leaf curl of chilli

leaf curl of chilli: मिर्च के पर्णकुंचन/कुकड़ा रोग की संपूर्ण जानकारी

किसान भाइयों नमस्कार, स्वागत है BharatAgri Krushi Dukan वेबसाइट पर। इस ब्लॉग में, हमने मिर्च में वायरस रोग के कारण, लक्षण, नियंत्रण के उपाय, जैविक नियंत्रण, और कीटनाशकों के बारे में विस्तार से चर्चा की है। इन जानकारियों के साथ, किसान इस बीमारी के खिलाफ प्रैक्टिकल उपायों को अपना सकते हैं और अपनी मिर्च की फसल को सुरक्षित रख सकते हैं।

मिर्च की फसल में पर्णकुंचन/कुकड़ा leaf curl of chilli रोग एक वायरस के कारण होने वाली बड़ी बीमारी है जो दुनिया भर में कई प्रमुख फसलों को प्रभावित करती है। इस रोग का कारण सफेद मक्खी (बेमिसिया टेबेसी) होती है, जो वायरस को फैलाती है। यह chilli virus कई पौधों पर हमला करता है, जैसे कि कपास, पपीता, टमाटर, भिंडी, मिर्च, शिमला मिर्च, और तंबाकू। किसानों को इस बीमारी से बड़ा आर्थिक नुकसान होता है।


मिर्च लीफ कर्ल वायरस का प्रकोप | Chili Leaf Curl Disease -

1. पर्णकुंचन रोग Chilli Virus का प्रकोप आमतौर पर बुआई के बाद करीब 45-55 दिनों के बाद जून के अंत में होता है और फिर जुलाई में तेजी से फैलता है। 

2. अगस्त में रोग की प्रगति धीमी हो जाती है और अक्टूबर के मध्य तक लगभग रुक जाती है। 

3. इस बीमारी की पहचान का एक विशेष लक्षण होता है, जिसमें पौधों की युवा ऊपरी पत्तियों पर छोटे शिरा जैसे मोटे हो जाते हैं (इसे SVT कहा जाता है)। 

4. पत्तियों के ऊपर या नीचे की ओर मोड़ने के बाद, पत्तियों का मोटा हो जाना और फिर कप के आकार की पत्तियों के लैमिनर का बन जाना, पत्तियों के अग्रभाग पर शिरापरक ऊतक (पत्तीदार इकाइयाँ) की वृद्धि होना इस रोग की खासियत है। 

5. chilli virus का प्रकोप 10-18 दिन तक होता है या फिर ज्यादा भी हो सकता हैं ।


कुकड़ा रोग से मिर्च में नुकसान | Chilli Virus Disease -

मिर्च की फसल में, इस रोग से सबसे अधिक 80% तक  नुकसान होता है। इस रोग का प्रसार वायरस द्वारा होता है, जिसको सफेद मक्खी द्वारा किया जाता है। ये सफेद मक्खी अपनी लार के माध्यम से या संपर्क के माध्यम से एक स्थान से दूसरे स्थान पर इस रोग को फैलाती हैं। इसे विभिन्न क्षेत्रों में "चुरड़ा-मुरड़ा रोग" या "माथा बंधना रोग" के नाम से भी जाना जाता है।


मिर्च में चुरड़ा-मुरड़ा रोग | chilli mosaic virus -

चुरड़ा-मुरड़ा वायरस रोग, मिर्च पौधों के लिए भारत में एक हानिकारक वायरस जनित बीमारी है। इस बीमारी के प्रकोप के बाद मिर्च के पौधों की पत्तियां मुड़ने लगती हैं और फिर पौधों में फल नहीं लगते हैं। अगर कोई फल भी लगता है, तो वह विकृत होते हैं। यदि इस बीमारी का प्रसार हो जाता है, तो पौधों का विकास रुक जाता है और कोई भी फल नहीं बनते हैं। इस बीमारी का प्रकोप आमतौर पर मानसून या खरीफ में होता है, क्योंकि खरीफ में उच्च तापमान और आर्द्रता होती है, जिसके कारण सफेद मक्खी की संख्या बढ़ जाती है।


