sangri ki kheti kaise kare

Sangri ki Kheti: सांगरी की खेती कम खर्चे में अधिक मुनाफ़े का फ़ॉर्म्युला

सांगरी की खेती एक ऐसा कृषि उद्यम है, जो कम खर्चे में अधिक मुनाफ़ा दिलाने का अनूठा फ़ॉर्म्युला साबित हो सकता है। सूखे और कठिन जलवायु वाले क्षेत्रों में भी सांगरी की पैदावार बहुत अच्छी होती है, जिससे किसान न्यूनतम निवेश में अधिक लाभ कमा सकते हैं। इस ब्लॉग में हम सांगरी की खेती के फायदों, सही तकनीकों, और बाजार में इसकी मांग के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे, ताकि आप भी कम लागत में अधिक मुनाफ़ा कमाने का यह फ़ॉर्म्युला अपना सकें।


सांगरी क्या है? What is Sangri?

खेजड़ी की कच्ची फलियों को सांगरी कहा जाता है। इन्हें हरी और सूखी दोनों अवस्थाओं में बाजार में बेचा जा सकता है। सांगरी फलियों का प्रयोग सब्जी और अचार में किया जाता है, खासकर राजस्थान के पारंपरिक पकवानों में। इसका सबसे प्रसिद्ध व्यंजन "पंचकूट" या "पंचमेल सब्ज़ी" है, जिसमें सांगरी को अन्य सूखी सब्जियों के साथ मिलाकर तैयार किया जाता है।

सांगरी न केवल स्वादिष्ट होती है, बल्कि पोषण से भी भरपूर होती है। कच्ची फलियों में प्रोटीन, विटामिन, और खनिज तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, जबकि पकी हुई फलियों में 8-15% प्रोटीन, 45% कार्बोहाइड्रेट, 8-15% शर्करा, और 9-12% रेशा होता है, जो स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी है। इसी कारण सांगरी की खेती सूखे और कठिन जलवायु वाले क्षेत्रों में भी एक महत्वपूर्ण कृषि गतिविधि बन गई है, जिससे किसान अच्छी आय प्राप्त कर सकते हैं।


सांगरी खेती के लिए उच्च वैरायटी -

सांगरी की खेती के लिए सही वैरायटी का चयन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे उत्पादन और गुणवत्ता दोनों पर असर पड़ता है। यहां कुछ उच्च वैरायटी के खेजड़ी के पेड़ बताए गए हैं, जिनसे बेहतर सांगरी फलियाँ प्राप्त की जा सकती हैं: के-1, के-2, के-13, के-16, के-17, थार शोभा, मारवाड़ सांगरी, और राज सांगरी आदि।


सांगरी की खेती के लिए सही तकनीक -

प्राकृतिक रूप से खेजड़ी के पेड़ों की बुवाई बीजों से की जाती है, लेकिन इन पेड़ों को फलियाँ देने में 10-12 साल लगते हैं। खेजड़ी के पौधों को ग्राफ्टिंग के जरिए 4-5 साल में फलियाँ मिल सकती हैं। इस विधि में, जुलाई-अगस्त के महीने में, अच्छे सांगरी देने वाले खेजड़ी के पेड़ की स्वस्थ और अच्छी टहनी को निकालकर, उसे अन्य पौधों पर ग्राफ्ट किया जाता है। ग्राफ्टेड पौधों में रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है और ये जल्दी फलियाँ देते हैं। इस प्रकार, किसान ग्राफ्टेड पौधों से तेजी से और अच्छी पैदावार वाली सांगरी की खेती कर सकते हैं।


सांगरी की खेती कैसे करें -

👉जमीन: सांगरी की खेती के लिए रेतीली, दोमट या बंजर भूमि उपयुक्त होती है। यह फसल कम उपजाऊ और शुष्क मिट्टी में भी अच्छी तरह उगाई जा सकती है।

👉जलवायु: सांगरी की खेती के लिए 45 डिग्री तापमान सबसे बेहतर है, और इसके पेड़ को कम से कम 75 मिलीमीटर से 450 मिलीमीटर तक वर्षा की आवश्यकता होती है।

