bamboo farming in india

Bamboo Farming: बांस की खेती की सम्पूर्ण जानकारी

बांस एक बहुपयोगी और तेजी से बढ़ने वाला पौधा है, जो कृषि, निर्माण, हस्तशिल्प, कागज निर्माण और कई अन्य उद्योगों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बांस की खेती भारत में सदियों से की जा रही है और यह किसानों के लिए एक लाभकारी फसल है। यह न केवल पर्यावरण के अनुकूल है, बल्कि इसकी खेती से किसानों को अच्छा आर्थिक लाभ भी होता है। बांस की खेती की विशेषता यह है कि यह मिट्टी के कटाव को रोकने और पर्यावरण के संतुलन को बनाए रखने में मदद करती है। भारतअ‍ॅग्री के माध्यम से जानें बांस की खेती का समय, बेस्ट किस्में, उर्वरक प्रबंधन, खरपतवार, कीटों और रोगों का नियंत्रण की सम्पूर्ण जानकारी के बारें में।  


भारत में बांस की खेती कहाँ की जाती है -

1. असम

2. मिजोरम

3. मेघालय

4. अरुणाचल प्रदेश

5. नागालैंड

6. त्रिपुरा

7. मणिपुर 

8. पश्चिम बंगाल

9. ओडिशा

10. आंध्र प्रदेश

11. कर्नाटक

12. केरल

13. तमिलनाडु

14. महाराष्ट्र

15. मध्य प्रदेश

16. उत्तर प्रदेश 


बांस की खेती का समय -

बांस की खेती का सबसे उपयुक्त समय मानसून के प्रारंभ (जून-जुलाई) में होता है। इस समय पौधों को अच्छी मात्रा में नमी और पोषण मिलता है, जिससे उनकी वृद्धि बेहतर होती है।


मौसम और जलवायु -

बांस की खेती के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु सबसे उपयुक्त होती है। इसके लिए 18°C से 38°C तापमान और 1200 मिमी से 4000 मिमी वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्र सर्वोत्तम होते हैं। हालांकि, यह सूखे और अत्यधिक गर्मी को सहन कर सकता है, लेकिन अच्छी वृद्धि के लिए आदर्श जलवायु की आवश्यकता होती है।


खेत की तैयारी -

1. भूमि चयन: बांस की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली भूमि का चयन करें।

2. खेत की सफाई: खेत को खरपतवार और अन्य अवांछित पौधों से साफ करें।

3. जुताई: मिट्टी को अच्छी तरह से जुताई करें ताकि मिट्टी में नमी और पोषक तत्वों का संतुलन बना रहे।

4. उर्वरक का प्रयोग: जुताई के बाद प्रति एकड़ 10-15 टन गोबर की खाद या कम्पोस्ट डालें और खेत में मिला दें।


बांस की खेती किस प्रकार की मिट्टी में की जाती है -

बांस की खेती के लिए गहरी, उपजाऊ, और अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है। इसे हल्की अम्लीय (pH 5.5-6.5) से लेकर हल्की क्षारीय (pH 6.5-7.5) मिट्टी में भी उगाया जा सकता है। 


बांस की खेती के लिए टॉप 10 बेस्ट किस्म -

किस्म का नाम 

किस्म की विशेषताएं 

बम्बूसा बम्बूस (Bambusa Bambos)

यह एक तेजी से बढ़ने वाली बांस की किस्म है।

इसे मुख्य रूप से निर्माण सामग्री के लिए उपयोग किया जाता है।

इसकी ऊँचाई 15-20 मीटर तक होती है।

डेंड्रोकालामस स्ट्रिक्टस (Dendrocalamus Strictus)

यह ठोस और मजबूत बांस की किस्म है।

इसका उपयोग कागज, हस्तशिल्प, और निर्माण में होता है।

इसकी ऊँचाई 8-16 मीटर तक होती है।

बम्बूसा बलकोआ (Bambusa Balcooa)

