angur ki kheti kaise karen

Angur Ki Kheti: अंगूर की खेती की सम्पूर्ण जानकारी

अंगूर एक महत्वपूर्ण और लाभकारी फसल है, जो भारत के विभिन्न हिस्सों में इसे उगाया जाता है। इसकी खेती व्यवसायिक दृष्टिकोण से अत्यंत फायदेमंद होती है क्योंकि अंगूर का उपयोग ताजे फल के रूप में, सूखे मेवे (किशमिश), और वाइन (शराब) बनाने के लिए किया जाता है। अंगूर की खेती में अच्छे उत्पादन के लिए उपयुक्त जलवायु, सही किस्मों का चयन और उचित खेती तकनीक का पालन आवश्यक होता है। अंगूर के पौधे अत्यधिक संवेदनशील होते हैं और उनकी देखभाल में समय और श्रम की आवश्यकता होती है। इसके बावजूद, सही प्रबंधन से इसकी खेती किसानों के लिए लाभदायक सिद्ध हो सकती है।


भारत में अंगूर की खेती: 

भारत में अंगूर की खेती मुख्य रूप से महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, और राजस्थान में की जाती है। महाराष्ट्र अंगूर उत्पादन का सबसे बड़ा केंद्र है, विशेष रूप से नासिक और सांगली क्षेत्र इस फसल के लिए प्रसिद्ध हैं। इन क्षेत्रों में जलवायु और मिट्टी की स्थिति अंगूर की खेती के लिए अनुकूल मानी जाती है।


खेती का समय -

अंगूर की खेती के लिए आदर्श समय नवंबर से फरवरी तक होता है। यह अवधि अंगूर के पौधों के विकास और अच्छे फलन के लिए अनुकूल मानी जाती है। अलग-अलग क्षेत्रों में अंगूर की रोपाई के समय में थोड़ा भिन्नता हो सकती है, लेकिन आमतौर पर शीतकालीन महीनों में अंगूर की बुआई की जाती है।


मौसम और जलवायु -

अंगूर की खेती के लिए शुष्क और गर्म जलवायु उपयुक्त होती है। इसे उष्णकटिबंधीय और उप-उष्णकटिबंधीय जलवायु में सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है। अंगूर के पौधों को गर्मियों में अधिक तापमान (30-35°C) और सर्दियों में हल्की ठंड (10-15°C) की आवश्यकता होती है। अत्यधिक बारिश और जलभराव पौधों के लिए हानिकारक हो सकते हैं, इसलिए अच्छे जल निकासी वाली जगहों पर अंगूर की खेती की जानी चाहिए।


खेत की तैयारी -

अंगूर की खेती के लिए खेत की तैयारी में सबसे पहले खेत को गहरी जुताई कर मलबा, पत्थर आदि हटाना चाहिए। खेत में अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद या जैविक खाद का उपयोग करना चाहिए ताकि मिट्टी की उर्वरक क्षमता बढ़े। खेत की सतह समतल होनी चाहिए ताकि पौधों की जड़ों में समान रूप से पोषक तत्व और पानी पहुंच सके। खेत में रोपाई से पहले अंगूर के बागों की पंक्तियों को 2-3 मीटर की दूरी पर तैयार किया जाता है।


अंगूर की खेती के लिए मिट्टी का चयन -

अंगूर की खेती के लिए अच्छे जल निकासी वाली दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है। हालांकि, इसे काली, लाल, या बलुई मिट्टी में भी उगाया जा सकता है, लेकिन मिट्टी की पीएच मान 6.5 से 7.5 के बीच होनी चाहिए। अत्यधिक अम्लीय या क्षारीय मिट्टी में अंगूर की खेती सफल नहीं होती।

अंगूर की बेस्ट किस्मों की जानकारी -

1. थॉमसन सीडलैस (Thompson Seedless): यह बिना बीज वाले अंगूर की प्रमुख किस्म है, जो ताजे फल और किशमिश दोनों के लिए उपयुक्त है।

