आंवला, जिसे भारत में गूजबेरी भी कहा जाता है, यह एक महत्वपूर्ण औषधीय और पोषक तत्वों से भरपूर फल है। इसका उपयोग आयुर्वेदिक दवाओं, जैम, चटनी, मुरब्बा, और जूस बनाने में किया जाता है। आंवला विटामिन सी का एक प्रमुख स्रोत है और इसमें एंटीऑक्सिडेंट गुण भी पाए जाते हैं। इसलिए इसकी मांग हमेशा बनी रहती है और यही कारण है कि आंवला की खेती किसानों के लिए अच्छा मुनाफा दे सकती है। भारतअॅग्री के माध्यम से जानें आंवला की खेती (Amla Ki Kheti) का समय, बेस्ट किस्में, बीज दर, उर्वरक, खरपतवार, कीटों और रोगों का नियंत्रण की सम्पूर्ण जानकारी के बारें में।
आंवला की खेती भारत में कहाँ की जाती है -
भारत में आंवला की खेती मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, और बिहार में की जाती है। इन राज्यों में इसकी खेती बड़े पैमाने पर की जाती है और ये राज्य आंवला उत्पादन के प्रमुख केंद्र हैं।
आंवला की खेती का समय | Amla Season in India -
आंवला के पौधे मानसून के बाद जुलाई से सितंबर के बीच लगाना सबसे उपयुक्त माना जाता है। इस समय रोपाई करने से पौधे अच्छी तरह से बढ़वार हो जाती हैं और विकास की प्रक्रिया सुचारू रूप से बढ़ती है।
आंवला की खेती के लिए मौसम और जलवायु -
आंवला की खेती के लिए उपयुक्त तापमान 20-30 डिग्री सेल्सियस होता है। आंवला को उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों की जलवायु में आसानी से उगाया जा सकता है। आंवला का पौधा शुष्क और अर्ध-शुष्क जलवायु में भी अच्छा उत्पादन देता है।
आंवला की खेती के लिए खेत की तैयारी | How to Grow Amla -
आंवला की खेती के लिए खेत की तैयारी में सबसे पहले खेत की जुताई की जाती है, जिससे मिट्टी में हवा और पानी का संचरण सुचारू रूप से हो सके। खेत की जुताई के बाद 2-3 बार हैरो या कल्टीवेटर की सहायता से मिट्टी को भुरभुरा बनाना चाहिए। इसके बाद खेत को समतल कर लेना चाहिए ताकि सिंचाई और जल निकासी की व्यवस्था सुचारू रूप से हो सके।
आंवला की खेती के लिए बेस्ट मिट्टी -
आंवला की खेती के लिए दोमट मिट्टी (Loamy Soil) सबसे उपयुक्त मानी जाती है। हालांकि, इसे बलुई दोमट, लाल मिट्टी, और काली मिट्टी में भी उगाया जा सकता है। मिट्टी का pH स्तर 6.0 से 8.0 के बीच होना चाहिए। मिट्टी में अच्छे जल निकास की व्यवस्था होनी चाहिए, क्योंकि जलभराव आंवला के पौधों के लिए हानिकारक हो सकता है।
आंवला की प्रमुख टॉप किस्मे | Types of Amla Variety -
आंवला की प्रमुख वैरायटी |
आंवला की हाइब्रिड किस्म |
बनारसी |
क्रांति हाइब्रिड |
चक्रधर |
विशाल हाइब्रिड |
कंचन |
प्रभात हाइब्रिड |
कृष्णा |
सुवर्णा हाइब्रिड |
नरेन्द्र 7 |
स्वर्णप्रभा हाइब्रिड |
नरेन्द्र 10 |
अमृत हाइब्रिड |
फ्रांसिस |
महालक्ष्मी हाइब्रिड |
अन्ना आंवला |
रत्न हाइब्रिड |
लखनिया |
अग्नि हाइब्रिड |
NA-7 |
गंगा हाइब्रिड |
आंवला के, प्रति एकड़ पौधों की संख्या -
आंवला की खेती के लिए एक एकड़ में लगभग 120-180 पौधे लगाए जाते हैं। पौधों के बीच की दूरी और रोपाई की विधि के अनुसार संख्या में अंतर हो सकता है। पौधों के बीच 6 x 6 मीटर की दूरी रखी जाती है। इस दूरी से पौधों को पर्याप्त प्रकाश संश्लेषण की क्रिया होती है और पौधों को सम्पूर्ण पोषक तत्व की पूर्ति होती हैं।
खाद और उर्वरक की प्रति एकड़ मात्रा -
1. आंवला की फसल के लिए खाद और उर्वरक का उचित मात्रा में प्रयोग आवश्यक है।
2. पहले साल प्रति पौधा 10-15 किलोग्राम गोबर की खाद, 100 ग्राम नाइट्रोजन, 50 ग्राम फॉस्फोरस, और 50 ग्राम पोटाश देना चाहियें।
3. दूसरे साल से प्रति पौधा 20-25 किलोग्राम गोबर की खाद, 200 ग्राम नाइट्रोजन, 100 ग्राम फॉस्फोरस, और 100 ग्राम पोटाश देना चाहिये।
4. उर्वरक का प्रयोग जुलाई-अगस्त में रोपाई के समय और फिर फरवरी-मार्च में किया जाता है।
