टमाटर / चेरी टमाटर की खेती से कैसे बने लखपति !
नमस्कार किसान भाइयों आज के लेख में हम जानेंगे की गर्मियों में टमाटर / चेरी टमाटर (Cherry Tomato) की खेती कैसे करें के बारे तथा टमाटर की खेती (Tomato farming) से किस तरह से अच्छा लाभ कमाया जा सकता हैं। अगर टमाटर की फसल (Tomato farming) की बुवाई गर्मियों में और जल्दी करेंगे तो ज्यादा समय मिल जायेगा और अधिक से अधिक फलों की भी तुड़ाई कर सकते हैं।
गर्मियों में जहाँ पर पानी की अच्छी सुविधा होती हैं। वहाँ पर टमाटर / चेरी टमाटर (Cherry Tomato) की खेती करना अधिक फायदेमंद माना जाता है। आज हम टमाटर / cherry tomato में शुरूआती अवस्था में लगने वाले प्रमुख रोग और उनका नियंत्रण कैसे करें उसके बारे में विस्तार से जानेंगे।
टमाटर की खेती करने वाले राज्य
अगर टमाटर / cherry tomato की खेती की बात करें तो प्रमुख रूप से इसकी पैदावार बिहार, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, उड़ीसा, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, पश्चिमी बंगाल, मध्य प्रदेश, राजस्थान आदि राज्यों में प्रमुखता से की जाती है।
टमाटर / cherry tomato की खेती कैसे करें, जानें पूरी विधि व इसकी किस्में
टमाटर की खेती की बात करें तो टमाटर की खेती (Tomato farming) खरीफ, रबी और जायद तीनो ही मौसमों में की जाती है। अगर गर्मियों में टमाटर की खेती की बात करें तो फरवरी और मार्च में कर सकते हैं। क्योंकि अधिक ठण्ड होने से बीज के अंकुरण में समस्या आती हैं।
टमाटर की खेती सभी प्रकार की भूमियो में की जाती है। अब अगर टमाटर की बीजदर (Tomato Seeds) की बात की जाये तो प्रति एकड़ के लिए 60 ग्राम बीज को बोना चाहिए। अब अगर टमाटर (Tomato Seeds) की किस्मों की बात करें तो सेमिनिस की सक्षम, सिंजेन्टा टीओ - 1057, सिंजेंटा - 6242, TO-3150, हीमसोहना आदि कुछ किस्मों को बुवाई के लिए उपयोग कर सकते हैं।
टमाटर / cherry tomato में शुरूआती अवस्था में लगने वाले प्रमुख रोग और उनका नियंत्रण
किसान भाइयों टमाटर की फसल में यदि रोगों की बात करें तो फरवरी, मार्च और अप्रैल के मध्य लगने वाले कुछ रोगों के बारे में और उनके नियंत्रण के बारे में जानेंगे -
टमाटर / cherry tomato प्रमुख रोग -
अब हम अलग-अलग रोगों की पहचान और नियंत्रण के बारे में विस्तार से जानेंगे।
आर्द्र गलन रोग के लक्षण | Damping off disease in cherry tomato
यह रोग टमाटर/ चेरी टमाटर के पौधों में बीज के अंकुरण के बाद नर्सरी में देखे जाते हैं। इसमें पौधों के बीज और जमीन से लगे रहने वाले भाग सड़ जाते हैं। इस रोग से बचाव के लिए विभिन्न फंगस रोगजनकों पिथियम, फाइटोप्फथोरा, स्केलरेसीएम का नियंत्रण करना जरुरी होता है। यह रोग अधिक नमी से या जलजमाव से अधिक फैलता है।
आर्द्र गलन रोग नियंत्रण | Damping off disease control
- आर्द्र गलन रोग से बचाव के लिए बीज उपचार बाविस्टिन कवकनाशी (bavistin fungicide) से 3 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से करना चाहिए।
