dhan ki nursery

Dhan Ki Nursery : धान नर्सरी की सम्पूर्ण जानकारी, 100% उत्पादन की गारंटी।

आप का स्वागत है, भारतअ‍ॅग्री कृषि दुकान वेबसाइड पर। आज हम जानेंगे, "धान की नर्सरी" के बारे मे संपूर्ण जानकारी। धान की फसल से ज्यादा उत्पादन प्राप्त करने के लिए  सबसे पहले धान की नर्सरी तैयार की जाती है। आजकल अधिकांश किसान केवल नर्सरी तैयार कर धान की खेती करते हैं। ऐसे में यह समझना जरूरी है कि धान की नर्सरी कैसे तैयार की जाती है, एक एकड़ धान की खेती के लिए कितने जगह मे नर्सरी डालें, नर्सरी की विधि, बीज दर, नर्सरी का समय और इसके लाभ क्या हैं ।


धान की खेती करने वाले राज्य : 

धान को भारत की प्रमुख फसल के रूप में जाना जाता है। चीन के बाद भारत का धान उत्पादन में दूसरा स्थान है। भारत बासमती चावल का दुनिया का शीर्ष आपूर्तिकर्ता भी है। धान भारत में असम, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश, बिहार उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश राज्यों में उगाया जाता है। 

धान की फसलों को उगाने के लिए अधिक पानी की आवश्यकता होती है, इसलिए उन्हें तट के करीब खेती की जाती है। धान की खेती मई के महीने में शुरू होती है। क्योंकि मानसून का मौसम शुरू होने से पहले धान की नर्सरी स्थापित हो जाती है। किसानों को धान के खेत की तैयारी से लेकर फसल उत्पादन तक कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

धान की खेती के लिए नर्सरी तैयार करें : 

धान की खेती करने से पहले, पौधों को धान की नर्सरी में तैयार किया जाना चाहिए और उपयुक्त बीजों का चयन करना महत्वपूर्ण है। नर्सरी के लिए अधिक उपज देने वाली, रोग प्रतिरोधी बीज किस्मों का चयन करें। इसके लिए उन्नत अंकुरण वाले प्रमाणित बीजों का प्रयोग करना चाहिए। बीज खरीदते समय निम्न बातों का ध्यान रखें:

1. अपने क्षेत्र के लिए सुझाई गई धान की किस्मो का चुनाव करें ।
2. धान के केवल साफ बीज ही खरीदें।
3. धान का ठीक से अंकुरित होने के लिए बीज को पका हुआ होना चाहिए।
4. धान के बीजों को कीटनाशक और कवकनाशी से उपचारित करने के बाद बुवाई करें।
5. धान के केवल उन्हीं बीजों का उपयोग करें जिन्हें ठीक से संरक्षित किया गया हो।


धान की नर्सरी के लिए खेत की तैयारी : 

जिस खेत में हमें धान की नर्सरी तैयार करनी है, उसे समथल स्तर करके से शुरू करना महत्वपूर्ण है। नतीजतन, पूरे क्षेत्र को समान रूप से पानी दिया जाएगा। उसके बाद उसमें पानी दें ताकि जो खरपतवार उगेंगी वे विकसित हों और जब हम खेत तैयार करेंगे तो वे सभी खरपतवार मर जाएंगे, जिसके परिणामस्वरूप धान की नर्सरी में खरपतवार कम होंगे।


धान के बीजों का बीजोपचार : 

धान की नर्सरी तैयार करते समय बीजों को उपचारित करना अति आवश्यक है। बीज उपचार के लिए हम एक ड्रम में 20 लीटर पानी डालकर उसमें बीज डालते हैं। हल्के और खराब बीज ऊपर की ओर आएंगे, इन बीजों को बहार निकालकर फेंक दे और शेष बचे बीज को (कार्बेन्डाजिम12% + मेन्कोजेब 63% WP) के साथ 3 ग्राम प्रति 1 किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करना चाहिए। रोपण से पहले बीज को 24 घंटे तक भिगोना महत्वपूर्ण है। अंकुरण शुरू होते ही बीजों की बुवाई कर दें ।


धान की नर्सरी के लिए बीज की मात्रा : 

एक एकड़ धान की नर्सरी तैयार करने के लिए 3 किलो बीज की जरुरत होती हैं । क्यारी में बीज की बात करें तो 1.5 मीटर की क्यारी (45 फीट लंबी और 15 फीट चौड़ी) में 3 किलो बीज बोना चाहिए।