आंवला की फसल में कीटों की समस्या -
कीटों की समस्या |
कीटनाशक का नाम |
उपयोग मात्रा |
सफेद लट |
200 ग्राम प्रति एकड़ |
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दीमक |
200 मिली प्रति एकड़ |
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माहू |
450 ग्राम प्रति एकड़ |
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लीफ माइनर |
80 मिली प्रति एकड़ |
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सफेद मक्खी |
60 ग्राम प्रति एकड़ |
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तम्बाकू इल्ली |
80 ग्राम प्रति एकड़ |
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फॉल आर्मीवर्म |
60 मिली प्रति एकड़ |
आंवला की फसल में रोगों की समस्या -
रोगों के नाम |
बेस्ट फफूंदनाशी |
उपयोग मात्रा |
ब्लैक रॉट कैंकर (Black rot canker) |
300 मिली प्रति एकड़ अनुसार छिड़काव करें |
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कॉलर रॉट (Collar rot) |
150 ग्राम प्रति एकड़ अनुसार छिड़काव करें |
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पाउडरी माइल्ड्यू (Powdery mildew) |
200 मिली प्रति एकड़ अनुसार छिड़काव करें |
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पत्ती धब्बा रोग (Alternaria leaf spot) |
450 मिली प्रति एकड़ अनुसार छिड़काव करें |
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झुलसा रोग (Blight Disease) |
400 ग्राम प्रति एकड़ अनुसार छिड़काव करें |
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सीडलिंग ब्लाइट (Seedling blight) |
400 ग्राम प्रति एकड़ अनुसार छिड़काव करें |
आंवला के फलों की तुड़ाई और समय -
1. आंवला की फसल 4-5 साल में फल देना शुरू कर देती है। तुड़ाई का समय अक्टूबर से दिसंबर के बीच होता है, जब फल पूरी तरह से विकसित और परिपक्व हो जाते हैं।
2. आंवला की फसल प्रति एकड़ उत्पादन | Amla Yield
3. आंवला की फसल का उत्पादन प्रति एकड़ 8-10 टन होता है। उत्पादन की मात्रा खेती की तकनीक, उर्वरक का सही उपयोग, और जलवायु पर निर्भर करती है।
सारांश -
1. आंवला की खेती एक लाभकारी व्यवसाय है जो किसानों को आर्थिक स्थिरता प्रदान कर सकता है।
2. इसकी खेती के लिए सही समय, उचित जलवायु, और उपयुक्त मिट्टी का चयन महत्वपूर्ण होता है।
3. सही किस्मों का चयन और उचित उर्वरक प्रबंधन से आंवला का उत्पादन और गुणवत्ता को बढ़ाया जा सकता है।
4. सही समय पर तुड़ाई और बाजार में उचित कीमत मिलने पर आंवला की खेती से अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न -
1. आंवला की खेती किन राज्यों में की जाती है?
उत्तर - उत्तर प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, और बिहार में आंवला की खेती की जाती है।
2. आंवला के पौधों को लगाने का सही समय कौन सा है?
उत्तर - मानसून के बाद जुलाई से सितंबर के बीच आंवला के पौधे लगाने का उपयुक्त समय होता है।
3. आंवला की खेती के लिए बेस्ट मिट्टी कौन सी होती है?
उत्तर - दोमट मिट्टी आंवला की खेती के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है।
4. आंवला की प्रमुख किस्में कौन सी हैं?
उत्तर - आंवला की प्रमुख किस्में बनारसी, चक्रधर, कंचन, कृष्णा, और नरेन्द्र 7 हैं।
5. एक एकड़ में आंवला के कितने पौधे लगाए जाते हैं?
उत्तर - एक एकड़ में लगभग 120-180 आंवला के पौधे लगाए जाते हैं।
6. आंवला की फसल में होने वाले प्रमुख रोग कौन से हैं?
उत्तर - ब्लैक रॉट कैंकर, कॉलर रॉट, और पाउडरी माइल्ड्यू आंवला की फसल में होने वाले प्रमुख रोग हैं।
7. आंवला की फसल का प्रति एकड़ उत्पादन कितना होता है?
उत्तर - आंवला की फसल का प्रति एकड़ उत्पादन 8-10 टन होता है।
लेखक
BharatAgri Krushi Doctor