- आर्द्र गलन रोग से बचाव के लिए साफ़ कवकनाशी (saaf fungicide uses) का 1.5 से 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकार पौधे के जड़ों के पास छोड़ें।
टमाटर में बैक्टीरियल विल्ट के लक्षण | Tomato Bacterial Wilt Symptoms
बैक्टीरियल विल्ट को बैक्टीरियल झुलसा रोग भी कहते हैं। इस रोग के लगने से टमाटर के पौधें की पत्तियां मुरझा जाती हैं, तथा अधिक सक्रमण होने पर पौधे के तने का रंग फीका पड़ जाता है। बैक्टीरियल विल्ट रोग की पहचान करने के लिए संक्रमित पौधे के तने को पानी में रखकर देखने पर रोग ग्रसित पौधे से दूधिया तरल रक्तस्राव देखा जा सकता है।
टमाटर में बैक्टीरियल विल्ट रोग नियंत्रण | Tomato Bacterial Wilt disease Control -
- इस रोग के नियंत्रण के लिए रोको कवकनाशी (थियोफैनेट मिथाइल 70% डब्लू / डब्लू) को 2-4 ग्राम/लीटर में मिलाकार ड्रिप या मिट्टी को भिगोना चाहिए।
- यदि रोग का प्रकोप ज्यादा हो तो साफ़ कवकनाशी (saaf fungicide uses) का 2 ग्राम + कसु-बी (कासुगामासीन 3% SL) 2 मिली को /लीटर में मिलाकार ड्रिप या मिट्टी को भिगोना चाहिए।
टमाटर में उकठा रोग नियंत्रण | Tomato Wilt disease Control -
टमाटर की फसल में लगने वाला यह प्रमुख रोग है इस रोग की शुरुआती अवस्था में पौधे के निचले पत्ते सूख कर मुरझाने लगते है एवं अधिक संक्रमण होने पर पूरा पौधा पूर्ण रूप से सूख कर मुरझा जाता है। यह बहुत तेजी से फैलने वाला रोग है। प्रभावित पौधों में यदि फल आ गए हैं तो वह पूरी तरह पकने से पहले ही सूख कर गिरने लगते हैं। यह रोग मिट्टी में अधिक नमी, जलजमाव की वजह से ज्यादा फैलता है तो इस रोग के लगने की अवस्था में नाइट्रोजन का उपयोग नहीं करना चाहिए।
टमाटर में विल्ट रोग नियंत्रण | Tomato Wilt disease Control -
- इस रोग के नियंत्रण के लिए रोको कवकनाशी (थियोफैनेट मिथाइल 70% डब्लू / डब्लू) को 2-4 ग्राम/लीटर में मिलाकार ड्रिप या मिट्टी को भिगोना चाहिए।
- यदि रोग का प्रकोप ज्यादा हो तो साफ़ कवकनाशी (saaf fungicide uses) का 2 ग्राम + कसु-बी (कासुगामासीन 3% SL) 2 मिली को /लीटर में मिलाकार ड्रिप या मिट्टी को भिगोना चाहिए।
- अधिक सक्रमण होने पर यूपीएल क्यूप्रोफिक्स (UPL Cuprofix fungicide) को 2 किग्रा/एकड़ को 200 लीटर पानी में मिलाकार ड्रिप या मिट्टी को भिगोना चाहिए।
टमाटर / चेरी टमाटर का प्रति एकड़ 250 क्विंटल का होगा उत्पादन -
किसान भाइयों यदि आप फसल का सही समय पर रोपाई, खाद का प्रबंधन, रोग और कीट नियंत्रण, खरपतवार नियंत्रण, सिचाई मैनेजमेंट को अच्छे से करते हैं तो 200 से लेकर 300 कुंतल प्रति एकड़ तक उत्पादन ले सकते हैं।
किसान भाइयों गर्मियों में टमाटर / चेरी टमाटर की लाभदायक खेती (tomato disease management in summer) के बारे में और रोग नियंत्रण आदि पर यह लेख पढ़कर कैसा लगा यह हमें कमेंट में बताना न भूलें और इस लेख को अपने अन्य किसान मित्रों के साथ भी शेयर करें। धन्यवाद