wheat rust

Wheat Rust : गेहूं में रतुआ रोग के नियंत्रण की सम्पूर्ण जानकारीं।

किसान भाइयों नमस्कार, स्वागत है BharatAgri Krushi Dukan वेबसाइट पर। आज के ब्लॉग में हम गेहूं की फसल में रतुआ रोग  (Wheat Rust Disease) की समस्या और नियंत्रण की सम्पूर्ण जानकारी के बारें में जानेंगे।  जैसे - रतुआ रोग क्या हैं?, रोग आने का कारण, रोग के प्रकार, लक्षण, जैविक और रासायनिक नियंत्रण के स्मार्ट टिप्स।  


गेहूं की फसल में रतुआ रोग | Wheat rust disease information in Hindi -

किसान भाइयों आप को बता दे की गेहूं की फसल में लगने वाले रोगों में सबसे खतरनाक रतुआ रोग होता हैं । रतुआ रोग गेहूं को सबसे ज्यादा हानि और नुकसान पहुंचाता है, और यह समस्या न केवल भारत में है बल्कि उन सभी देशों में भी जहां गेहूं की खेती होती है। रतुआ रोग (rust disease in wheat) तीन प्रमुख प्रकार का होता है - तना रतुआ, धारीदार रतुआ और पर्ण रतुआ। गेहूं की फसल में लगने वाला रतुआ रोग गेहूं की उपज को 30 प्रतिशत तक कम कर सकता है। धारीदार रतुआ उत्तर भारत में पाया जाता है, जबकि तना रतुआ मध्य और प्रायद्वीपीय भागों में होता है और पर्ण रतुआ भारत के लगभग सभी क्षेत्रों में गेहूं पर प्रकोप फैलाता है। चलिए, इन तीनों रोगों के बारे में और इनके निवारण के उपायों के बारे में जानते हैं।


रतुआ रोग के प्रकार | Types of rust disease -

1. रतुआ रोग कई प्रकार के होते हैं, और यह गेहूं की फसल को सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाले रोगों में से एक है। यह समस्या भारत के सभी क्षेत्रों में पाई जाती है। गेहूं की फसल में होने वाले रोगों में पीला रतुआ रोग, भूरा रतुआ रोग, और काला रतुआ रोग शामिल हैं।

2. पीला रतुआ रोग: पीला रतुआ रोग को येलो रस्ट या धारीदार रतुआ रोग के नाम से भी जाना जाता है। इस रोग से प्रभावित पौधों की पत्तियों पर पीले रंग की धारियां उभरने लगती हैं। समय के साथ, पत्तियां पूरी तरह से पीली हो जाती हैं, और मिट्टी में भी पीले रंग के पाउडर के समान तत्व उत्पन्न होते हैं। इस रोग के होने पर पौधों में बालियां नहीं बनती हैं।

3. भूरा रतुआ रोग: भूरा रतुआ रोग को ब्राउन रस्ट या पत्ती का रतुआ रोग (leaf rust in wheat) भी कहा जाता है। इस रोग से प्रभावित पौधों में पत्तियों की ऊपरी सतह पर नारंगी रंग के धब्बे उभरते हैं। समय के साथ, यह धब्बे गहरे भूरे रंग में परिवर्तित हो जाते हैं। इस रोग के कारण गेहूं की पैदावार में 30 प्रतिशत तक कमी हो सकती है।

4. काला रतुआ रोग: काला रतुआ रोग को ब्लैक रस्ट या तने का रतुआ रोग भी कहते हैं। इस रोग के होने पर पौधों के तने और पत्तियों पर गहरे भूरे रंग के धब्बे उभरते हैं। रोग बढ़ते ही, धब्बों का रंग काला हो जाता है। यह रोग 20 डिग्री सेंटीग्रेड से अधिक तापमान में तेजी से फैलता है।


रतुआ रोग के कारण | Rust disease problem in wheat crop -

1. फफूंद की वजह से संक्रमण: रतुआ रोग का प्रमुख कारण (rust of wheat is caused by) पुचिनिया ग्रेमिनिस फफूंद है, जो एक बाध्यकारी परजीवी है और पानी के संपर्क में आने के बाद पत्तियों की लंबी अवधि के गीलेपन से फैलता है।

2. फैलाव के तरीके: बीजाणु तेज़ हवा से फैलते हैं और मशीनों, वाहनों, औज़ारों, कपड़ों, और जूते-चप्पलों से भी संक्रमित हो सकते हैं।

3. आनुकूल परिस्थितियां: फफूंद का संक्रमण गर्म दिनों (25 से 30 डिग्री सेल्सियस) और ओस बनने के लिए उचित रात्रि के कम तापमान (45 से 20 डिग्री सेल्सियस) में होता है।

