leaf reddening in cotton

leaf reddening in cotton: कपास की फसल में लाल पत्ती रोग की संपूर्ण जानकारी

किसान भाइयों नमस्कार, स्वागत है BharatAgri Krushi Dukan वेबसाइट पर। कपास की फसल में leaf reddening in cotton जिसे हम "कपास का लाल्या रोग" भी कहते है इस रोग की सम्पूर्ण जानकरी के बारें इस लेखा में जानेंगे जैसे - कपास की पत्तियों का लाल होने की समस्या की सम्पूर्ण जानकारी, कपास में लाल रोग आने का कारण , रोग के लक्षण, रोग के नियंत्रण के जैविक और रासायनिक उपाय के साथ स्मार्ट टिप्स।  

कपास को 'फाइबर का राजा' और 'सफ़ेद सोना' के नाम से प्रसिद्धी प्राप्त है। यह देश के उद्योगों में से एक बड़े और प्राचीन उद्योग, "सूती वस्त्र उद्योग" के लिए मुख्य कच्चे माल का एक महत्वपूर्ण घटक है। इस उद्योग में कई किसान कपास की खेती को अपना व्यवसाय बनाकर सफलता प्राप्त कर रहे हैं। हालांकि, कुछ किसान इसकी खेती में आगे बढ़ने से पहले और खेती के दौरान कुछ मुख्य कारकों को अनदेखा कर देते हैं, जिससे फसल की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है। इसके अलावा, कपास की पत्तियों पर लाल होने की समस्या किसानों के लिए एक बड़ी चिंता है, जिसे आमतौर पर 'लाल्या रोग' के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा, कपास में पत्तियों पर लालपन की समस्या के कई अन्य कारण भी हो सकते हैं।


कपास में लालपन आने के कारण | Reasons behind leaf reddening in cotton -

1. मौसम और पर्यावरण: कपास की पत्तियों पर लालपन का मुख्य कारण पर्यावरण हो सकता है, जैसे कि उनके विकास के स्थान, वातावरणीय तापमान और विविधता। बेमौसमी बारिश और अनियमित जल प्रबंधन भी पत्तियों के रंग को प्रभावित कर सकते हैं।

2. पोषक तत्वों की कमी: पत्तियों पर लालपन के लिए एक अन्य कारण पोषक तत्वों की कमी हो सकती है, जैसे कि नाइट्रोजन, कैल्शियम, पोटेशियम, और मैग्नीशियम। इन पोषक तत्वों की अधिकता का संतुलन बनाने के लिए समय-समय पर खाद्य सामग्री का सही प्रयोग करना महत्वपूर्ण है।

3. कीटों के प्रकोप: शुरुआती समय पर कपास पौधों को प्रभावित करने वाली कीटों, जैसे कीट या अन्य रस-चूसक कीटों जैसे थ्रिप्स, जैसिड और सफ़ेद मक्खी के प्रकोप के कारण भी पत्तियों में लालपन दिखा सकता है।

4. फ़सल की विकास चरण: कपास के पौधों के शुरुआती विकास चरण में, जो बुआई के बाद लगभग 60 से 70 दिनों के बीच होता है, पत्तियों पर लालपन अधिक दिखाई देता है। इस समय की विशेषता और मौसम की परिस्थितियों के साथ यह समस्या बढ़ सकती है।

5. जल संचालन: कपास की पत्तियों पर लालपन के कारण में से एक भी अनियमित जल संचालन हो सकता है। यह बारिश के असमय और जल संचालन के प्रबंधन में दोषपूर्ण तरीके से दिख सकता है, जिससे कपास की पत्तियों के रंग में बदलाव आ सकता है।


कपास में लाल्या रोग के लक्षण | Symptoms' of leaf reddening in cotton -

1. लाल पत्तियां: इस रोग के मुख्य लक्षणों में सबसे प्रमुख हैं, पत्तियां जो सामान्य तौर पर हरा होती हैं, अचानक लाल हो जाती हैं।

2. पत्तियों की सूखना: लाल्या रोग के प्रकोप से पत्तियों पूर्ण रूप से सुख जाती हैं जिससे वो खराब दिखती हैं। 