यह एक कठोर और मजबूत किस्म है।

इसका उपयोग सीढ़ी, खिड़की, और दरवाजे बनाने में होता है।

इसकी ऊँचाई 20-25 मीटर तक होती है।

मेलोकाना बम्बूसॉइड्स (Melocanna Baccifera)

यह हल्की और लचीली किस्म है।

इसका उपयोग टोकरी, बांस के फर्नीचर और हस्तशिल्प में किया जाता है।

इसकी ऊँचाई 8-12 मीटर तक होती है।

डेंड्रोकालामस हैमिल्टोनी (Dendrocalamus Hamiltonii)

यह मोटी और मजबूत बांस की किस्म है।

इसका उपयोग पेपर इंडस्ट्री और निर्माण में किया जाता है।

इसकी ऊँचाई 20-25 मीटर तक होती है।

थायर्सोकलेमस ओलिवेरी (Thyrsostachys Oliveri)

इसे बौना बांस भी कहा जाता है।

यह छोटी और मजबूत किस्म है, जिसका उपयोग सजावटी उद्देश्यों में होता है।

इसकी ऊँचाई 6-10 मीटर तक होती है।

बम्बूसा ट्यूल्डा (Bambusa Tulda)

यह पतली और लचीली किस्म है।

इसका उपयोग कागज, हस्तशिल्प और छप्पर बनाने में होता है।

इसकी ऊँचाई 12-15 मीटर तक होती है।

डेंड्रोकालामस गिगेंटस (Dendrocalamus Giganteus)

यह दुनिया की सबसे बड़ी बांस की किस्म है।

इसका उपयोग बड़े निर्माण कार्यों में होता है।

इसकी ऊँचाई 25-30 मीटर तक होती है।

बम्बूसा नाना (Bambusa Nana)

यह छोटी और सजावटी किस्म है।

इसका उपयोग गार्डनिंग और सजावटी उद्देश्यों में होता है।

इसकी ऊँचाई 3-6 मीटर तक होती है।

फाईलॉस्टैक्सिस नाइग्र (Phyllostachys Nigra)

इसे ब्लैक बांस के नाम से भी जाना जाता है।

इसका उपयोग फर्नीचर और सजावटी वस्तुएं बनाने में होता है।

इसकी ऊँचाई 6-10 मीटर तक होती है।


बांस की खेती के बीज दर प्रति एकड़ अनुसार -

बांस की खेती के लिए प्रति एकड़ 800 से 1000 पौधों की आवश्यकता होती है। बीज दर इस पर निर्भर करती है कि आप कौन सी किस्म और हाइब्रिड का चयन कर रहे हैं। सामान्यतः 100 ग्राम बीज से 500 पौधों की 

पौधशाला तैयार की जा सकती है।


बांस के पौधों की रोपाई और दूरी -

बांस के पौधों की रोपाई मानसून की शुरुआत में (जून-जुलाई) सबसे उपयुक्त होती है। पौधों के बीच की दूरी 3x4 मीटर रखनी चाहिए, जिससे प्रति एकड़ लगभग 700 - 800 पौधे लगाए जा सकते हैं। अधिक घनीकरण से बचने के लिए पौधों के बीच उचित दूरी रखना आवश्यक है।


