चाय, जिसे "ग्रीन गोल्ड" के नाम से भी जाना जाता है इसकी की खेती भारत में एक महत्वपूर्ण कृषि उद्योग है, जो न केवल अर्थव्यवस्था में योगदान करती है बल्कि लाखों लोगों की आजीविका का स्रोत भी है। चाय का वैज्ञानिक नाम "कैमेलिया साइनेंसिस" (Camellia sinensis) है और यह मुख्यतः उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में उगाई जाती है। भारत दुनिया में चाय के सबसे बड़े उत्पादकों और उपभोक्ताओं में से एक है।
भारत में चाय की खेती
भारत में चाय की खेती मुख्यतः असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश और हिमाचल प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में की जाती है। असम और दार्जिलिंग की चाय अपनी विशेष सुगंध और स्वाद के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है।
चाय की खेती का समय
चाय की खेती का आदर्श समय मानसून के तुरंत बाद का होता है, जब मिट्टी में पर्याप्त नमी होती है। आमतौर पर, चाय के पौधे लगाने का सर्वोत्तम समय जून से अगस्त, मार्च से मई और सितंबर से नवंबर के बीच होता है।
मौसम और जलवायु
चाय की खेती के लिए ठंडी और नम जलवायु आदर्श मानी जाती है। तापमान 20-30 डिग्री सेल्सियस के बीच होना चाहिए । इसके अलावा, चाय के पौधों के लिए आंशिक छायादार स्थानों की आवश्यकता होती है।
खेत की तैयारी और मिट्टी
1. चाय की खेती के लिए खेत की तैयारी में सबसे पहले भूमि को अच्छी तरह से जोतकर समतल किया जाता है।
2. इसके बाद खेत में उचित जल निकासी की व्यवस्था की जाती है, क्योंकि चाय के पौधों को जलभराव से नुकसान हो सकता है।
3. खेत की तैयारी के दौरान गोबर की खाद या जैविक खाद का प्रयोग किया जाना चाहिए।
4. चाय की खेती के लिए अम्लीय मिट्टी (pH 4.5 से 5.5) सबसे उपयुक्त होती है।
5. मिट्टी अच्छी जल निकासी वाली होनी चाहिए और कार्बनिक पदार्थों से भरपूर होनी चाहिए।
6. बलुई दोमट मिट्टी और लाल दोमट मिट्टी चाय की खेती के लिए आदर्श मानी जाती है।
चाय की खेती के लिए बेस्ट किस्मों की जानकारी
1. असम चाय (Camellia sinensis var. assamica)- असम राज्य की प्रमुख किस्म, यह उच्च तापमान और आर्द्रता में अच्छी तरह से बढ़ती है। इसका उपयोग ब्लैक टी के उत्पादन के लिए किया जाता है।
2. चाइनेंसिस (Camellia sinensis var. sinensis) - यह चीन की मूल किस्म, यह छोटी पत्तियों वाली होती है और ठंडे मौसम में उगाई जाती है। यह ग्रीन टी और व्हाइट टी के लिए उपयुक्त है।
3. क्लोनल (Clonal Varieties) - यह किस्में चाय के बागानों में विशेष पौधों से चयनित की जाती हैं। इनमें P-126, TV-1, TV-9, और TV-25 जैसी किस्में शामिल हैं, जो उच्च उपज और बेहतर गुणवत्ता प्रदान करती हैं।
4. दर्जीलिंग (Darjeeling) - पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग क्षेत्र में उगाई जाने वाली यह किस्म अपनी विशिष्ट खुशबू और स्वाद के लिए प्रसिद्ध है। इसका उपयोग ब्लैक टी और ग्रीन टी में होता है।
5. नीलगिरी (Nilgiri) - दक्षिण भारत के नीलगिरी पहाड़ियों में उगाई जाने वाली यह किस्म अपने विशिष्ट स्वाद और तीखेपन के लिए जानी जाती है। इसे ब्लैक टी के उत्पादन में उपयोग किया जाता है।
