बैंगन के प्रमुख रोग उनके लक्षण व निदान के बारे में जानें !

बैंगन के प्रमुख रोग उनके लक्षण व निदान के बारे में जानें !

बैंगन के प्रमुख रोग उनके लक्षण व निदान | Brinjal Disease control in hindi 

नमस्कार किसान भाइयों आज के लेख में हम बैंगन में लगने वाले प्रमुख रोगों के बारे में चर्चा करने वाले हैं। जैसा की आप जानते है भारत में बैगन की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। बैंगन की खेती के लिए गर्म जलवायु अच्छी मानी जाती है। अगर मिट्टी की बात करें तो अच्छे जीवाश्मयुक्त उपजाऊ मिट्टी जहाँ पर जलनिकास की सुविधा हो वहाँ पर बैंगन की खेती करना उत्तम माना जाता है। 

बैंगन की खेती करने वाले राज्य | Brinjal is grown in india 

अब अगर बैंगन की खेती (Brinjal farming) की बात करें तो पूरे भारत में की जाती हैं लेकिन प्रमुख रूप से इसकी खेती भारत के कुछ राज्यों जैसे- पश्चिमी बंगाल, उड़ीसा, कर्नाटक, बिहार, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश आदि राज्यों में प्रमुखता से की जाती है। 

बैंगन में शुरूआती अवस्था में लगने वाले प्रमुख रोग और उनका नियंत्रण 

किसान भाइयों बैंगन की फसल में यदि रोगों की बात करे तो फरवरी, मार्च और अप्रैल के मध्य लगने वाले कुछ रोगों के बारे में और उनके नियंत्रण के बारे में जानेंगे - 

बैंगन के प्रमुख रोग | Brinjal farming diseases in hindi 

अब हम बैंगन में लगने वाले अलग-अलग रोगों के पहचान और नियंत्रण के बारे में विस्तार से जानेंगे। 

जीवाणु उखटा रोग (Bacterial Wilt Disease)

बैगन की फसल में लगने वाला यह रोग स्यूडोमोनास सोलेनीसेरम नामक जीवाणु से होता है। बैंगन की फसल पर इस रोग का प्रकोप होने पर पौधों की पत्तियाँ का मुरझाना, पीलापन तथा पौधा अल्प विकसित होना और बाद में सम्पूर्ण पौधा मुरझा जाता है, बैंगन में जीवाणु उखटा रोगके कारण पहले पौधे की पत्तियाँ गिरती है फिर उसके बाद पौधे का संवहन तंत्र भूरा होकर सूख जाता है, इस रोग का मुख्य लक्षण शुरुआती अवस्था में तेज धूप में पौधा दोपहर के समय मुरझा जाता है और रात में फिर सही हो जाता है लेकिन बाद में पौधा पूरी तरह से समाप्त हो जाता है, इसलिए इस रोग का नियंत्रण तुरंत के तुरंत करना चाहिए। 

बैंगन में बैक्टीरियल विल्ट रोग नियंत्रण | Brinjal Bacterial Wilt disease Control - 

  • इस रोग के नियंत्रण के लिए रोको कवकनाशी (roko Fungicide) को 2-4 ग्राम/लीटर में मिलाकार ड्रिप या मिट्टी को भिगोना चाहिए। 
  • यदि रोग का प्रकोप ज्यादा हो तो साफ़ कवकनाशी (saaf fungicide uses) का 2 ग्राम + कासु-बी (कासुगामासीन 3% SL) 2 मिली/ लीटर में मिलाकार ड्रिप या मिट्टी को भिगोना चाहिए।
  • यदि अधिक संक्रमण हो तो धानुका कंपनी की कोनिका कवकनाशी (conika fungicide) को 300 ग्राम प्रति एकड़ पानी में मिलाकार ड्रिप या मिट्टी को भिगोना चाहिए। 

