ashwagandha farming in india

Ashwagandha Farming: अश्वगंधा की खेती की सम्पूर्ण जानकारी

अश्वगंधा (Withania somnifera) एक महत्वपूर्ण औषधीय पौधा है, जिसे आयुर्वेद में "रसायन" के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इसे भारतीय जिनसेंग या विंटर चेरी भी कहा जाता है। अश्वगंधा की जड़ों का उपयोग मुख्य रूप से तनाव, थकान, अनिद्रा, और प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए किया जाता है। 

इसकी खेती भारत में कई राज्यों में की जाती है और इसका घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार में विशेष महत्व है।  इस ब्लॉग माध्यम से जानें अश्वगंधा की खेती का समय, बेस्ट किस्में, उर्वरक प्रबंधन, खरपतवार, कीटों और रोगों का नियंत्रण की सम्पूर्ण जानकारी के बारें में।  


भारत में अश्वगंधा की खेती -

भारत में अश्वगंधा की खेती मुख्य रूप से राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, और पंजाब जैसे राज्यों में की जाती है। राजस्थान के नागौर, जोधपुर, और भीलवाड़ा जिले अश्वगंधा की खेती के लिए प्रमुख क्षेत्र हैं।


खेती का समय -

अश्वगंधा की बुवाई का उपयुक्त समय जुलाई से अगस्त के बीच होता है, जब मानसून की अच्छी वर्षा होती है। यह खरीफ मौसम की फसल है और इसकी कटाई दिसंबर से मार्च के बीच की जाती है।


मौसम और जलवायु -

1. अश्वगंधा की खेती के लिए गर्म और शुष्क जलवायु सबसे उपयुक्त मानी जाती है। 

2. इसे उगाने के लिए 20-30 डिग्री सेल्सियस का तापमान आदर्श होता है। 

3. अश्वगंधा सूखे को सहन कर सकती है, लेकिन अत्यधिक ठंड और जलभराव के प्रति संवेदनशील होती है।


खेत की तैयारी -

1. खेत की तैयारी के लिए खेत को दो बार अच्छी तरह जोता जाता है और एक बार हैरो चलाकर मिट्टी को भुरभुरा और समतल बना लिया जाता है। 

2. अश्वगंधा की खेती के लिए खेत में अच्छी जल निकासी की व्यवस्था होना चाहिए। खेत में ऑर्गेनिक खाद या कम्पोस्ट का प्रयोग करने से मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है।


अश्वगंधा की खेती के लिए मिट्टी -

1. अश्वगंधा की खेती के लिए हल्की दोमट (लोमी) मिट्टी उपयुक्त होती है। 

2. इसे बलुई दोमट या चिकनी दोमट मिट्टी में भी उगाया जा सकता है, लेकिन मिट्टी का पीएच मान 7.5 से 8.0 के बीच होना चाहिए। 

3. जलभराव वाली मिट्टी में इसकी खेती नहीं की जानी चाहिए।


अश्वगंधा की टॉप 10 किस्में -

1. पूसा अश्वगंधा-20 - उच्च उपज और गुणवत्ता वाली किस्म।

2. जवाहर अश्वगंधा-134 - कम समय में तैयार होने वाली किस्म।

3. रजत - रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है।

4. रोहित-100 - उच्च गुणवत्ता वाली जड़ों के लिए प्रसिद्ध।

5. जवाहर-20 - अच्छी उपज और रोग प्रतिरोधक किस्म।

6. वीडी-20 - बेहतर औषधीय गुणों वाली किस्म।

7. जवाहर अश्वगंधा-48 - जल्दी पकने वाली और अधिक उपज देने वाली।

8. पीआरएजी-60 - सूखे क्षेत्रों के लिए उपयुक्त।

9. अविनाश-101 - उच्च औषधीय गुणवत्ता और उपज।

10. पूसा सुदर्शन - रोग प्रतिरोधक और अच्छी उपज वाली।


बीज दर प्रति एकड़ -

अश्वगंधा की खेती के लिए प्रति एकड़ 5-6 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है। 

बीज की बुवाई पंक्तियों में की जाती है और पंक्तियों के बीच की दूरी 30-35 सेंटीमीटर रखी जाती है।


खाद और उर्वरक -

1. अश्वगंधा की फसल के लिए खेत की तैयारी के समय 5-10 टन गोबर की खाद या कम्पोस्ट प्रति एकड़ मिलाना चाहिए। 

2. इसके अलावा, नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, और पोटाश की जरूरत होती है, जैसे कि 20:20:20 अनुपात में उर्वरक का उपयोग किया जा सकता है। 

3. नाइट्रोजन को दो खुराकों में दिया जाता है, पहली खुराक बुवाई के समय और दूसरी खुराक 30 दिन बाद।