6. कांगड़ा (Kangra) - हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा क्षेत्र में उगाई जाने वाली यह किस्म उत्कृष्ट खुशबू और हल्के स्वाद वाली होती है। इसका उपयोग ग्रीन टी के उत्पादन में किया जाता है।
7. मनिहारिया (Maniharika) - असम क्षेत्र में उगाई जाने वाली यह किस्म उच्च उपज और बेहतर गुणवत्ता के लिए जानी जाती है।
8. टोकला (Toklai)- टोकला अनुसंधान केंद्र द्वारा विकसित यह किस्म असम में व्यापक रूप से उगाई जाती है और इसमें अधिक उपज और गुणवत्ता के साथ-साथ रोग प्रतिरोधकता भी होती है।
9. गांधी (Gandhi Tea) - इस किस्म को महाराष्ट्र के विभिन्न क्षेत्रों में उगाया जाता है और यह जैविक खेती के लिए उपयुक्त है।
10. वायनाड (Wayanad) -केरल के वायनाड क्षेत्र में उगाई जाने वाली यह किस्म अपने विशिष्ट स्वाद और उच्च उत्पादन के लिए जानी जाती है।
चाय की खेती के बीज दर प्रति एकड़ अनुसार
चाय की खेती में प्रति एकड़ 8,000 से 10,000 पौधों की आवश्यकता होती है। प्रति एकड़ बीजदर लगभग 500 से 700 ग्राम होती है।
खाद और उर्वरक की मात्रा
1. चाय के लिए नाइट्रोजन, फास्फोरस, और पोटाश युक्त उर्वरकों की आवश्यकता होती है।
2. नाइट्रोजन 100 किलोग्राम, फास्फोरस 40 किलोग्राम, और पोटाश 40 किलोग्राम प्रति एकड़।
3. उर्वरक को तीन भागों में विभाजित कर मार्च, जून, और सितंबर में डालें।
चाय की फसल में प्रमुख कीटों की समस्या
1. टी मच्छर (Tea Mosquito Bug) - इस कीट के नियंत्रण के लिए यूपीएल लांसर गोल्ड कीटनाशक 400 ग्राम प्रति एकड़ उपयोग करें
2. लूपर कैटरपिलर (Looper Caterpillar) - इस कीट के नियंत्रण के लिए क्रिस्टल प्रोक्लेम कीटनाशक 80 ग्राम प्रति एकड़ उपयोग करें।
3. रेड स्पाइडर माइट (Red Spider Mite) - इस कीट के नियंत्रण के लिए बायर ओबेरॉन कीटनाशक - 150 मिली प्रति एकड़ उपयोग करें।
4. हेलोपेलिस (Helopeltis)- इस कीट के नियंत्रण के लिए उपयोग करें धानुका ईएम-1 कीटनाशक 80 ग्राम प्रति एकड़ अनुसार।
5. ग्रे ब्लिस्टर माइट (Grey Blister Mite) - धानुका ओमाइट कीटनाशक 300 मिली प्रति एकड़ उपयोग करें।
6. ग्रीन फ्लाई (Green Fly) - इस इल्ली के नियंत्रण के लिए उपयोग करें बायर फेनॉक्स क्विक कीटनाशक 100 मिली प्रति एकड़ अनुसार।
7. स्केल इंसेक्ट (Scale Insect)- इस कीट के नियंत्रण के लिए बायर कॉन्फिडोर कीटनाशक 100 मिली प्रति एकड़ अनुसार।
8. थ्रिप्स (Thrips) - इस कीट के नियंत्रण के लिए बायर रीजेंट कीटनाशक 400 मिली प्रति एकड़ उपयोग करें।
9. माहू (Aphids) - माहू कीट के नियंत्रण के उपयोग करें धानुका फैक्स कीटनाशक 300 मिली प्रति एकड़ अनुसार।
10. लीफ रोलर (Leaf Roller) - धानुका जैपेक कीटनाशक 80 मिली प्रति एकड़ उपयोग करें।
चाय की फसल में रोगों की समस्या
1. रेड रस्ट (Red Rust) - सुमिटोमो कीटोशी फफूंदनाशी 300 मिली प्रति एकड़ अनुसार छिड़काव करें।
2. एंथ्रेक्नोज (Anthracnose) - बायर एंट्राकोल फफूंदनाशी 400 ग्राम प्रति एकड़ अनुसार छिड़काव करें।
3. ब्लैक रोट (Black Rot) - टाटा रैलिस ब्लिटोक्स फफूंदनाशी 400 ग्राम प्रति एकड़ अनुसार छिड़काव करें।
