तम्बाकू की खेती एक प्रमुख नकदी फसल के रूप में जानी जाती है, जिसका उपयोग सिगरेट, बीड़ी, सिगार और अन्य तम्बाकू उत्पादों के निर्माण में किया जाता है। तम्बाकू का उपयोग न केवल तम्बाकू उत्पादों के लिए होता है बल्कि इसके पत्तों का उपयोग जैविक कीटनाशकों के निर्माण में भी किया जाता है। तम्बाकू की खेती भारत के विभिन्न राज्यों में बड़े पैमाने पर की जाती है, और यह कई किसानों के लिए आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। भारतअॅग्री के माध्यम से जानें तम्बाकू की खेती का समय, बेस्ट किस्में, उर्वरक प्रबंधन, खरपतवार, कीटों और रोगों का नियंत्रण की सम्पूर्ण जानकारी के बारें में।
तम्बाकू की खेती भारत में कहां की जाती है -
आंध्र प्रदेश और गुजरात तम्बाकू उत्पादन में अग्रणी हैं, विशेषकर आंध्र प्रदेश का गंटूर जिला तम्बाकू उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है।
1. आंध्र प्रदेश
2. गुजरात
3. महाराष्ट्र
4. कर्नाटक
5. उत्तर प्रदेश
6. बिहार
7. तमिलनाडु
8. ओडिशा
खेती का समय -
तम्बाकू की खेती का समय क्षेत्र के अनुसार भिन्न होता है। रबी मौसम में तम्बाकू की बुवाई अक्टूबर से नवंबर के बीच की जाती है, जबकि खरीफ मौसम में जून से जुलाई के बीच।
मौसम और जलवायु -
1. तम्बाकू की खेती के लिए उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु उपयुक्त होती है।
2. इसे मध्यम वर्षा (100-150 सेमी) वाले क्षेत्रों में उगाया जा सकता है।
3. तापमान 20°C से 35°C के बीच होना चाहिए, और अच्छी धूप की आवश्यकता होती है।
4. तम्बाकू की फसल को पाले और अधिक आर्द्रता से बचाना चाहिए।
खेत की तैयारी -
1. तम्बाकू की खेती के लिए खेत की तैयारी बहुत महत्वपूर्ण होती है।
2. खेत की अच्छी तरह से जुताई करनी चाहिए ताकि मिट्टी भुरभुरी और हवादार हो जाए।
3. 3-4 बार गहरी जुताई के बाद, खेत को समतल किया जाना चाहिए और खरपतवार को हटाया जाना चाहिए।
4. खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था होनी चाहिए ताकि पानी का ठहराव न हो।
तम्बाकू की खेती के लिए मिट्टी -
1. तम्बाकू की खेती के लिए दोमट या रेतीली दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है।
2. मिट्टी का pH स्तर 5.5 से 7.0 के बीच होना चाहिए।
3. मिट्टी में जल निकासी की अच्छी क्षमता होनी चाहिए ताकि जलभराव की स्थिति न बने, जो कि पौधों की जड़ सड़न का कारण बन सकती है।
तम्बाकू की टॉप 10 किस्म -
1. भूरली-1 (Bhurley-1): यह किस्म उच्च गुणवत्ता वाले पत्तों के लिए जानी जाती है और इसकी पत्तियां बड़ी और मोटी होती हैं। यह मुख्य रूप से चबाने और बीड़ी बनाने के लिए उपयोग की जाती है।
2. भूरली-2 (Bhurley-2): इस किस्म का विकास भूरली-1 की तुलना में अधिक रोग प्रतिरोधी और बेहतर उपज देने के लिए किया गया है। इसके पत्ते मोटे और गहरे हरे रंग के होते हैं।
3. वर्जीनिया (Virginia): वर्जीनिया तम्बाकू किस्म सिगरेट निर्माण के लिए सबसे अधिक उपयोग की जाती है। इसके पत्ते पतले, हल्के और हल्के सुनहरे रंग के होते हैं।
4. चोपड़ा (Chopra): यह किस्म मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में काफी लोकप्रिय है। इसके पत्ते छोटे और गहरे हरे होते हैं, जो बीड़ी निर्माण के लिए आदर्श होते हैं।
