seb ki kheti

Seb ki kheti: सेब की खेती की सम्पूर्ण जानकारी

आज BharatAgri के माध्यम से आप को सेब की खेती की सम्पूर्ण जानकरी दी जाएगी। भारत में फलों की खेती का महत्वपूर्ण हिस्सा सेब की खेती है।अन्य फलों की तुलना में सेब की मांग अधिक होती है इसलिए सेब की खेती किसानों को कम लागत में अधिक मुनाफा प्रदान करती है। सेब में पाए जाए वाले पोषक तत्व कई बीमारियों से लड़ने में मदद करते हैं और हमें स्वस्थ रखते हैं। इसलिए तो कहा गया है कि रोजाना एक सेब खाओ और बीमारियों को दूर भगाओ। इस ब्लॉग के माध्यम से आप जानेंगे सेब की खेती (Seb Ki Kheti) कैसे की जाती है। सेब की खेती के लिए अनुकूल मौसम और जलवायु, बुवाई और रोपाई का समय, मिट्टी, खाद-उर्वरक की उपयोग मात्रा, कीटों और रोगों का नियंत्रण एवं प्रमुख सेब की किस्म के बारे में भी बताया जाएगा।  


भारत में सेब की खेती : 

भारत में सेब की खेती विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में की जाती है, और यह फल बाजार में भी उच्च मूल्य प्राप्त करता है। भारत में सेब की मुख्य उत्पादक राज्यों में जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, अरूणाचल प्रदेश, नगालैंड, पंजाब, और सिक्किम शामिल हैं। इन क्षेत्रों में सेब की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु और मिट्टी होती है, जो सेब की खेती के लिए बहुत ही अनुकूल होते हैं।


सेब खाने के फायदें : 

सेब विटामिन सी का एक अच्छा स्रोत है, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ावा देता है। यह भी रोगों से लड़ने में मदद करता है। सेब में फाइबर होता है जो पाचन को सुधारता है और पेट स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है। इसमें पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट्स और फ्लावनॉयड्स हृदय स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करते हैं और हृदय समस्याओं का जोखिम कम करते हैं। सेब में पाए जाने वाले फाइबर्स और पानी वजन नियंत्रण में मदद कर सकते हैं, क्योंकि ये भूख को कम कर सकते हैं। सेब में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स कैंसर के खिलाफ लड़ने में सहायक हो सकते हैं, विशेषकर कोलोरेक्टल कैंसर के खिलाफ। 


सेब की खेती के लिए जलवायु और मिट्टी : 

👉जलवायु - सेब की खेती के लिए आदर्श तापमान 21°C से 24°C के बीच होता है। पत्तियों की बड्स को खुलने के लिए 6-7°C के तापमान की की जरूरत होती है। फलों की अच्छी गुणवत्ता के लिए 18°C से 21°C का तापमान सही होता है। सेब की अच्छी खेती के लिए 100 से 125 सेंटीमीटर की वार्षिक वर्षा की आवश्यकता होती है। बुवाई के समय और फल पकने के समय में सूखी स्थिति उत्तम होती है, जबकि विकास के समय पर्याप्त नमी जरूरी होती है। फल के अच्छ उत्पादन के लिए धूप का महत्वपूर्ण योगदान होता है। प्रति दिन कम से कम 6-8 घंटे की धूप सेब के विकास के लिए आवश्यक होती है।

👉मिट्टी - सेब की खेती के लिए दोमट (Loamy Soil) मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है। मिट्टी में अच्छा जल निकास और हवा संचरण की क्षमता होनी चाहिए और मिट्टी का पीएच स्तर 6.0 से 7.0 के बीच होना चाहिए। ध्यान रखें अत्यधिक अम्लीय या क्षारीय मिट्टी सेब की खेती के लिए उपयुक्त नहीं होती है। सेब के पौधों की जड़ें गहरी होती हैं, इसलिए मिट्टी की गहराई कम से कम 45-60 सेंटीमीटर होनी चाहिए। बुवाई से पहले मिट्टी को अच्छी तरह से तैयार करना चाहिए, जिसमें उर्वरक, खाद, और आवश्यक पोषक तत्व मिलाने चाहिए। खेत की अच्छी तरह से जुताई और समतलीकरण करना चाहिए ताकि पानी की निकासी सुचारू रूप से हो सके।