2. पेर्लेट (Perlette): जल्दी पकने वाली किस्म, जिसे ताजे फलों के रूप में उपयोग किया जाता है।

3. शार्दोन (Chardonnay): वाइन बनाने के लिए बेहतरीन किस्म, जिसे दुनिया भर में पसंद किया जाता है।

4. रूबीकॉन (Rubicon): यह किस्म बड़े आकार और मीठे स्वाद के लिए मशहूर है।

5. फ्लेम सीडलैस (Flame Seedless): मीठे और हल्के लाल रंग के अंगूर, ताजे फलों के रूप में लोकप्रिय।

6. कैबर्नेट सौविग्नॉन (Cabernet Sauvignon): वाइन के लिए मशहूर, गहरे लाल रंग और बेहतरीन स्वाद वाली किस्म।

7. डोगरिज़ (Dogridge): रूटस्टॉक के लिए उपयोग की जाने वाली किस्म, जिसमें बीमारियों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है।

8. कृष्णा सीडलैस (Krishna Seedless): यह किस्म मुख्य रूप से ताजे फल और किशमिश के लिए उपयोग की जाती है।

9. सोनााका (Sonaka): लम्बे और बिना बीज वाले अंगूर, जिनका स्वाद मीठा होता है।

10. कार्निवल (Carnival): यह किस्म बड़ी बेलों पर उगती है और ताजे फलों के लिए उपयुक्त होती है।


प्रति एकड़ पौधों की आवश्यकता -

अंगूर की खेती में प्रति एकड़ 500 से 600 पौधे लगाए जा सकते हैं। पौधों की रोपाई के लिए उचित दूरी और पंक्तियों के बीच स्थान का ध्यान रखना आवश्यक है, जिससे पौधों के विकास में कोई बाधा न हो और प्रकाश व हवा का उचित आदान-प्रदान हो सके।


अंगूर के पौधों की रोपाई और दूरी -

अंगूर की रोपाई का सही समय सर्दियों के अंत से लेकर वसंत ऋतु तक होता है, यानी नवंबर से मार्च के बीच। पौधों के बीच की दूरी 2.5 से 3 मीटर तक और पंक्तियों के बीच 3 से 4 मीटर की दूरी रखनी चाहिए। यह दूरी पौधों को बढ़ने के लिए पर्याप्त जगह देती है।


खाद और उर्वरक की प्रति एकड़ मात्रा -

अंगूर की फसल में प्रति एकड़ 10-12 टन सड़ी हुई गोबर की खाद का उपयोग करना चाहिए। इसके अलावा, नाइट्रोजन (N), फॉस्फोरस (P), और पोटाश (K) की संतुलित मात्रा में उर्वरक देना चाहिए। फसल की आवश्यकता के अनुसार प्रति एकड़ 100-120 किग्रा नाइट्रोजन, 60-70 किग्रा फॉस्फोरस, और 80-100 किग्रा पोटाश डालना चाहिए।


