aloe vera cultivation in india

Aloe Vera Cultivation: एलोवेरा की खेती की सम्पूर्ण जानकारी

एलोवेरा, जिसे 'घृतकुमारी' या ‘पथरचट्टा’के नाम से भी जाना जाता है, एक बहुउपयोगी औषधीय पौधा है। इसके पत्तों में पाए जाने वाले जैल का उपयोग सौंदर्य प्रसाधनों, दवाओं और खाद्य उत्पादों में किया जाता है। इसकी खेती किसान के लिए आय का एक प्रमुख स्रोत हो सकती है, क्योंकि इसके उत्पादों की मांग राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में तेजी से बढ़ रही है। इस ब्लॉग माध्यम से जानें एलोवेरा की खेती का समय, बेस्ट किस्में, उर्वरक प्रबंधन, खरपतवार, कीटों और रोगों का नियंत्रण की सम्पूर्ण जानकारी के बारें में।


भारत में एलोवेरा की खेती -

1. भारत में एलोवेरा की खेती मुख्य रूप से राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, और कर्नाटक जैसे राज्यों में की जाती है। 

2. इन राज्यों में इसके लिए उपयुक्त जलवायु और मिट्टी पाई जाती है, जिससे एलोवेरा की अच्छी उपज प्राप्त होती है।


खेती का समय -

1. एलोवेरा की खेती का सबसे उचित समय मानसून के दौरान जून से अगस्त तक का होता है। 

2. यह समय पौधों के लिए पर्याप्त नमी और जल की उपलब्धता सुनिश्चित करता है, जिससे उनके वृद्धि में मदद मिलती है। 

3. हालांकि, इसे सालभर किसी भी समय रोपा जा सकता है, बशर्ते कि पर्याप्त सिंचाई की व्यवस्था हो।


एलोवेरा की खेती के लिए मौसम और जलवायु -

एलोवेरा की खेती के लिए गर्म और शुष्क जलवायु सबसे उपयुक्त होती है। यह पौधा 15°C से 40°C तापमान वाले क्षेत्रों में अच्छा फलता-फूलता है। यह अत्यधिक गर्मी और हल्की ठंड दोनों को सहन कर सकता है। अधिक ठंडे इलाकों में इसे ग्रीनहाउस में उगाने की सलाह दी जाती है।


खेत की तैयारी -

1. खेत की तैयारी के लिए सबसे पहले खेत की गहरी जुताई करें, जिससे मिट्टी में हवा और नमी का समुचित संचार हो सके। 

2. इसके बाद 2-3 बार हल्की जुताई करें और खेत को समतल कर लें। 

3. खेत में 2-3 टन गोबर की खाद या कम्पोस्ट डालें और मिट्टी में अच्छी तरह से मिलाएं। 

4. खेत में जल निकासी की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए, क्योंकि एलोवेरा के पौधों को अधिक जलभराव पसंद नहीं है।


खेती के लिए मिट्टी -

1. एलोवेरा की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है। 

2. मिट्टी का पीएच मान 6.5 से 8 के बीच होना चाहिए। 

3. हल्की रेतीली और कंकरीली मिट्टी भी इसकी खेती के लिए उपयुक्त हो सकती है, बशर्ते मिट्टी में जल निकासी की व्यवस्था अच्छी हो।


टॉप 10 बेस्ट किस्मो की जानकारी -

1. एलो बारबाडेन्सिस मिलर (Aloe Barbadensis Miller): यह किस्म सबसे लोकप्रिय और व्यापक रूप से उगाई जाने वाली एलोवेरा की किस्म है। इसके पत्ते बड़े, मोटे और गहरे हरे रंग के होते हैं। इसमें अधिक मात्रा में जेल होता है, जो औषधीय और कॉस्मेटिक उपयोग के लिए आदर्श है।

2. एलो अर्बोरेसेंस (Aloe Arborescens): यह किस्म मुख्य रूप से इसके औषधीय गुणों के लिए जानी जाती है। इसके पत्ते छोटे और नुकीले होते हैं। यह किस्म ठंडी जलवायु में भी अच्छी तरह से पनपती है।

3. एलो पेर्री (Aloe Perryi): यह किस्म अपने औषधीय गुणों और सजावटी उपयोग के लिए प्रसिद्ध है। इसके पत्ते लाल-भूरे रंग के होते हैं और इसमें सूजन को कम करने वाले गुण होते हैं।

4. एलो सोकोट्रिना (Aloe Socotrina): इस किस्म का उपयोग मुख्य रूप से औषधीय उत्पादों में किया जाता है। इसके पत्तों में मजबूत कड़वा स्वाद होता है और इसे टॉनिक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।

5. एलो वरिगेटा (Aloe Variegata): इसे 'टाइगर एलो' के नाम से भी जाना जाता है। इसके पत्ते छोटे, चपटे और रंग-बिरंगे होते हैं। यह किस्म अधिकतर सजावटी पौधे के रूप में उपयोग की जाती है।