सेब की खेती का उचित समय : 

सेब की खेती के लिए सही समय का चयन करना बहुत महत्वपूर्ण है। सेब के पौधों को नवंबर से लेकर फरवरी अंत तक लगाया जा सकता है, लेकिन इसे उगाने का सबसे अच्छा समय जनवरी और फरवरी का महीना होता है। इस समय पर पौधे लगाने से उन्हें उचित वातावरण मिलता है जिससे वे अच्छी तरह से विकास कर सकते हैं। सही समय पर पौधों की रोपाई करने से पौधे स्वस्थ रहते हैं और उनकी वृद्धि भी अच्छी होती है। यदि आप पौधों को नवंबर से फरवरी के बीच किसी भी समय लगाते हैं, तो यह सुनिश्चित करें कि पौधे नर्सरी से लाए गए हों और एक साल पुराने हों। यह पौधों की अच्छी वृद्धि के लिए आवश्यक है।


सेब की उन्नत किस्मों की जानकारी : 

भारत में सेब की कई उन्नत किस्में उगाई जाती हैं, जिन्हें क्षेत्र की जलवायु और भौगोलिक स्थितियों को ध्यान में रखकर चुना जाता है। कुछ प्रमुख उन्नत किस्मों में सन फ्यूजी, रेड चीफ, ओरेगन स्पर, रॉयल डिलीशियस और हाइब्रिड 11-1/12 शामिल हैं। इन किस्मों के अलावा भी कई अन्य किस्में हैं जो अलग-अलग क्षेत्रों और जलवायु में उगाई जाती हैं।


सेब के किस्मों के नाम 

किस्मों की विशेषताएं 

सन फ्यूजी

यह किस्म उच्च उत्पादन और अच्छे स्वाद के लिए जानी जाती है।

रेड चीफ

यह किस्म अपने गहरे लाल रंग और अच्छे आकार के लिए प्रसिद्ध है।

ओरेगन स्पर

यह किस्म ऊँचे क्षेत्रों में अच्छा उत्पादन देती है।

रॉयल डिलीशियस

यह किस्म स्वादिष्ट फलों के लिए जानी जाती है।

हाइब्रिड 11-1/12 

यह एक नई और उन्नत किस्म है जो विभिन्न जलवायु में उगाई जा सकती है।

टॉप रेड

यह किस्म अपने चमकीले लाल रंग के लिए प्रसिद्ध है।

रेड स्पर डेलिशियस

यह किस्म अधिकतम उत्पादन देने वाली है।

रेड जून 

यह किस्म जल्दी पकने वाली है।

रेड गाला

यह किस्म मिठास और स्वाद में बेहतरीन है।

अर्ली शानबेरी

यह किस्म जल्दी पकने वाली और स्वादिष्ट होती है।

फैनी

यह किस्म अपने बड़े और रसदार फलों के लिए प्रसिद्ध है।

विनौनी 

यह किस्म ठंडी जलवायु में अच्छी तरह से उगाई जाती है।

चौबटिया प्रिन्सेज

यह किस्म विशेष रूप से हिमालयी क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है।

ग्रैनी स्मिथ

यह किस्म अपने खट्टे स्वाद के लिए प्रसिद्ध है।

ब्राइट-एन-अर्ली 

यह किस्म जल्दी पकने वाली और उत्पादक होती है।

गोल्डन स्पर

यह किस्म अपने सुनहरे रंग और मिठास के लिए जानी जाती है।

वैल स्पर

यह किस्म उच्च उत्पादन और अच्छी गुणवत्ता के लिए प्रसिद्ध है।


सेब के पौधों की रोपाई का समय और दुरी  : 