5. फ्लू-क्योर्ड वर्जीनिया (Flue-cured Virginia - FCV): यह किस्म सिगरेट के निर्माण के लिए एक और प्रमुख किस्म है, जो कि फ्लू क्योर्ड तकनीक से बनाई जाती है। इसके पत्ते हल्के और सुगंधित होते हैं।
6. बीड़ी तम्बाकू (Bidi Tobacco): विशेष रूप से बीड़ी बनाने के लिए उपयोगी, यह किस्म मुख्य रूप से गुजरात, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में उगाई जाती है। इसके पत्ते छोटे और मोटे होते हैं।
7. देशी (Desi): देशी तम्बाकू मुख्य रूप से चबाने और बीड़ी बनाने के लिए उगाया जाता है। इसके पत्ते मोटे और गहरे हरे होते हैं और यह भारत के विभिन्न हिस्सों में उगाया जाता है।
8. बरली (Burley): बरली तम्बाकू की किस्में हल्की और मध्यम स्वाद की होती हैं और मुख्य रूप से सिगरेट के लिए उपयोग की जाती हैं। यह किस्म वर्जीनिया की तुलना में अधिक नमी को अवशोषित करती है।
9. डार्क फायर क्योर्ड (Dark Fire-Cured): यह किस्म सिगार और चबाने वाले तम्बाकू के लिए उपयोग की जाती है। इसके पत्ते मोटे और गहरे रंग के होते हैं। यह मुख्य रूप से तम्बाकू का गहरा और मजबूत स्वाद देने के लिए जानी जाती है।
10. लैंका तम्बाकू (Lanka Tobacco): यह किस्म आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में बहुत लोकप्रिय है। इसके पत्ते मोटे और गहरे रंग के होते हैं और यह बीड़ी के लिए आदर्श है।
तम्बाकू की खेती के बीजदर प्रति एकड़ अनुसार -
1. तम्बाकू की खेती के लिए बीज की मात्रा 1.5-2 किलो प्रति एकड़ होती है।
2. बीज की मात्रा का चयन फसल की किस्म और भूमि की उपजाऊ क्षमता के अनुसार किया जाता है।
तम्बाकू के पौधों की रोपाई और समय, दूरी -
1. तम्बाकू के पौधों की रोपाई 6-8 सप्ताह पुराने पौधों की जाती है। पौधों की रोपाई की दूरी 60 सेमी × 60 सेमी रखी जाती है ताकि पौधों को बढ़ने के लिए पर्याप्त स्थान मिल सके।
2. रोपाई का समय रबी फसल के लिए दिसंबर से जनवरी के बीच और खरीफ फसल के लिए जुलाई से अगस्त के बीच होता है।
खाद और उर्वरक मात्रा एकड़ -
1. नाइट्रोजन (N): तम्बाकू की फसल के लिए प्रति एकड़ 60-80 किलोग्राम नाइट्रोजन की आवश्यकता होती है। नाइट्रोजन का उपयोग तीन बार में किया जाना चाहिए: पहली बार बुवाई के समय, दूसरी बार 30-35 दिन बाद, और तीसरी बार 60-65 दिन बाद।
2. फॉस्फोरस (P2O5): तम्बाकू की फसल के लिए प्रति एकड़ 40-60 किलोग्राम फॉस्फोरस की आवश्यकता होती है। फॉस्फोरस का पूरा भाग बुवाई के समय बेसल ड्रेसिंग के रूप में दिया जाना चाहिए।
3. पोटाश (K2O): प्रति एकड़ 80-100 किलोग्राम पोटाश की आवश्यकता होती है। पोटाश का उपयोग भी दो बार में किया जाना चाहिए: पहली बार बुवाई के समय और दूसरी बार 30-35 दिन बाद।
4. जिप्सम (कैल्शियम सल्फेट): तम्बाकू की फसल में जिप्सम का उपयोग करना लाभकारी होता है। प्रति एकड़ 200 किलोग्राम जिप्सम बुवाई से पहले मिट्टी में मिलाना चाहिए।
5. बुवाई से पहले: सभी फॉस्फोरस, आधा नाइट्रोजन, और आधा पोटाश का उपयोग बुवाई से पहले भूमि की तैयारी के दौरान किया जाना चाहिए।
6. 30-35 दिन बाद (प्रथम टॉप ड्रेसिंग): बचा हुआ नाइट्रोजन और पोटाश का आधा भाग पहली टॉप ड्रेसिंग के रूप में फसल के रोपण के 30-35 दिन बाद दिया जाना चाहिए।