खाद और उर्वरक प्रबंधन -

1. गोबर की खाद या कम्पोस्ट: 10-15 टन प्रति एकड़, खेत की तैयारी के समय।

2. यूरिया: 50 किलोग्राम प्रति एकड़, रोपाई के 6 महीने बाद और फिर 12 महीने बाद।

3. डीएपी: 25 किलोग्राम प्रति एकड़, रोपाई के 6 महीने बाद।

4. पोटाश: 25 किलोग्राम प्रति एकड़, रोपाई के 6 महीने बाद।


बांस की फसल में  कीटों की समस्या -

कीटों की समस्या 

कीटनाशक का नाम 

उपयोग मात्रा 

बांस का स्टेम बोरर

बायर फेनॉक्स क्विक कीटनाशक

100 मिली प्रति एकड़ 

बांस का शूट बोरर

एफएमसी कोराजन कीटनाशक 

60 मिली प्रति एकड़ 

पत्ती खाने वाली इल्ली 

सिंजेटा अलिका कीटनाशक 

80 मिली प्रति एकड़ 

मिली बग

नागार्जुन प्रोफेक्स सुपर 

400 मिली प्रति एकड़ 

बांस का माहू कीट 

धानुका फैक्स कीटनाशक 

300 मिली प्रति एकड़ 

रेड स्पाइडर माइट

बायर ओबेरॉन कीटनाशक

150 मिली प्रति एकड़ 


बांस की फसल में रोगों की समस्या -

रोगों के नाम 

बेस्ट फफूंदनाशी 

उपयोग मात्रा 

बांस का राइजोम रोट

धानुका कोनिका फफूंदनाशी 

500 ग्राम प्रति एकड़ 

बांस का डाइबैक रोग

सिंजेन्टा अमिस्टार टॉप फफूंदनाशी 

200 मिली प्रति एकड़ 

बांस का लीफ ब्लाइट

यूपीएल साफ फफूंदनाशी  

300 ग्राम प्रति एकड़ 

बांस का पाउडरी मिल्ड्यू

धानुका स्पेक्ट्रम फफूंदनाशी 

300 मिली प्रति एकड़ 

बांस का रस्ट रोग

सिंजेंटा रिडोमिल गोल्ड 

300 ग्राम प्रति एकड़ 

बांस का ब्लाइट रोग

बीएएसएफ कैब्रियो टॉप फफूंदनाशी 

450 मिली प्रति एकड़ 


बांस की फसल की कटाई और समय -

बांस की फसल की पहली कटाई पौधारोपण के 4 से 5 वर्षों बाद की जाती है। इसके बाद प्रति वर्ष कटाई की जा सकती है। कटाई का उपयुक्त समय सर्दियों के मौसम (नवंबर से फरवरी) में होता है जब बांस की वृद्धि धीमी होती है और बांस की गुणवत्ता सर्वोत्तम होती है।


बांस की फसल का प्रति एकड़ उत्पादन -

बांस की फसल का प्रति एकड़ उत्पादन कई कारकों पर निर्भर करता है जैसे कि किस्म, जलवायु, मिट्टी की गुणवत्ता, और उर्वरक का प्रयोग। सामान्यतः, प्रति एकड़ 50-60 टन बांस का उत्पादन किया जा सकता है।


बांस की खेती से होने वाली कमाई -

बांस की खेती से होने वाली कमाई कई कारकों पर निर्भर करती है, जैसे कि खेती की किस्म, क्षेत्र, देखभाल, और बाजार की मांग। 

👉प्रारंभिक निवेश: बांस की खेती में प्रारंभिक निवेश, जैसे कि पौधों की खरीद, सिंचाई व्यवस्था, और भूमि की तैयारी, जरूरी है। प्रति एकड़ निवेश लगभग ₹50,000 से ₹1,00,000 तक हो सकता है।

👉पैदावार: एक एकड़ में बांस की पैदावार 200 से 300 टन तक हो सकती है, जो किस्म और देखभाल पर निर्भर करती है। पौधों की कटाई 4-5 साल बाद शुरू होती है और हर साल 50-60 टन प्रति एकड़ तक हो सकती है।

👉बांस की कीमत: बाजार में बांस की कीमत ₹5 से ₹20 प्रति किलोग्राम हो सकती है, जो बाजार और गुणवत्ता पर निर्भर करती है। औसतन, ₹10 प्रति किलोग्राम की कीमत ली जा सकती है।

👉कुल वार्षिक आय: एक एकड़ से बांस की कटाई के बाद प्रति वर्ष ₹2,00,000 से ₹6,00,000 तक की कमाई हो सकती है। यह आय 5-7 साल तक निरंतर बढ़ सकती है।

