नमस्कार किसान भाइयो आज के लेख में हम आपको लवणीय क्षारीय भूमि में सुधार(Saline Alkaline Land Reformation) के बारे में बताने वाले है। जैसा की आप जानते होंगे की लवणीय क्षारीय भूमियो को अलग-अलग क्षेत्रो में अलग - अलग नामो से जाना जाता है। उत्तर प्रदेश में इनको रेह या ऊसर ,पंजाब और हरियाणा में सेम व कल्लर तथा गुजरात में खार और लोना जैसे नामो से पुकारा जाता है। लवणीय और क्षारीय भूमिया अधिकतर शुष्क और अर्धशुष्क वाले क्षेत्रो में देखने को मिलता है,क्योकि इन क्षेत्रो का पानी भी खारा होता है। खारे पानी से फसलों की सिचाई करने की वजह से भूमिया लवणीय और क्षारीय हो जाती है।
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आइये जानते है,लवणीय क्षारीय भूमि में सुधार (Saline-Alkaline Land Reformation Details in Hindi) के अंतर्गत लवणीय-क्षारीय भूमियो की पहचान के बारे में चर्चा करते है -
अब हम कुछ बिन्दुओ के आधार पर लवणीय भूमियो की पहचान पर चर्चा करते है -
- लवणीय भूमियो को देखने पर भूमि पर सफेद या भूरे रंग के लवण दिखाई देते है।
- लवणीय भूमियो में सोडियम के क्लोराइड एवं सल्फेट लवण अधिक मात्रा में पाये जाते हैं।
- मृदा का पी-एच. मान 8.5 से कम होता है।
- लवण पौधों के जमाव और वृद्धि पर विपरीत प्रभाव डालते है।
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अब हम कुछ बिन्दुओ के आधार पर क्षारीय भूमियो की पहचान पर चर्चा करते है -
- क्षारीय भूमियो की मिट्टी कठोर या सख्त हो जाती है जिसके कारण भूमि में जल का प्रवेश आसानी से नहीं हो पाता और वर्षा के समय वर्षा का जल उपरी सतह पर भरा रहता हैं। इस प्रकार की मृदा गीली होने पर चिकनी दिखाई पड़ती है। इस मिटटी के उपर भरा हुआ पानी गंदला दिखाई देता है,और जल्दी सूखता नहीं है। लेकिन जब सूखता है तो इसमे दरारें पड़ जाती हैं।
- क्षारीय भूमि में सोडियम की अधिकता के कारण इसकी संरचना बिगड़ जाती है।
- क्षारीय भूमि में सोडियम 15 प्रतिशत तथा पी.एच. 8.2 से अधिक होती है।
अब हम जानते है, लवणीय क्षारीय भूमि में सुधार (Saline-Alkaline Land Reformation Details in Hindi) के अंतर्गत लवणीय भूमियो के सुधार के बारे में -
- भूमि की सतह पर एकत्रित लवणों को खुरचकर निक्षालन द्वारा हटा देना चाहिए।
- भूमि की ऊपरी परत से लवणों को निक्षालन विधि से पानी में घोलकर जड़ क्षेत्र से नीचे लाया जाता है, ताकि पौधों की बढ़वार पर विपरीत प्रभाव ना पड़े।
- ग्रीष्म ऋतु में खेत के चारो तरफ मेड बांध दे ताकि बरसात के पानी के द्वारा सतह पर इकट्ठा लवण निक्षालन प्रकिया द्वारा मिटटी के अंदर चला जाये।
- ऐसी भूमियो की गहरी जुताई करनी चाहिए और खेतो के बीच में नालियों का निर्माण करना चाहिए ताकि लवण पानी में घुलकर खेत से बाहर जा सके।
- लवणीय भूमियो में लवण सहिष्णु फसलें जैसे - जौ ,सरसों, गेहूँ, जई, धान, बाजरा, ज्वार तथा मक्का उगाना चाहिए।
- उर्वरकों की मात्रा को 1.5 गुणा बढ़ाकर डालना चाहिए ताकि फसलों की आवश्यकता को पूरा किया जा सके।
- मिटटी की जांच कराकर मिटटी का उपचार करना चाहिए।
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अब हम जानते है,लवणीय क्षारीय भूमि में सुधार (Saline-Alkaline Land Reformation Details in Hindi) के अंतर्गत क्षारीय भूमियो के सुधार के बारे में -
- क्षारीय भूमियो में सोडियम की अधिकता होती है, ऐसी मृदा के प्रबन्ध के लिये सबसे पहले सोडियम को मृत्तिका कणों से हटाया जाता है। और बाद में सोडियम को निक्षालन के द्वारा गहरी सतहों तक पहुंचाना ।
- क्षारीय भूमियो से सोडियम की अधिकता को कम करने के लिए जिप्सम का उपयोग मृदा की जांच के अनुसार करना चाहिए।
- क्षारीय भूमियो में क्षार सहिष्णु फसलें जैसे - गेहूँ, कपास, जौं, चुकन्दर ,धान ,गेहूँ को बोना चाहिए।