अंजीर (Ficus carica) एक प्रमुख फलदार वृक्ष है, जो अपने मीठे और पोषक तत्वों से भरपूर फलों के लिए जाना जाता है। इसे भारतीय संस्कृति और आयुर्वेद में भी महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। अंजीर की खेती कम पानी और कम देखभाल में भी अच्छी उपज देने वाली फसल मानी जाती है। इसके फलों का उपयोग ताजे, सूखे और विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थों में किया जाता है। इस की खेती मुख्य रूप से शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में की जाती है। अंजीर के फल में कई विटामिन, खनिज और फाइबर पाए जाते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं। भारतअॅग्री के माध्यम से जानें अंजीर की खेती (Anjeer Ki Kheti) का समय, बेस्ट किस्में, बीज दर, उर्वरक, खरपतवार, कीटों और रोगों का नियंत्रण की सम्पूर्ण जानकारी के बारें में।
अंजीर की खेती भारत में कहां की जाती है:
भारत में अंजीर की खेती मुख्यतः महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में की जाती है। महाराष्ट्र में पुणे और उसके आस-पास के क्षेत्रों में अंजीर की खेती प्रमुख रूप से की जाती है। इन क्षेत्रों की जलवायु और मिट्टी अंजीर की खेती के लिए अनुकूल मानी जाती है।
👉महाराष्ट्र: पुणे, सतारा, सांगली, और सोलापुर
👉गुजरात: सूरत, वलसाड, और जूनागढ़
👉कर्नाटक: बेलगाम, विजयनगर, और मैसूर
👉तमिलनाडु: मदुरै, तिरुचिरापल्ली, और सलेम
अंजीर की खेती का समय:
अंजीर की खेती के लिए पौधों की रोपाई का सबसे उचित समय वर्षा ऋतु के बाद, जुलाई से अगस्त तक का होता है। इस समय मिट्टी में पर्याप्त नमी होती है, जिससे पौधों की जड़ें अच्छे से विकसित हो पाती हैं। कटिंग और ग्राफ्टिंग के माध्यम से भी अंजीर की खेती की जा सकती है, जिसका समय दिसंबर से फरवरी तक का होता है।
अंजीर की खेती के लिए मौसम और जलवायु:
अंजीर की खेती के लिए उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु सबसे उपयुक्त मानी जाती है। इसे गर्म और शुष्क जलवायु में भी उगाया जा सकता है। अंजीर के पौधों को अच्छी उपज के लिए 15°C से 35°C तापमान की आवश्यकता होती है। यह पौधा कम वर्षा वाले क्षेत्रों में भी अच्छी तरह से फलता-फूलता है, लेकिन अत्यधिक ठंड और पाला इसे नुकसान पहुंचा सकते हैं।
अंजीर की खेती के लिए खेत की तैयारी:
1. मिट्टी को गहरी जुताई करके तैयार करें ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए और जल निकासी सही हो सके।
2. खेत में सड़ी गोबर की खाद या कम्पोस्ट को 20-25 टन प्रति एकड़ की दर से मिलाएं।
3. पौधों की रोपाई के लिए 2.5 से 3 फीट गहरे और चौड़े गड्ढे तैयार करें और इनमें गोबर की खाद मिलाएं।
4. खेत में उचित सिंचाई व्यवस्था करें, ताकि पौधों को समय-समय पर पानी मिलता रहे।
अंजीर की खेती किस प्रकार की मिट्टी में की जाती है:
अंजीर की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली दोमट या रेतीली दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है। इस मिट्टी में pH स्तर 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए। इस फसल के लिए मिट्टी की उर्वरता और उपजाऊता महत्वपूर्ण होती है, इसलिए खेत में जैविक खाद और कम्पोस्ट का उपयोग करना चाहियें।
अंजीर की खेती के लिए 10 बेस्ट किस्म:
1. पूना (Poona): यह किस्म महाराष्ट्र के पूना जिले में सबसे ज्यादा उगाई जाती है। इसका रंग गहरा बैंगनी और आकार मध्यम होता है। यह स्वाद में मीठा और रसदार होता है।
2. कडोटा (Kadota): यह किस्म हल्के हरे या पीले रंग की होती है। यह ज्यादातर कैलिफोर्निया में उगाई जाती है और सूखने के लिए उपयुक्त मानी जाती है। इसका स्वाद हल्का मीठा होता है।
