Small Leaf Disease in Brinjal Crop

बैंगन की फसल में छोटी पत्ती रोग का करें नियंत्रण !

बैंगन की फसल में छोटी पत्ती रोग | Little leaf of brinjal disease

नमस्कार किसान भाइयों आज के लेख में हम बैंगन में लगने वाले प्रमुख रोगों के बारे में चर्चा करने वाले हैं। जैसा की आप सब को पता होगा की बैंगन की खेती तीनों ही मौसम में की जाती है। भारत में बैंगन की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है और बैंगन की खेती के लिए गर्म जलवायु की आवश्यकता होती है, अगर मिट्टी की बात करें तो अच्छे जीवाश्मयुक्त उपजाऊ मिट्टी जहाँ पर जलनिकास की सुविधा हो वहाँ पर बैंगन की खेती करना उत्तम माना जाता है। तो आज हम जानेंगे बैंगन (eggplant) की फसल में लगने वाले कुछ प्रमुख रोगों के बारे में तथा उनके नियंत्रण आदि के बारे में जानेंगे। 

बैंगन की फसल के प्रमुख रोग | Brinjal crop disease 

अब हम बैंगन में लगने वाले अलग-अलग रोगों के पहचान और नियंत्रण के बारे में विस्तार से जानेंगे। 

बैंगन का छोटी पत्ती रोग | little leaf of brinjal

बैंगन की फसल में लगने वाला यह रोग विषाणु जनित रोग हैं जो फाइटोप्लास्मा जनित अत्यंत विनाशकारी रोग हैं। जो लीफ हॉपर (leaf hopper) नामक रसचूसक कीट के माध्यम से फैलता है। बैगन की फसल में इस रोग के लगने से पौधे की पत्तियाँ आकार में छोटी तथा पौधा छोटा व झाड़ीनुमा हो जाता हैं तथा रोगी पौधे पर फूल और फल नहीं लगते हैं। यदि फल लगते भी हैं तो फल कठोर दिखने लगते हैं। 

बैंगन का छोटी पत्ती रोग का निवारक उपाय - 

  • जब खेत खाली हो तो उस समय खेतों की गहरी जुताई करके छोड़ देना चाहिए। 
  • रोग रोधी किस्मों का चुनाव करना चाहिए जैसे - पूसा पर्पल राउंड, पूसा पर्पल लॉन्ग आदि। 
  • बीज और रोपें का उपचार करके लगाना चाहिए। 
  • रोगी पौधें को खेतों से निकालकर जला देना चाहिए। 

बैंगन का छोटी पत्ती रोग का नियंत्रण - 

  • यह विषाणु जनित रोग है जो लीफ हॉपर कीट द्वारा फैलता है इसके नियंत्रण के लिए बायर कॉन्फिडोर (Confidor Bayer company) कीटनाशी का 80 से 100 मिली प्रति एकड़ प्रति 150 से 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए।   
  • इस रोग के नियंत्रण के लिए सबसे पहले लीफ हॉपर कीट का नियंत्रण करना चाहिए तो उसके लिए मार्शल कीटनाशी (fmc marshal) का 350-400 मिली प्रति एकड़ प्रति 150 से 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए।  
  • जैविक नियंत्रण के लिए डॉ. बैक्टोज़ मेटा (मेटारिज़ियम अनिसोप्लिया) को 2.5 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए। 
  • जैविक कीटनाशक में डॉ बैक्टो'ज़ वर्टिगो (वर्टिसिलियम लेकानी) को 2.5 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए।
  • फसल में (hopper treatment) जब एक या दो पौधे पर रस चूसक कीट दिखें तो नीम तेल को 2-3 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। 

 सफ़ेद चूर्णिल असिता रोग (Powdery mildew) के लक्षण - 

बैगन की फसल में इस रोग के लक्षण सबसे पहले पौधे की पत्तियों के ऊपरी भाग पर सफ़ेद-धूसर धब्बे के रूप में दिखाई देते हैं जो बाद में बढ़कर सफ़ेद रंग के पाउडर में बदल जाते हैं। इससे पौधे की पत्तियां गिरने लगती हैं। इस रोग से फलों का विकास सही से नहीं हो पाता है। 

पाउड्री मिल्ड्यू रोग नियंत्रण - 

  • बैंगन की फसल में गोडिवा सुपर कवकनाशी (godiwa super uses in hindi) का उपयोग पाउड्री मिल्ड्यू रोग के नियंत्रण के लिए 200 ग्राम प्रति एकड़ 150 से 200 लीटर पानी में मिलाकार छिड़काव कर सकते है, यदि प्रति लीटर पानी की बात करें तो 1 ग्राम दवा को पानी में मिलाकार छिड़काव कर सकते है।
  • पाउडरी मिल्ड्यू रोग का विस्तार बहुत तेजी से होता है। इस रोग के लगने से पत्तियों के ऊतक क्षय बहुत तेजी से होता है तो इस रोग का नियंत्रण जल्दी हो तो उसके लिए ताक़त कवकनाशी (Tata Rallis Taqat fungicide) को 2 ग्राम/लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए। 

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