टमाटर की फसल में लगने वाली प्रमुख बीमारियां और उनका निदान
नमस्कार किसान भाइयों आज के लेख में हम जानेंगे की गर्मियों में टमाटर / चेरी टमाटर (Cherry Tomato) की खेती कर रहे हैं तो उस समय क्या-क्या समस्या आती हैं और उनका निदान किस तरह से करना है आदि के बारे में विस्तार से चर्चा करने वाले हैं। तो आज हम जानेंगे टमाटर के फसल में लगने वाले प्रमुख रोगों के बारे में तथा उनके नियंत्रण के बारे में विस्तार से और उनका नियंत्रण करके किस तरह टमाटर की खेती (Tomato farming) से अच्छा लाभ कमाया जा सकता है। अगर टमाटर की फसल (Tomato farming) की बुवाई गर्मियों में और जल्दी करना चाहते हैं तो नर्सरी को जल्दी तैयार करना होगा ताकि ज्यादा समय तक फलों की तुड़ाई हो सकें और गर्मियों में जहाँ पर पानी की अच्छी सुविधा होती हैं। वहाँ पर टमाटर / चेरी टमाटर (Cherry Tomato) की खेती करना अधिक फायदेमंद माना जाता है। आज हम टमाटर / cherry tomato में लगने वाले प्रमुख रोग और उनका नियंत्रण कैसे करें उसके बारे में विस्तार से जानेंगे।
टमाटर की खेती करने वाले राज्य | Add states in which tomatoes are grown in India
अगर टमाटर / cherry tomato की खेती की बात करें तो प्रमुख रूप से इसकी पैदावार बिहार, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, उड़ीसा, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, पश्चिमी बंगाल, मध्य प्रदेश, राजस्थान आदि राज्यों में प्रमुखता से की जाती है।
टमाटर / cherry tomato में लगने वाले प्रमुख रोग और उनका नियंत्रण
किसान भाइयों टमाटर की फसल में यदि रोगों की बात करें तो फरवरी, मार्च,अप्रैल, मई और जून के मध्य लगने वाले कुछ रोगों के बारे में और उनके नियंत्रण के बारे में जानेंगे -
टमाटर के प्रमुख रोग | Tomato crop diseases
अब हम टमाटर की फसल में लगने वाले अलग-अलग रोगों की पहचान और नियंत्रण के बारे में विस्तार से जानेंगे।
टमाटर में ब्लॉसम एंड रॉट रोग के लक्षण (Blossom End Rot Symptoms)
टमाटर के फलों की नोक सड़न या ब्लॉसम एंड रॉट एक ऐसी बीमारी है, जो टमाटर की फसल में फल अवस्था को प्रभावित करती है। इस रोग के लगने से टमाटर में फल सड़न रोग या ब्लॉसम एंड रॉट के प्रभाव से टमाटर के फल की त्वचा पर काले धब्बे दिखाई देने लगते हैं, लेकिन बाहर से देखने पर रोग से ग्रसित पौधे स्वस्थ दिखाई देते है। इस रोग से ग्रसित फलों को खाने के लिए काटते हैं, तो वह अंदर से मैला या सड़ा हुआ दिखता है, टमाटर को खाने पर उसका स्वाद खराब लगता है।
टमाटर में ब्लॉसम एंड रॉट रोग के कारण -
- यह रोग टमाटर की फसल में कैल्शियम की कमी के कारण लगता है। लेकिन कभी-कभी मिट्टी का पीएच मान कम होता है, तो भी मिट्टी में कैल्शियम की कमी हो जाती है।
- फलों की विकसित होने की अवस्था में पानी की कमी होने के कारण।
- पौधों की जड़ों को नुकसान पहुँचने के कारण।
टमाटर में ब्लॉसम एंड रॉट रोग नियंत्रण | Blossom End Rot disease control
- मिट्टी में कैल्शियम नाइट्रेट को 3 से 5 किलोग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से मिट्टी में डलवाना चाहिए।
- छिड़काव के लिए उत्कर्ष कैलोंग कैल्शियम (Ca) 10% ईडीटीए चिलेटेड फॉर्म वाले को पत्तियों पर छिड़काव के लिए 0.5 ग्राम से 1 ग्राम प्रति लीटर पानी या ड्रिप एप्लीकेशन द्वारा 500 ग्राम से 1 किग्रा प्रति एकड़।
टमाटर की फसल में चूर्णिल आसिता (पाउड्री मिल्ड्यू) रोग के लक्षण -
इस रोग के लक्षण सबसे पहले पत्तियों की निचली सतह पर सफेद चूर्णी धब्बे के रूप में दिखाई देते हैं। सफेद पाउडर पत्तियों की दोनों सतहों पर सफेद रंग के छोटे-छोटे धब्बों के रूप में उत्पन्न होते हैं व धीरे-धीरे फैलकर पत्ती की सारी सतह पर फैल जाते हैं। रोगी पत्तियां सख्त होकर मुड़ जाती हैं। ज्यादा संक्रमण होने पर पत्तियाँ सूख कर झड़ जाती हैं। चूर्णिल आसिता रोग के लगने से पौधे की प्रकाश संश्लेषण क्रिया बाधित हो जाती है।
टमाटर की फसल में चूर्णिल आसिता (पाउड्री मिल्ड्यू) रोग नियंत्रण | Focus on powdery mildew
अब हम कुछ बिन्दुओं के माध्यम से पाउडरी मिल्ड्यू रोग के नियंत्रण के बारे में जानेंगे -
- पाउड्री मिल्ड्यू रोग से बचाव के लिए साफ़ कवकनाशी (saaf fungicide uses) का 1.5 से 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकार छिड़काव करना चाहिए।
- फसल को पाउड्री मिल्ड्यू रोग से बचाव के लिए धानुका गोडिवा सुपर (Godiwa Super fungicide) का 200 मिली प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव करना चाहिए।
टमाटर की फसल में एन्थ्रेक्नोज रोग के लक्षण -
टमाटर की फसल में एन्थ्रेक्नोज रोग की समस्या सबसे ज्यादा गर्म तापमान और ज्यादा नमी वाली स्थितियों में देखने को मिलती हैं। इस रोग से ग्रसित पौधे के प्रभावित हिस्सों पर काले धब्बे पड़ जाते हैं। टमाटर पर ये धब्बे आमतौर पर गोलाकार, पानी के साथ भीगे हुए और काली धारियों वाले होते हैं। टमाटर के जिन फलों पर ज्यादा धब्बे हों वे फल पकने से पहले ही झड़ जाते हैं, जिससे फसल की पैदावार में भारी गिरावट आ जाती है।
टमाटर की फसल में एन्थ्रेक्नोज रोग नियंत्रण -
अब हम कुछ बिन्दुओं के माध्यम से एन्थ्रेक्नोज रोग के नियंत्रण के बारे में जानेंगे -
- एन्थ्रेक्नोज रोग से बचाव के लिए साफ़ कवकनाशी (saaf fungicide uses) का 1.5 से 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकार छिड़काव करना चाहिए।
- फसल को एन्थ्रेक्नोज रोग से बचाव के लिए धानुका गोडिवा सुपर (Godiwa Super fungicide) का 200 मिली प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव करना चाहिए।
किसान भाइयों टमाटर की फसल में लगने वाली प्रमुख बीमारियां और उनका निदान (tomato disease management in summer) आदि पर यह लेख पढ़कर कैसा लगा यह हमें कमेंट में बताना न भूलें और इस लेख को अपने अन्य किसान मित्रों के साथ भी शेयर करें। धन्यवाद