नमस्कार भाइयो आज के लेख में हम आपको आलू में लगने वाले झुलसा रोग तथा आलू में झुलसा रोग की दवा के बारे में बताने वाले है। आपको बताना चाहता हूँ,कि आलू रबी मौसम की प्रमुख है,और आलू की फसल में अधिक ठण्ड पड़ने से आलू में अगेती और पछेती झुलसा रोग की दिक्कत देखी जाती है। अगर इस रोग का अच्छे से देख भाल नहीं किया गया तो खड़ी की खड़ी फसल को यह रोग खत्म कर देता है। आइये अब हम इस लेख में जानते है, झुलसा रोग की पहचान( jhhulsa rog ki pahchan hindi me ) ,नुकसान और नियंत्रण के लिए कौन कौन की दवा का उपयोग कर सकते है,के बारे में जानते है। लेकिन यह भी जानना चाहिए की आलू भारत में गेहूं, चावल व मक्का के बाद चौथी मुख्य फसल है।
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आलू में झुलसा रोग की दवा | Potato Blight Medicine Details in Hindi
आइये किसान भाइयो अब हम अपने इस लेख में आलू में झुलसा रोग की दवा के बारे में बताने वाले है। जिसमे आलू में झुलसा रोग और झुलसा रोग नियंत्रण के लिए कौन से दवा का उपयोग करे इस विषय में भी चर्चा करेंगे -
आलू में झुलसा रोग की पहचान | Identification of blight disease in potato
आलू की फसल में झुलसा रोग की दिक्कत अधिक ठण्ड पड़ने से और भी बढ़ता है यदि उसका सही से नियंत्रण नहीं किया गया तो झुलसा रोग से पत्तियाँ तने सभी आग से जली हुई दिखाई देती हे और बाद में पूरा पौधा सुखकर मर जाता है। आलू में झुलसा रोग का लक्षण दो तरह के दिखाई देते है -
आलू में अगेती झुलसा की पहचान | Identification of early blight in potato
अगेती झुलसा रोग अल्टरनेरिया सोलेनाई नाम के कवक के कारण होता है। इस रोग के लक्षण फसल बुवाई के बाद यानि नवम्बर और शुरुआत दिसंबर महीने तक देखने को मिलता है,सर्वप्रथम इस रोग के लक्षण आलू की निचली पत्तियों पर छोटे - छोटे भूरे रंग के धब्बे देखने को मिलता है,अधिक संक्रमण होने पर आलू का यह रोग ऊपर की ओर बढ़ता है और जिनको देखने पर चक्रदार रेखाएं दिखाई देती है। इस रोग की वजह से कंद और फल का आकार सही से नहीं बनता है और फसल में प्रकाश संश्लेषण किया बाधित हो जाती है। तो इसलिए सही समय पर इस रोग का नियंत्रण करना बहुत जरुरी होता है।
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अगेती झुलसा रोग का निवारक नियंत्रण | Preventive control of early blight -
यदि आलू की बुवाई कर रहे है तो कुछ बातो का ध्यान रखना बहुत जरुरी होता है। तो सबसे पहले हम कुछ निवारक उपायों के बारे में चर्चा करते है।
- फसल की बुवाई से पहले खेत की साफ़ सफाई करनी चाहिए या पौधे के अवशेषो को खेतो से बाहर कर देना चाहिए।
- फसल की सही समय पर बुवाई करनी चाहिए।
- रोगरोधी किस्मो की बुवाई करनी चाहिए।
- जिस खेत में अगेती झुलसा रोग की दिक्कत हो तो उस फंगस के स्पोर 1 से 1.5 साल तक सक्रिय होता है तो फसल चक्र अपनाना चाहिए।
- जहा पर ज्यादा पाला पड़ता हो उन जगहों पर आलू की खेती नहीं करनी चाहिए।
- आलू को बुवाई से पहले बायर के एमेस्टो प्राइम (पेनफ्लुफेन 240 एफएस) से 964 किलो आलू के बीज के लिए 100 मिली दवा से उपचारित करके बोये।
अगेती झुलसा रोग का रासायनिक नियंत्रण | Chemical control of early blight
आइये अब कुछ रसायनो के बारे में जानते है जिनका उपयोग हम अगेती झुलसा रोग के नियंत्रण के लिए उपयोग कर सकते है।
निम्न तालिका को देख कर तालिकानुसार दवा का उपयोग करे -
केमिकल का नाम |
मार्केट नाम |
छिड़काव की मात्रा या बीज उपचार |
पेनफ्लुफेन 240 एफएस |
964 किलो आलू/100 मिली दवा |