4. रूट रोट (Root Rot) - क्रिस्टल बाविस्टिन फफूंदनाशी 500 ग्राम प्रति एकड़ अनुसार ड्रेंचिंग करें।
5. पेस्टल मोल्ड (Pestalotia Mold) - बायोस्टेड रोको फफूंदनाशी 300 ग्राम प्रति एकड़ अनुसार छिड़काव करें।
6. बैंकी ब्लाइट (Banky Blight) - यूपीएल साफ फफूंदनाशी 400 ग्राम प्रति एकड़ अनुसार छिड़काव करें।
7. पाउडरी मिल्ड्यू (Powdery Mildew) - धानुका स्पेक्ट्रम फफूंदनाशी 300 मिली प्रति एकड़ अनुसार छिड़काव करे।
8. लीफ स्पॉट (Leaf Spot) - सिजेंटा रिडोमिल गोल्ड फफूंदनाशी 300 ग्राम प्रति एकड़ अनुसार छिड़काव करें।
चाय की फसल पत्तियों की तुड़ाई और समय
चाय की पत्तियों की कटाई साल में कई बार की जाती है, जो क्षेत्र और जलवायु पर निर्भर करता है। आमतौर पर, मार्च से दिसंबर तक कटाई की जाती है। पहले फ्लश (मार्च-अप्रैल), दूसरे फ्लश (मई-जून), और मानसून फ्लश (जुलाई-अक्टूबर) में पत्तियों की तुड़ाई की जाती है।
चाय की फसल प्रति एकड़ उत्पादन
चाय की प्रति एकड़ उत्पादन क्षेत्र, किस्म, और कृषि प्रबंधन पर निर्भर करता है। औसतन, एक एकड़ में 1000-1500 किलोग्राम तक हरी पत्तियां प्राप्त की जा सकती हैं।
सारांश
1. चाय की खेती एक लाभकारी व्यवसाय हो सकता है यदि इसे वैज्ञानिक पद्धतियों और सही प्रबंधन के साथ किया जाए।
2. भारत में विभिन्न क्षेत्रों में चाय की खेती की जाती है, और इसकी किस्में जलवायु और मिट्टी की विशेषताओं के अनुसार अलग-अलग होती हैं।
3. उचित रोपाई, खाद प्रबंधन, कीट और रोग नियंत्रण, और समय पर कटाई से चाय की अच्छी गुणवत्ता और उच्च उत्पादन सुनिश्चित किया जा सकता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न -
1. चाय की खेती कहां की जाती है?
उत्तर - असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, और हिमाचल प्रदेश।
2. चाय की खेती के लिए सबसे उपयुक्त मौसम कौन सा है?
उत्तर - मानसून के बाद का समय, जून से अगस्त, मार्च से मई और सितंबर से नवंबर।
3. चाय की खेती के लिए किस प्रकार की मिट्टी उपयुक्त होती है?
उत्तर - अम्लीय मिट्टी (pH 4.5 से 5.5), बलुई दोमट और लाल दोमट मिट्टी।
4. चाय की प्रमुख किस्में कौन-कौन सी हैं?
उत्तर - असम चाय, चाइनेंसिस, क्लोनल किस्में, दर्जीलिंग, नीलगिरी, कांगड़ा, मनिहारिया, टोकला, गांधी, और वायनाड।
5. चाय की खेती में बीज की मात्रा कितनी होती है?
उत्तर - प्रति एकड़ 8,000 से 10,000 पौधे, बीज दर 500 से 700 ग्राम प्रति एकड़।
6. चाय की फसल में कौन से कीटों का प्रकोप होता है?
उत्तर - टी मच्छर, लूपर कैटरपिलर, रेड स्पाइडर माइट, हेलोपेलिस, ग्रे ब्लिस्टर माइट, ग्रीन फ्लाई, स्केल इंसेक्ट, थ्रिप्स, माहू, और लीफ रोलर।
7. चाय की फसल में कौन-कौन से रोग होते हैं?
उत्तर - रेड रस्ट, एंथ्रेक्नोज, ब्लैक रोट, रूट रोट, पेस्टल मोल्ड, बैंकी ब्लाइट, पाउडरी मिल्ड्यू, और लीफ स्पॉट।
8. चाय की पत्तियों की तुड़ाई कब की जाती है?
उत्तर - मार्च से दिसंबर तक, विशेषकर मार्च-अप्रैल, मई-जून, और जुलाई-अक्टूबर के फ्लश में।
9. चाय की खेती से प्रति एकड़ कितना उत्पादन होता है?
उत्तर - औसतन 1000-1500 किलोग्राम हरी पत्तियां प्रति एकड़।
लेखक
BharatAgri Krushi Doctor