आज BharatAgri के माध्यम से आप को तुलसी की खेती की सम्पूर्ण जानकरी दी जाएगी। तुलसी, जिसे होली बेसिल (Holy Basil) के नाम से भी जाना जाता है, भारत में एक महत्वपूर्ण औषधीय पौधा है। इसे "जड़ी-बूटियों की रानी" के रूप में जाना जाता है। तुलसी न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखती है, बल्कि इसके औषधीय गुण भी इसे विशेष बनाते हैं। तुलसी की खेती से किसानों को आर्थिक लाभ के साथ-साथ पर्यावरणीय लाभ भी प्राप्त होते हैं।
हर किसी का सपना होता है कि वह अपना खुद का बिजनेस करे, लेकिन सही बिजनेस आइडियाज की कमी के कारण वे इसे शुरू नहीं कर पाते हैं। अगर आप भी कम निवेश में एक लाभकारी बिजनेस शुरू करना चाहते हैं, तो तुलसी की खेती आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकती है। इस खेती से आप कुछ महीनों में ही लाखों रुपये कमा सकते हैं। आइये जानते हैं तुलसी की खेती (Tulsi farming) की पूरी जानकारी के साथ तुलसी का महत्त्व और इससे होने वाली कमाई के बारे में।
तुलसी की महामारी के बाद बढ़ी डिमांड | Tulsi Crop Demand -
तुलसी का धार्मिक महत्व भी बहुत अधिक है। कोरोना महामारी के बाद लोगों में आयुर्वेदिक दवाइयों के प्रति आकर्षण बढ़ा है, जिससे तुलसी की मांग और भी बढ़ गई है। धार्मिक रूप से तुलसी का उपयोग अगरबत्ती समेत कई उत्पादों में किया जाता है। तुलसी की चाय भी लोगों के बीच काफी लोकप्रिय है। इसके अलावा, तुलसी का उपयोग कई अन्य उत्पादों में भी होता है, जिससे तुलसी की खपत अधिक और उत्पादन कम है।
तुलसी से 3 लाख रुपये तक की कमाई -
तुलसी की खेती करना बेहद आसान है और इसमें लागत और शारीरिक श्रम दोनों कम लगता है। आप किसी कंपनी के साथ कॉन्ट्रैक्ट करके तुलसी की खेती कर सकते हैं। प्रति एकड़ तुलसी की खेती में करीब 15,000 रुपये का खर्च आता है, लेकिन तीन महीनों में ही औसतन 3 लाख रुपये की कमाई हो सकती है। आजकल बड़ी-बड़ी कंपनियां तुलसी की खेती के लिए कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग कर रही हैं। इन कंपनियों की मदद से आप तुलसी की खेती कर सकते हैं और 30,000 रुपये महीने तक कमा सकते हैं।
तुलसी की बेस्ट किस्म | Best Varieties of Tulsi -
तुलसी की खेती के लिए विभिन्न किस्में उपलब्ध हैं, जो उनकी विशेषताओं और उपयोग के आधार पर चुनी जा सकती हैं। यहां कुछ प्रमुख तुलसी की किस्मों के नाम दिए गए हैं-
किस्म का नाम |
किस्म की विशेषताएं |
राम तुलसी (Ocimum sanctum) |
यह तुलसी की सबसे आम किस्म है और इसे घरेलू और धार्मिक उद्देश्यों के लिए व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। |
श्याम तुलसी (Ocimum tenuiflorum) |
यह किस्म अधिक औषधीय गुणों से भरपूर होती है और इसका उपयोग विभिन्न आयुर्वेदिक उपचारों में किया जाता है। |
वन तुलसी (Ocimum gratissimum) |
यह तुलसी की एक जंगली किस्म है और इसमें भी औषधीय गुण होते हैं। इसे 'जंगली तुलसी' के नाम से भी जाना जाता है। |
कपूर तुलसी (Ocimum kilimandscharicum) |
इस किस्म की पत्तियों से कपूर जैसी गंध आती है। इसका उपयोग पारंपरिक औषधियों में किया जाता है। |
लेमन तुलसी (Ocimum citriodorum) |
इस किस्म की पत्तियों से नींबू जैसी गंध आती है और इसे मसाले के रूप में उपयोग किया जाता है। |