 

धान की नर्सरी तैयार करने की विधि : 

1. वेट बेड विधि (Wet Bed Method)
2. ड्राई बेड विधि (Dry Bed Method)
3. डेपोग मेथड (Dapog Method)
4. एसआरआई विधि (SRI Method)

1. वेट बेड विधि | Wet Bed Method : 

इस मेथड का उपयोग उन क्षेत्रों में किया जाता है जहां नर्सरी तैयार करने के लिए पानी की पर्याप्त आपूर्ति होती है। इस मेथड से 25 से 35 दिनों में नर्सरी तैयार हो जाती है। अपनी नर्सरी के लिए पर्याप्त सिंचाई और जल निकासी वाली धान का खेत चुनें। नर्सरी बनाने से पहले खेत की दो से तीन जुताई कर लें। इसके बाद खेत में 4-5 सें.मी. ऊंची क्यारी बना ली जाती है।

बुवाई के लिए 45 सेंटीमीटर लंबे बेड बनायें। 100 वर्ग मीटर के खेत में बिजाई से पहले 0.4 किलोग्राम फास्फोरस, 1 किलोग्राम नत्रजन और 0.5 किलोग्राम पोटाश का उपयोग करें। एक मीटर वर्ग में 50-70 ग्राम सूखे बीज बोए जाते हैं। बोने से पहले बीजों को कुछ दिनों के लिए क्यारियों में गीला करके रखें।

जब पौधा 2 सेंटीमीटर लंबा हो जाए तो क्यारियों को पानी से भर दें। 6 दिनों के बाद, 0.3-0.6 किलोग्राम नाइट्रोजन 100 वर्ग मीटर क्षेत्र में लगाया जाता है। इसके बाद जब पौधे 20 से 25 दिन के हो जाएं तो उन्हें हटाकर रोपाई कर दें। यह विधि कम बीजों का उपयोग करती है और पौधों का उत्पादन करती है जो प्रत्यारोपण के लिए आसान होते हैं।


2. ड्राई बेड विधि | Dry Bed Method : 

इस मेथड का उपयोग उन क्षेत्रों में नर्सरी बनाने के लिए किया जाता है जहाँ पानी की सही व्यवस्था नहीं होती है। इसके लिए भूमि समतल या ढालू होनी चाहिए। शुरू करने के लिए, दो या तीन बार जुताई करके मिट्टी को 10-15 सेमी की मोटाई तक ढीला कर लें। धान के भूसे से एक उठी हुई सतह बनाएं। बीजों को बोने के बाद उन्हें घास से ढक दिया जाता है, जिससे बीजों में पर्याप्त नमी बनी रहती है और पक्षियों को बीजों को नुकसान पहुँचाने से रोका जा सकता है। बेड़ों पर पानी छिड़क कर आप उन्हें नम रख सकते हैं।


3. डेपोग मेथड | Dapog Method : 

डेपोग मेथड का उपयोग जल्दी पकने वाली किस्मों की नर्सरी उगाने के लिए किया जाता है। इस विधि को  फिलीपींस में बनाया गया था और अब अन्य दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में आम है। आंध्र प्रदेश, भारत के किसानों ने भी इस तरीके से पौध तैयार करना शुरू कर दिया है।
इस विधि से बिना मिट्टी के पौधे तैयार हो जाते हैं। इस परिदृश्य में केवल एक पॉलीथिन शीट रखकर एक स्तर का बेड़ बनाया जाना चाहिए। इस क्यारी पर 1.5 से 2 सें.मी. मोटी कम्पोस्ट परत तैयार की जाती है। यह परत बीज वाली होती है, और पौधों को नम रखने के लिए सिंचाई का उपयोग किया जाता है। इस स्थिति में पौधा 12 से 14 दिनों में तैयार हो जाता है।


4. एसआरआई विधि | SRI Method : 