3. पत्तियों का गिरना: इस रोग के कारण कपास की पत्तियों का गिरना शुरू हो जाता है जिससे पौधों की वृद्धि प्रभावित होती हैं।  

4. फूलों पर प्रभाव: लाल्या रोग के प्रकोप से कपास के फूल झड़ने लगते है जिससे कपास की टिंडों की संख्यां कम होती हैं।  

5. कपास के पौधों की वृद्धि - कपास में लाल रोग के कारण पौधों की वृद्धि रुक जाती हैं जिस कारण उत्पादन में प्रभाव पड़ता हैं।  

6. पत्तियों के बीच बदलाव: रोग के प्रसारण के साथ, पत्तियों के बीच में बदलाव दिख सकता है, जैसे कि दागों की संख्या और आकार में.

7. फूलों की खराब गुणवत्ता: फूलों की गुणवत्ता में भी कमी हो सकती है, जिससे उपज कम हो सकती है.

8. कपास के टिन्डो का ख़राब होना - इस रोग के कारण कपास के बॉल पर लाल धब्बे दिखाई देते और रोग बढ़ने पर पूर्ण रूप से ख़राब हो जाते है। इस समस्या के कारण कपास पूर्ण रूप से नहीं निकलता है जिस कारण 60% तक उत्पादन के प्रभाव दिखाई देता हैं।  


कपास में लाल्या रोग का नियंत्रण | Control measures of leaves reddening in cotton -

1. अच्छी किस्मों का चयन करें: -विशेष रूप से कपास के पौधों को लाल्या रोग से प्रतिरोधी और प्रतिकूल जैव प्रकृति की किस्मों का चयन करें। जैसे कि बीटी (Bt) कपास, जो की कीटों के खिलाफ प्रतिरोधी होती है।

2. फसल चक्र अपनाएं - कपास में लाल्या रोग के प्रसार को कम करने के लिए फसल चक्र अपनाना महत्वपूर्ण है। कपास की समान पौधों के साथ समय-समय पर अन्य प्रकार की फसलें उगाने से कीटों और रोगों के प्रसार को रोका जा सकता है।

3. समय पर सिचाई करें - समय पर सिचाई करने से पौधों को उचित मात्रा में पानी मिलता है, जिससे वे स्वस्थ रहते हैं और लाल्या रोग के प्रति प्रतिरोधी बनते हैं।

4. समय पर खाद प्रबंधन - कपास की पौधों को समय-समय पर उचित खाद दें, ताकि वे स्वस्थ रहें और रोगों के खिलाफ प्रतिरक्षा कर सकें।

5. जैविक खाद प्रबंधन: - जैविक खादों का प्रयोग करें, जैसे कि गोबर, जीवाणु खाद, या वर्मीकॉम्पोस्ट, ताकि मिट्टी की स्वस्थता बनी रहे और पौधों को पोषण मिले।


कपास में लाल पत्ती की समस्या आने पर करें फसल पर छिड़काव | Reddening of cotton management -

1. कपास में लाल पत्ती की समस्या दिखते ही आप को महाधन 19:19:19 - 5 ग्राम/लीटर + आनंद एग्रो  इंस्टैचियल मैग्नीशियम 6% ईडीटीए चिलेटेड 1 ग्राम/लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करें।  

2. या फिर आप जियोलाइफ नैनो मैग्नीशियम  0.33 ग्राम/लीटर + इफको नैनो यूरिया  2 मिली/लीटर पानी डाल कर फसल पर छिड़काव करें।  


कपास में लाल्या रोग दिखते ही ये खाद डाले | reddening in cotton - 

1. यूरिया - 30 किलो/एकड़ 

2. DAP खाद - 40 किलो/एकड़ 

3. सल्फर मिल्स टेक्नो-जेड सल्फर 67% + जिंक 14% माइक्रोग्रेन्युल - 4 किलो/एकड़ 

4. मैग्नीशियम सल्फेट - 4 किलो/एकड़ 

5. धानुका धनजाइम गोल्ड ग्रेनुअल -  4 किलो/एकड़ 

6. नोट - इन सभी उर्वरक को एक साथ मिलकर फसल की जड़ों के 5 इंच दूर डाले।  


जैविक उर्वरकों से करें कपास में लाल्या रोग का नियंत्रण | Organic control of red cotton leaf -