पौधों की रोपाई के लिए जनवरी और फरवरी का समय सर्वोत्तम है। इस समय पर लगाए गए पौधों को पर्याप्त समय और उचित मौसम मिलता है, जिससे वे मजबूती से स्थापित हो सकते हैं। पौधों की अच्छी वृद्धि के लिए उन्हें स्वस्थ और एक साल पुराना होना चाहिए। नर्सरी से पौधे खरीदते समय यह ध्यान रखें कि पौधे स्वस्थ और बीमारी मुक्त हों। पौधों की अच्छी वृद्धि के लिए उनके जड़ें मजबूत और स्वस्थ होनी चाहिए।

सेब के किस्मों के प्रकार 

पौधों के बीच की दूरी

कतारों के बीच की दूरी

बौनी किस्में

पौधों के बीच 3-4 मीटर की दूरी रखें।

कतारों के बीच 5 मीटर की दूरी रखें।

मध्यम ऊँचाई की किस्में

पौधों के बीच 5-6 मीटर की दूरी रखें।

कतारों के बीच 6-7 मीटर की दूरी रखें।

ऊँची किस्में

पौधों के बीच 7-8 मीटर की दूरी रखें।

कतारों के बीच 8-10  मीटर की दूरी रखें।


सेब की फसल में खाद और उर्वरक की उपयोग मात्रा : 

खाद और उर्वरक सेब के पौधों के सही विकास और वृद्धि में मदद करते हैं। वे पौधों को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करते हैं जैसे कि नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, और अन्य माइक्रोन्यूट्रिएंट्स। उच्च गुणवत्ता वाले फल प्राप्त करने के लिए सही संतुलित खाद और उर्वरक का उपयोग करना महत्वपूर्ण है। इससे फलों का स्वाद, रंग, और स्वास्थ्य बढ़ता है। निचे बताई गए 1 वर्ष की खाद की मात्रा फसल अवस्था के अनुसार उपयोग करें।  

पोषक तत्वों के नाम 

फसल में खाद की उपयोग प्रति एकड़ 

नाइट्रोजन (Nitrogen)

यूरिया  100-150 किलोग्राम 

फास्फोरस (Phosphorus)

डीएपी  50-100 किलोग्राम 

पोटाश (Potassium)

एमओपी 100-150 किलोग्राम

कैल्शियम (Calcium)

कैल्शियम नाइट्रेट उर्वरक 40 से 50 किलो 

मैग्नीशियम (Magnesium):

मैग्नीशियम सल्फेट उर्वरक  20-30 किलोग्राम 

बोरॉन (Boron)

बोरॉन उर्वरक 1-2 किलोग्राम

जिंक (Zinc)

जिंक उर्वरक 2-5 किलोग्राम



सेब के फसल में रोगों की समस्या : 

सेब की फसल की फसल में विभिन्न प्रकार के रोगों की समस्या आती है जो फसल की विकास अवस्था को प्रभावित करता है जिससे सेब के उत्पादन में कमी होती है और सेब की गुणवत्ता ख़राब होती है।  

रोगों के नाम 

बेस्ट फफूंदनाशी 

उपयोग मात्रा 

स्कैब रोग (Apple scab)

अदामा शमीर फफूंदनाशी 
(टेबुकोनाज़ोल 6.7% + कैप्टान 26.9% एससी)

450 मिली प्रति एकड़ अनुसार छिड़काव करें 

ब्लैक रॉट कैंकर (Black rot canker)

टाटा रैलिस ब्लिटोक्स फफूंदनाशी
(कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50% WP)

400 ग्राम प्रति एकड़ अनुसार छिड़काव करें

कॉलर रॉट (Collar rot) 

क्रिस्टल बाविस्टिन फफूंदनाशी
(कार्बेन्डाजिम 50% WP)

150  ग्राम प्रति एकड़ अनुसार छिड़काव करें

पाउडरी माइल्ड्यू (Powdery mildew)

