trichoderma viride uses

Trichoderma Viride: ट्राइकोडर्मा विरिडी (उपयोग विधि, प्राइज और फायदे)

ट्राइकोडर्मा विरिडी एक जैविक फफूंदनाशी (bio-fungicide) है, जो पौधों को विभिन्न फफूंदजनित रोगों से सुरक्षा प्रदान करता है। यह कवक (fungi) रोगों जैसे जड़ गलन, उखटा, और पत्ती धब्बा के नियंत्रण के लिए बहुत प्रभावी है। यह पर्यावरण के अनुकूल है और मिट्टी के सूक्ष्मजीव संतुलन को प्रभावित किए बिना पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।


ट्राइकोडर्मा विरिडी फफूंदनाशी की जानकारी

ट्राइकोडर्मा विरिडी एक लाभकारी कवक है, जो हानिकारक रोगजनक फफूंदों के विकास को रोकने और उन्हें नष्ट करने में मदद करता है। इसका उपयोग विभिन्न प्रकार की फसलों में होता है, जिसमें सब्जियाँ, फल, और औषधीय पौधे शामिल हैं। यह जैविक खेती के लिए एक महत्वपूर्ण उत्पाद है क्योंकि यह मिट्टी के स्वास्थ्य को बनाए रखता है और पौधों की वृद्धि में योगदान करता है।


मार्केट के बेस्ट 10 ब्रांड और प्रोडक्ट नाम

प्रोडक्ट का नाम 

कंपनी का नाम 

ट्रायको शील्ड फफूंदनाशी 

आईएफसी कंपनी 

डॉ बैक्टो डर्मस फफूंदनाशी 

आनंद एग्रो कंपनी 

संजीवनी फफूंदनाशी 

आईपीएल कंपनी 

ट्राइकोडर्मा विरिडी

कात्यानी कंपनी 

ट्राइकोज - पी 

उत्कर्ष कंपनी 


ट्राइकोडर्मा विरिडी फफूंदनाशी की फसलों में कार्य विधि:

ट्राइकोडर्मा विरिडी फफूंदनाशी मुख्य रूप से एंटागोनिज्म और हाइपरपैरासिटिज्म की प्रक्रिया से काम करता है। यह हानिकारक फफूंदों के साथ प्रतिस्पर्धा करके उनके पोषण स्रोतों को अवरुद्ध करता है और उनके विकास को नियंत्रित करता है। साथ ही, यह पौधे की जड़ों के आस-पास एक लाभकारी क्षेत्र बनाता है, जिससे पौधों की जड़ें स्वस्थ रहती हैं।


ट्राइकोडर्मा विरिडी फफूंदनाशी का फसलों में उपयोग:

ट्राइकोडर्मा विरिडी का उपयोग सभी प्रकार की फसलों में किया जा सकता है, जैसे कि सब्जियां, फल, दलहन, तिलहन, और औषधीय पौधे। यह जड़ गलन, जड़ सड़न, उखटा, पत्ती धब्बा, और झुलसा जैसे रोगों के नियंत्रण में सहायक है।


ट्राइकोडर्मा विरिडी से रोगों का नियंत्रण:

ट्राइकोडर्मा विरिडी फफूंदनाशी का उपयोग करने से जड़ गलन, सड़न, उखटा, पत्ती धब्बा और अन्य फफूंद रोगों को प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सकता है। यह पौधों की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, जिससे फसल की गुणवत्ता और उत्पादन में वृद्धि होती है।


उपयोग विधि

👉बीज उपचार: ट्राइकोडर्मा विरिडी को बीजों पर लगाकर बीजों को रोगों से सुरक्षित किया जा सकता है।  10-15 ग्राम ट्राइकोडर्मा विरिडी को प्रति किलो बीज पर लगाकर उपयोग करें।

👉ड्रेंचिंग: ट्राइकोडर्मा विरिडी को मिट्टी में डालकर पौधों की जड़ों को कवक रोगों से बचाया जा सकता है। 500 ग्राम प्रति एकड़ की मात्रा में ड्रेंचिंग द्वारा इसका उपयोग करें।

👉छिड़काव: इसे पौधों की पत्तियों पर छिड़क कर पत्ती धब्बा और झुलसा जैसे रोगों से बचाव किया जा सकता है।

👉ड्रिप सिस्टम: ट्राइकोडर्मा विरिडी को ड्रिप के माध्यम से जड़ों तक पहुँचाया जा सकता है। 500 ग्राम प्रति एकड़ की मात्रा में ड्रिप द्वारा इसका उपयोग करें।


