Control Major Diseases Of Cucumber Crops

खीरे में इन रोगों के नियंत्रण से होगा 2 लाख का फ़ायदा।

ककड़ी/खीरे में लगने वाले रोगों का नियंत्रण |  Cucumber Disease Control

किसान भाइयों जायद या गर्मी के मौसम में खीरा अधिक उपज देने वाली एक प्रमुख फसल है। खीरे की खेती (Cucumber Cultivation) के दौरान विभिन्न प्रकार के कीटों और रोगों की समस्या आती है।  खीरे की फसल में लगने वाले कुछ ऐसे रोग हैं, जो खीरे के उत्पादन को (Cucumber production) अधिक मात्रा में प्रभावित करते हैं, जिससे प्रति एकड़ उत्पादन कम निकलता है।  

 

खीरे की खेती के फायदे |  Benefits/Profit of Cucumber Farming 

दुनिया में खीरे के फलों को कच्चा, सलाद या सब्जियों के रूप में उपयोग किया जाता है| और इसी के साथ खीरे के बीजो का प्रयोग तेल उत्पादन (Cucumber oil production) के लिए किया जाता है, जो मनुष्य शरीर और दिमाग के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। आप को बता दें की खीरे में 96 प्रतिशत तक पानी होता है, जो गर्मी के मौसम में सबसे अच्छा होता है। खीरा या ककड़ी विटामिन का एक अच्छा स्त्रोत होता है, इस लिए इसकी मांग बाजार (Cucumber market Demand) में अधिक होती है। खीरा मुख्य रूप से किडनी, हृदय रोग, अल्कालाइज़र के साथ-साथ त्वचा के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है।आज के समय में सभी देशों में खीरे को मुख्यतः फलों, सलादों तथा सब्जियों के रूप में अधिक मात्रा में उपयोग किया जा रहा है। 

खीरे की बुवाई कब करें ? Cucumber sowing time ?

किसान भाइयों आप खीरे की खेती (Cucumber cultivation) तीनों मौसम में आसानी से कर सकते हो जैसे - खरीब, रबी और जायद। खीरे की खेती के समय को ध्यान रखते हुए आप को बता दें की ककड़ी की खेती - 

  1. उत्तरी भारत में खीरे की बुवाई फरवरी-मार्च व जून-जुलाई में की जाती है। 
  2. पर्वतीय क्षेत्रों में बुवाई मार्च-जून तक की जाती है। 

खीरे की फसल में लगने वाले प्रमुख रोग |  Major diseases of cucumber crop

खीरे की फसल में लगने वाले प्रमुख रोग निम्न हैं - 

  1. उखटा या जड़ विगलन रोग (Wilt and root rot disease)
  2. खीरा मोजैक वायरस (Cucumber mosaic virus)
  3. चूर्णिल आसिता (पाउडरी मिल्ड्यू) (Powdery Mildew disease)
  4. मृदुल आसिता (डाउनी मिल्ड्यू)  (Downy Mildew disease)
  5. फल विगलन रोग  (Fruit rot disease)
  6. श्यामवर्ण (एन्थ्रेकनोज) (Anthracnose disease)

उखटा या जड़ विगलन रोग | Wilt and root rot disease

खीरे में उखटा रोग या जड़ विगलन रोग (Wilt and root rot disease symptoms) के लक्षण निम्न हैं - 

  1. खीरे की फसल में उखटा रोग या जड़ विगलन रोग फसल की बीज अंकुरण अवस्था से ही पौधों को प्रभावित करता है।  
  2. यह रोग फंगस या फफूंद के माध्यम से फैलता है।  
  3. उखटा रोग या जड़ विगलन रोग सबसे पहले पौधों की जड़ों को प्रभावित करता है।  
  4. उखटा रोग या जड़ विगलन रोग के कारण पौधों की जड़ें सड़ने या सूखने लगती हैं।  
  5. पौधों की जड़ों में फंगस की समस्या के कारण पौधे मृदा से पोषक तत्व नहीं ले पाते ।  
  6. पौधे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया नहीं कर पाते हैं।  
  7. उखटा रोग या जड़ विगलन रोग के कारण शुरुआती अवस्था में पौधों की पत्तियां पीली दिखाई देती हैं।
  8. रोग की समस्या ज्यादा होने पर पौधों की पत्तियां सूख कर नीचे गिर जाती हैं।  
  9. अंत में फसल या पौधे मर जाते हैं।  
  10. जिस कारण प्रति एकड़ उत्पादन कम निकलता हैं।  

