खीरे के प्रमुख रोग और उनके नियंत्रण के बारे में जानें !
नमस्कार किसान भाइयों आज के लेख में हम खीरे की फसल को नुकसान पहुंचाने वाले रोगों के पहचान तथा उनके रासायनिक नियंत्रण के बारे में विस्तार से जानेंगे। खीरे की खेती समर के मौसम में की जाती है। खीरे की मांग गर्मियों में सबसे ज्यादा होती है, जिन किसान भाइयों के पास सिंचाई की अच्छी सुविधा है, वे किसान खीरे की खेती करके अच्छा फ़ायदा ले सकते हैं।
खीरे की खेती करने वाले प्रमुख राज्य | Add states in India where cucumber is cultivated
खीरे की खेती पूरे भारत में की जाती है। लेकिन भारत के कुछ राज्यों में सबसे ज्यादा खीरा की खेती की जाती हैं, खासकर उत्तर प्रदेश, हरियाणा, कर्नाटक, महाराष्ट्र, पंजाब, मध्य प्रदेश ,आंध्र प्रदेश आदि राज्यों में अत्यधिक मात्रा में खीरे की खेती की जाती है।
खीरे के प्रमुख रोग | cucumber crop disease
आज के लेख में हम खीरे की फसल को नुकसान पहुंचाने वाले प्रमुख रोगों की पहचान और उनके नियंत्रण के बारे में विस्तार से जानेंगे -
खीरे का एन्थ्रेक्नोज रोग | cucumber crop anthracnose disease
यह रोग पूरी फसल को नुकसान पहुँचाता है, इस रोग के लक्षण सबसे पहले फसल के पुराने पत्तों पर दिखाई देते हैं। लेकिन यह रोग बाद में फलों पर पीले गोल धब्बों के रूप में दिखाई देने लगता है।
खीरे का एन्थ्रेक्नोज रोग नियंत्रण | cucumber crop anthracnose disease control
अब हम खीरे की फसल में एन्थ्रेक्नोज रोग नियंत्रण के बारे में जानेंगे -
- यूपीएल साफ (saaf fungicide) कवकनाशी को 2 से 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में डाल कर पौधों पर छिड़काव करना चाहिए।
- धानुका गोडिवा सुपर (Godiwa Super fungicide) का 200 मिली प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव करना चाहिए।
- कोरोमंडल जटायु कवकनाशी (Coromandel Jatayu fungicide) का 1.5 से 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकार छिड़काव करना चाहिए।
- यदि रोग का प्रकोप ज्यादा हो तो यूपीएल क्यूप्रोफिक्स (UPL Cuprofix fungicide) को 2 किग्रा/एकड़ को 200 लीटर पानी में मिलाकार छिड़काव करना चाहिए।
खीरे का पाउडरी मिल्ड्यू रोग | powdery mildew disease in cucumber
खीरे की फसल की पत्तियों, तनों और फलों की ऊपरी सतहों पर सफेद चूर्ण के धब्बे दिखाई देना शुरू हो जाते हैं। जब यह रोग ज्यादा हो जाता है तो सफेद कवक पूरी पत्तियों और तने को ढक लेता है। पौधे की संक्रमित पत्तियां पीली, विकृत हो जाती हैं और समय से पहले गिर सकती हैं। यह रोग हवा द्वारा एक जगह से दूसरी जगह तक फैलता है। यह रोग मध्यम तापमान और छायादार परिस्थितियों के अनुकूल होता है।
खीरे का पाउडरी मिल्ड्यू रोग नियंत्रण | powdery mildew disease in cucumber control
अब हम खीरे की फसल में पाउडरी मिल्ड्यू रोग नियंत्रण के बारे में जानेंगे -
- यूपीएल साफ (saaf fungicide) कवकनाशी को 2 से 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में डाल कर पौधों पर छिड़काव करना चाहिए।
- धानुका गोडिवा सुपर (Godiwa Super fungicide) का 200 मिली प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव करना चाहिए।
- कोरोमंडल जटायु कवकनाशी (Coromandel Jatayu fungicide) का 1.5 से 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकार छिड़काव करना चाहिए।
- यदि रोग का प्रकोप ज्यादा हो तो यूपीएल क्यूप्रोफिक्स (UPL Cuprofix fungicide) को 2 किग्रा/एकड़ को 200 लीटर पानी में मिलाकार छिड़काव करना चाहिए।
खीरे की फसल में फूल आते समय सावधानियाँ | Precautions of flowering stage in cucumber
खीरे की फसल में फूल आते समय कुछ ध्यान देने योग्य बिंदु -
- खीरे की फसल में फूल आते समय नाइट्रोजन की मात्रा को ज्यादा नहीं देना चाहिए।
- अनियमित समय पर सिचाई से बचें वरना फसल में फूल झड़ने की समस्या देखने को मिल सकती हैं।
- खाद और उर्वरक की पर्याप्त मात्रा देनी चाहिए तथा आवश्यकता से अधिक सिचाई करने से बचना चाहिए।
- कैल्शियम और बोरॉन का छिड़काव फसल पर 50 ग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से करना चाहिए।
- जियोलाइफ फ्लॉवर किट को जिसमें नैनो विगोर 1 ग्राम + बैलेंस नैनो 50 ग्राम को 150- 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव करना चाहिए।
- टाटा बहार को फूलों और फलों के धारण क्षमता को बढ़ाने के लिए 2 मिली प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव करना चाहिए।
किसान भाइयों आप को खीरे के प्रमुख रोग और उनके नियंत्रण के बारे में पढ़कर कैसा लगा यह हमें बताना न भूलें अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो अपने दोस्तों के साथ शेयर करें। धन्यवाद !