ट्राइकोडर्मा विरिडी फफूंदनाशी के फसलों में उपयोग के फायदें:

1. ट्राइकोडर्मा विरिडी एक जैविक फफूंदनाशी है, जो फसलों को हानिकारक फंगल रोगों से प्राकृतिक तरीके से सुरक्षित रखता है। 

2. यह जड़ गलन, उखटा, पत्ती धब्बा और अन्य कई फंगल रोगों को नियंत्रित करने में प्रभावी है, जिससे फसलों की स्वस्थ वृद्धि सुनिश्चित होती है।

3. ट्राइकोडर्मा विरिडी का उपयोग फसल की गुणवत्ता में सुधार करता है, जिससे उपज की मात्रा और गुणवत्ता दोनों में वृद्धि होती है।

4. यह पौधों में प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, जिससे फसलों को फफूंद रोगों के प्रति अधिक सुरक्षा मिलती है।

5. ट्राइकोडर्मा मिट्टी के सूक्ष्मजीवों को नुकसान नहीं पहुंचाता, बल्कि उनकी विविधता को बढ़ाता है, जिससे मिट्टी का स्वास्थ्य बेहतर होता है।

6. इस फफूंदनाशी का उपयोग एक किफायती समाधान है, जो किसानों के लिए फसल के नुकसान को कम करने में मदद करता है, जिससे उनकी लाभप्रदता में वृद्धि होती है।

7. ट्राइकोडर्मा विरिडी फफूंद जनित रोगों के खिलाफ लंबे समय तक सुरक्षा प्रदान करता है, जिससे किसानों को अन्य रासायनिक कवकनाशी के लगातार उपयोग की आवश्यकता नहीं पड़ती।

8. इसका उपयोग सब्जियों, फलों, औषधीय पौधों और सजावटी पौधों में किया जा सकता है, जिससे यह उत्पादकों के लिए एक बहुउद्देशीय उत्पाद बन जाता है।

9. ट्राइकोडर्मा विरिडी का उपयोग करना बहुत आसान है, चाहे वह छिड़काव, ड्रिप या बीज उपचार के माध्यम से हो। यह किसान के लिए सुविधाजनक होता है।

10. यह फंगल रोगों के विकास को रोकता है, जिससे स्वस्थ फसल विकास को बढ़ावा मिलता है और किसान अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।


सारांश (Summary)

ट्राइकोडर्मा विरिडी एक प्रभावी जैविक फफूंदनाशी है, जो फसलों को रोगों से सुरक्षित रखता है और उपज बढ़ाने में सहायक होता है। इसका उपयोग विभिन्न प्रकार की फसलों में बीज उपचार, छिड़काव, और ड्रेंचिंग के रूप में किया जा सकता है। ट्राइकोडर्मा का उपयोग न केवल पौधों की वृद्धि में सहायक होता है, बल्कि यह पर्यावरण और मिट्टी के स्वास्थ्य को भी बनाए रखता है, जिससे यह जैविक खेती के लिए एक आदर्श विकल्प बनता है।


अक्सर पूछे जानें वाले प्रश्न: 

1. ट्राइकोडर्मा विरिडी क्या है?

उत्तर - यह एक जैविक फफूंदनाशी है जो पौधों को फफूंद जनित रोगों से सुरक्षा प्रदान करता है।

2. ट्राइकोडर्मा विरिडी का उपयोग कैसे किया जाता है?

उत्तर - इसे बीज उपचार, ड्रेंचिंग, और छिड़काव के माध्यम से फसलों में लगाया जाता है।

3. ट्राइकोडर्मा विरिडी किस प्रकार के रोगों को नियंत्रित करता है?

उत्तर - यह जड़ गलन, उखटा, और पत्ती धब्बा जैसे फफूंद रोगों का नियंत्रण करता है।

4. ट्राइकोडर्मा विरिडी का उपयोग कितनी मात्रा में करना चाहिए?

उत्तर -बीज उपचार के लिए 10-15 ग्राम प्रति किलो बीज, और ड्रेंचिंग के लिए 500 ग्राम प्रति एकड़ की मात्रा में उपयोग करें।

5. ट्राइकोडर्मा विरिडी का उपयोग क्यों करना चाहिए?

उत्तर - यह सभी प्रकार के फफूंदजनित रोगों को नियंत्रित करता है और किसानों के लिए एक किफायती एवं प्रभावी समाधान है, जो फसल के नुकसान को कम करता है।



लेखक

BharatAgri Krushi Doctor


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