1. डॉ बैक्टोज नाइट्रस, एज़ोस्पिरिलम स्पेसिज - 2 मिली/लीटर पानी और डॉ. बैक्टो बैक्टोरिजा 0.5 ग्राम/लीटर पानी में डाल कर पौधों की ड्रेंचींग करें या ड्रिप से चलाएं।  

2. या फिर इंडियन फार्मर कंपनी (IFC) NPK बैक्टीरिया (100% जैविक, जैव-उर्वरक) - 5 ग्राम/लीटर और डॉ. बैक्टोस फ्लूरो-स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस - जैव कवकनाशी 2 मिली/लीटर और आईएफसी माइकोराइजा ग्रोथ वाम (वेसिकुलर अर्बुस्कुलर माइकोराइजा) - 0.6 ग्राम/लीटर पानी  डाल कर पौधों की ड्रेंचींग करें या ड्रिप से चलाएं।  


Conclusion | सारांश -  

कपास की पत्तियों पर लालपन कई कारणों से हो सकता है, जैसे पर्यावरणीय तत्वों के प्रभाव, पोषक तत्वों की कमी, कीट प्रकोप, और फसल के विकास के चरणों में बदलाव। यह समस्या किसानों के लिए महत्वपूर्ण होती है, जिसे 'लाल्या रोग' leaf reddening in cotton के नाम से भी जाना जाता है। इस समस्या के नियंत्रण के लिए उपयुक्त खाद, समय पर सिचाई, और जैविक उपायों का प्रयोग किया जा सकता है। बेहतर फसल प्रबंधन और ज्ञान से, किसान इस समस्या का समाधान प्राप्त कर सकते हैं और कपास की फसल के प्रति उनकी उत्सुकता बनाए रख सकते हैं।


 FAQ | बार - बार पूछे जाने वाले सवाल -  

 

1. प्रश्न:  मेरे कपास के पत्ते लाल क्यों हो रहे हैं? 

उत्तर: कपास के पत्तों का लाल होना एक संकेत हो सकता है कि यह लाल्या रोग के प्रकोप का परिणाम हो सकता है, जिसके कारण पत्तियों का रंग बदल जाता है।

2. प्रश्न: जब पौधे के पत्ते लाल हो जाते हैं तो इसका क्या मतलब है?

उत्तर: पौधों के पत्तों का लाल हो जाना एक संकेत हो सकता है कि यह पौधा किसी प्रकार के रोग, कीट, पोषण की कमी हो सकता है। इसका अर्थ हो सकता है कि पौधा को सही देखभाल और नियंत्रण की आवश्यकता हो सकती है।

3. प्रश्न: पौधे लाल क्यों दिखाई देते हैं?

उत्तर: पौधों के लाल हो जाने का कारण आमतौर पर खराब मौसम, रोग, कीटों का प्रकोप, या पोषण की कमी हो सकती है। यह इस पौधे के स्वास्थ्य समस्याओं का संकेत हो सकता है जो उसके प्रकोप से जुड़े हो सकते हैं।

4. प्रश्न: पौधों की पत्ती लाल होने का कारण क्या है?

उत्तर: पौधों की पत्तियों का लाल होने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे कीट प्रकोप, रोग, पोषण की कमी, बारिश के अनियमित होने, जल प्रबंधन की गलत तरीके से किये जाने, या वायरसों का प्रकोप।

5. प्रश्न: कपास में पोटाश कब देना चाहिए?

उत्तर: कपास को पोटाश की आवश्यकता बुआई के समय और फूलने के समय होती है, आमतौर पर बुआई के बाद 4-6 सप्ताह के बाद और फिर जब पौधों में फूल खिलने लगते हैं।


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भारतअ‍ॅग्री कृषि डॉक्टर


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