👉लंबी अवधि की कमाई: बांस की फसल 40-50 साल तक निरंतर कटाई और आय देती है। इसलिए, यह एक दीर्घकालिक निवेश और कमाई का स्रोत बन सकती है।

👉बांस के अन्य उत्पाद: बांस से बने उत्पादों, जैसे फर्नीचर, कागज, और हस्तशिल्प, की भी बाजार में अच्छी मांग है, जिससे अतिरिक्त आय हो सकती है।

👉मांग और निर्यात: बांस की मांग घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार में लगातार बढ़ रही है। निर्यात के जरिए भी अधिक आय प्राप्त की जा सकती है।

👉सरकारी योजनाएं और सब्सिडी: बांस की खेती को बढ़ावा देने के लिए कई सरकारी योजनाएं और सब्सिडी उपलब्ध हैं, जो लागत को कम करने और आय को बढ़ाने में मदद करती हैं।


सारांश -

1. बांस की खेती एक लाभदायक और पर्यावरण के अनुकूल विकल्प है, जो न केवल किसानों के लिए आर्थिक रूप से फायदेमंद है, बल्कि यह पर्यावरण के संतुलन को बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। 

2. सही मौसम, जलवायु, मिट्टी और उर्वरक के प्रयोग से बांस की खेती में बेहतर परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं। 

3. बांस की विभिन्न किस्में और हाइब्रिड बीज का चयन करके किसान अपनी पैदावार और गुणवत्ता में सुधार कर सकते हैं।


अक्सर पूछे जानें वाले प्रश्न -

1. भारत में बांस की खेती कहाँ की जाती है?

उत्तर: बांस की खेती मुख्य रूप से उत्तर पूर्वी राज्यों के साथ ही पश्चिम बंगाल, ओड़िशा, आंध्र प्रदेश में भी की जाती है।

2. बांस की खेती का सबसे उपयुक्त समय कौन सा है?

उत्तर: बांस की खेती का सबसे उपयुक्त समय मानसून के प्रारंभ (जून-जुलाई) में होता है।

3. बांस की खेती के लिए किस प्रकार की मिट्टी सबसे उपयुक्त है?

उत्तर: बांस की खेती के लिए गहरी, उपजाऊ, और अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है।

4. बांस की खेती के लिए कौन सी जलवायु उपयुक्त है?

उत्तर: बांस की खेती के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु सबसे उपयुक्त होती है।

5. बांस की खेती के लिए टॉप 10 बेस्ट किस्में कौन सी हैं?

उत्तर: बेस्ट किस्मों में बम्बूसा बम्बूस, डेंड्रोकालामस स्ट्रिक्टस, बम्बूसा बलकोआ, मेलोकाना बम्बूसॉइड्स, और डेंड्रोकालामस हैमिल्टोनी शामिल हैं।

6. बांस की खेती के लिए प्रति एकड़ कितने पौधों की जरुरत होती है?

उत्तर: प्रति एकड़ बांस की खेती के लिए 800 से 1000 पौधों की आवश्यकता होती है।

7. बांस में प्रमुख कीटों की समस्या?

उत्तर: बांस की खेती में स्टेम बोरर, शूट बोरर, पत्ती खाने वाली इल्ली, मिली बग, और रेड स्पाइडर माइट जैसे कीट लगते हैं।

8. बांस में कौन से रोग लगते हैं? 

उत्तर: बांस में राइजोम रोट, डाइबैक, लीफ ब्लाइट, पाउडरी मिल्ड्यू, रस्ट रोग जैसे रोग लगते हैं जिनका उपचार फफूंदनाशी द्वारा किया जाता है।

9. बांस की फसल की कटाई कब की जाती है और इसका उत्पादन कितना होता है?

उत्तर: बांस की फसल की पहली कटाई 4-5 साल बाद की जाती है, और प्रति एकड़ 50-60 टन बांस का उत्पादन होता है।


लेखक

BharatAgri Krushi Doctor


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