टमाटर की खेती करने की सम्पूर्ण गाइड

टमाटर की खेती करने की सम्पूर्ण गाइड

टमाटर उगाने के लिए जलवायु परिस्थिति

जलवायु

  • पुष्पन और फल बनने के समय भारी बारिश, बादल नुकसानकारक हैं क्योंकि यह फूलों और फलों के गिरने का कारण बनता है।
  • ये पौधे पाला और अधिक नमी का सामना नहीं कर पाते हैं | 
  • अधिक नमी के कारण फल सड जाते हैं।
  • फल बनने के समय तेज धूप के कारण गहरे लाल रंग के फल विकसित होते हैं।

तापमान

  • 10°C से कम तापमान के कारण पौधे का विकास रुक जाता है।
  • यदि तापमान 33°C से अधिक हो तो फलों के विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
  • प्रारंभिक वृद्धि अवस्था पर 38°C से अधिक तापमान से विकास रुक जाता है।
  • टमाटर के लिए आदर्श तापमान 21-24°C तक होता है।

टमाटर की फसल में पानी की आवश्यकता

  • आमतौर पर सिंचित क्षेत्रों में उगाया जाता है।
  • उच्च गुणवत्ता वाले टमाटर उगाने के लिए, प्लास्टिक मल्चिंग के साथ ड्रिप सिंचाई की सलाह दी जाती हैI 
  • वानस्पतिक अवस्था में (30 दिनों तक) पानी की आवश्यकता अधिक मात्रा में होती है।
  • फसल में पानी की आवश्यकता – 600-1500  मिमी वर्षा के बराबर।

टमाटर की फसल के लिए उचित मिट्टी

प्रकार

  • अच्छी जल धारण क्षमता वाली दोमट मिट्टी

सामू

  • आवश्यक स्तर 6.0 – 7.5
  • यदि पीएच < 6.0 है तो चूना डालें।
  • यदि पीएच > 7.5 है तो जिप्सम डालेंI

टमाटर की नर्सरी की तैयारी

नर्सरी की तैयारी

विधि-1

  • 1 एकड़ क्षेत्र में प्रत्यारोपण के लिए 0.08 एकड़ (3 गुंठा) नर्सरी की आवश्यकता होती है।
  • 3 मीटर लंबाई X 1 मीटर चौड़ाई X 15 सेमी ऊंचाई की छः क्यारियाँ तैयार करें।
  • बीज 2-3 सेंटीमीटर गहरे और 10 सेंटीमीटर की दुरी पर कतार में बोएं और मिट्टी से ढक दें।
  • क्यारियों को अंकुरण तक प्रतिदिन दो बार और अंकुरण के बाद एक बार पानी दें। 
  • प्रत्यारोपण से 4-5 दिन पहले क्यारियों में पानी की मात्रा कम करें ताकि पौधे सख्त हों और प्रत्यारोपण से एक दिन पहले हल्की सिंचाई करें।

 विधि-2

  • कोकोपीट @ 1.2 किलो प्रति ट्रे के साथ प्रो ट्रे भरें।
  • प्रो ट्रे में उपचारित बीज एक खाने में 1 बीज के दर से बोएं।
  • बीज को कोकोपीट से ढक दें और अंकुरण शुरू होने तक (5 दिन) ट्रे को एक के ऊपर एक रखें और पॉलीथीन शीट से ढंक दें ।
  • 6 दिनों के बाद, अंकुरित बीज वाले हर एक प्रो ट्रे को शेड नेट के अंदर उभरी हुई ऊँची क्यारीयों में रखें।

नर्सरी कालावधी

  •   अवधि- 25-30 दिन
  •   जब पत्तियाँ गहरे हरे रंग की और तना मोटा हो जाता है तब पौधे रोपाई के लिए तैयार हो जाते हैं।
नर्सरी के लिए औसत बीज
1 एकड़ क्षेत्र में प्रत्यारोपण के लिए 380-400 ग्राम बीज
हाइब्रिड
1 एकड़ क्षेत्र में प्रत्यारोपण के लिए 140-150 ग्राम बीज

  

