types of soil in india in hindi

Types of Soil in India: भारत की मिट्टी के विभिन्न प्रकार

भारत की मिट्टी की विविधता, कृषि विकास और फसल उत्पादन में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। भारत में विभिन्न प्रकार की मिट्टी पाई जाती है, जो विभिन्न जलवायु और भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार अलग-अलग है । इस ब्लॉग में, हम भारत की मिट्टी के विभिन्न प्रकार, उनकी विशेषताएँ, गुण, pH मान, और मिट्टी के अनुसार फसलों की खेती पर विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे।


भारत की मिट्टी के प्रकार -


A. बलुई मिट्टी (Sandy Soil)

1. बलुई मिट्टी में रेत के कण अधिक होते हैं, जिससे यह मिट्टी चिकनी और ढीली होती है।

2. जल निकासी की क्षमता अत्यंत अच्छी होती है, लेकिन यह मिट्टी जल और पोषक तत्वों को संचित नहीं कर पाती।

3. यह मिट्टी गर्मियों में जल्दी सूख जाती है और सर्दियों में जल्दी ठंडी होती है।

4. इस मिट्टी का pH मान 5.5 से 7.0 के बीच होता है।

5. बलुई मिट्टी में गेंहू, मक्का, जौ, मूंगफली, और गाजर जैसी फसलों की अच्छी पैदावार होती है।


B. बलुई-दोमट मिट्टी (Sandy-Loam Soil)

1. यह मिट्टी बलुई और दोमट मिट्टी का मिश्रण होती है, जिसमें रेत और मिट्टी दोनों की विशेषताएँ होती हैं।

2. जल और पोषक तत्वों की अच्छे से संचित करने की क्षमता होती है।

3. यह मिट्टी पौधों की वृद्धि के लिए अनुकूल होती है।

4. इस मिट्टी का pH मान 6.0 से 7.5 के बीच होता है।

5. यह मिट्टी सब्जियाँ, फल, और अनाज फसलों के लिए उपयुक्त है।


C. दोमट मिट्टी (Loamy Soil)

1. दोमट मिट्टी में रेतीली और चिकनी मिट्टी का संतुलित मिश्रण होता है।

2. जल निकासी और पोषक तत्वों की संचित करने की क्षमता बहुत अच्छी होती है।

3. यह मिट्टी खेती के लिए सबसे आदर्श मानी जाती है।

4. इस मिट्टी का pH मान 6.0 से 7.5 के बीच होता है।

5. यह मिट्टी गेहूं, धान, मक्का, दलहन, और तिलहन जैसी फसलों के लिए आदर्श।


D. चिकनी मिट्टी (Clay Soil)

1. चिकनी मिट्टी में छोटी-छोटी कण और मृदुवर्गीय मिट्टी के तत्व होते हैं।

2. जल संचित करने की क्षमता बहुत अच्छी होती है, लेकिन जल निकासी खराब होती है।

3. यह मिट्टी सर्दियों में ठोस हो जाती है और गर्मियों में चिपचिपी हो जाती है।

4. इस मिट्टी का pH मान 6.0 से 8.0 के बीच होता है।

5. यह मिट्टी धान, गन्ना, और दलहन जैसी फसलों के लिए उपयुक्त।


E. लाल मिट्टी (Red Soil)

1. यह मिट्टी लाल रंग की होती है, जिसका कारण इसमें आयरन ऑक्साइड का होना है।

2. जल निकासी की क्षमता अच्छी होती है, लेकिन पोषक तत्वों की कमी हो सकती है।

3. इसे सामान्यत: उष्णकटिबंधीय और उप-उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है।

4. इस मिट्टी का pH मान 5.5 से 6.5 के बीच होता है।

5. यह मिट्टी मूँगफली, तिलहन, कपास, और गेंहू जैसी फसलों के लिए उपयुक्त।


F. काली मिट्टी (Black Soil)

1. काली मिट्टी को रगड्रसोल भी कहते हैं, जो ज्यादातर बेसाल्ट की चट्टानों के पत्थर से बनती है।

