bitter gourd in hindi

Bitter Gourd: करेले की खेती मात्र 50 दिन में 4 से 5 लाख की कमाई

किसान भाईयों, आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में अधिकतर लोग कम समय और कम लागत में ज्यादा पैसा कमाना चाहते हैं। लेकिन किस फसल की खेती से यह मुमकिन हो सकता है, यह एक बड़ा सवाल होता है। चिंता की बात नहीं, आज हम एक ऐसी फसल के बारे में चर्चा करेंगे जो कम लागत में अच्छा मुनाफा दे सकती है, वो है करेला की खेती। इसमें हम आपको करेला के लिए उचित जलवायु और मिट्टी, बेस्ट किस्में, बीज दर, उर्वरक, कीट और रोग नियंत्रण, तुड़ाई और उत्पादन से संबंधित सारी जानकारी देंगे। इन जानकारियों की मदद से आप सही समय पर खेती करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। तो आइए, शुरू करते हैं।


करेले की खेती का समय -

करेला की खेती गर्मी और बारिश दोनों ही मौसमों में की जा सकती है। गर्मी के मौसम में लागत थोड़ी अधिक होती है, लेकिन इससे होने वाला मुनाफा भी अच्छा रहता है। अगेती करेला बुवाई का उपयुक्त समय फरवरी से मार्च के बीच होता है, जिससे मई-जून में फसल तैयार हो जाती है। वहीं बारिश की फसल के लिए बुवाई जून-जुलाई में की जाती है, और इसकी उपज अगस्त-सितंबर तक प्राप्त होती है।


करेला की खेती के लिए सही मिट्टी और जलवायु:- 

आइए, नीचे दिए गए पॉइंट में करेला की खेती के लिए आवश्यक मिट्टी और जलवायु की जानकारी देखते हैं।

1. करेले को अच्छी जल निकासी वाली रेतीली से रेतीली दोमट मिट्टी, जो कार्बनिक पदार्थों से भरपूर हो, या मध्यम काली मिट्टी में भी उगाया जा सकता है। नदी के किनारे की जलोढ़ मिट्टी भी करेले के उत्पादन के लिए उत्तम मानी जाती है।

2. मिट्टी का पीएच 6.0 से 7.0 के बीच होना अनुकूल माना जाता है।

3. यह मुख्य रूप से उपोष्णकटिबंधीय और गर्म-शुष्क क्षेत्रों में उगाई जाने वाली एक गर्म मौसम की फसल है।

4. करेला हल्की ठंड के लिए अतिसंवेदनशील होता है, और सर्दियों के महीनों में इसे उगाने पर आंशिक सुरक्षा की आवश्यकता होती है।

5. करेले की फसल के लिए 24-27 डिग्री सेल्सियस का तापमान सबसे अनुकूल माना जाता है, और 18 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान पर बीज का सबसे अच्छा अंकुरण होता है।

6. करेले की वृद्धि के दौरान उच्च आर्द्रता फसल को विभिन्न कवक रोगों के प्रति अतिसंवेदनशील बना देती है।


करेले की खेती के लिए बेस्ट किस्में - 

किसान भाईयों, यहां नीचे दिए गए टेबल में करेला फ़ार्मिंग के लिए सर्वोत्तम किस्मों के नाम और उनकी विशेषताएँ जानेंगे।

क्र

किस्मों के नाम

विशेषताएँ 

1

ननहेम्स अमनश्री 

पहली तुड़ाई - 45 - 50 दिन बाद 

फल की लंबाई - 20 - 25 सेमी

रंग - गहरा हरा

2

वीएनआर युवराज 

पहली तुड़ाई - 45-50 दिन बाद

फल की लंबाई - 22-25 सेमी

रंग - गहरा हरा चमकदार 

सिंजेंटा अस्मिता 

पहली तुड़ाई - 50-55 दिन बाद

फल की लंबाई - 20-25 सेमी

6

ईस्ट वेस्ट प्रगति 065

पहली तुड़ाई - 50-55 दिन बाद

फल की लंबाई - 20-25 सेमी

5

हाईवेज राजा F 1 

पहली तुड़ाई - 40 दिन बाद

फल की लंबाई - 15-17 सेमी


खेती की तैयारी:

खेत की तैयारी के लिए मिट्टी की अच्छी तरह जुताई करें और उसमें 3-4 टन गोबर की खाद के साथ 2 लीटर कम्पोस्टिंग बैक्टीरिया मिलाएं। इसके बाद रोटावेटर चलाकर खेत की सतह को समतल करें।

करेले की बुवाई या पौधों की रोपाई के लिए पूर्व से पश्चिम दिशा में मेड़ तैयार करें। मेड़ की चौड़ाई 45-50 सेमी रखें, गहराई 25-30 सेमी होनी चाहिए, और एक मेड़ से दूसरी मेड़ की दूरी 6 फीट रखें। 

बीज दर और बीज उपचार - 

करेले की खेती के लिए बीज दर 300-350 ग्राम प्रति एकड़ है। यदि आप बीज की बुवाई कर रहे हैं, तो उसे उपचारित करना अत्यंत आवश्यक है। इसके लिए 2.5 ग्राम धानुका विटावॅक्स पॉवर प्रति किलो बीज का उपचार करें और बीज सूखने के बाद खेत में बुवाई करें। 

बुवाई करते समय इस बात का ध्यान रखें कि पौधे से पौधे की दूरी 2 फीट हो।

 

करेले की खेत के लिए उर्वरक की प्रति एकड़ मात्रा और समय

ड्रिप सिचाई द्वारा - बेसल खुराक - यूरिया 35 किलो + सल्फर 5 किलो + मैग्नीशियम सल्फेट 5 किलो + टाटा रैलिगॉल्ड 4 किलो एसएसपी 50 किलो + नीम केक 50 किलो / एकड़। 

