kundru ki kheti in hindi

Kundru Ki Kheti: कुंदरू की खेती की सम्पूर्ण जानकारी

दोस्तों नमस्कार, आज भारतअ‍ॅग्री के माध्यम से जानें कुंदरू की खेती का समय, खेत की तैयारी, बेस्ट किस्में, बीज दर, उर्वरक, खरपतवार, कीटों और रोगों का नियंत्रण, और उत्पादन की सम्पूर्ण जानकारी। कुंदरू, जिसे टेंडली (Tindora) भी कहा जाता है, एक महत्वपूर्ण हरी सब्जी है जो भारतीय भोजन में आमतौर पर उपयोग की जाती है। इसकी खट्टा-मीठा स्वाद और पौष्टिक गुणों के कारण इसे अनेक तरह के व्यंजनों में शामिल किया जाता है। कुंदरू की खेती (Kundru Ki Kheti) मुख्यतः भारत के विभिन्न हिस्सों में की जाती है, और यह एक महत्वपूर्ण सब्जी फसल है।


कुंदरू की खेती भारत में कहाँ की जाती है?

भारत में कुंदरू की खेती मुख्यतः उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु जैसे राज्यों में की जाती है। यह विशेष रूप से उन क्षेत्रों में लोकप्रिय है जहाँ गर्म और उमस भरा मौसम होता है।


खेती का समय -

कुंदरू की खेती मुख्यतः गर्मियों के मौसम में की जाती है। इसके बीज बोने का सही समय मार्च से मई तक होता है, जबकि फसल की कटाई जुलाई से सितंबर के बीच की जाती है।


मौसम,जलवायु और मिट्टी -

कुंदरू की खेती के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु सबसे उपयुक्त होती है। इसे 20°C से 30°C के बीच के तापमान में अच्छी वृद्धि होती है। इसके लिए वर्षा की अच्छी मात्रा (800 से 1200 मिमी) होना आवश्यक है, लेकिन अधिक वर्षा से फसल को नुकसान भी पहुँच सकता है।

कुंदरू की खेती मुख्यत भुरभुरी, जल निकास वाली मिट्टी में की जाती है। यह रेतीली-हल्की मिट्टी में सबसे इसका अच्छा उत्पादन होता है । मिट्टी का pH स्तर 6 से 7 के बीच होना चाहिए।


खेत की तैयारी -

1. जुताई: खेत को गहरी जुताई करें ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए।

2. खाद का प्रयोग: खेत में अच्छी गुणवत्ता की सड़ी हुई गोबर की खाद या जैविक खाद मिलाएं।

3. पौधों को सहारा: फसल के लिए 1 मीटर की ऊँचाई पर बीड बनाएं ताकि पौधे को चढ़ने के लिए सहारा मिल सके।


कुंदरू की प्रमुख किस्म -

दोस्तों आप कुंदरू की खेती करना चाहते हैं, तो सबसे पहले इसकी अच्छी किस्मों का चयन करना होगा। अगर आप अच्छी किस्म की बुवाई नहीं करेंगे, तो अच्छी पैदावार भी नहीं होगी। कुंदरू की कुछ उन्नत किस्में- हरियाली, शताब्दी, इंदिरा कुंदरू-3, कुंदरू संजीवनी, अर्का नीलाचल कुंखी, इंदिरा कुंदरू-5, कुंदरू नंदनी, अर्का नीलाचल, कुंदरू लालिमा, सबुजा काशी और एच.डी.एस-1 से 10 है।  

अर्का नीलाचल कुंखी विशेष रूप से सलाद और सब्जी के लिए प्रसिद्ध है। इसकी सब्जी बहुत स्वादिष्ट होती है और इसके फल लंबे आकार के होते हैं। एक फल का वजन 25 ग्राम तक हो सकता है, जिससे यह एक उच्च उत्पादन वाली किस्म है।


कुंदरू की खेती के लिए बीज की मात्रा -

1. कुंदरू (टेंडर गार्डन) की खेती के लिए बीज की मात्रा का चयन कई कारकों पर निर्भर करता है, जैसे कि भूमि की तैयारी, फसल की किस्म, और खेती की विधि। 

2. बीज की सीधी बुवाई: 1 एकड़ खेत के लिए लगभग 1-2 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है।

3. बुवाई विधि: बीज को सामान्यत: 2-3 सेंटीमीटर की गहराई में बोया जाता है।

4. नर्सरी से पौधों की रोपाई: नर्सरी में 1-2 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है, और इसके बाद लगभग 4000-5000 पौधों को 1 एकड़ खेत में रोपा जा सकता है।