मिर्च में लीफ कर्ल वायरस के लक्षण | Symptoms of Leaf Curl Virus in Chilli -

1. पत्तियों का ऊपरी ओर मुड़ना: पर्णकुंचन रोग के प्रमुख लक्षणों में से एक है, पत्तियों का ऊपरी ओर मुड़ना। पत्तियों के किनारों की ओर से शुरू होकर, यह मुड़ना या सिकुड़ना पत्तियों के विकास के दौरान दिखाई देता है।

2. पत्तियों का मोटा होना: leaf curl in chilli बीमारी के प्रसार के साथ, पत्तियां मोटी हो जाती हैं और उनका सामान्य आकार से बाहर निकलने लगता है।

3. पत्तियों के एसवीटी या छोटे शिरा: पर्णकुंचन रोग के पत्तियों पर छोटे शिरा मोटे हो जाते हैं, जिन्हें एसवीटी कहा जाता है। इन एसवीटी के कारण पत्तियां कुंचित दिखती हैं।

4. पत्तियों के ऊपरी और नीचे की ओर मुड़ना: यह लक्षण भी होता है कि पत्तियां ऊपरी और नीचे की ओर मोड़ जाती हैं, जिससे उनका आकार विकृत हो जाता है।

5. पत्तियों की वृद्धि में रुकावट: मिर्च में कुकड़ा रोग के प्रसार के बाद, पत्तियों की सामान्य वृद्धि में रुकावट हो सकती है और उनकी विकास प्रभावित होती है।  

6. पत्तियों के अग्रभाग पर शिरापरक ऊतक: इस बीमारी के कारण, पत्तियों के अग्रभाग पर शिरापरक ऊतक (पत्तीदार इकाइयां) का बढ़ना देखा जा सकता है।

7. पत्तियों के रंग में परिवर्तन: पत्तियों का रंग असामान्य हो सकता है और वे सामान्यत: मोटी और पीले रंग की होती हैं।

8. फूलों की संख्या में कमी: Leaf curl virus रोग के प्रकोप के बाद, मिर्च के पौधों पर फूलों की संख्या में कमी देखी जा सकती है।

9. फूलों का अविकसन: फूलों का अविकसन (फूलों की आकृति में विकृति) दिख सकता है, जो पर्णकुंचन रोग के पत्तियों के परिवर्तित आकार के साथ होता है।

10. फूलों की गंध: पर्णकुंचन रोग के प्रकोप के साथ, फूलों की गंध असामान्य हो सकती है और यह आम गंध से भिन्न होती है।

11. फलों का नहीं बनना: Chilli mosaic virus के प्रकोप के बाद, मिर्च के पौधों पर फल नहीं लग सकते हैं, और अगर लगते हैं, तो वे अविकृत हो सकते हैं।

12. पौधों का विकास रुक जाना: Chilli virus disease  के प्रसार के बाद, पौधों का विकास रुक सकता है और पौधों की वृद्धि  में कमी होती हैं।  

13. पत्तियों का ढीले हो जाना: वायरस से प्रभावित पत्तियों में कंपन/विकृति हो सकती है और वे ढिले हो सकते हैं, जिससे पौधों का सामान्य रूप से बौने दिखाई देते हैं।  

14. पत्तियों का सूखना: कुकड़ा रोग के प्रकोप के बाद, मिर्च की पत्तिया सूख जाती है, जिससे पौधों का स्वस्थ विकास बाधित होता है।

15. विकृत फल: मिर्च की फसल में अगर फल बनते हैं, तो वे विकृत हो सकते हैं और उनका आकार सामान्यत: से अलग हो सकता है।


मिर्च में वायरस का नियंत्रण | Virus control in chilli -

1. स्वस्थ पौधों का चयन: सुरक्षित बुआई के लिए स्वस्थ पौधे चुनें, जो वायरस से पूरी तरह से मुक्त हैं।

2. सफाई और स्वच्छता: मिर्च के पौधों के चारों ओर की सफाई और स्वच्छता का ध्यान रखें, ताकि कीटों और वायरस का प्रसार नहीं हो सके।

