दोस्तों नमस्कार, आज भारतअॅग्री के माध्यम से जानें तिल की खेती का समय, खेत की तैयारी, बेस्ट किस्में, बीज दर, उर्वरक, खरपतवार, कीटों और रोगों का नियंत्रण, और उत्पादन की सम्पूर्ण जानकारी। तिल (Sesamum indicum) एक प्रमुख तिलहन फसल है जो अपने उच्च तेल सामग्री और पोषक तत्वों के कारण अत्यधिक महत्वपूर्ण है। तिल का उपयोग घरों में पकवान बनाने के अलावा, मसाले और औषधीय गुणों के लिए किया जाता है। तिल की खेती किसानों के लिए एक लाभदायक विकल्प हो सकती है। यह खेती भारत में प्राचीन काल से की जाती रही है और इसकी खेती के लिए विशिष्ट जलवायु और मिट्टी की आवश्यकता होती है।
भारत में तिल की खेती कहाँ की जाती है
भारत में तिल की खेती मुख्य रूप से राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, कर्नाटक, और पश्चिम बंगाल में की जाती है। इन क्षेत्रों की जलवायु और मिट्टी तिल की खेती के लिए अनुकूल होती है।
तिल की खेती के लिए खेत की तैयारी और मिट्टी
1. तिल की बुवाई से पहले खेत की गहरी जुताई करें ताकि मिट्टी भुरभुरी और समतल हो जाए।
2. खेत के खरपतवार और अन्य हानिकारक तत्वों को साफ करें।
3. तिल की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी, दोमट मिट्टी और अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी सर्वोत्तम मानी जाती है।
4. खेत की मिट्टी का पीएच मान 5.5-7.5 के बीच होना चाहिए। आवश्यकता अनुसार खेत में जैविक खाद और उर्वरक मिलाएं।
(नोट - मिट्टी की उर्वरता और फसल की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए उपयोग करें - आईएफसी एनपीके बैक्टीरिया जैव उर्वरक का, फसल को दे सम्पूर्ण पोषण और उपज ले ज्यादा। )
तिल की खेती का समय
👉खरीफ मौसम: जून से जुलाई
👉रबी मौसम: अक्टूबर से नवम्बर
👉जायद मौसम: फरवरी से मार्च
तिल की खेती के लिए बेस्ट किस्में
तिल की खेती के लिए सही किस्म और हाइब्रिड बीज का चयन बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे फसल की उत्पादकता और गुणवत्ता में सुधार होता है। यहाँ तिल की खेती के लिए कुछ बेस्ट किस्में और हाइब्रिड बीज दिए गए हैं:
किस्म के नाम |
किस्म की विशेषताएं |
टी-13 (T-13) |
यह किस्म उत्तर प्रदेश और बिहार में बहुत लोकप्रिय है। इसमें तेल की मात्रा अधिक होती है और यह रोग प्रतिरोधक भी है। |
टी-78 (T-78): |
यह किस्म मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, और गुजरात के लिए उपयुक्त है। इसमें अधिक पैदावार और तेल की अच्छी मात्रा होती है। |
गुजरात तिल-1 (Gujarat Til-1) |
यह किस्म गुजरात राज्य में अधिक लोकप्रिय है। इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक है और तेल की मात्रा भी अच्छी है। |
पंजाब तिल-1 (Punjab Til-1) |
यह किस्म पंजाब और हरियाणा में अच्छी तरह से उगाई जाती है। यह रोग प्रतिरोधक है और इसमें तेल की मात्रा भी अच्छी होती है। |