खाद और उर्वरक की प्रति एकड़ मात्रा -

1. गोबर की खाद: 10 से 15 टन प्रति एकड़ (खेत की तैयारी के समय)

2. नाइट्रोजन (N): 80 किलोग्राम प्रति एकड़ (बीज बोने और फसल विकास के समय)

3. फॉस्फोरस (P): 40 किलोग्राम प्रति एकड़ (बीज बोने के समय)

4. पोटाश (K): 40 किलोग्राम प्रति एकड़ (खेत में फसल वृद्धि के दौरान)

 

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कुंदरू की फसल में खरपतवार की समस्या और नियंत्रण

1. कुंदरू की फसल में खरपतवार की समस्या को नियंत्रित करने के लिए उपयुक्त प्रबंधन और नियंत्रण उपायों का उपयोग करना आवश्यक है। इससे न केवल फसल की वृद्धि में सुधार होगा, बल्कि उत्पादन में भी वृद्धि होगी। उचित तकनीकों का पालन करके किसान अपनी कुंदरू की फसल को अधिक लाभकारी बना सकते हैं।

2. खेत की अच्छी तरह से तैयारी करें। अच्छी जुताई से खरपतवारों की वृद्धि को नियंत्रित किया जा सकता है।

3. नर्सरी में खरपतवारों को नियमित रूप से निकालें।

4. खेत में खरपतवारों को हाथ से निकालें। यह एक पारंपरिक लेकिन प्रभावी तरीका है।

5. अदामा एजिल (प्रोपक्विज़ाफॉप 10% ईसी): यह खरपतवारों को प्रभावी तरीके से नियंत्रित करता है।

6. बायर व्हिप सुपर (फेनोक्साप्रॉप-पी-एथिल 9.3% ईसी): यह भी खरपतवारों के नियंत्रण में सहायक है।


कुंदरू के फसल में रोगों की समस्या

कुंदरू की फसल की फसल में विभिन्न प्रकार के रोगों की समस्या आती है जो फसल की विकास अवस्था को प्रभावित करता है जिससे सेब के उत्पादन में कमी होती है और कुंदरू की गुणवत्ता ख़राब होती है।  

रोगों के नाम 

बेस्ट फफूंदनाशी 

उपयोग मात्रा 

ब्लैक रॉट कैंकर (Black rot canker)

टाटा रैलिस ब्लिटोक्स फफूंदनाशी
(कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50% WP)

400 ग्राम प्रति एकड़ अनुसार छिड़काव करें

कॉलर रॉट (Collar rot) 

क्रिस्टल बाविस्टिन फफूंदनाशी
(कार्बेन्डाजिम 50% WP)

150  ग्राम प्रति एकड़ अनुसार छिड़काव करें

पाउडरी माइल्ड्यू (Powdery mildew)

सिंजेन्टा अमिस्टार टॉप फफूंदनाशी
(एज़ोक्सीस्ट्रोबिन 18.2% + डिफेनोकोनाज़ोल 11.4% एससी)

200 मिली प्रति एकड़ अनुसार छिड़काव करें

पत्ती धब्बा रोग (Alternaria leaf spot)

बीएएसएफ कैब्रियो टॉप फफूंदनाशी 

(मेटिराम 55% + पाइराक्लोस्ट्रोबिन 5% WG)

450 मिली प्रति एकड़ अनुसार छिड़काव करें 

झुलसा रोग (Blight Disease)

बयार एंट्राकोल फफूंदनाशी
(प्रोपीनेब 70% WP)

400 ग्राम प्रति एकड़ अनुसार छिड़काव करें

सीडलिंग ब्लाइट (Seedling blight)

यूपीएल साफ फफूंदनाशी
(कार्बेन्डाजिम 12% + मैन्कोजेब 63% डब्ल्यूपी)

400 ग्राम प्रति एकड़ अनुसार छिड़काव करें


कुंदरू के फसल में चूसक कीटों और इल्लियों की समस्या

कुंदरू की फसल में रस चूसक कीटों और इल्लियों की समस्या ज्यादा मात्रा में दिखाई देती है और यह फसल को अत्यधिक नुकसान पहुंचाते है। फसल में कीटों और इल्लियों की समस्या जैसे - 

कीटों के नाम 

बेस्ट कीटनाशक 

उपयोग मात्रा 

माहू (Aphid)