सिंजेन्टा अमिस्टार टॉप फफूंदनाशी
(एज़ोक्सीस्ट्रोबिन 18.2% + डिफेनोकोनाज़ोल 11.4% एससी)

200 मिली प्रति एकड़ अनुसार छिड़काव करें

पत्ती धब्बा रोग (Alternaria leaf spot)

बीएएसएफ कैब्रियो टॉप फफूंदनाशी 

(मेटिराम 55% + पाइराक्लोस्ट्रोबिन 5% WG)

450 मिली प्रति एकड़ अनुसार छिड़काव करें 

झुलसा रोग (Blight Disease)

बयार एंट्राकोल फफूंदनाशी
(प्रोपीनेब 70% WP)

400 ग्राम प्रति एकड़ अनुसार छिड़काव करें

सीडलिंग ब्लाइट (Seedling blight)

यूपीएल साफ फफूंदनाशी
(कार्बेन्डाजिम 12% + मैन्कोजेब 63% डब्ल्यूपी)

400 ग्राम प्रति एकड़ अनुसार छिड़काव करें


सेब के फसल में चूसक कीटों और इल्लियों की समस्या : 

सेब की फसल में रस चूसक कीटों और इल्लियों की समस्या ज्यादा मात्रा में दिखाई देती है और यह फसल को अत्यधिक नुकसान पहुंचाते है। फसल में कीटों और इल्लियों की समस्या जैसे - 

कीटों के नाम 

बेस्ट कीटनाशक 

उपयोग मात्रा 

माहू (Apple aphid)

बायर कॉन्फिडोर कीटनाशक
(इमिडाक्लोप्रिड 17.8% SL
)

100 मिली प्रति एकड़ अनुसार छिड़काव करें

लाल मकड़ी (Red Mites)

बायर ओबेरॉन कीटनाशक
(स्पिरोमेसिफेन 240 एससी
)

200 मिली प्रति एकड़ अनुसार छिड़काव करें

जड़ छेदक  (Root Borer)

बायर फेम कीटनाशक 

(फ्लूबेंडियामाइड 480 एससी)

100 मिली प्रति एकड़ अनुसार ड्रेंचिंग करें

तना छेदक  (Stem Borer)

एफएमसी कोराजन कीटनाशक 

(क्लोरएंट्रानिलिप्रोले 18.5% ww एससी)

60 मिली प्रति एकड़ अनुसार छिड़काव करें

थ्रिप्स (Thrips)

सिंजेन्टा सिमोडिस कीटनाशक
(आइसोसाइक्लोसरम 9.2% ww डीसी + आइसोसाइक्लोसरम 10% wv डीसी)

240 मिली प्रति एकड़ अनुसार छिड़काव करें

पत्ती खाने वाली इल्लिया (Caterpillar)

धानुका ईएम 1 कीटनाशक 
(इमामेक्टिन बेंजोएट 5% एसजी)

100 ग्राम प्रति एकड़ अनुसार छिड़काव करें


सेब की तुड़ाई और उत्पादन : 

सेब की तुड़ाई का समय उसकी किस्म और स्थानिक मौसम पर निर्भर करता है। सामान्यतः, सेब के पेड़ों में फल पूरी तरह से परिपक्व होने में लगभग 130-135 दिन लगते हैं। फलों के विकास में रंग, बनावट, गुणवत्ता और अन्य विशेषताओं का विकास होता है। फल तुड़ाई के समय, फल उचित रंग और ठोस होना चाहिए। इस विशेष अवस्था में, फलों की चयनित खेती तकनीक से भ्रांति के कारण फलों को नुकसान पहुंचने से रोका जा सकता है।