रामा (Rama) |
यह किस्म राजस्थान और मध्य प्रदेश के लिए उपयुक्त है। यह सूखा सहनशील है और तेल की मात्रा अधिक होती है। |
श्वेता (Shweta) |
यह किस्म सफेद तिल की एक प्रमुख किस्म है जो उत्तर भारत में उगाई जाती है। इसमें तेल की मात्रा अच्छी होती है और इसका रंग भी आकर्षक होता है। |
पीएस-1 (PS-1) |
यह हाइब्रिड बीज उच्च पैदावार के लिए जाना जाता है। यह किस्म विभिन्न जलवायु परिस्थितियों में भी अच्छी पैदावार देती है। |
सुधा (Sudha) |
यह हाइब्रिड किस्म तेल की अच्छी मात्रा और गुणवत्ता के लिए जानी जाती है। यह विभिन्न क्षेत्रों में उगाई जा सकती है। |
आरएच-1 (RH-1) |
यह हाइब्रिड किस्म अधिक पैदावार के साथ-साथ रोग प्रतिरोधकता के लिए भी जानी जाती है। |
केबीएस-1 (KBS-1) |
यह हाइब्रिड बीज सूखा सहनशीलता और अधिक पैदावार के लिए उपयुक्त है। इसमें तेल की मात्रा भी अच्छी होती है। |
तिल की बीजदर प्रति एकड़ अनुसार
तिल की खेती के लिए प्रति एकड़ 2-3 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है। बीजों की बुवाई के पहले उन्हें 24 घंटे तक पानी में भिगोकर रखना चाहिए, जिससे उनकी अंकुरण क्षमता बढ़ जाती है।
(नोट - बीजों की बुवाई के पहले आप को, यूपीएल साफ फफूंदनाशी - 3 से 4 ग्राम प्रति किलो बीज के अनुसार बीजों को उपचारित करें जिससे ज्यादा अंकुरण होता है और फफूंदजनित रोगों की समस्या खत्म होती है।)
तिल की फसल में खरपतवार का नियंत्रण
👉जैविक नियंत्रण : खरपतवार को नष्ट करने के लिए प्रारंभिक अवस्था में 2-3 बार निराई-गुड़ाई करें।
👉रासायनिक नियंत्रण: बीज की बुवाई के पहले पेंडीमिथालिन 30% EC का छिड़काव 1-1.5 लीटर प्रति एकड़ की दर से करें।
खाद और उर्वरक की प्रति एकड़ मात्रा और समय
उचित खाद और उर्वरकों का उपयोग फसल की पैदावार और गुणवत्ता में सुधार के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यहाँ तिल की फसल के लिए प्रति एकड़ मात्रा और समय की जानकारी दी गई है:
1. गोबर की खाद: 5-7 टन प्रति एकड़ (खेत की तैयारी के समय)
2. नाइट्रोजन (N): 20-25 किलोग्राम प्रति एकड़ (बुवाई के समय और पौधों की वृद्धि के दौरान)
3. फास्फोरस (P): 30-35 किलोग्राम प्रति एकड़ (बुवाई के समय)
4. पोटाश (K): 15-20 किलोग्राम प्रति एकड़ (पौधों की वृद्धि के दौरान)
5. जिंक सल्फेट: 5-10 किलोग्राम प्रति एकड़ (बुवाई के समय)
फसल में कीटों और रोगों की समस्या
तिल की फसल में कीटों और रोगों की समस्या फसल अवस्था के अनुसार आती है और यह फसल पर ज्यादा नुकसान पहुंचाते है जिससे प्रति एकड़ अनुसार उत्पादन में कमी होती है।
फसल में कीटों की समस्या |
फसल में रोगों की समस्या |
एफिड (Aphid) |
पाउडरी मिल्ड्यू (Powdery Mildew) |
सेमी लूपर (Looper Caterpillar) |
रेड ब्लाइट (Red Blight) |
मकड़ी (Mite) |
लीफ स्पॉट (Leaf Spot) |
बोरर कीट (Borer) |
जड़ सड़न (Root Rot) |
थ्रिप (Thrip) |