उखटा या जड़ विगलन रोग का नियंत्रण | Wilt and root rot disease control 

उखटा या जड़ विगलन रोग का नियंत्रण करने के तरीके निम्न हैं - 

  1. गर्मी में खेत की गहरी जुताई करें जिससे फफूंदजनित रोग की समस्या ख़त्म हो जाती है।  
  2. बीज की बुवाई के पहले बीजोपचार कर के बुवाई करें। 
  3. बीज उपचार के लिए धानुका कंपनी का वीटा वेक्स पावर (Vitavax Power) जिसके अंदर रासायनिक संरचना (Carboxin 37.5% + Thiram 37.5% DS) होती है, इसे हमें 2 से 3 ग्राम प्रति किलो बीज के अनुसार उपचारित करना है।  
  4. जैविक बीजोपचार के लिए आनंद एग्रो कंपनी का डर्मस (Dermus) जैविक फफूंदनाशक जिसके अंदर (Trichoderma viride) पाया जाता है,  इसे हमें 4 से 5 मिली प्रति किलो बीज के अनुसार उपचारित करना है।  
  5. धानुका कंपनी का सिक्सर फफूंदनाशक (Sixer Fungicide) जिसके अंदर रासायनिक संरचना (Carbendazim 12% and Mancozeb 63% WP) पाई जाती है, इसे हमें 2 से 3 ग्राम पानी में डाल कर पौधों की ड्रेंचिंग करना चाहिए। या फिर 
  6. धानुका कंपनी का Dhanustin Fungicide जिसके अंदर रासायनिक संरचना (Carbendazim 50% WP) पाई जाती है, इसे हमें 2 से 3 ग्राम पानी में डाल कर पौधों की ड्रेंचिंग करना चाहिए। या फिर 
  7. सिंजेंटा कंपनी का रिडोमिल गोल्ड फफूंदनाशक (Ridomil gold Fungicide) जिसके अंदर रासायनिक संरचना  (Metalaxyl 8% WP + Mancozeb 64% WP) पाई जाती है, इसे हमें 2 से 3 ग्राम पानी में डाल कर पौधों की ड्रेंचिंग करना चाहिए। 
  8. रोग की समस्या ज्यादा होने पर बायोस्टैड कंपनी का रोको फफूंदनाशक (Roko fungicide) जिसके अंदर रासायनिक संरचना  Thiophanate-methyl 70 % WP पाया जाता है, इसे हमें 2 से 3 ग्राम पानी में डाल कर पौधों की ड्रेंचिंग करना चाहिए। 

खीरा मोजैक वायरस | Cucumber mosaic virus

खीरा मोजैक वायरस (Cucumber mosaic virus symptoms) के लक्षण निम्न हैं - 

  1. खीरा मोज़ेक वायरस विषाणु जनित रोग है।  
  2. खीरा मोज़ेक वायरस चूसक कीटों के माध्यम से ज्यादा मात्रा में फैलता है। 
  3. खीरे की फसल और पौधों की पत्तियों में चितकबरापन जैसे लक्षण दिखाई देतें हैं।  
  4. खीरा मोज़ेक वायरस के कारण पौधों की पत्तियां छोटी और हरी-पीली नजर आती हैं।  
  5. खीरा मोज़ेक वायरस के कारण फसल का वृद्धि विकास रुक  जाता है।  
  6. खीरा मोज़ेक वायरस के कारण ककड़ी के फूल (Cucumber flowering) छोटी पत्तियों में बदले हुए नजर आते हैं।  
  7. खीरा मोज़ेक वायरस के कारण फूल गुच्छों में बदल जाते हैं जिस कारण फल नहीं बन पाते हैं।  
  8. खीरा मोज़ेक वायरस से ग्रसित पौधें बौने रह जाते हैं।  
  9. खीरा मोज़ेक वायरस के कारण खीरे का उत्पादन 50 से 60% कम निकलता है।  
  10. खीरा मोज़ेक वायरस की समस्या सभी कद्दूवर्गीय फसल में आती है।  