3. मिशन (Mission): यह एक बहुत पुरानी और लोकप्रिय किस्म है, जो गहरे बैंगनी या काले रंग की होती है। इसका स्वाद तीखा और मीठा होता है। यह सूखने और ताजे फल के रूप में खाने दोनों के लिए उपयुक्त है।
4. इस्किया (Ischia): इस किस्म के फल हरे रंग के होते हैं और भीतर से लाल रंग के होते हैं। यह किस्म ज्यादातर ठंडे इलाकों में उगाई जाती है।
5. स्माइर्ना (Smyrna): यह किस्म मुख्य रूप से तुर्की में पाई जाती है और सूखने के लिए सर्वोत्तम मानी जाती है। इसका रंग सुनहरा और स्वाद बहुत मीठा होता है।
6. सिल्वा (Silva): यह किस्म बहुत अधिक उपज देने वाली है। फल मध्यम आकार के और स्वाद में अच्छे होते हैं। इसे ज्यादातर ताजे फल के रूप में खाया जाता है।
7. ब्राउन टर्की (Brown Turkey): इस किस्म के फल गहरे भूरे रंग के होते हैं और यह ताजे और सूखे दोनों रूपों में उपयुक्त है। इसका स्वाद हल्का मीठा होता है।
8. ब्लैक मर्सेल्स (Black Marseille): यह किस्म गहरे काले रंग की होती है और इसकी बनावट मुलायम और रसदार होती है। इसका स्वाद बहुत मीठा होता है और यह सूखने के लिए आदर्श है।
9. कोनार्डिया (Conadria): यह किस्म हल्के हरे या पीले रंग की होती है। यह ताजे फल के रूप में और सूखने दोनों के लिए उपयुक्त है। इसका स्वाद बहुत अच्छा और मीठा होता है।
10. कैलिमिरना (Calimyrna): यह किस्म कैलिफोर्निया में लोकप्रिय है। इसका रंग हल्का हरा और स्वाद में मीठा होता है। यह सूखने के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है।
अंजीर की खेती के पौधों की आवश्यकता:
अंजीर की खेती के लिए प्रति एकड़ 200-250 पौधों की आवश्यकता होती है। एक स्वस्थ पौधा 2-3 वर्ष के बाद फल देना शुरू करता है, और इसके बाद हर साल उत्पादन बढ़ता रहता है।
अंजीर के पौधों की रोपाई और समय, दूरी:
अंजीर के पौधों की रोपाई के लिए जून से अगस्त का समय सबसे उपयुक्त होता है। पौधों के बीच 5-6 मीटर की दूरी रखनी चाहिए। पौधों की रोपाई करते समय यह ध्यान रखना आवश्यक है कि पौधे की जड़ें मिट्टी के संपर्क में अच्छी तरह से आ जाएं और पौधा सीधा खड़ा हो।
अंजीर की फसल खाद और उर्वरक की प्रति एकड़ मात्रा और समय:
अंजीर की फसल में प्रति एकड़ 10-15 टन गोबर की खाद या कम्पोस्ट डालनी चाहिए। इसके साथ ही, प्रति एकड़ 50 किलोग्राम नाइट्रोजन, 40 किलोग्राम फास्फोरस, और 60 किलोग्राम पोटाश का उपयोग किया जा सकता है। इन खादों को तीन हिस्सों में विभाजित कर पौधों के विकास के विभिन्न चरणों में दिया जाता है।
अंजीर की फसल में खरपतवार की समस्या और नियंत्रण:
अंजीर की फसल में खरपतवार की समस्या को नियंत्रित करने के लिए नियमित रूप से निराई-गुड़ाई करनी चाहिए। इसके अलावा, खरपतवारनाशक दवाओं का उपयोग भी किया जा सकता है। जैविक तरीकों से खरपतवार नियंत्रण के लिए मल्चिंग की जा सकती है, जिससे मिट्टी में नमी बनी रहती है और खरपतवार की वृद्धि रुकती है।
अंजीर की फसल में कीटों की समस्या:
कीटों की समस्या |
कीटनाशक का नाम |
उपयोग मात्रा |
फल मक्खी |
100 मिली प्रति एकड़ |
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स्टेम बोरर |
60 मिली प्रति एकड़ |
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लीफ माइनर |
80 मिली प्रति एकड़ |
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मिली बग |
400 मिली प्रति एकड़ |
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माहू |
300 मिली प्रति एकड़ |
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रेड स्पाइडर माइट |