2. यह मिट्टी उच्च पोषक तत्वों और जल संचित करने की अच्छी क्षमता रखती है।

3. इसे आमतौर पर महाराष्ट्र, कर्नाटक, और गुजरात के क्षेत्रों में पाया जाता है।

4. इस मिट्टी का pH मान आमतौर पर 6.0 से 7.5 के बीच होता है।

5. यह मिट्टी कपास, मूँगफली, सोयाबीन, और गेंहू जैसी फसलों के लिए आदर्श है।


G. जलोढ़ मिट्टी (Alluvial Soil)

1. यह मिट्टी नदियों के द्वारा लाए गए कणों से बनती है।

2. पोषक तत्वों की उच्चता और जल संचित करने की क्षमता के कारण यह खेती के लिए अनुकूल है।

3. यह मिट्टी सबसे उर्वर होती है और गंगा, यमुना, और ब्रह्मपुत्र नदियों के मैदानों में पाई जाती है।

4. इस मिट्टी का pH मान आमतौर पर 6.0 से 7.5 के बीच होता है।

5. यह मिट्टी धान, गेहूं, गन्ना, और दालों जैसी फसलों के लिए आदर्श है।


H. भूरी मिट्टी (Grey Soil)

1. भूरी मिट्टी को अपरिसल भी कहते हैं, जो आमतौर पर भारत के पश्चिमी हिस्सों में पाई जाती है।

2. इसमें उच्च मात्रा में नमक होता है, जिससे यह शुष्क क्षेत्रों में उपयुक्त होती है।

3. इस मिट्टी का pH मान आमतौर पर 7.0 से 8.0 के बीच होता है ।

4. यह मिट्टी बाजरा, ज्वार, और कपास जैसी फसलों के लिए उपयुक्त।


I. पीली मिट्टी (Yellow Soil)

1. पीली मिट्टी में आयरन ऑक्साइड की मात्रा अधिक होती है, जिससे इसका रंग पीला होता है।

2. यह मिट्टी जल सोखने की क्षमता रखती है और उर्वरक के उपयोग से अच्छी फसल दे सकती है।

3. इस मिट्टी का pH मान आमतौर पर 6.0 से 7.5 के बीच होता है।

4. यह मिट्टी धान, मक्का, और चाय के पौधों के लिए उपयुक्त है।


J. बारीक मिट्टी (Fine Soil)

1. बारीक मिट्टी में छोटे-छोटे कण होते हैं, जो इसे चिकनी और नरम बनाते हैं।

2. जल और पोषक तत्वों को संचित करने की अच्छी क्षमता होती है, लेकिन जल निकासी में समस्याएं हो सकती हैं।

3. इस मिट्टी का pH मान आमतौर पर 6.0 से 7.0 के बीच होता है।

4. यह मिट्टी धान, गेंहू, और चाय के पौधों के लिए आदर्श है।


भारत में मिट्टी की गुणवत्ता और महत्त्व -

1. पोषक तत्वों की उपलब्धता: मिट्टी में आवश्यक पोषक तत्वों की प्रचुर मात्रा फसल की वृद्धि और विकास के लिए आवश्यक होती है।

2. जल धारण क्षमता: अच्छी मिट्टी की जल धारण क्षमता फसल के लिए निरंतर पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करती है।

3. ph मान: मिट्टी का pH मान पौधों की पोषक तत्वों को अवशोषित करने की क्षमता को प्रभावित करता है।

4. मिट्टी की संरचना: मिट्टी की संरचना, जैसे कि कणों का आकार और उनका वितरण, पौधों की जड़ों के लिए उपयुक्त वातावरण प्रदान करता है।


मिट्टी की गुणवत्ता का मूल्यांकन निम्नलिखित तरीकों से किया जा सकता है:-

1. मिट्टी की जांच: मिट्टी की गुणवत्ता और पोषक तत्वों की कमी का पता लगाने के लिए नियमित मिट्टी की जांच करवाना चाहिए।