6. एलो ग्रेसिलिस (Aloe Gracilis): इस किस्म के पत्ते पतले और लंबे होते हैं और इसमें सुंदर फूल लगते हैं। इसे मुख्य रूप से बगीचे की सजावट के लिए उगाया जाता है।

7. एलो स्ट्रीटिकोला (Aloe Striatula): यह एक ठंडे क्षेत्र में पनपने वाली किस्म है और इसके पत्ते छोटे और नुकीले होते हैं। यह अपने सजावटी उपयोग के लिए जानी जाती है।

8. एलो मार्लोथी (Aloe Marlothii): इसे 'माउंटेन एलो' भी कहा जाता है। इसके पत्ते मोटे और कंटीले होते हैं और इसमें बड़े फूलों के गुच्छे लगते हैं। यह किस्म सजावटी और औषधीय उपयोग दोनों के लिए उपयुक्त है।

9. एलो माइट्रिफोर्मिस (Aloe Mitriformis): इस किस्म के पत्ते मोटे, मांसल और हल्के हरे होते हैं। यह मुख्य रूप से सजावटी पौधे के रूप में इस्तेमाल की जाती है और इसे ठंडी जलवायु में भी उगाया जा सकता है।

10. एलो नूबाइलिस (Aloe Nobilis): यह एक छोटी और कॉम्पैक्ट किस्म है, जो बगीचे की सजावट के लिए आदर्श होती है। इसके पत्ते छोटे और मोटे होते हैं, और इसमें सुंदर फूल लगते हैं।


प्रति एकड़ पौधों की आवश्यकता -

एलोवेरा की खेती के लिए प्रति एकड़ लगभग 15,000 से 20,000 पौधे लगाए जाते हैं। इन पौधों को नर्सरी में तैयार किया जाता है और फिर खेत में रोपा जाता है।


पौधों की रोपाई और दूरी -

1. एलोवेरा के पौधों की रोपाई जून से अगस्त के बीच की जाती है। 

2. पौधों के बीच की दूरी 60 से 75 सेमी रखी जाती है, जबकि पंक्तियों के बीच की दूरी 75 से 90 सेमी रखी जाती है। 

3. इससे पौधों को बढ़ने के लिए पर्याप्त स्थान मिलता है और पौधों के बीच की प्रतिस्पर्धा कम होती है।


खाद और उर्वरक की मात्रा -

1. गोबर की खाद (FYM): 10-15 टन प्रति एकड़ फसल में उपयोग करें, खेत की तैयारी के समय, बुवाई से पहले मिट्टी में अच्छी तरह मिलाएं। गोबर की खाद मिट्टी की उर्वरता और जल धारण क्षमता को बढ़ाती है।

2. नाइट्रोजन (N):  20-30 किलोग्राम प्रति एकड़ अनुसार नाइट्रोजन को दो भागों में बांटें। पहली बार बुवाई के समय और दूसरी बार रोपण के 30-40 दिनों बाद।

3. फास्फोरस (P2O5): 25-30 किलोग्राम प्रति एकड़ अनुसार बुवाई के समय पूरी मात्रा का उपयोग करें। फास्फोरस जड़ विकास और पौधों की समग्र वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है।

4. पोटाश (K2O): 20-25 किलोग्राम प्रति एकड़ अनुसार पोटाश को भी बुवाई के समय पूरी मात्रा में मिलाएं। पोटाश पौधों में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और उनकी गुणवत्ता में सुधार करता है।

5. सूक्ष्म पोषक तत्व (Micronutrients): जिंक (Zn), मैग्नीज (Mn), आयरन (Fe) आदि 5-10 किलोग्राम प्रति एकड़ आवश्यकता के अनुसार फसल के विकास के दौरान छिड़काव करें।