थाई तुलसी (Ocimum basilicum var. thyrsiflora) |
यह किस्म थाईलैंड में बहुत लोकप्रिय है और इसका उपयोग खासकर थाई व्यंजनों में किया जाता है। |
आरआरएलओसी 12 |
यह किस्म कृषि अनुसंधान के माध्यम से विकसित की गई है और इसे विशेषत: कृषि उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जाता है। |
आरआरएलओसी 14 |
यह भी एक अनुसंधान आधारित किस्म है और इसे खेती के लिए एक बेहतर विकल्प माना जाता है। |
इन किस्मों में से किसी एक का चयन करते समय, अपने स्थानीय जलवायु, मिट्टी की गुणवत्ता और अन्य कृषि परिस्थितियों को ध्यान में रखें। सही किस्म का चयन करने से आपको अधिक उत्पादन और बेहतर गुणवत्ता की तुलसी प्राप्त होगी।
जलवायु और मिट्टी -
1. जलवायु: तुलसी की खेती के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु सबसे उपयुक्त मानी जाती है। यह पौधा 20°C से 30°C के तापमान में अच्छी तरह से विकसित होता है। तुलसी को अधिक सर्दी पसंद नहीं होती है, इसलिए इसे ठंडे क्षेत्रों में ठंड से बचाना चाहिए। पर्याप्त धूप और खुली हवा में तुलसी के पौधे अच्छे से बढ़ते हैं।
2. मिट्टी: तुलसी की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है। मिट्टी का pH मान 6.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए। भारी मिट्टी में जल निकासी की समस्या हो सकती है, जिससे जड़ सड़न की समस्या हो सकती है। मिट्टी में जैविक खाद मिलाकर उसकी उपजाऊ शक्ति बढ़ाई जा सकती है।
तुलसी बुवाई का समय -
तुलसी की खेती के लिए बुवाई का समय क्षेत्र और जलवायु के आधार पर भिन्न हो सकता है। आमतौर पर, तुलसी के बीजों को बुवाई के लिए निम्नलिखित समय उपयुक्त माना जाता है:
1. खरीफ (जुलाई-अगस्त) - यह समय तुलसी की बुवाई के लिए सबसे उपयुक्त होता है क्योंकि मानसून के दौरान मिट्टी में पर्याप्त नमी होती है और तापमान भी तुलसी के पौधों के विकास के लिए अनुकूल होता है। मानसून के दौरान बुवाई करने से तुलसी के पौधों को अच्छी जलवायु मिलती है और वे तेजी से बढ़ते हैं।
2. रबी (फरवरी-मार्च): वसंत ऋतु में भी तुलसी की बुवाई की जा सकती है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां गर्म और आर्द्र जलवायु होती है। इस समय बुवाई करने पर तुलसी के पौधों को गर्मी और धूप मिलती है, जो उनके विकास के लिए लाभकारी होती है।
बीज की बुवाई और रोपण विधि -
👉बुवाई की विधि- नर्सरी बेड तैयार करें और इसमें बीज को 1-2 सेमी गहराई पर बोएं। बीजों को मिट्टी से ढक दें और हल्का पानी छिड़कें। बीज अंकुरित होने में लगभग 7-10 दिन लगते हैं।
👉पौध रोपण - जब पौधे 10-15 सेमी ऊंचाई के हो जाएं और उनमें 4-5 पत्तियां निकल आएं, तब इन्हें मुख्य खेत में रोपें। पौधों के बीच 30-45 सेमी की दूरी रखें और कतारों के बीच 45-60 सेमी की दूरी रखें।
तुलसी की खेती के लिए खाद और उर्वरक -
1. तुलसी की खेती में खाद और उर्वरक का सही उपयोग बहुत महत्वपूर्ण है। इससे पौधों की अच्छी वृद्धि होती है और उत्पादन में भी वृद्धि होती है। य
2. गोबर की खाद: प्रति एकड़ 8-10 टन गोबर की खाद का उपयोग करें। इसे मिट्टी में अच्छी तरह मिलाएं, ताकि मिट्टी की संरचना सुधर सके और नमी बनी रहे।
