किसान भाइयों नमस्कार, आज आप को भारतॲग्री ब्लॉग के माध्यम से (Dragon Fruit Ki Kheti) ड्रैगन फ्रूट्स की खेती की सम्पूर्ण जानकारी दी जाएगी। ड्रैगन फ्रूट, जिसे पिताया, होनोलुलु रानी, और कमलम के नाम से भी जाना जाता है, एक अद्वितीय और पोषक तत्वों से भरपूर फल है। इसकी खेती मुख्यतः दक्षिण पूर्व एशिया, मैक्सिको, मध्य और दक्षिण अमेरिका में की जाती है, लेकिन अब यह भारत में भी लोकप्रिय हो रहा है। इसके अद्वितीय स्वाद और स्वास्थ्य लाभों के कारण ड्रैगन फ्रूट की मांग तेजी से बढ़ रही है।
ड्रैगन फ्रूट क्या है?
ड्रैगन फ्रूट कैक्टस परिवार का सदस्य है और इसका वैज्ञानिक नाम हाइलोसिरस (Hylocereus) है। यह एक रसदार फल है जो सफेद, गुलाबी या लाल गूदे और छोटे काले बीजों से भरा होता है। इसका स्वाद मधुर और ताजगी देने वाला होता है।
ड्रैगन फ्रूट की किस्में -
👉हाइलोसिरस अंडाटस (Hylocereus undatus): इसमें सफेद गूदा और गुलाबी छिलका होता है।
👉हाइलोसिरस कोस्टारीकेंसिस (Hylocereus costaricensis): इसमें लाल गूदा और गुलाबी छिलका होता है।
👉हाइलोसिरस मेगालानथस (Hylocereus megalanthus): इसमें सफेद गूदा और पीला छिलका होता है।
आवश्यक जलवायु और मिट्टी -
1. जलवायु: ड्रैगन फ्रूट उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु में अच्छी तरह से बढ़ता है। इसे गर्म और आर्द्र वातावरण की आवश्यकता होती है, लेकिन यह 0°C से नीचे के तापमान को सहन नहीं कर सकता।
2. मिट्टी: ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली रेतीली या दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है। मिट्टी का पीएच मान 5.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए।
ड्रैगन फ्रूट की बुवाई की विधि -
1. बीज द्वारा बुवाई: बीज द्वारा बुवाई करना आसान है, लेकिन इस विधि से फल आने में 5-6 साल लग सकते हैं।
2. कटिंग द्वारा बुवाई: यह सबसे सामान्य विधि है। स्वस्थ पौधे की 12-18 इंच लंबी कटिंग लें और इसे 2-3 दिनों के लिए छाया में सुखाएं। फिर इसे मिट्टी में लगाएं।
ड्रैगन फ्रूट का पौध रोपण विधि -
1. भूमि की तैयारी: खेत की गहरी जुताई करें और मिट्टी को भुरभुरा बनाएं। खेत को अच्छी तरह से समतल करें और जल निकासी की उचित व्यवस्था करें।
2. कटिंग की तैयारी: ड्रैगन फ्रूट को कटिंग से उगाया जाता है। स्वस्थ और रोग-मुक्त पौधे से 30-50 सेंटीमीटर लंबी कटिंग लें और इन्हें एक दिन के लिए छाया में सुखा लें।
3. कटिंग का रोपण: कटिंग को खेत में 1.5 मीटर की दूरी पर लगाएं। कटिंग को 10-15 सेंटीमीटर मिट्टी में गाड़ें और हल्का पानी दें।
4. समर्थन की व्यवस्था: ड्रैगन फ्रूट बेल की तरह बढ़ता है, इसलिए इसे सहारे की आवश्यकता होती है। पौधों के पास 6-7 फीट ऊंचे लकड़ी या कंक्रीट के खंभे लगाएं।
5. सिंचाई: ड्रैगन फ्रूट की जड़ों में जलभराव नहीं होना चाहिए। खेत की नमी बनाए रखने के लिए ड्रिप सिंचाई पद्धति का उपयोग करें।