एलोवेरा की फसल में कीटों की समस्या -

कीटों की समस्या 

कीटनाशक का नाम 

उपयोग मात्रा 

तना मक्खी

बायर फेनॉक्स क्विक कीटनाशक

100 मिली प्रति एकड़ 

स्टेम बोरर

एफएमसी कोराजन कीटनाशक 

60 मिली प्रति एकड़ 

लीफ माइनर

सिंजेटा अलिका कीटनाशक 

80 मिली प्रति एकड़ 

मिली बग

नागार्जुन प्रोफेक्स सुपर 

400 मिली प्रति एकड़ 

माहू 

धानुका फैक्स कीटनाशक 

300 मिली प्रति एकड़ 

स्पाइडर माइट

बायर ओबेरॉन कीटनाशक

150 मिली प्रति एकड़ 

थ्रिप्स

बायर कॉन्फिडोर कीटनाशक

100 मिली प्रति एकड़ 

आर्मीवर्म 

धानुका ईएम-1 कीटनाशक  

80 ग्राम प्रति एकड़ 


एलोवेरा की फसल में रोगों की समस्या -

रोगों के नाम 

बेस्ट फफूंदनाशी 

उपयोग मात्रा 

विल्ट

धानुका कोनिका फफूंदनाशी 

500 ग्राम प्रति एकड़ 

रूट रोट

आईएफएससी ट्रायको शील्ड

500 ग्राम प्रति एकड़ 

डाई बैक

सिंजेन्टा अमिस्टार टॉप फफूंदनाशी 

200 मिली प्रति एकड़ 

लीफ स्पॉट

यूपीएल साफ फफूंदनाशी  

300 ग्राम प्रति एकड़ 

अल्टरनेरिया ब्लाइट

सिंजेंटा रिडोमिल गोल्ड 

300 ग्राम प्रति एकड़ 

कॉलर रोट

क्रिस्टल बाविस्टिन फफूंदनाशी 

250 ग्राम प्रति एकड़ 

लीफ पीकिंग 

बीएएसएफ कैब्रियो टॉप फफूंदनाशी 

450 मिली प्रति एकड़ 

लीफ रस्ट

इंडोफिल अवतार फफूंदनाशी 

300 ग्राम प्रति एकड़ 


फसल की कटाई और समय -

1. एलोवेरा की फसल 8-10 महीने बाद कटाई के लिए तैयार होती है। 

2. पत्तियों की कटाई सावधानीपूर्वक की जाती है, जिससे पौधा क्षतिग्रस्त न हो। 

3. कटाई का सही समय सुबह या शाम का होता है जब पत्तियों में नमी की मात्रा अधिक होती है। 

4. एक पौधे से 3-4 पत्तियों की कटाई की जा सकती है, और हर 3-4 महीने के अंतराल पर कटाई की जाती है।


प्रति एकड़ उत्पादन -

1. एलोवेरा की फसल प्रति एकड़ 15-20 टन पत्तियों का उत्पादन करती है। 

2. उचित देखभाल और प्रबंधन के साथ यह उत्पादन बढ़ सकता है। 

3. बाजार में एलोवेरा पत्तियों की मांग के अनुसार अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है।


एलोवेरा की खेती से प्रॉफिट -

1. प्रारंभिक निवेश: बीज, पौधों की खरीदी, खेत की तैयारी, और उर्वरक के लिए प्रारंभिक निवेश होता है, जो आमतौर पर ₹20,000 से ₹30,000 प्रति एकड़ हो सकता है।

2. पौधों की संख्या: एक एकड़ में लगभग 15,000 से 20,000 एलोवेरा पौधे लगाये जा सकते हैं।

3. उपज: एक पौधे से साल में औसतन 2-3 किलो पत्तियाँ प्राप्त होती हैं।

4. बिक्री मूल्य: ताजे एलोवेरा के पत्तों की कीमत ₹20 से ₹30 प्रति किलो लगभग होती है।

5. सालाना मुनाफा: एक एकड़ में औसतन 30,000 से 50,000 किलो पत्तियाँ प्राप्त की जा सकती हैं, जिससे बिक्री से ₹6,00,000 से ₹10,00,000 तक की आमदनी हो सकती है।


सारांश -

1. एलोवेरा की खेती एक लाभकारी और कम लागत वाली कृषि प्रक्रिया है। 

2. इसके पौधे कठोर परिस्थितियों में भी अच्छे से फलते-फूलते हैं। 

3. यदि इसे सही समय, सही विधि और सही प्रबंधन के साथ किया जाए, तो इससे किसानों को अच्छी आय प्राप्त हो सकती है। 

4. एलोवेरा की फसल से औषधीय और सौंदर्य उत्पादों की बढ़ती मांग के चलते इसका बाजार मूल्य भी अच्छा होता है, जो किसानों के लिए एक लाभदायक


अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न -

1. एलोवेरा की खेती के लिए सबसे उपयुक्त समय क्या है?

उत्तर - मानसून (जून से अगस्त) सबसे उपयुक्त समय है।

2. भारत में एलोवेरा की खेती के प्रमुख राज्य कौन से हैं?

उत्तर - राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, और कर्नाटक।

3. एलोवेरा के लिए सबसे उपयुक्त मिट्टी कौन सी होती है?

उत्तर - बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त है।

4. एलोवेरा की प्रमुख किस्में कौन सी हैं?

उत्तर - एलो बारबाडेन्सिस, एलो अर्बोरेसेंस, एलो पेर्री, आदि।

5. एक एकड़ में कितने एलोवेरा पौधे लगाए जाते हैं?

उत्तर - लगभग 15,000 से 20,000  पौधे।

6. एलोवेरा के पौधों की रोपाई की दूरी कितनी रखनी चाहिए?

उत्तर - पौधों के बीच 60-75 सेमी और पंक्तियों के बीच 75-90 सेमी।

7. एलोवेरा की फसल की कटाई का सही समय क्या है?

उत्तर - 8-10 महीने बाद, सुबह या शाम।

8. एक एकड़ में एलोवेरा का उत्पादन कितना होता है?

उत्तर - 15-20 टन पत्तियाँ प्रति एकड़।


लेखक

BharatAgri Krushi Dukan


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