3. यूरिया नाइट्रोजन (N): तुलसी की फसल के लिए नाइट्रोजन का उपयोग बहुत महत्वपूर्ण है। प्रति एकड़ 60-80 किग्रा नाइट्रोजन का उपयोग करें। इसे 2-3 बार में विभाजित कर के उपयोग करें, पहली बार बुवाई के समय, दूसरी बार 30 दिन बाद और तीसरी बार 60 दिन बाद।
4. डीएपी फॉस्फोरस (P): फॉस्फोरस पौधों की जड़ वृद्धि में सहायक होता है। प्रति एकड़ 40-50 किग्रा फॉस्फोरस का उपयोग करें। इसे बुवाई के समय ही मिट्टी में मिला दें।
5. एमओपी पोटाश (K): पोटाश पौधों की फूल और फल वृद्धि में सहायक होता है। प्रति एकड़ 20-30 किग्रा पोटाश का उपयोग करें। इसे भी बुवाई के समय ही मिट्टी में मिला दें।
6. जिंक - जिंक की कमी से पौधों की पत्तियां पीली हो सकती हैं। प्रति एकड़ 2-3 किग्रा जिंक सल्फेट का उपयोग करें।
7. आयरन- आयरन की कमी से पौधों की वृद्धि रुक सकती है। प्रति एकड़ 2-3 किग्रा आयरन सल्फेट का उपयोग करें।
8. बोरॉन- बोरॉन की कमी से फूल और बीज की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है। प्रति एकड़ 1-2 किग्रा बोरॉन का उपयोग करें।
तुलसी की खेती के लिए केंद्र सरकार की योजना -
तुलसी की खेती को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने विभिन्न योजनाओं और सब्सिडियों का प्रावधान किया है। ये योजनाएं किसानों को तुलसी की खेती में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करती हैं और उन्हें आर्थिक सहायता प्रदान करती हैं। यहाँ पर कुछ प्रमुख योजनाओं का उल्लेख किया गया है:
👉राष्ट्रीय औषधीय पौधा बोर्ड (NMPB) - राष्ट्रीय औषधीय पौधा बोर्ड भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के तहत काम करता है और औषधीय पौधों की खेती को बढ़ावा देने के लिए योजनाएं बनाता है। NMPB के अंतर्गत तुलसी की खेती के लिए तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
👉राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY) - राष्ट्रीय कृषि विकास योजना का उद्देश्य किसानों की आय में वृद्धि करना और कृषि क्षेत्र में समग्र विकास को बढ़ावा देना है। RKVY के तहत, तुलसी की खेती के लिए आवश्यक संसाधनों, जैसे कि उन्नत बीज, खाद और उपकरणों पर सब्सिडी प्रदान की जाती है।
👉कृषि ऋण योजनाएँ - केंद्र सरकार द्वारा तुलसी की खेती के लिए विशेष कृषि ऋण योजनाओं का प्रावधान किया गया है। इन योजनाओं के तहत, किसानों को तुलसी की खेती के लिए आवश्यक वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। इन ऋणों पर ब्याज दर कम होती है और इसे आसानी से प्राप्त किया जा सकता है।
👉कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) - कृषि विज्ञान केंद्र किसानों को तुलसी की खेती के लिए तकनीकी जानकारी और प्रशिक्षण प्रदान करते हैं। KVK के माध्यम से किसानों को उन्नत खेती तकनीकों, कीट और रोग प्रबंधन, और उर्वरक उपयोग के बारे में जानकारी मिलती है।
कटाई का सही समय -
तुलसी की फसल को सही समय पर काटना बेहद जरूरी है। पत्तियां जब बड़ी हो जाएं तब ही उनकी कटाई करें। जब पौधों पर बीज आ जाएं, उस समय कटाई करने पर तेल का उत्पादन कम हो सकता है। इसलिए पत्तियां बड़ी होने पर ही कटाई करें और पौधों की कटाई 15 से 20 सेंटीमीटर ऊंचाई से करें, जिससे नई शाखाएं आसानी से आ सकें।
तुलसी की फसल कहां बेचें?
कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के अलावा आप मंडी एजेंट्स को अपनी फसल बेच सकते हैं। नजदीक की मंडी में अपना माल बेचने के लिए विभिन्न व्यापारियों से संपर्क कर सकते हैं। हालांकि, कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग एक बेहतर ऑप्शन है, जिससे आपको फसल बेचने में ज्यादा परेशानी नहीं आती है।
सारांश -
तुलसी की खेती एक कम निवेश और उच्च लाभ वाला बिजनेस आइडिया है। अगर आप सही समय और तकनीक का पालन करते हैं, तो इससे आप कुछ महीनों में ही लाखों रुपये कमा सकते हैं। तुलसी की बढ़ती मांग और उसके औषधीय गुणों को ध्यान में रखते हुए, यह बिजनेस आइडिया आपके लिए एक लाभकारी विकल्प हो सकता है।
किसानों द्वारा अक्सर पूछे जानें वाले प्रश्न -
1. तुलसी की खेती के लिए सबसे उपयुक्त जलवायु क्या है?
उत्तर - गर्म और आर्द्र जलवायु सबसे उपयुक्त मानी जाती है।
2. तुलसी की खेती से कितनी कमाई हो सकती है?
उत्तर - प्रति एकड़ तुलसी की खेती से तीन महीनों में औसतन 3 लाख रुपये की कमाई हो सकती है।
3. तुलसी की खेती के लिए सबसे अच्छी किस्में कौन सी हैं?
उत्तर - राम तुलसी, श्याम तुलसी, वन तुलसी, कपूर तुलसी, लेमन तुलसी, थाई तुलसी, आरआरएलओसी 12, आरआरएलओसी 14।
4. तुलसी की खेती के लिए मिट्टी कैसी होनी चाहिए?
उत्तर - अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है।
5. तुलसी की बुवाई का सही समय क्या है?
उत्तर - मानसून (जुलाई-अगस्त) और वसंत (फरवरी-मार्च)।
6. तुलसी की खेती में कौन-कौन सी खाद और उर्वरक का उपयोग करना चाहिए?
उत्तर - गोबर की खाद, यूरिया नाइट्रोजन, डीएपी फॉस्फोरस, एमओपी पोटाश, जिंक, आयरन, बोरॉन।
7. तुलसी की फसल को कब काटना चाहिए?
उत्तर - पत्तियां बड़ी होने पर और बीज आने से पहले।
8. तुलसी की खेती में कितना खर्च आता है?
उत्तर - प्रति एकड़ तुलसी की खेती में करीब 15,000 रुपये का खर्च आता है।
9. तुलसी की खेती से किसानों को क्या लाभ होते हैं?
उत्तर - आर्थिक लाभ के साथ-साथ पर्यावरणीय लाभ भी प्राप्त होते हैं।
10. तुलसी की फसल कहां बेच सकते हैं?
उत्तर - कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के जरिए या नजदीकी मंडी में।
फसल संबंधित और भी जानकारी एक बार अवश्य पढ़ें -
1. silage making: साइलेज बनाने की विधि
2. tomato leaf miner: टमाटर में लीफ माइनर (पत्ती सुरंगक) का नियंत्रण
3. tarbuj ki kheti: तरबूज खेती की A to Z जानकारी
4. solar rooftop yojana: पीएम सोलर रूफटॉप योजना 2024 की A to Z जानकारी
5. blue copper fungicide: ब्लू कॉपर कवकनाशी का उपयोग और फायदे
लेखक
भारतअग्रि कृषि एक्सपर्ट