अंगूर की फसल में कीटों की समस्या -

फसल में कीटों की समस्या 

कीटनाशक की जानकारी 

मात्रा/एकड़ 

पत्ती खाने वाली इल्ली 

धानुका ईएम-1 कीटनाशक  

80 ग्राम प्रति एकड़ 

मिलीबग 

नागार्जुन प्रोफेक्स सुपर 

400 मिली प्रति एकड़ 

मकड़ी 

बायर ओबेरॉन कीटनाशक

150 मिली प्रति एकड़ 

तना छेदक 

एफएमसी कोराजन कीटनाशक 

60 मिली प्रति एकड़ 

निमेटोड 

वेलम प्राइम

300 मिली प्रति एकड़ 

बीटल्स किट 

यूपीएल लांसर गोल्ड 

400 ग्राम प्रति एकड़

थ्रिप्स और माहू 

सिंजेटा अलिका कीटनाशक 

80 मिली प्रति एकड़ 


अंगूर की फसल में रोगों की समस्या -

फसल में रोगों की समस्या 

फफूंदनाशी की जानकारी 

मात्रा/एकड़ 

डाउनी मिल्ड्यू

बायर नेटिवो फफूंदनाशी

80 ग्राम प्रति एकड़

पाउडरी मिल्ड्यू

मिटोमो कीटोशी फफूंदनाशी

300 मिली प्रति एकड़ 

एन्थ्रेक्नोज

बायर एंट्राकोल फफूंदनाशी 

400 ग्राम प्रति एकड़ 

अल्टरनेरिया ब्लाइट

बीएएसएफ कैब्रियो टॉप फफूंदनाशी 

450 मिली प्रति एकड़ 

रूट रोट

क्रिस्टल बाविस्टिन फफूंदनाशी 

150  ग्राम प्रति एकड़ 

लीफ रस्ट

इंडोफिल अवतार फफूंदनाशी 

300 ग्राम प्रति एकड़ 

बैक्टीरियल ब्लाइट

सिजेंटा रिडोमिल गोल्ड फफूंदनाशी 

300 ग्राम प्रति एकड़ 

बंच रोट

क्रिस्टल टिल्ट फफूंदनाशी

150 मिली प्रति एकड़


फलों की तुड़ाई और समय -

अंगूर की फसल की तुड़ाई आमतौर पर 120-150 दिनों में की जाती है, जब फल पूर्ण रूप से पक जाते हैं। कटाई का समय क्षेत्र की जलवायु और किस्म के अनुसार भिन्न हो सकता है, लेकिन आमतौर पर मार्च से मई तक इसकी कटाई की जाती है।


अंगूर की फसल प्रति एकड़ उत्पादन -

अंगूर की फसल का उत्पादन प्रति एकड़ 8 से 12 टन तक हो सकता है, जो किस्म, जलवायु, और खेती के तरीकों पर निर्भर करता है। उचित प्रबंधन और सही तकनीक के साथ उत्पादन बढ़ाया जा सकता है।


सारांश -

1. अंगूर की खेती भारत में व्यापक रूप से की जाती है और यह किसानों के लिए एक लाभकारी फसल है। इसकी खेती के लिए शुष्क और गर्म जलवायु, उचित खेत की तैयारी और सही किस्मों का चयन अत्यधिक महत्वपूर्ण है। 

2. अंगूर की खेती में अच्छी देखभाल, खाद और उर्वरक प्रबंधन, कीट और रोगों की पहचान और नियंत्रण आवश्यक होता है। सही तकनीकों का पालन करके किसान प्रति एकड़ उच्च उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं और अपने कृषि व्यवसाय को सफल बना सकते हैं।


अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न -

1. अंगूर की खेती के लिए भारत में कौन से राज्य प्रमुख हैं?

उत्तर - महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, और तमिलनाडु प्रमुख राज्य हैं।

2. अंगूर की खेती का उपयुक्त समय क्या है?

उत्तर - नवंबर से फरवरी का समय सबसे उपयुक्त माना जाता है।

3. अंगूर की कौन सी किस्में सबसे अच्छी मानी जाती हैं?

उत्तर - थॉमसन सीडलैस, पेर्लेट, और शार्दोन सबसे अच्छी किस्में हैं।

4. प्रति एकड़ अंगूर के कितने पौधे लगाए जा सकते हैं?

उत्तर - प्रति एकड़ 500 से 600 पौधे लगाए जा सकते हैं।

5. अंगूर की खेती में प्रमुख कीट कौन-कौन से होते हैं?

उत्तर - पत्ती खाने वाली इल्ली, मिलीबग, मकड़ी, तना छेदक, और थ्रिप्स प्रमुख कीट हैं।

6. अंगूर की फसल के प्रमुख रोग कौन से हैं?

उत्तर - डाउनी मिल्ड्यू, पाउडरी मिल्ड्यू, एन्थ्रेक्नोज, और अल्टरनेरिया ब्लाइट प्रमुख रोग हैं।

7. अंगूर की फसल का उत्पादन प्रति एकड़ कितना हो सकता है?

उत्तर - प्रति एकड़ 8 से 12 टन तक उत्पादन हो सकता है।


लेखक

BharatAgri Krushi Dukan


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