2. पोषक तत्वों की संतुलित आपूर्ति: उर्वरकों का संतुलित उपयोग करके मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी को पूरा किया जा सकता है।

3. सिंचाई प्रबंधन: उचित सिंचाई प्रबंधन से मिट्टी की जल धारण क्षमता को बढ़ाया जा सकता है।


मिट्टी का pH मान और फसलों की खेती:-

मिट्टी का pH मान उसके अम्लीय या क्षारीय गुणों का मापक होता है, जो कि 0 से 14 के बीच होता है। 7 से कम pH वाली मिट्टी को अम्लीय माना जाता है, जबकि 7 से अधिक pH वाली मिट्टी को क्षारीय कहा जाता है। प्रत्येक फसल के लिए एक विशिष्ट pH मान उपयुक्त होता है, जो उसकी वृद्धि और उत्पादन को प्रभावित करता है।


सारांश:-

1. भारत की मिट्टी की विविधता और उसकी विशेषताओं को समझना किसानों और कृषि विशेषज्ञों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। 

2. उचित मिट्टी प्रकार, उसकी गुणवत्ता और pH मान के अनुसार फसलों का चयन करने से न केवल फसल की उत्पादन क्षमता बढ़ती है, बल्कि मिट्टी की गुणवत्ता भी बनी रहती है। 

3. विभिन्न प्रकार की मिट्टी में फसल की सफल खेती के लिए सही मिट्टी प्रबंधन, खाद और उर्वरकों का चयन आवश्यक है।

4. सही मिट्टी और उसकी गुणवत्ता का मूल्यांकन करके किसान अपने फसल उत्पादन को बढ़ा सकते हैं और कृषि क्षेत्र में सफल हो सकते हैं।


अक्सर पूछे जानें वाले प्रश्न -

1. भारत में कितनी प्रकार की मिट्टी होती है?

उत्तर - भारत में लगभग 10 प्रमुख प्रकार की मिट्टी पाई जाती हैं।

2. बलुई मिट्टी की विशेषताएँ क्या हैं?

उत्तर - बलुई मिट्टी में रेत के कण अधिक होते हैं, जिससे यह जल्दी सूख जाती है और जल संचित नहीं कर पाती।

3. दोमट मिट्टी की खेती के लिए उपयुक्तता क्या है?

उत्तर - दोमट मिट्टी में जल और पोषक तत्वों की संचित करने की क्षमता बहुत अच्छी होती है, जिससे यह खेती के लिए आदर्श है।

4. चिकनी मिट्टी की समस्याएँ क्या होती हैं?

उत्तर - चिकनी मिट्टी में जल निकासी की कमी होती है और यह गर्मियों में चिपचिपी हो जाती है।

5. लाल मिट्टी की विशेषताएँ क्या हैं?

उत्तर - लाल मिट्टी में आयरन ऑक्साइड की अधिकता होती है और यह उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाई जाती है।

6. काली मिट्टी कहाँ पाई जाती है और इसका उपयोग क्या है?

उत्तर - काली मिट्टी महाराष्ट्र, कर्नाटक, और गुजरात में पाई जाती है और यह कपास और मूँगफली के लिए आदर्श है।

7. जलोढ़ मिट्टी की उर्वरता कैसे होती है?

उत्तर - जलोढ़ मिट्टी पोषक तत्वों और जल संचित करने में सक्षम होती है, जिससे यह अत्यंत उर्वर होती है।

8. भूरी मिट्टी में किस तरह की फसलों की खेती की जाती है?

उत्तर - भूरी मिट्टी में बाजरा, ज्वार, और कपास की खेती की जाती है।

9. पीली मिट्टी की विशेषताएँ और उपयोग क्या हैं?

उत्तर - पीली मिट्टी में आयरन ऑक्साइड की अधिकता होती है और यह धान और मक्का के लिए उपयुक्त है।

10. बारीक मिट्टी में किस तरह की फसलों की खेती की जाती है?

उत्तर - बारीक मिट्टी में धान, गेंहू, और चाय के पौधों की खेती की जाती है।


लेखक
BharatAgri Krushi Doctor


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