बैक्टीरियल विल्ट (Bacterial Wilt) |
सफेद मक्खी (White Fly) |
स्टेम रोट (Stem Rot) |
ग्रब (Grub) |
सर्कोस्पोरा लीफ स्पॉट (Cercospora Disease ) |
(नोट - फसल में रस चूसक कीटों और इल्लियों के नियंत्रण के लिए उपयोग करें सिंजेंटा अलिका कीटनाशक का और रोगों के नियंत्रण के लिए उपयोग करें टाटा रैलिस मास्टर फफूंदनाशी का जिससे फसल को कीटों और रोगों से सम्पूर्ण सुरक्षा मिलेगी और फसल स्वस्थ रहेगी।)
तिल की फसल की कटाई और समय
तिल की फसल की कटाई तब की जाती है जब तिल के पौधे सूखकर पीले हो जाते हैं और तिल के बीज पककर सख्त हो जाते हैं। तिल की फसल की कटाई आमतौर पर 80-100 दिनों के बाद की जाती है।
तिल की फसल प्रति एकड़ उत्पादन
तिल की फसल का प्रति एकड़ उत्पादन किस्म, खेत की तैयारी, और फसल प्रबंधन पर निर्भर करता है। तिल की फसल का उत्पादन प्रति एकड़ 3-4 क्विंटल तक हो सकता है। उत्पादन की मात्रा मिट्टी की उर्वरता, जलवायु और खेती के तरीकों पर निर्भर करती है।
सारांश
1. तिल की खेती एक लाभकारी कृषि व्यवसाय है जो कम लागत में अच्छी आय प्रदान कर सकता है।
2. तिल की खेती के लिए उचित मौसम, जलवायु, और खेत की तैयारी आवश्यक है।
3. तिल की खेती के लिए सही किस्मों और बीजों का चयन, खरपतवार और कीटों का उचित नियंत्रण, और समय पर कटाई करके अच्छी उपज प्राप्त की जा सकती है।
4. तिल की खेती से न केवल किसानों की आय में वृद्धि होती है, बल्कि यह तिल के तेल के उत्पादन में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है।
अक्सर पूछे जानें वाले प्रश्न
1. तिल की खेती का समय कब होता है?
उत्तर - तिल की खेती खरीफ में जून-जुलाई, रबी में अक्टूबर-नवंबर और जायद में फरवरी-मार्च में की जाती है।
2. तिल की खेती के लिए बेस्ट किस्में कौन सी हैं?
उत्तर - टी-13, टी-78, गुजरात तिल-1, पंजाब तिल-1, रामा, श्वेता, पीएस-1, सुधा, आरएच-1, केबीएस-1।
3. तिल की खेती के लिए बीज दर क्या है?
उत्तर - प्रति एकड़ 2-3 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है।
4. तिल की फसल के लिए खाद और उर्वरक की मात्रा क्या होनी चाहिए?
उत्तर - गोबर की खाद 5-7 टन, नाइट्रोजन 20-25 किग्रा, फास्फोरस 30-35 किग्रा, पोटाश 15-20 किग्रा प्रति एकड़।
5. भारत में तिल की खेती कहाँ की जाती है?
उत्तर - राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, कर्नाटक, और पश्चिम बंगाल।
6. तिल की फसल में किस कीटों की समस्या ज्यादा होती है?
उत्तर - एफिड, सेमी लूपर, मकड़ी, बोरर, थ्रिप, सफेद मक्खी, ग्रब।
7. तिल की फसल में किस रोगों की समस्या ज्यादा होती है?
उत्तर - पाउडरी मिल्ड्यू, रेड ब्लाइट, लीफ स्पॉट, जड़ सड़न, बैक्टीरियल विल्ट, स्टेम रोट, सर्कोस्पोरा लीफ स्पॉट।
8. तिल की फसल का प्रति एकड़ उत्पादन कितना होता है?
उत्तर - तिल की फसल का उत्पादन प्रति एकड़ 3-4 क्विंटल तक हो सकता है।
लेखक
BharatAgri Krushi Expert