खीरा मोजैक वायरस रोग का नियंत्रण | Cucumber mosaic virus control 

खीरा मोजैक वायरस रोग का नियंत्रण करने के तरीके निम्न हैं - 

  1. खीरा मोजैक वायरस रोग के नियंत्रण के लिए रोगग्रस्त पौधों को उखाड़कर जला देना चाहिए।  
  2. खीरा मोजैक वायरस रोग के नियंत्रण के लिए फसल में खरपतवार को नियंत्रित करना चाहिए।  
  3. खीरा मोजैक वायरस रोग के प्रति रोग प्रतिरोधक झमता वाली किस्मों का चयन करना चाहिए।  
  4. खीरा मोजैक वायरस रोग चूसक कीटों के माध्यम से ज्यादा फैलता है इस लिए चूसक कीटों को नियंत्रित करना चाहिए।  
  5. खीरा मोजैक वायरस रोग के नियंत्रण के लिए रासायनिक कीटनाशक निम्न हैं।  
  6. धानुका धनप्रीत (Acetamiprid 20% SP) 10 ग्राम प्रति पंप के हिसाब से फसल पर छिड़काव करें।  
  7. धानुका अरेवा (Thiamethoxam 25% WG) 10 ग्राम प्रति पंप के हिसाब से फसल पर छिड़काव करें।  
  8. बायर कॉन्फिडोर (Imidacloprid 17.8% SL) 10 मिली प्रति पंप के हिसाब से फसल पर छिड़काव करें।  
  9. धानुका पेजर (Diafenthiuron 50% WP) 25 ग्राम प्रति पंप के हिसाब से फसल पर छिड़काव करें।

 खीरे में पाउडरी मिल्ड्यू रोग | Powdery Mildew disease

खीरे में पाउडरी मिल्ड्यू रोग (Powdery Mildew disease symptoms)  के लक्षण निम्न हैं - 

  1. पाउडरी मिल्ड्यू रोग खीरे की फसल में लगने वाला एक प्रमुख रोग है जो फंगस के माध्यम से फैलता है।  
  2. यह रोग सभी प्रकार के कद्दूवर्गीय फसल को प्रभावित करता है।  
  3. पाउडरी मिल्ड्यू रोग के लक्षण मुख्य रूप से पहले पत्तियों और तनों पर दिखाई देतें हैं।  
  4. पाउडरी मिल्ड्यू पत्तों और तनों पर सफ़ेद रंग के पाउडर के समान दिखाई देतें हैं।  
  5. पाउडरी मिल्ड्यू से प्रभावित हिस्सों पर हाथ लगाने पर उंगलियों में पाउडर लग जाता है।  
  6. पाउडरी मिल्ड्यू रोग धुंधले धूसर धब्बों के रूप में भी दिखाई देता है।  
  7. पाउडरी मिल्ड्यू रोग की समस्या ज्यादा होने पर पूरे पौधों पाउडर से ढक जाते हैं।  
  8. पाउडरी मिल्ड्यू रोग के कारण पौधों की उचित वृद्धि नहीं हो पाती हैं ।  
  9. पाउडरी मिल्ड्यू रोग के कारण फसल में फूल और फल नहीं बन पाते हैं।  
  10. पाउडरी मिल्ड्यू रोग की समस्या ज्यादा होने पर प्रति एकड़ उत्पादन कम निकलता है।  

पाउडरी मिल्ड्यू रोग का नियंत्रण | Powdery Mildew disease control 

पाउडरी मिल्ड्यू रोग का नियंत्रण करने के तरीके निम्न हैं - 

  1. खीरे के बीज की बुवाई करने के पहले खेत की गहरी जुताई करें।  
  2. बीज को बुवाई करने से पहले बीजोपचार कर के बुवाई करें।  
  3. पाउडरी मिल्ड्यू रोग के नियंत्रण के लिए धानुका धानुस्टिन (Dhanustin 50% WP fungicide) 30 से 35 ग्राम प्रति पंप के अनुसार छिड़काव करें।  
  4. पाउडरी मिल्ड्यू रोग के नियंत्रण यूपीएल अवेंसर ग्लो (Azoxystrobin 8.3% + Mancozeb 66.7% WG Fungicide) 45 ग्राम प्रति पंप के हिसाब से छिड़काव करें।  
  5. पाउडरी मिल्ड्यू रोग के नियंत्रण Dow DuPont Galileo Picoxystrobin 22.52%, Systemic Fungicide 40 मिली प्रति पंप के अनुसार छिड़काव करें।  
  6. पाउडरी मिल्ड्यू रोग के नियंत्रण टाटा रैलिस ताकत (Captan 70% + Hexaconazole 5% WP) 30 से 35 ग्राम प्रति पंप के अनुसार छिड़काव करें।  
  7. पाउडरी मिल्ड्यू रोग के नियंत्रण यूपीएल क्यूप्रोफिक्स (Copper Sulphate 47.15% + Mancozeb 30% WDG) 2 किलो प्रति एकड़ के अनुसार छिड़काव करें।

किसान भाइयों अगर आप को Agri Blog में दी गई जानकारी अच्छी लगी है तो कमैंट्स में अपनी राय जरूर दे। 

 


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