chia seed ki kheti

chia seed ki kheti: चिया की खेती की संपूर्ण जानकारी

किसान भाइयों नमस्कार, स्वागत है BharatAgri Krushi Dukan वेबसाइट पर। चिया की खेती (chia seed ki kheti) एक लाभकारी कृषि विकास का एक नया माध्यम बन रहा है, जिसमें चिया सीड्स की उत्पादनता में वृद्धि हो रही है। चिया का सेवन स्वास्थ्य के लाभ के लिए लोकप्रिय है, और इसकी खेती से किसानों को अच्छा मुनाफा हो रहा है। इस ब्लॉग में, हम चिया की खेती से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारी और निर्देश प्रदान करेंगे।


चिया की खेती के लिए तापमान - 

चिया की खेती के लिए सही तापमान का चयन अत्यंत महत्वपूर्ण है। सामान्यत: चिया के पौधों को ठंडे पहाड़ी इलाकों से बचाया जाना चाहिए, क्योंकि इसका पौधा उच्च तापमान की तुलना में ठंडे तापमान को पसंद करता है। देश के अधिकांश क्षेत्रों में, समय के अनुसार उचित तापमान मिलता है, जो चिया के सही विकास के लिए उपयुक्त है।


चिया की खेती के लिए मिट्टी का चयन - 

चिया की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी का चयन करना भी महत्वपूर्ण है। इसे हल्की भुरभुरी और सुरक्षित जल निकासी वाली मिट्टी में उगाया जा सकता है। भारत देश के अधिकांश क्षेत्रों में इस प्रकार की मिट्टी प्राप्त होती है, जिससे किसानों को अपनी खेतों की तैयारी में कोई कठिनाई नहीं होती है।


चिया के बीजों की बुआई और विधि - 

चिया की फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए बीजों की बुवाई और विधि पर ध्यान देना बहुत महत्वपूर्ण हैं - 

1. बुआई की विधि: - चिया सीड्स के बीजों की बुआई के लिए विशेष तकनीकों का उपयोग करना अत्यंत महत्वपूर्ण है, और यह एक सफल फसल की कुंजी है।

2. लाइनों में बुआई: बीजों को लाइनों में बोया जाता है, जिससे उन्हें आवश्यक जगह मिलती है और वे स्वस्थ रूप से उग सकते हैं। इससे फसल के विकास को सहारा मिलता है और बीजों का अच्छा उत्पादन होता है।

3. सिंचाई और नमी: बुआई के समय यदि खेत में नमी कम है, तो हल्की सिंचाई करना महत्वपूर्ण है। बीजों को 30 सेंटीमीटर की दूरी पर और 1.5 सेंटीमीटर की गहराई में बोना जाता है, जिससे उनका अच्छा अंकुरण हो सके।

4. बीजों का उपचार: बुआई से पहले बीजों को धानुका विटावैक्स फफूंदनाशक से 2.5 ग्राम/किलो की मात्रा में उपचारित किया जाता है, ताकि वे जड़ गलन जैसे रोगों से मुक्त रहें। बीजों की रोपाई के लिए अक्टूबर से नवंबर का महीना सबसे उपयुक्त होता है।


चिया के खेत की तैयारी | Chia Crop Fields Preparation -

चिया बीजों के उत्तम उत्पादन के लिए, एक सुषम और कुशल खेत तैयार करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस उद्देश्य को हासिल करने के लिए निम्नलिखित तकनीकों का अनुसरण किया जा सकता है:

1. आरंभिक जुताई के साथ मिट्टी पलटाईं: खेत की आरंभिक जुताई को मिट्टी पलटने वाले हल के साथ किया जाता है। यह सुनिश्चित करता है कि मिट्टी सही ढंग से मिश्रित होती है और खेत की सतह में नमी बनी रहती है।

2. कल्टीवेटर का उपयोग: इसके बाद, कल्टीवेटर का उपयोग करके खेत में दो या तीन बार जुताई करें। यह सुनिश्चित करता है कि मिट्टी अच्छे से फैली रहती है और बुआई के लिए तैयार है।

3. पाटा लगाएं और मिट्टी को बारीक करें: खेत में पाटा लगाने के बाद, मिट्टी को बारीक करने के लिए उपयुक्त औज़ारों का इस्तेमाल करें। यह सुनिश्चित करता है कि मिट्टी समतल और खेत की तैयारी अच्छे से हुई है।

4. बुवाई से पहले नमी की देखभाल: बुवाई से पहले, खेत में पलेव करके नमी की देखभाल करें। यह सुनिश्चित करेगा कि चिया बीजों को अच्छे से अंकुरित किया जा सकता है।


चिया की खेती में खाद और उर्वरक | Chia Crop Manure and Fertilizer -

मिट्टी का परीक्षण: चिया के खेत की मिट्टी को जाँचना अत्यंत महत्वपूर्ण है। उसमें उपयुक्त खाद और ऊर्वरक की मात्रा को निर्धारित करने के लिए मिट्टी का परीक्षण किया जाता है।

1. गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट: अच्छे उत्पादन के लिए, प्रति हेक्टेयर के खेत में लगभग 10 टन सड़ी गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट खाद मिलाएं। यह खाद मिट्टी को पोषण प्रदान करेगी और पौधों को सुरक्षित रखेगी।

2. N.P.K. उर्वरक: चिया के खेत में सामान्य उर्वरक (N.P.K.) को बारीकी से मिश्रित करना अत्यंत आवश्यक है। इसके लिए, प्रति हेक्टेयर के खेत में 40:20:15 के अनुपात में N.P.K. उर्वरकों की मात्रा का छिड़काव करें।

3. खाद का छिड़काव: बुवाई के बाद 30 से 60 दिनों के अंतराल में, सिंचाई के साथ खड़ी फसल पर नाइट्रोजन की दो बराबर मात्रा का छिड़काव करें। यह पौधों को विकसित करने में मदद करेगा और खाद्य संबंधित प्रदान करेगा।

4. नीम की खली: चिया सीड्स की ऑर्गेनिक खेती के लिए, नीम आयल और नीम की खली सर्वोत्तम उपाय हैं। इनसे खेत को स्वस्थ रखने में मदद होती है और पौधों को रोगों से सुरक्षित रखती हैं।


चिया फसल में  सिंचाई | Chia Crop Irrigation -

चिया की खेती में पौधों की सही सिंचाई का ध्यान रखना एक महत्वपूर्ण पहलु है जो उत्तम उत्पादन की सुनिश्चिति करता है। यहां हम चिया सीड्स की सिंचाई के बारे में थोड़ी अधिक जानकारी प्रदान करेंगे।

1. पौधों की संवेदनशीलता: चिया के पौधे कमजोर हो सकते हैं, इसलिए सिंचाई के समय उन्हें विशेष संरक्षण की आवश्यकता होती है। पौधों को जल से सीधे संपर्क में न आने देने के लिए सिंचाई का प्रबंधन करना महत्वपूर्ण है।

2. भूमि की नमी की निगरानी: सिंचाई के समय, ध्यान देने वाली एक और महत्वपूर्ण बात है भूमि की नमी का संरक्षण। पौधों को ज्यादा पानी से बचाने के लिए, पहले से ही अच्छी तरह से नमी निकासी होती भूमि में चिया की बुवाई करना आवश्यक है।

3. सही सिंचाई का माप: सिंचाई की मात्रा को सही माप में रखना बहुत जरूरी है। अधिक सिंचाई से पौधों को कमजोरी हो सकती है और उनका टूटने का खतरा बढ़ सकता है। सही सिंचाई स्तर को बनाए रखने के लिए सीधे पुनरावृत्ति वाली सिंचाई प्रणाली का उपयोग करें।


चिया के खेत में खरपतवार नियंत्रण | Chia Crop Weed Control -

चिया की खेती में निदाई - गुड़ाई का सही समय बहुत अहम है। बुवाई के 30-40 दिन बाद पहली गुड़ाई करना चाहिए, और फिर हर 30 दिन के अंतराल पर और दो बार गुड़ाई करना आवश्यक है। गुड़ाई के दौरान, फालतू पौधों को खेत से निकालना आवश्यक है। इससे चिया पौधों को पोषण मिलता है और खेत में एक स्वस्थ वातावरण बना रहता है।


चिया फसल की कटाई | Chia Crop Harvesting -

चिया सीड्स की खेती में सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है कटाई की प्रक्रिया। चिया के पौधे बुवाई के 110 से 115 दिनों में पूरी तरह से पककर कटाई के लिए तैयार होते हैं। इस दौरान, पौधों को धीरे-धीरे उखाड़ा जाता है, और उन्हें 5 से 6 दिनों तक सूखा लेने का समय मिलता है।


चिया फसल उत्पादन और लाभ | Chia crop prodcution -

एक एकड़ के खेत से लगभग 5 से 6 क्विंटल का उत्पादन होता है, जिससे किसान भाइयों को अच्छा मुनाफा होता है। चिया के बीजों की बाजार मूल्य भी प्रति किलो लगभग 1 हज़ार रुपये है, जिससे किसान एक एकड़ की फसल से 6 लाख तक कमा सकता है। यह एक लाभकारी खेती है, जिससे किसानों को आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है।


Conclusion | सारांश - 

किसान भाइयों इस ब्लॉग में आप को चिया फसल की सम्पूर्ण जानकारी  (chia seed ki kheti) के साथ बुवाई का समय, तापमान, मिट्टी , बीज दर, बुवाई की विधि, सिचाई, खाद प्रबंधन, खरपतवार नियंत्रण, फसल की कटाई और उत्पादन की सम्पूर्ण जानकारी दी हैं।  


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लेखक | Author - 

भारतअ‍ॅग्री कृषि डॉक्टर

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