150 मिली प्रति एकड़ |
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थ्रिप्स |
100 मिली प्रति एकड़ |
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गार्डल बीटल |
80 ग्राम प्रति एकड़ |
अंजीर की फसल में रोगों की समस्या:
रोगों के नाम |
बेस्ट फफूंदनाशी |
उपयोग मात्रा |
एन्थ्रेक्नोज |
400 ग्राम प्रति एकड़ |
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विल्ट |
500 ग्राम प्रति एकड़ |
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रूट रोट |
500 ग्राम प्रति एकड़ |
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डाई बैक |
200 मिली प्रति एकड़ |
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लीफ स्पॉट |
300 ग्राम प्रति एकड़ |
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पाउडरी मिल्ड्यू |
300 मिली प्रति एकड़ |
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अल्टरनेरिया ब्लाइट |
300 ग्राम प्रति एकड़ |
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कॉलर रोट |
250 ग्राम प्रति एकड़ |
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फलों की सड़न |
450 मिली प्रति एकड़ |
अंजीर फलों की तुड़ाई और समय:
अंजीर की फसल 2-3 साल के बाद फल देने लगती है। फलों की कटाई तब की जाती है जब वे पूरी तरह से पक जाते हैं और मुलायम हो जाते हैं। कटाई का समय फरवरी से जून के बीच होता है। कटाई के बाद फलों को जल्दी से प्रसंस्करण के लिए भेजना चाहिए, ताकि उनकी गुणवत्ता बनी रहे।
अंजीर की फसल प्रति एकड़ उत्पादन:
अंजीर की फसल प्रति एकड़ 8-10 टन तक उत्पादन दे सकती है। उत्पादन की मात्रा मिट्टी, जलवायु और देखभाल पर निर्भर करती है।
सारांश:
1. अंजीर की खेती एक लाभदायक कृषि व्यवसाय हो सकती है, यदि इसे सही तकनीकों और ज्ञान के साथ किया जाए।
2. उचित जलवायु, मिट्टी की तैयारी, सही किस्मों का चयन, उर्वरक और कीट-रोग प्रबंधन के साथ, किसान प्रति एकड़ अधिकतम उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।
3. इस ब्लॉग में दी गई जानकारी से आप अंजीर की सफल खेती कर सकते हैं और इस लाभदायक फसल से अधिकतम लाभ कमा सकते हैं।
अक्सर पूछे जानें वाले प्रश्न :
1. अंजीर की खेती कहां की जाती है?
उत्तर - महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में अंजीर की खेती की जाती है।
2. अंजीर की खेती का सही समय क्या है?
उत्तर - अंजीर की खेती के लिए जुलाई से अगस्त का समय सबसे उपयुक्त है।
3. अंजीर की खेती के लिए कौन सी जलवायु उपयुक्त होती है?
उत्तर - उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु अंजीर की खेती के लिए उपयुक्त है।
4. अंजीर की खेती के लिए कौन सी मिट्टी सबसे अच्छी होती है?
उत्तर - अच्छी जल निकासी वाली दोमट या रेतीली दोमट मिट्टी अंजीर की खेती के लिए सर्वोत्तम मानी जाती है।
5. अंजीर की फसल के लिए प्रति एकड़ कितने पौधों की आवश्यकता होती है?
उत्तर - अंजीर की खेती के लिए प्रति एकड़ 200-250 पौधों की आवश्यकता होती है।
6. अंजीर की फसल में कौन से कीटों की समस्या होती है?
उत्तर - फल मक्खी, स्टेम बोरर, लीफ माइनर, और मिली बग जैसे कीट अंजीर की फसल को प्रभावित कर सकते हैं।
7. अंजीर की फसल में कौन से रोग होते हैं?
उत्तर - एन्थ्रेक्नोज, विल्ट, रूट रोट, और पाउडरी मिल्ड्यू जैसे रोग अंजीर की फसल में सामान्य हैं।
8. अंजीर की फसल का उत्पादन प्रति एकड़ कितना होता है?
उत्तर - अंजीर की फसल का उत्पादन प्रति एकड़ 8-10 टन तक हो सकता है।
लेखक
BharatAgri Krushi Doctor