टमाटर के कीट और रोग प्रबंधन

टमाटर की खेती के रोग एवं उपचार
अर्ली ब्लाइट - 
लक्षण
पत्ती के धब्बे, धब्बों के आसपास का ऊतक अक्सर पीले हो जाते है।
फसल प्रविष्ट प्रमाण
मॅंकोझेब
200 ग्राम प्रति एकड़
प्रयोग
पानी में मिक्स करके छिड़काव करे।
लक्षण
फल छेदनेवाली अली ⎯ अंडे से निकलनेके बाद अली विकसित होनेवाले फल में छेद करती है और गूदा, विकसित होनेवाले बीज, ऊतको को खाती है| प्रभावित फलों को बाद में कवक और जीवाणु द्वारा हमला किया जाता है जिसके परिणामस्वरूप सड़न होती है।क्षति के विशिष्ट लक्षण आक्रामक गंध, प्रवेश छिद्रों से निकलने वाला अली का उत्सर्जन और छिद्रों के आसपास चिपका हुआ कूड़ा हैं।
फसल प्रविष्ट प्रमाण
इंडोक्साकार्ब + नोवलूरॉन
200 मिली प्रति एकड़
प्रयोग
पानी में मिक्स करके फवारणी करे।
टमाटर की खेती के रोग - मोझॅक व्हायरस
मोझॅक व्हायरस
लक्षण
ऊपर की तरफ पत्ते मुडते है।
फसल प्रविष्ट प्रमाण
डायमेथोएट
200 मिली प्रति एकड़
प्रयोग
पानी में मिक्स करके फवारणी करे।
लक्षण
• संक्रमित पत्तियों में सफ़ेद से लेकर हल्के भूरे, चूर्णयुक्त दाग होते हैं • ये दाग कई पत्तियों की सतहों पर बडते है और उन्हें कवर कर सकते हैं एक पौधे में।
फसल प्रविष्ट प्रमाण
सल्फर
200 ग्राम प्रति एकड़
प्रयोग
पानी में मिक्स करके फवारणी करे।
टमाटर की बीमारी - रसशोषक किडी
रसशोषक किडी
लक्षण
पत्तिया मुड़ जाती है, पौधे में पीलापन होता है।
फसल प्रविष्ट प्रमाण
असिटामॅप्रिड
200 ग्राम प्रति एकड़
प्रयोग
पानी में मिक्स करके फवारणी करे।
लक्षण
पौधों का कमजोर होना और सुख जाना।
फसल प्रविष्ट प्रमाण
मेटॅलिक्सिल
250 ग्राम प्रति एकड़
प्रयोग
पानी में मिक्स करके फवारणी करे।
टमाटर की खेती के रोग - मर रोग
फफूंदी
लक्षण
फफूंदी ⎯ फफूंदी और सफ़ेद चूर्णी रोग कवक के कारण होता है। फाइटोफ्थोरा इन्फेस्टांस , पत्तियों पर पानी से लथपथ क्षेत्र बनते है जो पत्ती को भूरे और काले रंगमे बनाते है और पत्ती मर जाते हैं। रोग अक्सर ठंडे, बरसाती मौसम के दौरान होता है और अगर मौसम में गरमी आती है तो यह तेजी से फैल सकता है। पौधे एक गंभीर मामले में मर सकते हैं, और आलू गंभीर रूप से गोदाम में प्रभावित हो सकते हैं। गंभीर संक्रमण से सभी पत्ते सड़ जाते हैं, सूख जाते हैं और जमीन पर गिर जाते हैं, तने सुख जाते है और पौधे मर जाते है।
फसल प्रविष्ट प्रमाण
क्लोरोथॅलोनील
200 मिली प्रति एकड़
प्रयोग
पानी में मिक्स करके फवारणी करे।
लक्षण
अळी पानांच्या मध्ये आढळून येते. पूर्ण विकसित अळी हिरव्या रंगाचे असतात. संक्रमणांचा पत्ता त्या अळीच्या उपस्थितिपासून लागतो जे पानांवरती छोटे तपकिरी रंगाचे डाग असतात. अळीचे आकार वेगवेगळे असतात जे लार्वाच्या अवस्थेवर अवलंबून असतात. गंभीर संक्रमणाची वेळ पूर्ण पान तपकिरी होते आणि सुकून जाते.
फसल प्रविष्ट प्रमाण
लेम्बडा- सायहॅलोथ्रीन
200 मिली प्रति एकड़
प्रयोग
पानी में मिक्स करके फवारणी करे।
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