3. समय पर बुआई: मिर्च में वायरस के प्रसार के खतरे को कम करने के लिए मिर्च की बुआई समय पर करें, ताकि वायरस गर्भित पौधों पर पहुंचने का मौका न मिले।

4. वायरस संभावित पौधों को नष्ट करें: यदि किसी पौधे पर वायरस के लक्षण दिखाई देते हैं, तो उन्हें तुरंत नष्ट कर दें, ताकि रोग फैलने से बचा जा सके।

5. फसल चक्र का पालन करें: यदि संभावना हो कि मिर्च की फसल में वायरस हो सकता है, तो फसल चक्र का पालन करें, जिससे वायरस के फैलाव को कम किया जा सकता है।

6. कीट प्रबंधन: रस चूसक कीटों को नियंत्रित करने के लिए प्रभावी कीट प्रबंधन की तकनीकों का उपयोग करें, क्योंकि चूसक कीट वायरस के प्रसार का माध्यम बन सकती हैं।

7. प्रतिरोधी किस्मों का चयन: वायरस से प्रभावित न होने वाली मिर्च किस्मों का चयन करें, जिन्हें वायरस के खिलाफ प्रतिरक्षा हो सकती है।

8. जीवाणुरोधी उपाय: वायरस से बचाव के लिए जीवाणुरोधी उपायों का उपयोग करें, जैसे कि फाइटोप्लॉक्सीगेनिक सेडिमेंट्स (एफएस) और वायरस से प्रतिरक्षा वाले किस्मों का चयन करें।



मिर्च में वायरस नियंत्रण के जैविक उपाय | Biological control virus in chilli -

1. फलस में चूसक कीटों के नियंत्रण के लिए आप को आईएफसी - स्टिकी ट्रैप (10 पीले और 10 नीले ट्रैप) - 1 सेट प्रति एकड़ लगाना होगा। 

2. आईएफसी नीम 10000 जैव-कीटनाशक (नीम तेल 10000 पीपीएम, 1% ईसी) - 1.6 मिली प्रति लीटर पानी डाल कर फसल में छिड़काव करें।  

3. डॉ. बैक्टोज़ ब्रेव-ब्यूवेरिया बैसियाना, जैव कीटनाशक - 2.6 मिली/लीटर पानी में डाल कर फसल में छिड़काव करें।  (या फिर आप)

4. डॉ. बैक्टोस वर्टिगो जैविक कीटनाशक (वर्टिसिलियम लेकानी) - 2.6 मिली/लीटर पानी में डाल कर फसल में छिड़काव करें। 


मिर्च में पर्णकुंचन/कुकड़ा रोग का नियंत्रण | leaf curl of chilli control pesticides -

1. धानुका फैक्स (फिप्रोनिल 5% एससी): 400 मिलीग्राम को 150 - 200 लीटर पानी में घोल कर प्रति एकड़ फसल में छिड़काव करें। (या फिर आप)

2. धानुका अरेवा (थियामेथोक्सम 25% डब्ल्यूजी): 80 ग्राम को 150 - 200 लीटर पानी में घोल कर प्रति एकड़ फसल में छिड़काव करें। (या फिर आप)

3. बायर कॉन्फिडोर (इमिडाक्लोप्रिड 200 एसएल): 100 मिलीग्राम को 150 - 200 लीटर पानी में घोल कर प्रति एकड़ फसल में छिड़काव करें। (या फिर आप)

4. पीआय ओशीन (डिनोटेफुरान 20% एसजी): 80 - 100 ग्राम को 150 - 200 लीटर पानी में घोल कर प्रति एकड़ फसल में छिड़काव करें। (या फिर आप)

5. धानुका जैपैक (थियामेथोक्सम 12.6% + लैम्ब्डा साइहलोथ्रिन 9.5% ZC): 80 मिलीग्राम को 150 - 200 लीटर पानी में घोल कर प्रति एकड़ फसल में छिड़काव करें। (या फिर आप)

6. बायर लेसेंटा - इमिडाक्लोप्रिड 40% + फिप्रोनिल 40% डब्ल्यूडब्ल्यू डब्ल्यूजी (80 WG): 60 ग्राम को 150 - 200 लीटर पानी में घोल कर प्रति एकड़ फसल में छिड़काव करें। (या फिर आप)