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मैनकोज़ेब 75% डब्ल्यू पी |
600-800 ग्राम/एकड/200 लीटर पानी |
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हेक्साकोनाज़ोल 4% + ज़िनेब 68% WP |
400 ग्राम/एकड/ 200 लीटर पानी |
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कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50% WP |
450 ग्राम/एकड/ 200 लीटर पानी |
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क्लोरोथालोनिल 75% डब्ल्यू पी |
350 से 500 ग्राम प्रति एकड़/ 200 लीटर पानी |
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एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 18.2% और डिफेनोकोनाज़ोल 11.4% एससी |
200 मिली /एकड/ 200 लीटर पानी |
आलू में पछेती झुलसा रोग की पहचान | Identification of late blight disease in potato
आलू में पछेती झुलसा रोग फाइटोपथोरा नामक कवक के द्वारा होता है। इस रोग की वजह से पौधों की पत्तियां सिरे से झुलसने लगती हैं और पत्तियों पर भूरे एवं काले रंग के धब्बे बनने लगते हैं। इस रोग के प्रभाव होने पर फसलों की पैदावार में कमी आती है और कंदों या फलो के आकार भी छोटा रह जाता है। यह रोग बहुत तेजी से फैलता है और देखते ही देखते कुछ दिनों में पूरी की पूरी फसल नष्ट हो जाती है।
पछेती झुलसा रोग का निवारक नियंत्रण | Preventive control of late blight
- फसल की बुवाई से पहले खेत की साफ़ सफाई करनी चाहिए या पौधे के अवशेषो को खेतो से बाहर कर देना चाहिए।
- फसल की सही समय पर बुवाई करनी चाहिए।
- रोगरोधी किस्मो की बुवाई करनी चाहिए।
- जिस खेत में अगेती झुलसा रोग की दिक्कत हो तो उस फंगस के स्पोर 1 से 1.5 साल तक सक्रिय होता है तो फसल चक्र अपनाना चाहिए।
- जहा पर ज्यादा पाला पड़ता हो उन जगहों पर आलू की खेती नहीं करनी चाहिए।
- आलू को बुवाई से पहले बायर के एमेस्टो प्राइम (पेनफ्लुफेन 240 एफएस) से 964 किलो आलू के बीज के लिए 100 मिली दवा से उपचारित करके बोये।
पछेती झुलसा रोग का रासायनिक नियंत्रण | Chemical control of late blight
आइये अब कुछ रसायनो के बारे में जानते है जिनका उपयोग हम पछेती झुलसा रोग के नियंत्रण के लिए उपयोग कर सकते है।
निम्न तालिका को देख कर तालिकानुसार दवा का उपयोग करे -
केमिकल का नाम |
मार्केट नाम |
छिड़काव की मात्रा |
मैनकोज़ेब 75% डब्ल्यू पी |
600-800 ग्राम/एकड/200 लीटर पानी |
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कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोजेब 63% WP |
400 ग्राम/एकड/ 200 लीटर पानी |
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हेक्साकोनाज़ोल 4% + ज़िनेब 68% WP |
400 ग्राम/एकड/ 200 लीटर पानी |
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कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50% WP |
450 ग्राम/एकड/ 200 लीटर पानी |
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प्रोपीनेब 70% डब्ल्यूपी |
600 ग्राम/एकड/200 लीटर पानी |
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एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 18.2% और डिफेनोकोनाज़ोल 11.4% एससी |
200 मिली /एकड/ 200 लीटर पानी |
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कैप्टन 70% + हेक्साकोनाज़ोल 5% डब्ल्यूपी |
200 से 400 ग्राम प्रति एकड़/ 200 लीटर पानी |
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