खाद और उर्वरक -
ड्रैगन फ्रूट की फसल को स्वस्थ और उत्पादक बनाने के लिए सही मात्रा में खाद और उर्वरक देना बहुत महत्वपूर्ण है। पौधों की वृद्धि, फल का विकास और गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए विभिन्न प्रकार के पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। यहां ड्रैगन फ्रूट की फसल के लिए आवश्यक खाद और उर्वरकों की जानकारी दी गई है:
A. जैविक खाद (Organic Fertilizers)
जैविक खाद ड्रैगन फ्रूट की फसल के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है। यह पौधे की जड़ों को मजबूत बनाती है और मिट्टी की संरचना में सुधार करती है।
गाय का गोबर (Cow Manure): प्रति पौधा 5-10 किलोग्राम साल में दो बार।
वर्मी कम्पोस्ट (Vermicompost): प्रति पौधा 2-3 किलोग्राम साल में दो बार।
नाडेप कम्पोस्ट (NADEP Compost): प्रति पौधा 5-10 किलोग्राम साल में दो बार।
(नोट - खाद की उपलब्धता अनुसार किसी एक जैविक खाद का उपयोग करें.)
B. रासायनिक उर्वरक (Chemical Fertilizers)
रासायनिक उर्वरकों का सही मात्रा में उपयोग करने से पौधे की वृद्धि और फल उत्पादन में वृद्धि होती है।
नाइट्रोजन (N): प्रति पौधा 100-150 ग्राम साल में दो बार (प्रारंभिक और फलन अवस्था में)।
फॉस्फोरस (P): प्रति पौधा 50-75 ग्राम साल में दो बार।
पोटाश (K): प्रति पौधा 150-200 ग्राम साल में दो बार।
C. माइक्रो न्यूट्रिएंट्स (Micro Nutrients)
ड्रैगन फ्रूट की फसल को अच्छी गुणवत्ता वाले फल देने के लिए माइक्रो न्यूट्रिएंट्स की भी आवश्यकता होती है।
जिंक (Zn): 2-3 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
बोरोन (B): 1-2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
लोहा (Fe), मैंगनीज (Mn), कॉपर (Cu): 1-2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
ड्रैगन फ्रूट फसल में कीटों, रोग प्रबंधन -
ड्रैगन फ्रूट सामान्यत प्रमुख कीटों और रोगों के प्रति सहनशील होता है। कुछ महत्वपूर्ण रोग फफूंद और बैक्टीरियल की समस्या होती हैं, जैसे एन्थ्रेक्नोज, ब्राउन स्पॉट्स और तने का सड़ना, जो ड्रैगन फ्रूट की फसल को प्रभावित करते हैं। भारी वर्षा और अधिक पानी या जलजमाव की स्थिति फसल को इन बीमारियों का प्रकोप बढ़ता है। फल कभी-कभी चींटियों, स्केल कीटों, मेली बग्स, घोंघे, बोरर्स, कैटरपिलर्स, दीमक, निमेटोड, फल मक्खियों, चूहों और पक्षियों द्वारा संक्रमित होते हैं।
ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए खर्चा और लागत -
ड्रैगन फ्रूट की खेती की योजना बनाते समय किसानों को शुरुआत में होने वाले खर्चों और लागत का सही आकलन करना बहुत महत्वपूर्ण होता है। यहां हम ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए आवश्यक लगभग खर्च और लागत की विस्तृत जानकारी प्रस्तुत कर रहे हैं।
ड्रैगन फ्रूट की खेती की योजना |
खर्चा और लागत प्रति एकड़ |