👉बुवाई का समय: खेजड़ी की बुवाई मानसून के पहले या शुरुआती मानसून के दौरान, यानी जून से जुलाई के बीच करनी चाहिए। इस समय मिट्टी में नमी होती है, जिससे बीज जल्दी अंकुरित होते हैं और पौधे अच्छी तरह से विकसित हो सकते हैं।

👉भूमि की तैयारी: खेत को अच्छी तरह से जोतें ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए, जिससे पौधों की जड़ों को बढ़ने में आसानी हो। मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के लिए जैविक खाद, जैसे गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट, का उपयोग करें।

👉रोपाई: किसान भाइयों, आप एक बीघा में 65 ग्राफ्टेड पौधे लगा सकते हैं।

👉सिंचाई: सांगरी की खेती में सिंचाई की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, खासकर शुरुआती चरणों में। बुवाई के बाद, पौधों को जड़ पकड़ने के लिए नियमित रूप से हल्की सिंचाई करनी चाहिए। मानसून के मौसम में प्राकृतिक वर्षा से सिंचाई की आवश्यकता कम हो जाती है, लेकिन अगर बारिश कम हो, तो आवश्यकतानुसार सिंचाई करें।


सांगरी की खेती से कमाएं लाखों रुपये -

खेजड़ी के पेड़ से मिलने वाली सांगरी एक महत्वपूर्ण और लाभदायक फसल है। सांगरी का बाजार भाव 800 से 1200 रुपये प्रति किलोग्राम के बीच होता है, जिससे किसान अच्छी आय अर्जित कर सकते हैं। इसके अलावा, खेजड़ी के पेड़ से मिलने वाली लूंग, लकड़ी, और अन्य उपज भी अतिरिक्त आय का स्रोत बनती हैं। एक बीघा भूमि पर लगभग 65 ग्राफ्टेड पौधे लगाए जा सकते हैं, जिससे प्रति वर्ष करीब 6 क्विंटल सांगरी, 40 क्विंटल लूंग, और बड़ी मात्रा में छड़ी का उत्पादन संभव है। यह किसानों के लिए एक स्थिर और लाभदायक खेती का विकल्प है।


सारांश -

सांगरी की खेती कम लागत में अधिक मुनाफ़ा दिलाने वाला एक सफल कृषि उद्यम है, जो सूखे और कठोर जलवायु वाले क्षेत्रों के लिए विशेष रूप से उपयुक्त है। खेजड़ी के पेड़ से प्राप्त सांगरी, लूंग, और लकड़ी जैसी उपज किसानों को एक स्थिर आय का स्रोत प्रदान करती है। सही तकनीक, उपयुक्त वैरायटी का चयन, और वैज्ञानिक तरीके से की गई खेती न केवल उत्पादन को बढ़ाती है, बल्कि किसानों को आर्थिक रूप से भी सशक्त बनाती है। सांगरी की बढ़ती मांग और इसके पोषण मूल्य को देखते हुए, इस खेती में निवेश करना एक समझदारी भरा कदम साबित हो सकता है।


अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. सांगरी कौन से पेड़ पर लगती है?
उत्तर: सांगरी की फलियाँ खेजड़ी के पेड़ पर लगती हैं।

2. सांगरी कहां उगाई जाती है?
उत्तर: सांगरी राजस्थान की रेतीली मिट्टी में उगाई जाती है।

3. सांगरी कैसे उगाई जाती है?
उत्तर: सांगरी बीज द्वारा उगाई जाती है और बाद में, अच्छी सांगरी देने वाले पौधों से ग्राफ्टिंग करके पौधा विकसित किया जाता है।

4. सांगरी को इंग्लिश में क्या कहते हैं?
उत्तर: सांगरी को इंग्लिश में "डेज़र्ट बीन्स" (Desert Beans) कहा जाता है।

5. खेजड़ी के पेड़ में सांगरी कब आती है?
उत्तर: खेजड़ी के ग्राफ्टेड पौधे में 4-5 सालों में सांगरी आने लगती है।



लेखक

BharatAgri Krushi Doctor


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