भारत में सेब की उत्पादन स्थानीय किस्मों और मौसम के आधार पर भिन्न होता है। एक अच्छा और उपजाऊ सेब बाग में पेड़ वर्ष में उसकी संभावित पैदावार प्राप्त करने में सक्षम होता है। सेब के पेड़ के विकास के बाद, यह आमतौर पर छठे वर्ष से फल देने शुरू करता है और इसमें 10-20 किलोग्राम प्रति पेड़ प्रति वर्ष की पैदावार दे सकता है। एक एकड़ में लगभग 400 सेब के पौधे लगाए जा सकते हैं, जो उत्पादक किसानों को बाजार में अच्छा मुनाफा दिला सकते हैं।


सारांश : 

इस लेख के माध्यम से आपने सेब की खेती और उससे जुड़ी जरूरी बातों के बारे में विस्तार से जाना है। सेब खेती के लिए उपयुक्त जलवायु, प्रमुख किस्मे, पौधों का रोपण, उर्वरक और सिंचाई की विधियाँ, कीट और रोग नियंत्रण, बाजार के रेट के साथ-साथ खेती के लिए भूमि की तैयारी की विस्तृत जानकारी दी है। इसके अलावा, सेब के सेहतमंद फायदों और उनकी भारतीय बाजार में मांग के बारे में भी जानकारी दी गई है आशा करते हैं कि सेब की खेती जुड़ी यह जानकारी आपको पसंद आई होगी। कृषि से संबंधित अन्य जानकारी के लिए जुड़े रहिए हमारे साथ।


किसानो द्वारा अक्सर पूछे जानें वाले प्रश्न -


1. सेब की खेती में सबसे अच्छी वार्षिक वर्षा कितनी होनी चाहिए?

उत्तर - अच्छी सेब की खेती के लिए 100 से 125 सेंटीमीटर की वार्षिक वर्षा आवश्यक होती है।

2. सेब की खेती के लिए सबसे उपयुक्त मिट्टी कौनसी होती है?

उत्तर - दोमट (Loamy Soil) मिट्टी सेब की खेती के लिए सबसे उपयुक्त होती है।

3. सेब के पौधों की बुवाई का सबसे अच्छा समय क्या होता है?

उत्तर - सेब के पौधे जनवरी और फरवरी के महीने में लगाए जा सकते हैं।

4. सेब के किस्मों में कौन-कौन सी प्रमुख उन्नत किस्में हैं?

उत्तर - सन फ्यूजी, रेड चीफ, ओरेगन स्पर, रॉयल डिलीशियस, और हाइब्रिड 11-1/12 कुछ प्रमुख उन्नत सेब की किस्में हैं।

5. सेब की खेती के लिए सबसे उपयुक्त जलवायु कौनसी होती है?

उत्तर - सेब की खेती के लिए आदर्श तापमान 21°C से 24°C के बीच होना चाहिए।

6. सेब का मुख्य उत्पादक राज्य कौन-कौन से हैं?

उत्तर - भारत में सेब की मुख्य उत्पादक राज्यों में जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, अरूणाचल प्रदेश, नगालैंड, पंजाब, और सिक्किम शामिल हैं।

7. सेहत के लिए सेब के कौन-कौन से फायदे होते हैं?

उत्तर - सेब विटामिन सी का अच्छा स्रोत होता है और पाचन को सुधारता है।

8. सेब की खेती के दौरान किस अवधि में फल मिलना शुरू होता है?

उत्तर - सेब की खेती में पौधों से फल मिलना शुरू होता है लगभग 3 से 5 साल के बाद।

9. सेब की खेती में कौन-कौन से पोषक तत्व मिलते हैं?

उत्तर - सेब में फाइबर, विटामिन्स, और एंटीऑक्सीडेंट्स भी पाए जाते हैं जो स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं।

10. सेब की खेती में बुवाई और रोपाई का सही तरीका क्या है?

उत्तर - सेब की खेती में पौधे नर्सरी से लाए गए 1 साल पुराने पौधे को बुवाई के समय संतुलित रूप से और उचित गहराई में लगाना चाहिए।


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लेखक

भारतअग्रि कृषि एक्सपर्ट

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