misrit kheti in hindi

Mishrit Kheti: मिश्रित खेती से अधिक उत्पादन और ज्यादा आय का राज

दोस्तों नमस्कार, आज भारतअ‍ॅग्री के माध्यम से जानें मिश्रित खेती की सम्पूर्ण जानकारी और इसके लाभ, प्रकार और फसलों का चयन । यह एक कृषि पद्धति है जिसमें विभिन्न प्रकार की फसलें और पशुपालन को एक साथ किया जाता है। यह विधि किसानों के लिए लाभदायक होती है क्योंकि इससे भूमि का अधिकतम उपयोग होता है और कृषि जोखिम कम होते हैं। मिश्रित खेती में विभिन्न प्रकार की फसलें उगाई जाती हैं और साथ ही पशुपालन भी किया जाता है, जिससे किसान की आमदनी में वृद्धि होती है। 


मिश्रित खेती क्यों की जाती है

मिश्रित खेती करने के कई फायदे हैं। यह किसानों को विविधता प्रदान करती है जिससे एक ही समय में विभिन्न उत्पादनों की प्राप्ति होती है। इससे फसल उत्पादन में जोखिम कम होता है और किसानों को निरंतर आमदनी मिलती है। मिश्रित खेती में विभिन्न फसलों और पशुओं की देखभाल एक साथ की जाती है, जिससे समय और श्रम की बचत होती है।


कैसे होती है मिश्रित खेती

मिश्रित खेती में किसान विभिन्न प्रकार की फसलों को एक साथ उगाते हैं और साथ ही पशुपालन भी करते हैं। उदाहरण के तौर पर, एक खेत में धान और मक्का उगाने के साथ-साथ मवेशियों को भी पाला जा सकता है। इससे फसल अवशेषों का उपयोग पशुओं के चारे के रूप में किया जा सकता है और पशुओं से प्राप्त खाद का उपयोग फसलों के लिए किया जा सकता है।


भारत में मिश्रित खेती कहां प्रचलित है

भारत में मिश्रित खेती का प्रचलन मुख्यतः उन क्षेत्रों में है जहां भूमि की उर्वरता कम है और किसान अपनी आमदनी को बढ़ाने के लिए विभिन्न प्रकार की फसलों और पशुपालन का सहारा लेते हैं। इसके अलावा मिश्रित खेती उत्तरी और दक्षिणी भारत के कई राज्यों में प्रचलित है, जैसे कि पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु।


खेती करने का सही समय और मौसम

मिश्रित खेती करने का समय और मौसम फसलों और पशुओं की आवश्यकताओं पर निर्भर करता है। सामान्यतः खरीफ और रबी मौसम में मिश्रित खेती की जाती है। खरीफ मौसम में मानसून के दौरान धान, मक्का और सोयाबीन जैसी फसलें उगाई जाती हैं, जबकि रबी मौसम में गेहूं, जौ और चना जैसी फसलें उगाई जाती हैं। पशुपालन के लिए पूरे साल का समय उपयुक्त होता है, लेकिन चराई के लिए मानसून का समय सबसे अच्छा होता है।


मिश्रित खेती में किस फसल की बुआई करें 

मिश्रित खेती में फसल चयन महत्वपूर्ण है। किसान अपने क्षेत्र की जलवायु, मिट्टी की गुणवत्ता और जल उपलब्धता के आधार पर फसलों का चयन करते हैं। कुछ आम फसलें जो मिश्रित खेती में उगाई जाती हैं- 

👉खरीफ फसलें: धान, मक्का, ज्वार, बाजरा, मूंगफली, सोयाबीन

👉रबी फसलें: गेहूं, चना, सरसों, मसूर, मटर

👉सब्जियां: टमाटर, आलू, प्याज, गोभी, मिर्च

👉फलों की फसलें: केला, आम, पपीता, नींबू

(नोट - मिट्टी की उर्वरता और फसल की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए उपयोग करें - आईएफसी एनपीके बैक्टीरिया जैव उर्वरक का, फसल को दे सम्पूर्ण पोषण और उपज ले ज्यादा।) 

 

खेती के लिए मिट्टी और जलवायु

मिश्रित खेती के लिए विभिन्न प्रकार की मिट्टी और जलवायु उपयुक्त होती है। हल्की और दोमट मिट्टी में मिश्रित खेती की जा सकती है। इसके अलावा, मिश्रित खेती के लिए सामान्यतः उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु उपयुक्त होती है। बारिश के मौसम में जल निकासी की सुविधा वाली मिट्टी का चयन करना चाहिए।


मिश्रित खेती के प्रकार

1. फसल आधारित मिश्रित खेती: इसमें विभिन्न प्रकार की फसलों को एक साथ उगाया जाता है।

