किसान भाइयों नमस्कार, BharatAgri Krushi Dukan वेबसाईट पर आपका स्वागत है। आज इस लेख (ब्लॉग) में मई आपको केले की फसल पर आने वाले सिगाटोका रोग (banana sigatoka leaf spot) के बारें में संपूर्ण जानकारी बताऊँगा। हम देखेंगे की केले की फसल में सिगाटोका रोग आने के कारण कोनसे है, इसके फसल पर लक्षण कैसे दिखते है साथ ही इस रोग नियंत्रण के लिए हम कोनसे उपाय कर सकते है।
इसीलिए अगर आपके पास अगर केले की फसल है तो खास कर आपके लिए ये वाली जानकारी बहोत ही महत्वपूर्ण हो सकती है। इसीलिए मेरी आपसे एक रीक्वेस्ट है की इस लेख को पूरा पढे और जानकारी पसंद आने पर इस लेख को आपके अन्य केला उत्पादक किसानों के पास शेयर जरूर करें। चलिए फिर शुरू करते है....
परिचय | Introduction -
दोस्तों जैसे की आपको पता है, केला अपने रोज के आहार और पोषण का एक प्रमुख हिस्सा है। केले की फसल भारत में आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गुजरात और केरेला जैसे राज्यों में ज्यादा तोर पे ली जाती है। और अगर पूरे विश्व की बात करे तो 2022 में लगभग 32 मिलियन टन की उपज के साथ भारत विश्व का सबसे बड़ा केला उत्पादक देश बन चुका है। और भारत के बाद चीन, इंडोनेशिया और ब्राजील इन देशों का नंबर लगता है। लेकिन जब फसल प्रबंधन की बात आती है, तो केले की फसल में सिगटोका रोग (sigatoka leaf spot) अब एक बड़ी सिरदर्द बन चुका है। अगर किसान इस रोग का सही तरीके से कंट्रोल नहीं कर पते है तो फसल का लगभग - 25 से लेकर 30 % तक का नुकसान भी संभव होता है। इसलिए हमे शूरवात इस रोग के नियंत्रण के लिए आवश्यक उपाय करना बहोत ही जरूरी है।
केले में सिगाटोका रोग आने के प्रमुख कारन | What is the cause of banana sigatoka leaf spot?
1. ब्लैक सिगाटोका 1963 में फिजी के Sigatoka घाटी में पहली बार देखा गया था। जो बाद में दक्षिण-पूर्व एशिया और दक्षिणी प्रशांत में फैल गया।
2. इसके बाद, 1972 में यह महाद्वीपीय इतिहास में पहली बार हॉन्डुरास में देखा गया।
3. उसके बाद मध्य मेक्सिको से लेकर बोलीविया और उत्तर-पश्चिमी ब्राजील तक फैल गया।
4. साथ ही क्यूबा, जमैका, डोमिनिकन गणराज्य और दक्षिणी फ्लोरिडा जैसे कैरेबियन बेसिन में भी पहुंचा।
5. अफ्रीका में, यह 1973 में जाम्बिया में पहली बार पाया गया और उसके बाद सहारा के उप-क्षेत्रों में फैला।
6. इस बीमारी का कारण Mycosphaerella fijiensis Morelet नामक कवक है।
7. ये उच्च नमी के स्थानों में उत्पन्न होते हैं, हवा में फैलते हैं, और कभी-कभी बारिश और सिंचाई के पानी से भी फैल सकते हैं।
8. कैवेंडिश और रोबस्टा जैसी किस्मों में हमे सिगाटोका रोग ज्यादा दिखाई देता है।
9. अगर फसल में उर्वरक की कमी दिखाई देती है तो यह रोग ज्यादा फैलता है।
10. जल निकासी की उचित व्यवस्था ना होना, ये भी एक प्रमुख कारन है इस रोग के संक्रमण का।
सिगाटोका रोग के लक्षण क्या है? | symptoms of black sigatoka of banana -
1. इस रोग का प्रकोप खास कर पत्तों पर ज्यादा होता है।
2. शूरवाती अवस्था में पत्ते पीले पड जाते है और बाद में वो भूरे रंग के बन जाते है।
3. बाद में धब्बों का आकार बढ़कर वह पूरे पत्तों पर फ़ाइल जाता है।
4. संक्रमण ज्यादा बढ़ने पर संक्रमित पत्ते सुखकर गिर जाते है।
5. परिणाम स्वरूप हमे पेढ और फलों का विकास कम हो जाता है और उपज में भारी गिरावट दिखाई देती है।
काले सिगाटोका का इलाज कैसे करते हैं? | black sigatoka treatment -