अश्वगंधा की फसल में कीटों की समस्या -

कीटों की समस्या 

कीटनाशक का नाम 

उपयोग मात्रा 

सफेद मक्खी 

यूपीएल उलाला कीटनाशक  

60 ग्राम प्रति एकड़ 

तना मक्खी

बायर फेनॉक्स क्विक कीटनाशक

100 मिली प्रति एकड़ 

स्टेम बोरर

एफएमसी कोराजन कीटनाशक 

60 मिली प्रति एकड़ 

लीफ माइनर

सिंजेटा अलिका कीटनाशक 

80 मिली प्रति एकड़ 

ग्रीन हॉपर 

नागार्जुन प्रोफेक्स सुपर 

400 मिली प्रति एकड़ 

माहू 

धानुका फैक्स कीटनाशक 

300 मिली प्रति एकड़ 

मकड़ी 

बायर ओबेरॉन कीटनाशक

150 मिली प्रति एकड़ 

लाल भृंग 

बायर कॉन्फिडोर कीटनाशक

100 मिली प्रति एकड़ 

कैटरपिलर 

धानुका ईएम-1 कीटनाशक  

80 ग्राम प्रति एकड़ 


अश्वगंधा की फसल में रोगों की समस्या -

रोगों के नाम 

बेस्ट फफूंदनाशी 

उपयोग मात्रा 

पाउडरी मिल्ड्यू

धानुका स्पेक्ट्रम फफूंदनाशी 

300 मिली प्रति एकड़ 

उखटा रोग 

धानुका कोनिका फफूंदनाशी 

500 ग्राम प्रति एकड़ 

जड़ गलन 

आईएफएससी ट्रायको शील्ड

500 ग्राम प्रति एकड़ 

तना गलन 

सिंजेन्टा अमिस्टार टॉप फफूंदनाशी 

200 मिली प्रति एकड़ 

लीफ स्पॉट

यूपीएल साफ फफूंदनाशी  

300 ग्राम प्रति एकड़ 

अल्टरनेरिया ब्लाइट

सिंजेंटा रिडोमिल गोल्ड 

300 ग्राम प्रति एकड़ 

कॉलर रोट

क्रिस्टल बाविस्टिन फफूंदनाशी 

250 ग्राम प्रति एकड़ 


फसल की कटाई और समय -

1. अश्वगंधा की फसल की कटाई 4-5 महीने बाद की जाती है, जब पौधे पूरी तरह पक जाते हैं और जड़ों में पूर्ण औषधीय गुण आ जाते हैं। 

2. कटाई का सही समय दिसंबर से मार्च के बीच होता है।


प्रति एकड़ उत्पादन -

प्रति एकड़ अश्वगंधा की फसल से औसतन 4-5 क्विंटल सूखी जड़ का उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है, जो बाजार में अच्छी कीमत पर बिकती है।


अश्वगंधा खेती प्रमुख फायदें -

1. अश्वगंधा की जड़ों का उपयोग आयुर्वेदिक दवाओं में किया जाता है, जिसके कारण इसकी बाजार में हमेशा उच्च मांग रहती है।

2. अश्वगंधा एक शक्तिशाली औषधि है जो तनाव, चिंता, और थकान को कम करने में मदद करती है। 

3. अश्वगंधा की खेती कम जल संसाधनों वाले क्षेत्रों में भी की जा सकती है, क्योंकि इसे कम पानी की आवश्यकता होती है। 

4. अश्वगंधा की फसल में रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है, जिससे इसे कीटों और बीमारियों से कम नुकसान होता है। इससे उत्पादन लागत में कमी आती है।

5. अश्वगंधा की जड़ों का फैलाव और इसकी खेती के तरीके मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने में मदद करते हैं। यह मिट्टी के क्षरण को भी रोकता है।

6. अश्वगंधा की जड़ों को सूखाकर लंबे समय तक संग्रहित किया जा सकता है, जिससे किसानों को इसे उपयुक्त समय पर बाजार में बेच सकते है।

7. अश्वगंधा की औषधीय गुणों के कारण अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भी इसकी मांग बढ़ रही है। इससे किसानों को निर्यात के माध्यम से अतिरिक्त आय का अवसर मिलता है।


सारांश -

1. अश्वगंधा की खेती भारतीय किसानों के लिए एक लाभकारी औषधीय फसल है, जो न केवल उनकी आय में वृद्धि करती है बल्कि भारतीय आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली के लिए भी महत्वपूर्ण है। 

2. सही समय, सही मौसम, और उचित खेती के तरीके अपनाकर किसान अश्वगंधा की अच्छी पैदावार और गुणवत्ता प्राप्त कर सकते हैं। 

3. इस लेख में बताई गई जानकारी के आधार पर किसान अपनी फसल में बेहतर उत्पादन और लाभ प्राप्त कर सकते हैं।


अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न -

1. अश्वगंधा की खेती किन राज्यों में की जाती है?

उत्तर - राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, और पंजाब।

2. अश्वगंधा की बुवाई का उपयुक्त समय क्या है?

उत्तर - जुलाई से अगस्त के बीच मानसून की अच्छी वर्षा के दौरान।

3. अश्वगंधा की खेती के लिए किस प्रकार की मिट्टी उपयुक्त होती है?

उत्तर - हल्की दोमट (लोमी) मिट्टी, पीएच मान 7.5 से 8.0 के बीच।

4. अश्वगंधा की टॉप 3 किस्में कौन-सी हैं?

उत्तर - पूसा अश्वगंधा-20, जवाहर अश्वगंधा-134, और रजत।

5. अश्वगंधा की खेती के लिए प्रति एकड़ बीज दर कितनी होती है?

उत्तर - खेती के लिए बीज 5-6 किलोग्राम प्रति एकड़।

6. अश्वगंधा की फसल में सफेद मक्खी से बचाव के लिए कौन सा कीटनाशक प्रयोग होता है?

उत्तर - यूपीएल उलाला कीटनाशक, 60 ग्राम प्रति एकड़।

7. अश्वगंधा की फसल में पाउडरी मिल्ड्यू रोग के लिए कौन सा फफूंदनाशी उपयोगी है?

उत्तर - धानुका स्पेक्ट्रम फफूंदनाशी, 300 मिली प्रति एकड़।

8. प्रति एकड़ अश्वगंधा की फसल से औसत उत्पादन कितना होता है?

उत्तर - 4-5 क्विंटल सूखी जड़ का उत्पादन प्रति एकड़।


लेखक

BharatAgri Krushi Doctor


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