7. बायर जंप (फिप्रोनिल 80% डब्ल्यूजी): 40 - 50 ग्राम को 150 - 200 लीटर पानी में घोल कर प्रति एकड़ फसल में छिड़काव करें। 


Conclusion | सारांश -  

मिर्च की फसल में पर्णकुंचन/कुकड़ा रोग leaf curl of chilli एक बड़ी बीमारी है जिसका कारण सफेद मक्खी है, जो वायरस को फैलाती है। यह रोग कई पौधों को प्रभावित करता है, और किसानों को नुकसान पहुंचा सकता है। इसके नियंत्रण के लिए जैविक उपायों का उपयोग करना और जैविक उपायों में आईएफसी, नीम, डॉ. बैक्टोज ब्रेव-ब्यूवेरिया, और डॉ. बैक्टोस वर्टिगो का उपयोग किया जा सकता है। स्वस्थ पौधों का चयन करना, और सही कीटनाशकों का प्रयोग करना महत्वपूर्ण है, उपयोग किए जाने वाले कीटनाशकों में धानुका फैक्स, धानुका अरेवा, बायर कॉन्फिडोर, पीआय ओशीन, धानुका जैपैक, बायर लेसेंटा - इमिडाक्लोप्रिड, और बायर जंप शामिल हैं।। किसानों को बुआई समय पर करने, सफाई और स्वच्छता का ध्यान रखने की आवश्यकता है। इसके अलावा, विभिन्न प्रतिरोधी किस्मों का चयन करके वायरस के प्रसार को कम किया जा सकता है।


 FAQ | बार - बार पूछे जाने वाले सवाल -  

 

1. मिर्ची के पौधे को वायरस से बचाने के लिए क्या करना चाहिए?

जवाब - मिर्ची के पौधों को वायरस से बचाने के लिए स्वस्थ पौधे चुनें और समय पर बुआई करें। साथ ही, कीट प्रबंधन के उपायों का भी पालन करें।

2. मिर्ची में वायरस के लिए कौन सी दवाई दी जाती है?

जवाब - मिर्ची में वायरस के खिलाफ कुछ प्रमुख दवाएं शामिल हैं, जैसे कि धानुका फैक्स (फिप्रोनिल), धानुका अरेवा (थियामेथोक्सम), बायर कॉन्फिडोर (इमिडाक्लोप्रिड), पीआय ओशीन (डिनोटेफुरान), धानुका जैपैक (थियामेथोक्सम और लैम्ब्डा साइहलोथ्रिन), बायर लेसेंटा - इमिडाक्लोप्रिड और फिप्रोनिल, और बायर जंप (फिप्रोनिल)। इन दवाओं को प्रति एकड़ फसल में छिड़काव करने के लिए उपयोग किया जा सकता है।

3. मिर्ची में वायरस के लिए पहला स्प्रे कौन सा करें?

जवाब - मिर्ची में वायरस के खिलाफ पहला स्प्रे जब पौधों पर वायरस के लक्षण दिखाई देते हैं, तो किया जाना चाहिए। मिर्ची में वायरस के खिलाफ पहला स्प्रे करने के लिए धानुका फैक्स (फिप्रोनिल) या धानुका अरेवा (थियामेथोक्सम) का उपयोग किया जा सकता है। 

4. मिर्च की पत्ती मुड़ जाती है क्या दवा डालें?

जवाब - मिर्च की पत्तियों के मुड़ने के लक्षण वायरस के संकेत हो सकते हैं, इसके लिए आप को बायर कॉन्फिडोर (इमिडाक्लोप्रिड 200 एसएल): 100 मिलीग्राम को 150 - 200 लीटर पानी में घोल कर प्रति एकड़ फसल में छिड़काव करना चाहियें।  

5. मेरे मिर्च के पौधे के पत्ते नीचे क्यों मुड़ रहे हैं?

जवाब - मिर्च की फसल में रस चूसक कीटों के प्रभाव से पत्तियां मुड़ने लगती हैं जिसके कारन मिर्च में वायरस का प्रभाव दिखाई देता हैं।  


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लेखक


भारतअ‍ॅग्री कृषि डॉक्टर

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