यह एक आधुनिक नर्सरी तैयार करने की विधि है। शुरू करने के लिए, 70% मिट्टी, 20% वर्मीकम्पोस्ट और 10% भूसी का रेत संयोजन बनाया जाता है। पॉलीथीन को समतल सतह पर रखकर एक उठी हुई क्यारी में मिश्रण तैयार कर लिया जाता है और उपचारित बीजों को उस पर बो दिया जाता है। उसके बाद, बीजों को पुवाल की एक पतली परत से ढक दें और आवश्यकतानुसार पानी दें। इस प्रक्रिया से 8-12 दिनों में पौधे पर दो पत्तियाँ आ जाती हैं और पौधा रोपाई के लिए तैयार हो जाता है।


धान की बुवाई का समय और विधि : 

धान के बीजों को बोने से पहले अंकुरित कर लेना चाहिए। जूट के बोरे में बीज भरकर बीज उपचार के लिए 15 से 20 घंटे के लिए पानी में डुबोकर रखें। उसके बाद, सिक्त बीजों को अच्छी तरह से सुखाने के बाद बोया जाता है। बीजों को बिखेरने के दो से तीन दिन बाद खेत में इस बात का अतिरिक्त ध्यान देना चाहिए कि पक्षियों द्वारा बीजों को नुकसान न पहुंचे।


धान की नर्सरी तैयार करने के लाभ : 

1. नर्सरी में कम जगह में अधिक पौधे आसानी से तैयार किए जा सकते हैं।
2. क्योंकि कम जगह है, पौधों के लिए पर्याप्त जलवायु परिस्थितियाँ आसानी से दी जा सकती हैं।
3. छोटे क्षेत्र के कारण पौधों की बीमारियों और कीटों को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है।
4. नर्सरी में बीजों को उपयुक्त वातावरण दिया जा सकता है, जिससे अंकुरण अच्छा होता है।
5. नर्सरी में प्रत्येक उपलब्ध स्थान का सदुपयोग किया जा सकता है।
6. नर्सरी में प्रत्येक संसाधन, जैसे पानी और उर्वरक का कुशलतापूर्वक उपयोग किया जाता है।
7. नर्सरी से एक समान और स्वस्थ पौध का चयन करने से उत्पादकता में वृद्धि हो सकती है।
8. नर्सरी में कम लागत में अधिक पौधे तैयार किए जा सकते हैं।

सारांश : 

1. आज के लेख के माध्यम से आप को धान की नर्सरी कैसे तैयार की जाती है इसकी जानकारी दी गई है।  
2. धान के 1 एकड़ खेत की रोपाई के लिए नर्सरी तैयार कितने जगह मे डाले। 
3. धान की सबसे बेस्ट रोपाई विधि की सम्पूर्ण जानकारी। 
4. धान की बेस्ट किस्मों की खरीदी कहा से करें और बुवाई का समय। 
5. धान की नर्सरी तैयार करने के फायदें क्या है? सम्पूर्ण जानकारी। 


अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न :  

1. धान की नर्सरी कब लगाई जाती है?

उत्तर- संकर किस्म मई के दूसरे सप्ताह से जून के अंत तक लगाई जा सकती है। मध्य मई तक, एक मध्यम अवधि की संकर किस्म लगाई जाती है। जून की शुरुआत में बासमती किस्म की नर्सरी लगाएं।

2. धान में यूरिया कितनी बार डालना चाहिए?

उत्तर-  धान की फसल में तीन बार यूरिया देना चाहिए, हालांकि प्रत्येक बार यूरिया डालने पर इसकी मात्रा कम हो जाती है। धान लगाने के 20 से 25 दिन बाद पहली बार 70 किग्रा प्रति एकड़ की दर से यूरिया का छिड़काव किया जाता है।

3. धान की नर्सरी में कौन सी खाद डालें?

उत्तर-  धान की नर्सरी लगाने से पहले 200 ग्राम यूरिया, 300 ग्राम डीएपी और 30 ग्राम जिंक को मिलाकर 1 से 1.5 मीटर चौड़ी और 5 मीटर लंबी क्यारियों में मिट्टी में मिला देना चाहिए।

4. धान में DAP खाद का प्रयोग कब करें?

उत्तर-  धान की रोपाई के 1 सप्ताह के बाद प्रति एकड़ 1 बैग डीएपी खाद डालना चाहिए।

5. सबसे सुगंधित धान कौन सा है?

उत्तर-  पूसा बासमती-1 (पूसा-1460) यह अधिक उपज देने वाली किस्म है। यह सुगंधित किस्म 135 दिन बाद तैयार हो जाती है।


लेखक
भारतअ‍ॅग्री कृषि एक्सपर्ट

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