बैंगन उखटा रोग |  Brinjal Wilt Disease 

बैंगन की फसल में लगने वाला यह प्रमुख रोग है, इस रोग के शुरुआती अवस्था में पौधे के निचले पत्ते सूख कर मुरझाने लगते है एवं अधिक संक्रमण होने पर पूरा पौधा पूर्ण रूप से सूख कर मुरझा जाता है। यह बहुत तेजी से फैलने वाला रोग है। प्रभावित पौधों में यदि फल आ गए हैं तो वह पूरी तरह पकने से पहले ही सूख कर गिरने लगते हैं। यह रोग मिट्टी में अधिक नमी, जलजमाव की वजह से ज्यादा फैलता है तो इस रोग के लगने की अवस्था में नाइट्रोजन का उपयोग नहीं करना चाहिए। 

बैंगन में विल्ट रोग नियंत्रण | Brinjal fusarium wilt disease Control - 

  • इस रोग के नियंत्रण के लिए रोको कवकनाशी (थियोफैनेट मिथाइल 70% डब्लू / डब्लू) को 2-4 ग्राम प्रति लीटर में मिलाकार ड्रिप या मिट्टी को भिगोना चाहिए। 
  • यदि रोग का प्रकोप ज्यादा हो तो साफ़ कवकनाशी (saaf fungicide uses) का 2 ग्राम + कासु-बी (कासुगामासीन 3% SL) 2 मिली/लीटर में मिलाकार ड्रिप या मिट्टी को भिगोना चाहिए। 
  • यदि रोग का प्रकोप ज्यादा हो तो यूपीएल क्यूप्रोफिक्स (UPL Cuprofix fungicide) को 2 किग्रा/एकड़ को 200 लीटर पानी में मिलाकार ड्रिप या मिट्टी को भिगोना चाहिए। 
  • यदि आप बीज की बुवाई या रोपाई करने जा रहे हो तो उससे पहले बाविस्टिन कवकनाशी (Bavistin fungicide) को 2.5 से 3 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज या प्रति लीटर पानी में मिलाकर बीज को उपचारित करना चाहिए। 

बैगन का निमेटोड या सूत्रकृमि (Brinjal Nematode)

निमेटोड बैंगन की फसल में लगने वाली बहुत खतरनाक बीमारी है। यह फसल के शुरूआती अवस्था में ज्यादा खतरनाक होते हैं। निमेटोड या सूत्रकृमि के कारण जड़ों के ऊपर गांठे बन जाती हैं और पौधे का पोषक तत्व अवशोषण प्रक्रिया बाधित हो जाती हैं और जड़ो की गांठे फूलने लग जाती हैं। इस बीमारी के हमले से फसल का विकास रूक जाता है, पौधा पीला पड़ जाता है और पैदावार भी कम हो जाती है।

बैगन निमेटोड प्रबंधन उपाय (Brinjal Nematode Management Measures)

  • भूमि की तैयारी के समय बेसल खुराक के साथ नीम की खली 50 से 100 किलोग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से मिट्टी में डलवाना चाहिए। 
  • बैगन की फसल में बेसल डोज़ के साथ फुराडान 3जी या नागार्जुन फ्यूरी को 5 किलोग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से मिट्टी में डालें। 
  • बैंगन की फसल में निमेटोड प्रबंधन उपाय के लिए वेलम प्राइम (Velum prime Nematicide) एक क्रांतिकारी निमैंटीसाइड है जो रूट नॉट नेमाटोड (root knot nematode) के खिलाफ लंबे समय तक सुरक्षा प्रदान करता है। इसका उपयोग 2-2.5 मिली प्रति लीटर पानी या 250 - 300 मिली प्रति 200 लीटर पानी के हिसाब से प्रति एकड़ के हिसाब से उपयोग करना चाहिए। 

किसान भाइयों यदि गर्मियों में बैंगन की खेती (brinjal disease management in summer) के बारे में और रोग नियंत्रण आदि पर यह लेख पढ़कर कैसा लगा यह हमें कमेंट में बताना न भूलें और इस लेख को अपने अन्य किसान मित्रों के साथ भी शेयर करें। धन्यवाद 

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