4. पानी और पोषक तत्वों का परिवहन में बाधा: (rust of wheat symptoms) फफूंद के कारण पानी और पोषक तत्वों का सही से परिवहन नहीं हो पाता है, जिससे पौधों की शक्ति में कमी होती है।

5. अनाज के दानों में पोषण की कमी: रतुआ रोग के कारण अनाज के दाने सिकुड़ जाते हैं, जिससे उनमें पोषण की कमी हो जाती है।

6. पूरा पौधा कमज़ोर होता है: इस रोग के कारण पूरा पौधा कमज़ोर पड़ जाता है, जिससे वह अन्य रोगजनकों के संक्रमण के प्रति संवेदनशील हो जाता है।

7. संक्रमित पौधे: यह रोग आमतौर पर गेहूं में होता है, लेकिन अन्य पौधों को भी प्रभावित कर सकता है, जैसे कि अन्य अनाज, घास, और बेरीबेरी के पौधें।


बेस्ट फफूंदनाशी | Best Fungicide for rust disease -

गेहू की फसल में रतुआ रोग के नियंत्रण के लिए बेस्ट फफूंदनाशी wheat rust treatment निम्न हैं - 

👉यूपीएल साफ फफूंदनाशी (कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोजेब 63% डब्ल्यूपी) - 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में डाल कर रोग की शुरूआती अवस्था में छिड़काव करें।  

👉सिंजेंटा रिडोमिल गोल्ड फफूंदनाशी (मेटालैक्सिल 8% + मैनकोजेब 64% डब्ल्यूपी) - 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में डाल कर छिड़काव करें। 

👉सिंजेंटा स्कोर फफूंदनाशी (डाइफेनोकोनाज़ोल 25% ईसी) - 0.5 मिली प्रति लीटर पानी में डाल कर छिड़काव करें।   

👉किटोशी फफूंदनाशी (एज़ोक्सीस्ट्रोबिन 12.5% ​​+ टेबुकोनाज़ोल 12.5% ​​एससी) - 2 मिली प्रति लीटर पानी में डाल कर छिड़काव करें।  

👉सिंजेंटा एमिस्टार टॉप फफूंदनाशी (एज़ॉक्सीस्ट्रोबिन 18.2%+ डाइफेनोकोनाज़ोल11.4% एससी) - 1.3 मिली/लीटर पानी में डाल कर छिड़काव करें।  


Conclusion | सारांश -  

 किसान भाइयों आप को इस ब्लॉग में गेहूं में लगने वाले रतुआ रोग (wheat rust)  के नियंत्रण के लिए बेस्ट फफूंदनाशी के साथ,रतुआ रोग के लक्षण, करण, रोग के प्रकार, और नियंत्रण की सम्पूर्ण जानकारी दी हैं।  आशा करते है की यह जानकारी आप के लिए  ज्यादा फायदेमंद होगी और बताएं गए (best fungicide for wheat rust) फफूंदनाशी से आप गेहू की फसल में आने वाले रतुआ रोग का आसानी से नियंत्रण कर पाओगें।  


 FAQ | बार - बार पूछे जाने वाले सवाल -  


1. गेहूं का रस्ट रोग किसके द्वारा होता है? 

गेहूं का रस्ट रोग पुचिनिया ग्रेमिनिस फफूंद द्वारा होता है, एक परजीवी जो इस रोग का कारण होता है।

2. गेहूं में कौन सा रोग होता है? 

गेहूं की फसल में आप को करनाल बंट और रतुआ रोग की समस्या ज्यादा देखने को  मिल सकती हैं।  

3. सबसे अच्छा फंगीसाइड कौन सा होता है?

गेहूं की फसल में रोगों के नियंत्रण के लिए बेस्ट फफूंदनाशी सिंजेंटा एमिस्टार टॉप (एज़ॉक्सीस्ट्रोबिन 18.2%+ डाइफेनोकोनाज़ोल11.4% एससी) हैं।  

4. गेहूं के लिए सबसे अच्छा टॉनिक कौन सा है? 

गेहूं की फसल में उपयोग किये  जाने वाला सबसे अच्छा टॉनिक फ़ेंटेक प्लस हैं।  

5. गेहूं में दवाई कब डाली जाती है?

गेहूं की फसल  में खरपतवार नियंत्रण के लिए सबसे पहले UPL वेस्ता खरपतवारनाशी का उपयोग किया जाता हैं।   



लेखक - 

भारतअ‍ॅग्री कृषि डॉक्टर

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