बायर कॉन्फिडोर कीटनाशक
(इमिडाक्लोप्रिड 17.8% SL)

100 मिली प्रति एकड़ अनुसार छिड़काव करें

लाल मकड़ी (Red Mites)

बायर ओबेरॉन कीटनाशक
(स्पिरोमेसिफेन 240 एससी)

200 मिली प्रति एकड़ अनुसार छिड़काव करें

जड़ छेदक  (Root Borer)

बायर फेम कीटनाशक 

(फ्लूबेंडियामाइड 480 एससी)

100 मिली प्रति एकड़ अनुसार ड्रेंचिंग करें

तना छेदक  (Stem Borer)

एफएमसी कोराजन कीटनाशक 

(क्लोरएंट्रानिलिप्रोले 18.5% ww एससी)

60 मिली प्रति एकड़ अनुसार छिड़काव करें

थ्रिप्स (Thrips)

सिंजेन्टा सिमोडिस कीटनाशक
(आइसोसाइक्लोसरम 9.2% ww डीसी + आइसोसाइक्लोसरम 10% wv डीसी)

240 मिली प्रति एकड़ अनुसार छिड़काव करें

पत्ती खाने वाली इल्लिया (Caterpillar)

धानुका ईएम 1 कीटनाशक 
(इमामेक्टिन बेंजोएट 5% एसजी)

100 ग्राम प्रति एकड़ अनुसार छिड़काव करें


कुंदरू की फसल की कटाई और समय

कुंदरू की फसल की कटाई 60 से 90 दिनों के भीतर की जाती है, जब फल हरे और कोमल होते हैं। कटाई हाथ से या काटने वाले औजारों से की जा सकती है।


कुंदरू की फसल प्रति एकड़ उत्पादन

कुंदरू की फसल प्रति एकड़ उत्पादन लगभग 10 से 15 टन तक हो सकता है, जो किस्म, जलवायु, और खेती की तकनीकों पर निर्भर करता है।


सारांश -

1. कुंदरू की खेती एक महत्वपूर्ण सब्जी फसल है जो भारतीय कृषि में महत्वपूर्ण स्थान रखती है। 

2. इसकी खेती के लिए सही जलवायु, मिट्टी, बीज, और तकनीकों का चयन करना आवश्यक है। 

3. उचित देखभाल और प्रबंधन से कुंदरू की अच्छी उपज प्राप्त की जा सकती है, जो न केवल बाजार में अच्छी कीमत पर बिकती है बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक होती है।


अक्सर पूछे जानें वाले प्रश्न -

1. कुंदरू की खेती का सही समय कब है?

उत्तर - कुंदरू की खेती मार्च से मई तक बीज बोने के लिए और जुलाई से सितंबर के बीच कटाई के लिए की जाती है।

2. कुंदरू की खेती में सबसे उपयुक्त जलवायु कौन सी है?

उत्तर - कुंदरू की खेती के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु, जिसमें तापमान 20°C से 30°C हो, सबसे उपयुक्त है।

3. कुंदरू की प्रमुख किस्में कौन सी हैं?

उत्तर - कुंदरू की प्रमुख किस्में हैं: हरियाली, शताब्दी, इंदिरा कुंदरू-3, और अर्का नीलाचल कुंखी।

4. कुंदरू की खेती के लिए बीज की दर क्या है?

उत्तर - 1 एकड़ खेत के लिए 1-2 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है।

5. कुंदरू की फसल के लिए कौन से उर्वरक का उपयोग करना चाहिए?

उत्तर - गोबर की खाद, नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश का उचित मिश्रण फसल की वृद्धि के लिए आवश्यक है।

6. कुंदरू की फसल में कौन से कीट और रोग प्रकट होते हैं?

उत्तर - कुंदरू की फसल में माहू, सफेद मक्खी, पत्ती धब्बा रोग, और पाउडरी मिल्ड्यू जैसे कीट और रोग प्रकट होते हैं।

7. कुंदरू की फसल की कटाई कब की जाती है?

उत्तर - कुंदरू की फसल की कटाई 60 से 90 दिनों में की जाती है, जब फल हरे और कोमल होते हैं।

8. कुंदरू का प्रति एकड़ उत्पादन क्या है?

उत्तर - कुंदरू की फसल का प्रति एकड़ उत्पादन लगभग 10 से 15 टन होता है।



लेखक

BharatAgri Krushi Doctor

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