नमस्ते किसानों भाइयों, भारतअग्री कृषि दुकान वेबसाइट में आपका स्वागत है। क्या आप भी केले खेत में झुलसा रोग से पीढ़ित है और जानने चाहते हैं कि केले की खेती झुलसा रोग नियंत्रण कैसे करें और किस तरह नियंत्रण करके लाखों में आमदानी बढ़ाएं तो आप सही जगह हैं, क्योंकि आज हम इस लेख के माध्यम से केले में झुलसा रोग की दवा के बारे में संपूर्ण जानकारी जानेंगे।
केले की खेती करना एक लाभकारी व्यवसाय हो सकता है, परंतु इसमें झुलसा रोग आने के कारण, रोग के लक्षण समजने का सही तरीका और सही समय पर दवाइओं के छिड़काव पर ध्यान रखना आवश्यक है। चलिए आगे बढ़ते हैं और kele me jhulsa rog ki dawa के बारे में सभी आवश्यक विवरण जानते हैं।
केले में झुलसा रोग आने के करण -
नीचे banana leaf blight कारण बताए गए है।
1. पर्यावरणीय स्थितियाँ – उच्च आर्द्रता और तापमान 25 – 30°C के बीच, बारिश, लंबे समय तक पत्तियों का गीलापन जैसे पृष्ठीय नमी छाने से झुलसा रोग तेजी से प्रसार में सहायक होता है।
2. संवेदनशील विकास – सिगाटोका पत्ती दाग जैसे रोग के लिए संवेदनशील केले के विभिन्न प्रकारों की खेती की जानी चाहिए, जैसे केवेंडिश और रोबस्टा।
3. खाद की कमी – पोटैशियम जैसे मुख्य पोषक तत्वों में कमी वाले पौधे अधिक संवेदनशील होते हैं।
4. खेत की साफ सफाई – खराब निर्वहन, संक्रमित पत्तियों और पौधों के कचरे की मौजूदगी भी झुलसा रोग बढ़ता है।
केले में झुलसा रोग की लक्षण -
नीचे पॉइंट में banana leaf diseases के लक्षण जान लेते हैं।
1. प्रारंभ में, banana leaf blight पत्तियों के किनारे या टिप्पणी पर हल्के पीले या भूरे हरे धाराओं का उत्पन्न होता है, और पत्तियों की मध्यांत में भी।
2. बाद में, ये धाराएँ आकार में बढ़ जाती हैं और पत्तियों पर वालीव में शंख के आकार के धब्बे बन जाते हैं, जिनमें हल्के ग्रे रंग के केंद्र में औरते हैं, जो पत्तियों के नसों के साथ समानांतर होते हैं।
3. धीरे-धीरे पत्तियाँ सूख जाती हैं, जिससे प्रभावित पत्तियों का पतन होता है।
4. अनुकूल परिस्थितियों में, यह बीमारी पूरी पत्तियों में फैल जाती है और फल पंजे के उद्भव के बाद गंभीर हो जाती है।
5. प्रभावित पौधों में फल छोटे होते हैं और पकने से पहले ही पक जाते हैं, जिससे उत्पादन कम हो जाता है।
केले में झुलसा रोग के एकीकृत प्रबंधन -
नीचे मुद्दों में banana diseases के एकीकृत नियंत्रण दिए गए है।
1. जमीन की गहरी जुताई करें ताकि मिट्टी छुपे होने वाले फफूंद धुप से मर जाते हैं।
2. रोपण के समय स्वस्थ, गैर-संक्रमित सकर या प्रकंद का उपयोग करें।
3. रोपाई या प्रकंद की बुवाई सही समय करें।
4. केले के पौध/प्रकंद को उपचारित करके रोपाई करना जिसमें सकर्स की अच्छी सफाई कर रोपाई पूर्व, क्रिस्टल बाविस्टिन (कार्बेन्डाजिम 50% डब्ल्यूपी) - 500 ग्राम और बायर कॉन्फिडोर इमिडाक्लोप्रिड 200 एसएल 200 मिली के 200 लीटर घोल में लगभग 30 मिनट तक डुबाना। इसके बाद सकर्स को एक दिन तक छाया में सुखाकर रोपाई करें।
5. खेत में पौधों की संख्या उचित रखें।
6. फसल हमेशा खरपतवारों से मुक्त रखें।
7. खेत में पानी उचित समय दें।
8. रोपाई के 4-5 महीने के बाद, ग्रसित पत्तियों को लगातार काटकर खेत से बाहर निकाल दें।
9. नीचे टेबल में केले में झुलसा रोग के लिए जैविक दवाएं दी गई हैं।
दवा का नाम |
कंपनी |
डोज / एकड़ |
आनंद एग्रो केयर |
500 मिली |
|
टी-स्टेन्स |
400 मिली |
|
आईपीएल |
450 मिली |
नीचे टेबल में केले में झुलसा रोग के लिए रासायनिक दवाएं दी गई हैं।
दवा का नाम |
कंपनी |
डोज / एकड़ |
अदामा |
150 मिली |
|
अदामा |
300 मिली |
|
क्रिस्टल |
450 ग्राम |
|
यूपीएल |
300 ग्राम |
|
कोर्टेवा |
400 ग्राम |
Conclusion | सारांश -
किसान भाइयों हमें उम्मीद है केले में झुलसा रोग की दवा से सम्बंधित यह लेख आपको पसंद आया होगा। यदि आपको केले में झुलसा रोग से सम्बंधित कुछ सुझाव या प्रश्न हैं तो हमें कमेंट बॉक्स में बताएं। साथ ही इस लेख को अपने अन्य किसान दोस्तों के साथ शेयर करना ना भूलें। खेती संबधित अन्य जानकारी को पढ़ने या फिर समझने के लिए हमारे भारतअग्री कृषि दुकान के साथ जुड़ें रहे।
केले में झुलसा रोग की दवा से सम्बंधित अक्सर पूछे जानें वाले प्रश्न -
1. केले में झुलसा रोग में कौन सी दवा डालें?
जवाब - केले में झुलसा साफ 300 ग्राम/एकड़ के लिये छिड़काव करें।
2. केले में झुलसा रोग में कौन सी जैविक दवा डालें?
जवाब - जवाब - केले में झुलसा डॉ बैक्टोस डर्मस 500 मिली/ एकड़ के लिये छिड़काव करें।
3. केले में प्रकंद के लिए कौन सी दवा का उपचार करें?
जवाब - क्रिस्टल बाविस्टिन (कार्बेन्डाजिम 50% डब्ल्यूपी) - 500 ग्राम और बायर कॉन्फिडोर इमिडाक्लोप्रिड 200 एसएल 200 मिली के 200 लीटर घोल में लगभग 30 मिनट तक डुबाना।
4. केले में झुलसा रोग कब आता है?
जवाब - उच्च आर्द्रता और तापमान 25 – 30°C के बीच, बारिश, लंबे समय तक पत्तियों का गीलापन जैसे पृष्ठीय नमी छाने से झुलसा रोग तेजी से आता है।
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लेखक -
भारतअग्रि कृषि एक्सपर्ट