जुताई और समतलीकरण: |
5,000-10,000 रुपये प्रति एकड़ |
मिट्टी परीक्षण: |
500-1,000 रुपये प्रति नमूना |
कटिंग्स की खरीद: |
15-25 रुपये प्रति कटिंग |
खंभे (लकड़ी या कंक्रीट): |
150-200 रुपये प्रति खंभा |
तार और अन्य सामग्री: |
10,000-15,000 रुपये प्रति एकड़ |
ड्रिप सिंचाई प्रणाली: |
25,000-35,000 रुपये प्रति एकड़ |
पानी की टंकी और पाइपलाइन: |
10,000-15,000 रुपये |
जैविक खाद: |
10,000-15,000 रुपये प्रति एकड़ प्रति वर्ष |
रासायनिक उर्वरक: |
5,000-8,000 रुपये प्रति एकड़ प्रति वर्ष |
रोपण और देखभाल: |
15,000-20,000 रुपये प्रति एकड़ |
कटाई और छंटाई: |
10,000-15,000 रुपये प्रति एकड़ प्रति वर्ष |
जैविक कीटनाशक और फफूंदनाशक: |
5,000-8,000 रुपये प्रति एकड़ प्रति वर्ष |
रासायनिक कीटनाशक: |
2,000-3,000 रुपये प्रति एकड़ प्रति वर्ष। |
फलों का परिवहन: |
5,000-8,000 रुपये प्रति एकड़ प्रति वर्ष |
विपणन खर्च: |
3,000-5,000 रुपये प्रति एकड़ प्रति वर्ष |
ड्रैगन फ्रूट की खेती के फायदे | Benefits of Dragon Fruit Cultivation -
1. ड्रैगन फ्रूट की खेती कई कारणों से लाभदायक है। यह फसल कम निवेश में उच्च लाभ प्रदान कर सकती है और किसानों को विभिन्न तरीकों से फायदा पहुंचा सकती है। यहां ड्रैगन फ्रूट की खेती के प्रमुख फायदे दिए गए हैं:
2. ड्रैगन फ्रूट की मांग तेजी से बढ़ रही है, खासकर शहरी क्षेत्रों में। इसके पोषण गुण और स्वास्थ्य लाभ के कारण इसे लोग अधिक पसंद कर रहे हैं। इसके कारण, बाजार में इसकी कीमत अच्छी होती है, जो किसानों को अच्छा मुनाफा कमाने में मदद करती है।
3. ड्रैगन फ्रूट की फसल को कम पानी की आवश्यकता होती है, जो उन क्षेत्रों में लाभदायक है जहां पानी की कमी है। यह फसल ड्रिप इरिगेशन सिस्टम के साथ बहुत अच्छे परिणाम देती है।
4. ड्रैगन फ्रूट की खेती में अन्य फसलों की तुलना में कम रखरखाव की आवश्यकता होती है। पौधे को छंटाई और नियमित देखभाल की जरूरत होती है, लेकिन इसके लिए अधिक श्रम या संसाधनों की आवश्यकता नहीं होती।
5. ड्रैगन फ्रूट की पौधे एक बार स्थापित होने के बाद लगभग 20-25 साल तक उत्पादन कर सकते हैं। यह दीर्घकालिक निवेश है जो किसानों को लंबे समय तक लाभ प्रदान करता है।
6. ड्रैगन फ्रूट विटामिन सी, फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट, और अन्य पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसके स्वास्थ्य लाभों के कारण इसकी मांग बढ़ रही है, जो किसानों के लिए एक स्थिर बाजार सुनिश्चित करता है।
7. ड्रैगन फ्रूट का फल दिखने में आकर्षक होता है और इसका स्वाद भी बेहतरीन होता है। इसे ताजे फल के रूप में बाजार में बेचा जा सकता है, जिससे विपणन में कोई बड़ी कठिनाई नहीं होती। इसके अलावा, यह फल प्रोसेसिंग उद्योग के लिए भी उपयुक्त है।
8. ड्रैगन फ्रूट को ताजे फल के रूप में खाने के अलावा, इसे जूस, जैम, जैली, और अन्य प्रोसेस्ड प्रोडक्ट्स बनाने के लिए भी उपयोग किया जा सकता है। यह किसानों को कई विपणन विकल्प प्रदान करता है।
9. ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए कम कीटनाशकों और उर्वरकों की आवश्यकता होती है, जिससे यह पर्यावरण के लिए अनुकूल होती है। जैविक खेती के लिए भी यह एक अच्छा विकल्प है।
10. ड्रैगन फ्रूट की अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी अच्छी मांग है। भारत से अन्य देशों में इसका निर्यात किया जा सकता है, जिससे किसानों को विदेशी मुद्रा अर्जित करने का मौका मिलता है।
ड्रैगन फ्रूट का प्रति एकड़ उत्पादन और संभावित आय -
ड्रैगन फ्रूट की (dragon fruit production in india) फसल का उत्पादन प्रति एकड़ 8-12 टन हो सकता है। बाजार में ड्रैगन फ्रूट की कीमत ₹100 - ₹200 प्रति किलोग्राम हो सकती है। इस प्रकार, एक एकड़ से होने वाली आय ₹8,00,000 - ₹24,00,000 प्रति वर्ष हो सकती है।
सारांश -
ड्रैगन फ्रूट की खेती (Dragon Fruit Ki Kheti) एक लाभदायक और आकर्षक व्यवसाय हो सकता है। सही तकनीक और देखभाल से किसान इस फसल से अच्छी आय प्राप्त कर सकते हैं। इस ब्लॉग के माध्यम से हमने ड्रैगन फ्रूट की खेती की सम्पूर्ण जानकारी प्रदान की है। आशा है कि यह जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी।
किसानों द्वारा अक्सर पूछे जानें वाले प्रश्न -
1. ड्रैगन फ्रूट क्या है?
उत्तर - ड्रैगन फ्रूट कैक्टस परिवार का सदस्य है जिसका वैज्ञानिक नाम हाइलोसिरस (Hylocereus) है।
2. ड्रैगन फ्रूट की मुख्य किस्में कौन सी हैं?
उत्तर - हाइलोसिरस अंडाटस, हाइलोसिरस कोस्टारीकेंसिस, और हाइलोसिरस मेगालानथस।
3. ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु और मिट्टी क्या होनी चाहिए?
उत्तर - उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु, और अच्छी जल निकासी वाली रेतीली या दोमट मिट्टी।
4. ड्रैगन फ्रूट की बुवाई के प्रमुख तरीके कौन से हैं?
उत्तर - बीज द्वारा बुवाई और कटिंग द्वारा बुवाई।
5. ड्रैगन फ्रूट के पौधों को समर्थन की आवश्यकता क्यों होती है?
उत्तर - क्योंकि ड्रैगन फ्रूट बेल की तरह बढ़ता है और उसे सहारे की आवश्यकता होती है।
6. ड्रैगन फ्रूट की फसल में आमतौर पर कौन से रोग होते हैं?
उत्तर - एन्थ्रेक्नोज, ब्राउन स्पॉट्स, और तने का सड़ना।
7. ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए आवश्यक प्रारंभिक लागत कितनी होती है?
उत्तर - प्रति एकड़ ₹1,00,000 से ₹1,50,000।
8. ड्रैगन फ्रूट की खेती के क्या फायदे हैं?
उत्तर - कम पानी की आवश्यकता, कम रखरखाव, और लंबी अवधि तक उत्पादन।
9. ड्रैगन फ्रूट का प्रति एकड़ उत्पादन कितना हो सकता है?
उत्तर - प्रति एकड़ 8-12 टन।
10. ड्रैगन फ्रूट की संभावित आय कितनी हो सकती है?
उत्तर - प्रति एकड़ ₹8,00,000 - ₹24,00,000 प्रति वर्ष।
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लेखक
भारतॲग्री कृषि डॉक्टर