7. 60-65 दिन बाद (द्वितीय टॉप ड्रेसिंग): बाकी बचा हुआ नाइट्रोजन और पोटाश का शेष भाग दूसरी टॉप ड्रेसिंग के रूप में 60-65 दिन बाद दिया जाना चाहिए।
8. सूक्ष्म पोषक तत्व: तम्बाकू की फसल के लिए सूक्ष्म पोषक तत्व जैसे कि जिंक, बोरॉन, और आयरन भी आवश्यक होते हैं, जोकि मिट्टी की जांच के बाद दी जानी चाहिए।
तम्बाकू की फसल में कीटों की समस्या -
कीटों की समस्या |
कीटनाशक का नाम |
उपयोग मात्रा |
स्टेम बोरर |
60 मिली प्रति एकड़ |
|
लीफ माइनर |
80 मिली प्रति एकड़ |
|
मिली बग |
400 मिली प्रति एकड़ |
|
माहू |
300 मिली प्रति एकड़ |
|
रेड स्पाइडर माइट |
150 मिली प्रति एकड़ |
|
थ्रिप्स |
100 मिली प्रति एकड़ |
|
तम्बाकू इल्ली |
80 ग्राम प्रति एकड़ |
तम्बाकू की फसल में रोगों की समस्या -
रोगों के नाम |
बेस्ट फफूंदनाशी |
उपयोग मात्रा |
विल्ट |
500 ग्राम प्रति एकड़ |
|
रूट रोट |
500 ग्राम प्रति एकड़ |
|
डाई बैक |
200 मिली प्रति एकड़ |
|
लीफ स्पॉट |
300 ग्राम प्रति एकड़ |
|
पाउडरी मिल्ड्यू |
300 मिली प्रति एकड़ |
|
अल्टरनेरिया ब्लाइट |
300 ग्राम प्रति एकड़ |
|
कॉलर रोट |
250 ग्राम प्रति एकड़ |
तम्बाकू की फसल की कटाई और समय -
1. तम्बाकू की पत्तियों की कटाई तब की जाती है जब पत्तियाँ पूरी तरह से विकसित हो जाती हैं और उनमें आवश्यक निकोटिन की मात्रा होती है।
2. कटाई का समय मुख्यतः फसल की किस्म और खेती की अवधि पर निर्भर करता है।
3. आमतौर पर, पत्तियों की कटाई 90-120 दिन बाद की जाती है।
तम्बाकू की फसल प्रति एकड़ उत्पादन -
तम्बाकू की फसल का उत्पादन मिट्टी की गुणवत्ता, जलवायु, फसल प्रबंधन और किस्म पर निर्भर करता है। औसतन, प्रति एकड़ तम्बाकू की फसल का उत्पादन 4-6 क्विंटल तक हो सकता है।
सारांश -
1. तम्बाकू की खेती एक लाभकारी फसल है, जो उचित जलवायु, मिट्टी की तैयारी, खाद प्रबंधन, और रोग-कीट नियंत्रण से उच्च उत्पादन देती है।
2. तम्बाकू की खेती से किसानों को अच्छा आर्थिक लाभ प्राप्त हो सकता है, बशर्ते कि सभी कृषि प्रबंधन तकनीकों का सही तरीके से पालन किया जाए।
अक्सर पूछे जानें वाले प्रश्न -
1. तम्बाकू की खेती किन राज्यों में होती है?
उत्तर - आंध्र प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, बिहार, तमिलनाडु, ओडिशा।
2. तम्बाकू की बुवाई का सही समय क्या है?
उत्तर - रबी के लिए अक्टूबर-नवंबर और खरीफ के लिए जून-जुलाई।
3. तम्बाकू की खेती के लिए सबसे उपयुक्त मिट्टी कौन सी है?
उत्तर - दोमट या रेतीली दोमट मिट्टी, pH स्तर 5.5 से 7.0।
4. तम्बाकू की खेती के लिए बीज दर प्रति एकड़ क्या है?
उत्तर - तम्बाकू की खेती के लिए 1.5-2 किलो प्रति एकड़ बीज की आवश्यकता होती है ।
5. तम्बाकू की शीर्ष किस्में कौन सी हैं?
उत्तर - भूरली-1, भूरली-2, वर्जीनिया, चोपड़ा, फ्लू-क्योर्ड वर्जीनिया, बीड़ी तम्बाकू।
6. तम्बाकू की पत्तियों की तुड़ाई कब करनी चाहिए?
उत्तर - पत्तियाँ पूरी तरह विकसित होने और आवश्यक निकोटिन मात्रा होने पर, 90-120 दिन बाद।
7. प्रति एकड़ तम्बाकू का औसत उत्पादन कितना होता है?
उत्तर - तम्बाकू का उत्पादन औसतन 4-6 क्विंटल प्रति एकड़ तक होता है।
लेखक
BharatAgri Krushi Doctor