2. फसल-पशुपालन आधारित मिश्रित खेती: इसमें फसलों के साथ पशुपालन भी किया जाता है।

3. फसल-मत्स्य पालन आधारित मिश्रित खेती: इसमें फसलों के साथ मछली पालन किया जाता है।

4. फसल-वनस्पति आधारित मिश्रित खेती: इसमें फसलों के साथ फल और सब्जियों की खेती की जाती है।

5. समानांतर मिश्रित खेती: इसमें एक ही खेत में समानांतर पंक्तियों में विभिन्न फसलों की बुआई की जाती है।

6. एकीकृत मिश्रित खेती: इसमें मुख्य फसल के साथ-साथ सहायक फसलों की भी बुआई की जाती है, जैसे गेहूं के साथ चना और सरसों।


खेती की विशेषताएँ और लाभ

1. इस खेती से एक ही खेत से अधिक फसलों की पैदावार होती है।

2. यह खेती मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने में सहायक।

3. इसकी खेती आसानी से विभिन्न जलवायु परिस्थितियों में की जा सकती है और ज्यादा उत्पादन लिया जा सकता है।  

4. मिश्रित खेती करने से कीटों और रोगों का प्रभाव फसल पर बहुत कम होता है।  

5. इस खेती से एक ही खेत से अधिक उत्पादकता और अधिक आय प्राप्त कर सकते है।  

6. यह खेती मिट्टी की गुणवत्ता को बनाए रखती है जिससे फसल की उत्पादकता में वृद्धि होती है।  

7. इस खेती के माध्यम से आप एक से ज्यादा फसलों की बुवाई एक साथ कर सकते है।  

8. इस खेती की विधि से फसल को सम्पूर्ण पोषण मिलता है और फसल स्वस्थ रहती है।  


(नोट - फसल को दे सभी पोषक तत्वों से भरपूर पोषण उपयोग करें - आईएफसी आल इन वन किट फसल पोषण किट का, और बढ़ाएं प्रति एकड़ ज्यादा उत्पादन। )


सारांश

1. मिश्रित खेती एक उत्कृष्ट कृषि प्रणाली है जो किसान को आर्थिक सुरक्षा, पोषण सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण प्रदान करती है। 

2. इसमें फसलों और पशुपालन का संतुलित मिश्रण होता है जो किसान की आय को बढ़ाने और मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने में सहायक होता है। 

3. भारत के विभिन्न क्षेत्रों में मिश्रित खेती प्रचलित है और इसे सही समय, मौसम, मिट्टी और जलवायु के अनुसार किया जाता है। 

4. विभिन्न प्रकार की फसलों और पशुओं को मिलाकर मिश्रित खेती किसान के लिए अधिक लाभकारी होती है।


अक्सर पूछे जानें वाले प्रश्न 

1. मिश्रित खेती क्या है?

उत्तर - मिश्रित खेती एक कृषि पद्धति है जिसमें विभिन्न प्रकार की फसलें और पशुपालन को एक साथ किया जाता है।

2. मिश्रित खेती के क्या लाभ हैं?

उत्तर - इससे भूमि का अधिकतम उपयोग होता है और कृषि जोखिम कम होते हैं।

3. मिश्रित खेती क्यों की जाती है?

उत्तर - यह किसानों को विविधता प्रदान करती है और निरंतर आमदनी मिलती है।

4. मिश्रित खेती कैसे की जाती है?

उत्तर - इसमें विभिन्न प्रकार की फसलों को एक साथ उगाया जाता है और साथ ही पशुपालन भी किया जाता है।

5. भारत में मिश्रित खेती कहां प्रचलित है?

उत्तर - पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु में प्रचलित है।

6. मिश्रित खेती के लिए सही समय और मौसम क्या है?

उत्तर - खरीफ और रबी मौसम में मिश्रित खेती की जाती है।

7. मिश्रित खेती में कौन-कौन सी फसलें उगाई जाती हैं?

उत्तर - खरीफ फसलें: धान, मक्का, सोयाबीन; रबी फसलें: गेहूं, चना; सब्जियां: टमाटर, आलू; फल: केला, आम।

8. मिश्रित खेती के लिए कौन सी मिट्टी और जलवायु उपयुक्त है?

उत्तर - हल्की और दोमट मिट्टी, उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु।

9. मिश्रित खेती के प्रकार क्या हैं?

उत्तर - फसल आधारित, फसल-पशुपालन आधारित, फसल-मत्स्य पालन आधारित, फसल-वनस्पति आधारित।

10. मिश्रित खेती की विशेषताएँ और लाभ क्या हैं?

उत्तर - अधिक फसल उत्पादन, मिट्टी की उर्वरता बनाए रखना, कीट और रोग कम होना, अधिक आय।


लेखक

BharatAgri Krushi Expert


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