ड्रिप द्वारा - कैल्शियम नाइट्रेट 5 किग्रा + बोरान 1 किग्रा/एकड़ महीने में एक बार प्रयोग करें।

फ्लड सिचाई द्वारा - बेसल खुराक - 18:46:00 - 100 किग्रा +पोटाश 50 किग्रा + रैलिगॉल्ड 4 किलो + सूक्ष्म पोषक तत्व 10 किलो + नीम केक 200 किलो +सल्फर 5 किग्रा + मैग्नीशियम सल्फेट 5 किग्रा / एकड़

बुआई के 30 दिन बाद - 10:26:26 - 50 किग्रा + माइक्रोन्यूट्रिएंट्स - 5 किग्रा + मैग्नीशियम सल्फेट 5 किग्रा + कैल्शियम नाइट्रेट 5 किग्रा + बोरॉन 500 ग्राम/ एकड़।

बुआई के 60 दिन बाद - 10:26:26 - 50 किलो  + कैल्शियम नाइट्रेट 5 किलो + बोरॉन 500 ग्राम/ एकड़


सिंचाई -

करेला फसल सूखा या पानी का ठहराव बर्दाश्त नहीं कर सकता। खेत की क्षमता के अनुसार अधिक उपज के लिए विशेष रूप से फलने की अवस्था में 2-5 दिनों के अंतराल पर बार-बार सिंचाई करना आवश्यक है। वर्षा ऋतु में खेत की क्षमता के अनुसार सिंचाई के लिए 10 दिनों का अंतराल रखना चाहिए।


करेला की फसल में कीटों की समस्या -

कीटों की समस्या 

कीटनाशक का नाम 

उपयोग मात्रा 

सफेद मक्खी माहू, थ्रीप्स, 

यूपीएल उलाला कीटनाशक  

60 ग्राम प्रति एकड़ 

धानुका फैक्स कीटनाशक 

300 मिली प्रति एकड़ 

फल मक्खी 

डेलिगेट कीटनाशक 

150 मिली प्रति एकड़ 

एफएमसी कोराजन कीटनाशक 

60 मिली प्रति एकड़ 

लीफ माइनर

सिंजेटा अलिका कीटनाशक 

80 मिली प्रति एकड़ 

मकड़ी 

बायर ओबेरॉन कीटनाशक

150 मिली प्रति एकड़ 

कैटरपिलर 

धानुका ईएम-1 कीटनाशक  

80 ग्राम प्रति एकड़ 


करेला की फसल में रोगों की समस्या -

रोगों के नाम 

बेस्ट फफूंदनाशी 

उपयोग मात्रा 

उखटा रोग 

धानुका कोनिका फफूंदनाशी 

500 ग्राम प्रति एकड़ 

जड़ गलन 

आईएफएससी ट्रायको शील्ड

500 ग्राम प्रति एकड़ 

तना गलन 

सिंजेन्टा अमिस्टार टॉप फफूंदनाशी 

200 मिली प्रति एकड़ 

पाउडरी मिल्ड्यू

धानुका स्पेक्ट्रम फफूंदनाशी 

300 मिली प्रति एकड़ 

डाउनी मिल्ड्यू

सिंजेंटा फोलियो गोल्ड 

लीफ स्पॉट

यूपीएल साफ फफूंदनाशी  

300 ग्राम प्रति एकड़ 

अल्टरनेरिया ब्लाइट

सिंजेंटा रिडोमिल गोल्ड 

300 ग्राम प्रति एकड़ 


फसल तुड़ाई और उत्पादन - 

बुवाई के 55-60 दिन बाद तुड़ाई शुरू हो जाती है। जब फल पूरी तरह से तैयार हो जाते हैं तब तुड़ाई की जाती है। अच्छी फसल से 15-20 तुड़ाई संभव है और तुड़ाई सप्ताह में दो बार की जाती है। 

करेले का उत्पादन प्रति एकड़ 80-120 क्विंटल तक होता है। यदि हम औसतन 100 क्विंटल उत्पादन और 50 रुपये प्रति किलोग्राम का भाव मानें, तो कुल मुनाफा लगभग 5 लाख रुपये हो सकता है।


सारांश - 

करेला की खेती कम लागत और उचित देखभाल से अच्छा मुनाफा देने वाली फसल है। सही मौसम, उपयुक्त मिट्टी, बीज की गुणवत्ता, और उर्वरक प्रबंधन से किसान अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। कीट और रोग नियंत्रण का सही समय पर ध्यान रखकर फसल की गुणवत्ता को बनाए रखा जा सकता है। अगर करेला की बुवाई और तुड़ाई सही समय पर की जाए तो एक एकड़ में लगभग 5 लाख रुपये तक का मुनाफा संभव है।


अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न -

1. करेला कितने दिन में फल देता है?

उत्तर - करेला 50- 60 दिनों में फल देता है। 

2. करेले की सबसे अच्छी वैरायटी कौन सी है?

उत्तर - अमनश्री, युवराज, अस्मिता आदि। 

3. 1 एकड़ में कितना करेला निकलता है?

उत्तर - एक एकड़ में 80- 120 क्विंटल करेला निकलता है। 

4. करेले को उगने में कितने दिन लगते हैं?

उत्तर - करेले के बीज को उगने में 5- 7 दिन लगते हैं। 

5. करेले में मादा फूल कैसे बढ़ाएं?

उत्तर: करेला जब चार पत्तों की अवस्था में होता है, तब इथरेल का छिड़काव करके मादा फूलों की संख्या बढ़ाई जा सकती है।


लेखक

BharatAgri Krushi Doctor


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