाद क्या है?

उत्तर - कम्पोस्ट खाद पौधों के अवशेष, गोबर, और अन्य जैविक पदार्थों से बनी खाद है।

2. कम्पोस्ट खाद बनाने के लिए क्या-क्या सामग्री चाहिए?

उत्तर - पौधों की पत्तियाँ, घास-फूस, घर का कचरा, गोबर, और पानी चाहिए।

3. कम्पोस्ट खाद कितने समय में तैयार होती है?

उत्तर - कम्पोस्ट खाद 3 से 4 महीनों में तैयार हो जाती है।

4. गड्ढा विधि से कम्पोस्ट खाद कैसे बनाई जाती है?

उत्तर - गड्ढे में जैविक पदार्थ भरकर गोबर की तह और पानी की छिड़काव कर खाद बनाई जाती है।

5. ढ़ेर विधि से कम्पोस्ट खाद कैसे बनाई जाती है?

उत्तर - जमीन पर ढेर लगाकर, जैविक पदार्थ, गोबर और पानी का उपयोग करके खाद बनाई जाती है।

6. वेस्ट डीकंपोजर का उपयोग कैसे किया जाता है?

उत्तर - वेस्ट डीकंपोजर को गोबर की खाद पर छिड़क कर, उसे पुवाल या जूट के बोरे से ढक दिया जाता है।

7. कम्पोस्ट खाद के क्या फायदे हैं?

उत्तर - यह मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाती है और फसल की पैदावार में सुधार करती है।

8. कम्पोस्ट खाद बनाने में कितना खर्च आता है?

उत्तर - कम्पोस्ट खाद बनाने में कोई विशेष लागत नहीं आती, क्योंकि यह घर के कचरे और गोबर से बनाई जाती है।

9. कम्पोस्ट खाद कैसे पौधों के लिए फायदेमंद है?

उत्तर - यह पौधों को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करती है और उनकी जड़ों का विकास करती है।

10. कम्पोस्ट खाद का पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ता है?

उत्तर - इसका उपयोग पर्यावरण को दूषित नहीं करता और लाभदायक बैक्टीरिया को सुरक्षित रखता है।


लेखक 

भारतअ‍ॅग्री कृषि डॉक्टर



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