1. सबसे जरूरी बात, सही समय पर रोपाई करें।
2. जिस खेत या नर्सरी में इस रोग का प्रकोप हुआ है, वह से पोधे या फिर कंद न खरीदे।
3. रोपाई करते व्यक्त पोधों के ऊपर रोप उचार जरू करें।
4. खेत में समय-समय पर खरपतवार प्रबंधन जरू करें।
5. ध्यान रखे की सिंचाई प्रबंधन करते व्यक्त खेत में पानी ज्यादा समय के लिए जमा नया रहे।
6. यानी खेत में उचीत जल निकासी की व्यवस्था करें।
7. मिट्टी परीक्षण के आधार पर खेत में उर्वरक प्रबंधन करें।
8. सिंचाई के लिए ड्रिप का इस्तेमाल अवश्य करें।
9. रोपाई के लिए उचित दूरी को ध्यान में रखे यानी पास-पास पोधे ना लगाए।
10. समय समय पर सकर्स की छँटाई करें, मात्र 1 से लेकर 2 स्वस्थ सकर्स को रखे।
11. प्रभावित पत्तियोंको समय समय को काटते रहे।
केलें में सिगाटोका रोग नियंत्रण के लिए कोनसे छिड़काव करें? best fungicide for sigatoka -
👉जैविक दवा -
नाम |
सामग्री |
डोस |
ट्राइकोडर्मा विरिडी |
500 एम एल / एकड |
|
बेसिलस सुबटिलिस |
500 एम एल / एकड |
👉रासायनिक दवा -
नाम |
सामग्री |
डोस |
मैंकोजेब 63% + कार्बेन्डाजिम 12% WP |
400 ग्राम / एकड |
|
कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50% WP |
400 ग्राम / एकड |
|
प्रोपिकोनाज़ोल 25% ई.सी |
200 एम एल / एकड |
|
कैब्रियो टॉप |
मेटिरम 55% + पायराक्लोस्ट्रोबिन 5% डब्लूजी |
200 ग्राम/ एकड़ |
हेक्साकोनाज़ोल 5% + कैप्टन 70% WP |
300 ग्राम/ एकड़ |
|
टेबुकोनाज़ोल 10% + सल्फर 65% डब्लूजी |
500 ग्राम / एकड़ |
ऊपरी छिड़काव लेते व्यक्त यह कुछ सावधानियाँ ध्यान रखे -
1. ऊपरी कवकनाशी का आप हमेशा अदल-बदल कर छिड़काव करें।
2. एक ही एक फफूंदनाशी बार-बार इस्तेमाल ना करें।
3. छिड़काव करते व्यक्त स्टिकर यानी चिपकू का उपयोग जरूर करें।
4. छिड़काव सुबह 11 से पहले या फिर श्याम को 4 के बाद करें।
5. छिड़काव करते व्यक्त जमीन में हल्की नमी हो इसका खासकर ध्यान रखे।
6. कड़ी धूप में छिड़काव ना लें।
सारांश | Conclusion -
चलिए दोस्तों, आपको हमारी banana sigatoka leaf spot की जानकारी कैसे लगी ये कमेन्ट बॉक्स में जरूर बताए। और अगर यह जानकारी आपको सच में पसंद आती है तो इसे आपके अन्य किसान ग्रुप में शेयर जरूर करें। ऐसे ही खेती के बारें में अलग-अलग जानकारी पढ़ने के लिए हमारे BharatAgri Krushi Dukan वेबसाईट को जरूर भेंट दें। मिलते है अगले एक नए विषय और एक नई जानकारी के साथ, तब तक के लिए धन्यवाद🙏🙏🙏
किसान के द्वारा बार-बार पूछे जाने वाले सवाल | People also ask -
1. केलें में काला सिगाटोका रोग किसके कारन होता है?
जवाब- केलें में काला सिगाटोका रोग Mycosphaerella fijiensis Morelet इस कवक के कारण होता है।
2. काला सिगाटोका रोग के लक्षण क्या है?
जवाब- इस रोग का प्रकोप खास कर पत्तों पर ज्यादा होता है। शूरवाती अवस्था में पत्ते पीले पड जाते है और बाद में वो भूरे रंग के बन जाते है। संक्रमण ज्यादा बढ़ने पर संक्रमित पत्ते सुखकर गिर जाते है।
3. केलें में काला सिगाटोका रोग के कारण कोनसे नुकसान होते है?
जवाब- फल और पोधे का विकास नहीं होता है। परिणाम स्वरूप उपज 25 से लेकर 30 % घट जाती है।
4. काला सिगाटोका रोग के लिए कोनसी दवा का छिड़काव करें?
जवाब- काला सिगाटोका रोग नियंत्रण के लिए आप अदामा बम्पर, कैब्रियो टॉप, टाटा रैलिस ताकत या फिर एक्सेल सुमिटोमो स्वाधीन का उपयोग कर सकते हो।
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लेखक
BharatAgri Krushi Doctor